मारणादि मंत्र प्रयोगों में सावधानियां maran aadi mantra Prayogo me savdhaniya
मारणादि मंत्र प्रयोगों में सावधानियां maran aadi mantra Prayogo me savdhaniya Shatru Maaran Prayog उच्चाटन, विद्वेषण एवं मारणादि उग्र मन्त्रों के प्रयोगों में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इन मन्त्रों के गलत प्रयोगों से कई बार विपरीत फल भी प्राप्त होते हैं। साधक को प्राय: कई बार मृत्यु शैया पर जाते, पागल होते और सब कुछ नाश होते भी देखा गया है। इसका कारण यह है कि अज्ञानता या विधि न जानते हुए विपरीत फल का होना। Shatru Maaran Prayog

जब साधक कोई अनुष्ठान करता है तो बहुत सी गुप्त शक्तियां इसमें बाधा उत्पन्न
करती है। Shatru Maaran Prayog
कई बार बहुत से भयानक दृश्य दिखलाई देते हैं; चारों ओर अग्नि दिखाई देती है। मारने वाले पशु आते हुए दिखाई देते हैं। इस प्रकार के कई और भी भयानक दृश्य दृष्टिगोचर होते हैं। जब साधक दृढ़चित्त होकर अपने स्थान पर बैठा रहे। वहां से उठे नहीं और जप करता रहे तो सब स्वयं शांत हो जाता है। चाहे कोई आकृति ही क्यों न हो वह अनुष्ठान स्थान के कूर्म चक्र को पार नहीं कर सकती है। यदि साधक भयभीत होकर भागने लगे तो उसकी मृत्यु हो जाती है या जीवन भर पागल हो जाता है। विधि पूर्वक जप न होने से हानि का भय रहता है। जहां जिस वस्तु या विधि का प्रयोग बताया गया हो वहां वैसे ही करना चाहिए। मन्त्र का जप, ध्यान, उच्चारण जिस प्रकार से होना हो वैसा न होने पर हानि होती है। Shatru Maaran Prayog
Shatru Maaran Prayog यदि वह अनुष्ठान छोड़ दे तो वह पाप और भी अधिