Home योग और त्राटक आज्ञा चक्र सम्पूर्ण प्राचीन रहस्य agya chakra

आज्ञा चक्र सम्पूर्ण प्राचीन रहस्य agya chakra

0
आज्ञा चक्र सम्पूर्ण प्राचीन रहस्य agya chakra
आज्ञा चक्र सम्पूर्ण प्राचीन रहस्य agya chakra

 

आज्ञा चक्र सम्पूर्ण प्राचीन रहस्य agya chakra

आज्ञा चक्र सम्पूर्ण प्राचीन रहस्य agya chakra आज्ञा चक्र कुछ विद्वान इसे ‘अंजना चक्र’ भी कह देते हैं। इसका स्थान दोनों भृकुटियों के मध्य-नासिका की संधि के ऐन ऊपर है। यह योग विद्या में साधना की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण चक्र है। निराकार ब्रह्म का ध्यान व अन्तर्नाटक आदि इसी चक्र पर योगीजन किया करते हैं। शरीर के समस्त अवयवों तथा संस्थानों को आज्ञा गति नाद की भांति (सब ओर) आज्ञा चक्र का प्रसारण यहीं से होता है। इस चक्र तक पहुंचा हुआ योगी अधोगति को पुनः प्राप्त नहीं होता। इस चक्र का महत्त्व सिद्ध करने के लिए यही तथ्य काफी है कि इस चक्र का तत्त्वबीज मंत्र ॐ है, जो परमात्मा या ब्रह्म का प्रणव मंत्र है। क्योंकि यह अकार, उकार और मकार (अ+उ+म ) तीनों की शक्तियों का सम्मिलन है।

इन्हें ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश अथवा ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति और संकल्प/इच्छा शक्ति कहा गया है। किसी भी कार्य को सम्पन्न करने के लिए इन्हीं तीन शक्तियों की अनिवार्यता होती है। हमें उस कर्म विशेष के विषय में ज्ञान हो, उस कर्म विशेष को करने/संपादन की सामर्थ्य हो और उस कर्म विशेष को करने की हमारी इच्छा/संकल्प हो तभी हम उस कर्म विशेष को कर सकते हैं।

क्योंकि यदि हममें करने की सामर्थ्य होगी पर ज्ञान नहीं तो भी हम उस कार्य विशेष को कर नहीं पाएंगे। यदि हमें उस कार्य विशेष का ज्ञान होगा किन्तु क्रिया की सामर्थ्य नहीं, तो भी हम उसे कर नहीं पाएंगे, किन्तु यदि हममें क्रिया और ज्ञान दोनों की सामर्थ्य, किसी कार्य विशेष के सम्बन्ध में हो तो भी हम उस कार्य को तब तक नहीं करेंगे जब तक हमें उस कार्य को करने की इच्छा न हो। कोई कार्य बिना संकल्प के सम्पन्न नहीं हो सकता। इस प्रकार ये तीन मूलशक्तियां किसी कार्य के सम्पादन में अथवा व्यवहार में अनिवार्य होती हैं।

अपने-अपने स्थान पर तीनों ही शक्तियों का महत्त्व है, तो भी संकल्पशक्ति शेष दोनों शक्तियों के एकत्रित होने के बावजूद संकल्प या इच्छा के अभाव में कार्य का सम्पादन नहीं होता। दोनों ही शक्तियां (ज्ञान व कर्म/क्रिया) अकेली होने पर तो व्यवहार में आती ही नहीं, मिलकर भी व्यवहार में तब तक नहीं आती जब तक उनमें संकल्प शक्ति न आ जुड़े। जबकि संकल्प शक्ति अकेली ही यदि बलवती और प्रचण्ड हो तो ज्ञान और क्रिया शक्ति को जुटा लेती है और कार्य सम्पन्न कर लेती है।

इसी संकल्पशक्ति के अधिष्ठाता भगवान शिव हैं। ब्रह्मा, विष्णु, महेश इन शक्तियों के अभौतिक देवता हैं। क्योंकि सृष्टि के निर्माण कार्य में मूलत: ज्ञान की आवश्यकता होती है, जिसके अधिष्ठाता देव ब्रह्मा हैं। सृष्टि के संचालन, पोषण व विकास में मूलतः क्रिया आवश्यक होती है, जिसके अधिष्ठाता देव विष्णु हैं, और संहार या विध्वंस के लिए संकल्प की मूल आवश्यकता होती है, जिसके अधिष्ठाता देव शिव हैं।

अतः सृष्टि ब्रह्मा के, संचालन/पालन विष्णु के और संहार/लय शिव के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। ब्रह्मा, विष्णु, महेश जहां, ज्ञान, क्रिया व संकल्प शक्ति के अभौतिक देव हैं, वहीं सूर्य, अग्नि और चन्द्र इन्हीं शक्तियों के भौतिक देव हैं जिन्हें हम इन्द्रियों द्वारा अनुभव कर सकते हैं। यहां यह भी ध्यान देना चाहिए कि संहार के देवता होने के कारण श्मशान में शिव प्रतिमा अवश्य स्थापित की जाती है। किन्तु यह ‘इकार’ की शक्ति (इच्छा शक्ति ) का ही प्रताप है जो ‘शव’ को भी कल्याणकारी ‘शिव’ में बदल देता है। सूर्य प्रकाश का स्रोत है। प्रकाश के अभाव में ज्ञान सम्भव नहीं है। अतः सूर्य को जगत् गुरु माना जाता है। अग्नि-ऊर्जा व ऊष्मा का स्रोत है। बिना ऊर्जा के कोई भी क्रिया नहीं हो सकती। क्रिया के लिए शक्ति, शक्ति के लिए ईंधन या ऊर्जा और कुण्डलिनी शक्ति कैसे जागृत करें-3 48ईंधन या ऊर्जा के लिए अग्नि आवश्यक होती है।

 

इसी प्रकार मन के अधिकारी देवता चन्द्रमा हैं। मन ही इच्छा या संकल्प कर सकता है। अत: संकल्पशक्ति के देवता चन्द्रमा ही माने गए हैं । समुद्रों का ज्वार-भाटा चन्द्रमा से नियन्त्रित है। स्त्रियों में रज की मासिक प्रवृत्ति चन्द्रमा से सम्बन्धित है। मानव के भावावेश तथा मन को चन्द्रमा प्रभावित व प्रवृत्त करता है। पूर्णिमा की रात और आमवस की रात में मनुष्य की मनोदशा में विशेष अन्तर पाया जाता है। अपराध शास्त्र के आंकड़ों के अनुसार के पूर्णिमा की रात में यौन सम्बन्ध अपराध विशेष रूप से अधिक घटित होते हैं। काव्य व साहित्य में चन्द्रमा, चांदनी, पूनम आदि का विशेष वर्णन चन्द्रमा से पड़ने वाले मानसिक प्रभाव को स्पष्ट रूप से परिलक्षित करते हैं। यहां तक कि चन्द्रमा की घटने बढ़ने की कला का सम्बन्ध भी बहुत से विद्वान इच्छा शक्ति से जोड़ते हैं।

शिव के मस्तक पर चन्द्रमा को सुशोभित दिखाने का एक प्रतीकात्म्क कारण यह भी है। बहरहाल। ॐ प्रणव मंत्र है जो ब्रह्मा, विष्णु, महेश की एकता यानि परमब्रह्म/परमेश्वर का द्योतक है। (ENGLISH में परमात्मा के लिए प्रयुक्त शब्द GOD भी वास्तव में इन्हीं तीन शक्तियों का परिचायक है। GENERATOR, OPERATOR और DESTRUCTER यानि उत्पन्न करने वाला, संचालित करने वाला और विनष्ट करने वाला, और यही ॐ आज्ञा चक्र का बीज मंत्र है, इससे आज्ञा चक्र का महत्त्व स्पष्ट होता है। आज्ञाचक्र का यन्त्राकार लिंग के समान है, क्योंकि स्वयं इस चक्र को लिंगाकार माना गया है।

यह सफेद रंग से प्रकाशित दो दलों/पंखुड़ियों के कमल के समान है। (विज्ञान के अनुसार पिट्युटरि ग्लैण्ड और पायनियल ग्लैण्ड को इन दलों का संकेतक माना जा सकता है।) इन दलों पर हं और क्षं अक्षर/वर्ण हैं जो इस चक्र की कमलदल ध्वनि को प्रकट करते हैं। इस चक्र का तत्त्वबीज ॐ है। अतः ॐकार इसकी बीज ध्वनि है। पंच महाभूतों से परे और सूक्ष्म ‘मह’ तत्त्व का यह मुख्य स्थान है। इसका लोक ‘तपः’ है। इसके तत्त्व बीज़ की गति नाद के समान है अतः इस चक्र का बीज वाहन नाद है, जिस पर लिंगदेवता विराजते हैं। इस चक्र के अधिपति देवता ज्ञान दाता शिव अपनी षडानन और चतुर्हस्ता शक्ति ‘हाकिनी’ के साथ है। अतः इस चक्र की शक्ति देवी ‘हाकिनी’ हैं। विभिन्न चक्रों पर ध्यान करने से जो फल साधक को प्राप्त होते हैं, वे सभी दिव्य फल अकेले आज्ञा चक्र पर ही ध्यान करने से प्राप्त होते हैं। त्रिकालदर्शन, दिव्यदर्शन, दूरदर्शन तथा मन्त्र, शक्ति व ईश साक्षात्कार का स्थान भी यही है अतः इसे शिव का तीसरा नेत्र भी कहा गया है।

इसी स्थान पर मन व प्राण के स्थिर हो जाने पर सम्प्रज्ञात समाधि की योग्यता होती है। ‘दिव्यचक्षु’ यही आज्ञा चक्र है। इसका तेज सूर्य तथा चन्द्र के सम्मिलित तेज से भी प्रबल कहा गया है। इसी चक्र के दाएं व बाएं से क्रमश: गान्धारी व हस्तिनी नाड़ियां नेत्रों तक जाती हैं, जिनका कार्य नेत्रों को प्रकाश देना है। प्रकृति व पुरुष का, जड़ व चेतन का अथवा माया व ब्रह्म का यही संयोग स्थल है। इड़ा, पिंगला तथा सुषुम्ना तीनों नाड़ियां यहां मिलती हैं अतः इसे ‘युक्तत्रिवेणी’ भी कहा जाता है।

 

यहीं से नेत्रों का प्रकाश बाहर भीतर के अंगों को देख सकता है। अतः इस चक्र पर ध्यान करने से वृत्तियां अन्तर्मुखी होती हैं । मन की चंचलता नष्ट होती है और भ्रान्ति दूर होकर आत्म तत्त्व में स्थिरता आती है। आज्ञा चक्र में ही गुरु की आज्ञा से शुद्ध ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति होती है। रामायण आदि धर्म ग्रन्थों में वर्णित तीर्थराज’ (प्रयाग )जहां-गंगा, यमुना व सरस्वती का संगम होता है और जिसमें स्नान करके सारे पाप धुल जाते हैं, वह तीर्थराज वास्तव में यह आज्ञाचक्र ही है। क्योंकि यहीं इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना तीनों नाड़ियों का संगम होता है। इसी में स्नान करने (तन्मय होने) से मुक्ति होती है। जैसा कि ‘ज्ञान संकलिनि तंत्र’ में कहा भी गया है- इड़ा भागीरिथी गंगा पिंगला यमुना नदी। तयोर्मध्यगता नाड़ी सुषम्णाख्या सरस्वती॥ -(ज्ञान संकलिनि तंत्र) अर्थात् इड़ा गंगा और पिंगला यमुना नदी है। इन दोनों के मध्य से जाने वाली नाड़ी सुषम्ना को ही सरस्वती कहते हैं। (और आज्ञाचक्र पर ये तीनों नाड़ियां मिलती हैं)।

आज्ञा चक्र कमल की कर्णिका में ही मन का निवास कहा गया है। स्थूल बुद्धि वाले मनुष्य स्थूल हृदय को ही मन समझ लेते हैं। वास्तव में मन तो अतिसूक्ष्म है और एक अणुमात्र है। जैसा कि ‘चरक संहिता’ में मन को परिभाषित करते हुए महर्षि चरक ने कहा भी है-‘अणुत्वं चैकत्वं मनः’ (जो अणु है और एक है, वही मन है)। अकार, उकार व मकार की संयुक्तावस्था में ब्रह्मा, विष्णु व महेश की संयुक्तावस्था का प्रतीक आज्ञाचक्र का बीज मंत्र ॐ बिन्दु, शक्ति व नाद से युक्त है। इन्हीं से तीन शक्तियों-रौडी, ज्येष्ठा और वामा का उत्पन्न होना माना गया है।

इस प्रकार नाद शिव और शक्ति के संयोगावस्था का भी प्रतीक सिद्ध होता है। आज्ञा चक्र में ध्यान से-सर्वज्ञता, सर्वदर्शिता, परकाया प्रवेश, त्रिकालज्ञता तथा स्थिरप्रज्ञता की प्राप्ति समस्त सिद्धियों सहित होती है। साधक मन, कर्म व वचन से मन सहित समस्त इंद्रियां उसके वश में रहती हैं। सर्वज्ञ और तत्त्वदर्शी होने से उत्पादन, पालन व संहार में समर्थ हो जाता है। उसमें आनन्द, विकारहीनता तथा साक्षी भाव का उदय होता है तथा जन्मान्तरों के संस्कारों के समस्त मल व पाप कट कर शुद्धावस्था को प्राप्त होता है।

अतः इस रहस्यपूर्ण आज्ञाचक्र को भली भांति समझ लेना चाहिए। यह कुण्डलिनी यात्रा का अत्यधिक महत्त्वपूर्ण व निर्णायक पड़ाव है। यद्यपि इसके आगे एक प्रमुख चक्र का भेद शेष रह जाता है, तथापि उस चक्र का भेदन करने में फिर विशेष प्रयास की आवश्यकता नहीं रह जाती, वहां स्वतः प्रवेश हो जाता है। इसीलिए आज्ञा चक्र तक पहुंचा हुआ योगी पुनः अधोगति को प्राप्त नहीं होता। उसकी इच्छा के विरुद्ध कुण्डलिनी वहां से वापस नहीं लौट पाती। इसके अलावा मनश्चक्र और बुद्धिचक्र इसी आज्ञाचक्र के दोनों दलों के संधि स्थल पर रहते हैं। षड्दलात्मक मनश्चक्र को ‘मनोनय कोष’ भी कहा जाता है।

इस संदर्भ में आगे मन सम्बन्धी प्रकरण में विस्तार से पढ़ेंगे। इसी आज्ञा चक्र में प्राण व मन को स्थिर करने से प्राप्त होने वाले दिव्यफल के विषय में कबीरदास जी ने ‘कबीर वाणी’ में अपने रहस्योत्पादक विशिष्ट अंदाज में कहा है कि- देह रूपी मकान के द्वार पर झरोखे बन्द करके मैंने प्राण रूपी चोर को पकड़ उसके भागने के समस्त मार्ग बन्द कर दिए। फिर हृदय की कुटिया में उसे बांधकर ॐ के कोड़े से उसे खूब पीटा-जिससे सहज नाद गूंज उठा। यह आज्ञा चक्र भेदना अत्यंत कठिन है इसलिए कबीर ने इसे ‘दसवें द्वारे ताला लागी’ कहा है।

यहीं आकर गुरु का महत्त्व पूर्णतः सिद्ध होता है, क्योंकि बिना गुरु की कृपा/आज्ञा से इस चक्र का ताला नहीं खुलता (इसमें प्रवेश नहीं होता)। तभी तो कबीरदास को कहना पड़ा- गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पांय। बलिहारी गुरु आपने, गोबिंद दियो मिलाय।। यह आज्ञाचक्र प्रभु का साक्षात्कार स्थल है। गुरु की कृपा व अनुमति से इस चक्र में प्रवेश होता है, तभी ईश्वर साक्षात्कार होता है। इसलिए गुरु द्वारा गोबिन्द मिलने की बात कही है। इस संदर्भ में यदि आज्ञा चक्र को बैकुण्ठ का द्वार मान लें तो उचित ही होगा। ऐसा मानते ही पुराणों में वर्णित कथाओं का मर्म स्पष्ट हो जाएगा। बैकुण्ठ के द्वार पर वज्रकपाट लगे हैं। दो द्वारपाल वहां सतत पहरा देते हैं। बैकुण्ठ की सात ड्योढ़ियां हैं।

ब्रह्मा जी के सनकादि मानस पुत्र भागवत पुराण के अनुसार जब विष्णु दर्शन की इच्छा से बैकुण्ठ गए तो छ: ड्योढ़ी चढ़ जाने के बाद सातवीं पर चढ़ने से जय-विजय दोनों द्वारपालों ने उन्हें रोक लिया। यहां सातों ड्योढ़ियों, सात चक्रों की तथा बैकुण्ठद्वार आज्ञाचक्र का प्रतीक है और बैकुण्ठ के दोनों द्वारपाल इस चक्र के दो दलों के वर्ण ‘हं’ वर्ण के प्रतीक हैं। अभिप्राय यही है कि इस चक्र का भेदन ब्रह्माजी के मानस पुत्रों, योग विद्या में प्रवीण सनकादि ऋषियों के लिए भी कठिन है। फिर साधारण योगियों की तो बात ही क्या। इस प्रकार विभिन्न धर्मग्रन्थों में अन्यत्र भी इस प्रकार के कूट संकेत कथाओं के माध्यम से बिखेरे गए हैं।

जैसे वाल्मीकिय रामायण में नौ द्वारों व सात प्रकोष्ठों वाली अयोध्या नगरी का वर्णन जहां राजा दशरथ अपनी तीन रानियों के साथ रहते हैं-वास्तव में शरीर (नौ छिद्र और सात चक्र) में रहने वाले दसों इंद्रियों के राजा मन (दशरथ से सिद्ध होता है-दस घोड़ों का रथी या दसों दिशाओं में जाने वाला रथ-दोनों ही प्रकार से इसका आशय ‘मन’ ही सिद्ध होता है) का यह कूट संकेत है जिसकी तीन रानियां सात्त्विक, राजसिक व तामसिक बुद्धि ही हैं। मन और बुद्धि के संयोग से उत्पन्न होने वाली चेतना ही राम हैं। चेतना के अभाव में बुद्धि तो जड़ होकर रह सकती है। शरीर भी निष्क्रिय (कोमा में) होकर रह सकता है किन्तु मन नहीं । अतः राम के बनवास पर केवल दशरथ के ही प्राण छूटते हैं, अन्य किसी के नहीं। इसी प्रकार के बीसियों उदाहरण हैं जो रामायण या पुराणों में कथाओं के माध्यम से गुप्त संकेतों में पूरा योग-रहस्य समझाते हैं। सभी को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर पुस्तक के पृष्ठों का अतिक्रमण मूल विषय के साथ अन्याय होगा।

पाठकों को प्रेरित करने के लिए इतना दिशा-निर्देशन भी बहुत है कि वे धर्मग्रन्थों को मात्र कथाओं के रूप में न लें-उसमें छिपे मर्म को खोजें। योग या अध्यात्म जैसा गूढ, रहस्यपूर्ण व शुष्क विषय जन सामान्य या औसत बुद्धि के लोगों का भी कल्याण कर सके अत: उसे कथानक के रूप में जहां तहां पर प्रस्तुत किया गया है और यह निर्देश भी दिए गए हैं कि रामायण बराबर पढ़ें। पुराण बार-बार पढ़ें। बार-बार पढ़ने से ग्रन्थ समझ में आएगा। बार-बार का अभिप्राय यही है कि धीरे-धीरे अभ्यास व बुद्धि की रगड़ संस्कार भी दृढ़ करेगी और प्रकाश भी उत्पन्न करेगी। जब प्रकाश उत्पन्न होगा तो पाठक कथाओं में छिपे मर्म को शनैः शनैः पहचानने लगेगा। अस्तु ।

आज्ञा चक्र में आगरा आप को प्रकाश जैसा दिखाई  देता है।  यह ध्यान के समय दिखाई  देता है तो यह समझ लेना चाहिए के आप के चक्र को ऊर्जा प्रपात हो रही है आप का अभ्यास सही चल रहा  है ऐसा समझ सकते है।
 इस चक्र को जागृत करने के लेया आप को गुरु की आवश्यकता होगी जो आप का उचित मार्ग दर्शन करें।  इस के साथ ही आप को प्रणायाम  करनी की आवश्यकता होगी।
आज्ञा चक्र से वशीकरण भी संभव इस के लिए  आप को त्राटक साधना कर सकते है आज्ञा चक्र  को त्राटक खोलोता  साधक  को सम्मोहन  शक्ति प्रपात होती है
आज्ञा चक्र का बीज मंत्र ॐ है इस बीज मंत्र  से आज्ञा चक्र खुलता है
आज्ञा चक्र के अभ्यास के दिनों में चक्र में वेब्रेशन महसूस होती है और इस के इलावा और भी बहुत सारे  अनुभव होते  है।
आज्ञा चक्र के बहुत सारे  फायदा जैसे के साधक को अच्छे बुरे पता चल जाता है और साधक को भूत भविष्य वर्तमान की जानकारी प्रपात हो जाती है साधक तिरकाल दर्शी बन जाता है
आज्ञा चक्र के  जागृत होने पर साधक को भूत भविष्य वर्तमान की जानकारी प्रपात हो जाती है।  साधक किसी के भी मन की बात जान जाता है।

CATEGORIES

यह साधना भी पढ़े नीचे  दिए  गए लिंक से

प्राचीन चमत्कारी उच्छिष्ट गणपति शाबर साधना Uchchhishta Ganapati  Sadhna  PH. 85280 57364

रत्नमाला अप्सरा साधना – एक दिवसीय अप्सरा साधना ek divaseey apsara saadhana ph.85280 57364

नाथ पंथ की महागणपति प्रत्यक्षीकरण साधना भगवान गणेश के दर्शन के लिए ph.85280 57364

Pataal Bhairavi – पाताल भैरवी बंगाल का जादू की मंत्र साधना Pataal Bhairavi bangal ka jadu mantra

प्राचीन प्रत्यंगिरा साधना Pratyangira Sadhana Ph.85280 57364

kritya sadhana -प्राचीन तीक्ष्ण कृत्या साधना ph. 85280 57364

Hanuman Sadhana प्राचीन रहस्यमय हनुमान साधना विधि विधान सहित ph. 85280 57364

Sapneshwari sadhna – स्वप्नेश्वरी त्रिकाल दर्शन साधना Ph.85280 57364

Lakshmi Sadhna आपार धन प्रदायक लक्ष्मी साधना Ph.8528057364

Narsingh Sadhna – भगवान प्राचीन नृसिंह साधना PH.8528057364

चमत्कारी वीर बेताल साधना – Veer Betal sadhna ph .8528057364

Panchanguli – काल ज्ञान देवी पंचांगुली रहस्य विस्तार सहित Ph. 85280 57364

Veer Bulaki Sadhna – प्राचीन रहस्यमय वीर बुलाकी साधना PH.85280 57364

चमत्कारी प्राचीन लोना चमारी साधना शाबर मंत्र lona chamari ph.85280 57364

sham Kaur Mohini माता श्याम कौर मोहिनी की साधना और इतिहास -ph.85280 57364

Masani Meldi माता मेलडी मसानी प्रत्यक्ष दर्शन साधना और रहस्य ph. 85280 57364

Lama Tibet Tantra लामा तिब्बत तंत्र का वशीकरण साधना

नाहर सिंह वीर परतक्षीकरण साधना nahar singh veer sadhana ph.85280 – 57364

पुलदनी देवी त्रिकाल ज्ञान साधना भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना bhoot bhavishya vartman janne ki

भुवनेश्वरी साधना महाविद्या साधना रहस्य (Bhuvaneshvari Mahavidya MANTRA TANTRA SADHBNA)

काले इल्म की काल भैरव साधना kala ilm aur kala jadu sadhna ph. 85280 57364

काला कलुआ प्रत्यक्षीकरण साधना ( काले इल्म की शक्तियां पाने की साधना) Ph. – 85280 57364

Kachha Kalua – कच्चा कलुआ साधना – सम्पूर्ण रहस्य के साथ ph.8528057364

कमला महाविद्या साधना ( करोड़पति बनने की साधना ) साधना अनुभव के साथ kamala mahavidya mantra

baglamukhi sadhna प्राचीन शक्तिशाली मां बगलामुखी साधना ph.85280 57364

प्राचीन चमत्कारी ब्रह्मास्त्र माता बगलामुखी साधना अनुष्ठान Ph. 85280 57364

रंभा अप्सरा साधना और अनुभव rambha apsara sadhna ph.8528057364

urvashi apsara sadhna उर्वशी अप्सरा साधना एक चनौती PH. 85280 57364

अप्सरा साधना और तंत्र apsara sadhna aur tantra

रत्नमाला अप्सरा साधना – एक दिवसीय अप्सरा साधना ek divaseey apsara saadhana ph.85280 57364

(अप्सरा साधना के लाभ ) अप्सरा साधना का हमारे जीवन मे महत्व (Benefits of Apsara ) Our life of Apsara is

अप्सरा साधना में आहार कैसा होना चाहिए   apsara mantra sadhna

उर्वशी अप्सरा साधना प्रत्यक्षीकरण urvashi apsara pratyaksh sadhana mantra vidhi ph.85280

 yakshini sadhana

rakta chamunda रक्तचामुण्डा यक्षिणी सब से तीव्र वशीकरण साधना Ph.85280 57364

तुलसी यक्षिणी साधना tulsi yakshini sadhana

कनक यक्षिणी साधना प्रत्यक्षीकरण kanak yakshini sadhna ph. 85280 57364

पीपल यक्षिणी वशीकरण साधना pipal yakshini sadhana ph. 85280 57364

 त्रिकाल ज्ञान साधना

Sapneshwari sadhna – स्वप्नेश्वरी त्रिकाल दर्शन साधना Ph.85280 57364

Panchanguli sadhana – चमत्कारी प्राचीन त्रिकाल ज्ञान पंचांगुली साधना रहस्य ph.85280 57364

vartali devi sadhana वार्ताली देवी साधना भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना ph. 85280 -57364

पुलदनी देवी त्रिकाल ज्ञान साधना भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना bhoot bhavishya vartman janne ki

सात्विक सौम्य करन पिशाचिनी साधना भूत भविष्य वर्तमान की जानकारी के लिए karna pishachini sadhana

hanumat Margdarshan sadhna हनुमत मार्गदर्शन साधना

maa durga Trikal gyan sadhna माँ दुर्गा त्रिकाल ज्ञान सध्ना

काला इल्म इल्म और काला जादू

Kachha Kalua – कच्चा कलुआ साधना – सम्पूर्ण रहस्य के साथ ph.8528057364

काला जादू black magic क्या है? और इस के क्या रहस्य है PH.8528057364

काले इल्म की काल भैरव साधना kala ilm aur kala jadu sadhna ph. 85280 57364

काला कलुआ प्रत्यक्षीकरण साधना ( काले इल्म की शक्तियां पाने की साधना) Ph. – 85280 57364

यंत्र मंत्र तंत्र ज्ञान

गायत्री मंत्र के लाभ The Benefits Of Chanting Gayatri Mantra

Kachha Kalua – कच्चा कलुआ साधना – सम्पूर्ण रहस्य के साथ ph.8528057364

kritya sadhana -प्राचीन तीक्ष्ण कृत्या साधना ph. 85280 57364

Khetarpal Sadhna खेत्रपाल साधना और खेत्रपाल रहस्य कौन है

यह तंत्र साधना कभी न करे एक शादीशुदा साधक tantra sadhana

मायावी विद्या और कृष्ण के पौत्र के माया से अपहरण mayavi vidya ph.85280

इस्‍माइल जोगी का परिचय Introduction to Ismail Jogi

maran aadi mantra Prayogo me savdhaniya मारणादि मंत्र प्रयोगों में सावधानियां

vashikaran uchatan akarshan mantra paryogo savdhani वशीकरण, उच्चाटन,आकर्षणादि मन्त्र

Trikal gyan varahi sadhna त्रिकाल ज्ञान वाराही

Taratak Meditation kundalini jagarn karni ke pahile seedhee त्राटक ध्यानकुण्डलिनी जागरण करने 

mantra Tantra khatkarm मंत्र तंत्र षट्कर्म Ph 85280 57364

Tantra wikipedia

MUSLIM sadhna

प्राचीन चमत्कारी मुवक्किल muwakkil साधना रहस्यph.85280 57364

Muslim sadhna मनवांछित इस्लामिक शक्ति को सिद्ध करने की साधना ph.85280 57364

sulemani panch peer sadhna सुलेमानी पाँच पीर साधना

Khabees – खबीस शैतान का सम्पूर्ण जानकारी- कैसा होता है

ख्वाजा पीर जी की साधना Khawaja Peer Sadhana

Sifli ilm सिफली इलम रहस्य हिंदी में विस्तार सहित ph.85280 57364

Tilasmi paryog ख़्वाजा तिलस्मी प्रयोग से त्रिकाल ज्ञान ph. 8528057364

Tantra English

Kamakhya Sindoor: History, Benefits, and Uses

Kamakhya Devi – A Journey Through the Mystical Temple of the Mother Goddess

What is Tantra?

Significance of wealth in life Maha lakshmi Sadhana ph.8528057364

mantra tantra education and guru knowledge

Is Tantra a Rapid Path to Self-Realization

what is Mantra Tantra Shastra?

Milarepa- The Great Tibetan Tantric & His Enlightenment

A Man Who Learnt a Magical Secret Mantra Secret Mantra

Relationship between Kundalini Tantra Yantra,Mantra

How is Aghori Tantra Mantra Sadhana?

Tantra Mantra education is not pornography and sexy science

Difference between Beej mantras and Tantric mantras and how to use them

Social media link

 guru  mantra  sadhna  Facebook  page 

 guru  mantra  sadhna  facebook  group

 guru  mantra  sadhna  youtube

 guru  mantra  sadhna   WordPress  

 guru  mantra  sadhna  LinkedIn

 guru  mantra  sadhna   email

 guru  mantra  sadhna  qoura

other links

best web hosting 

best domain  company 

best translate  tool

best news  website  

best singer

best mobile phone company

best  bank

best  shopping website 

best  laptop  company 

the best place in India

my  WordPress  use plugin

Ad Invalid Click Protector (AICP)

Rank Math SEO

Ad Invalid Click Protector

Advanced Editor Tools

Classic Editor

Clear Sucuri Cache

Easy Table of Contents

Featured Image from URL (FIFU)

Jetpack

Rank Math SEO

Webpushr Push Notifications

WordPress Automatic Plugin

WP Permalink Translator


guru mantra sadhna pages

 guru  mantra  sadhna Disclaimer

 guru  mantra  sadhna  Privacy Policy

 guru  mantra  sadhna  Terms and Conditions

 guru  mantra  sadhna  Contact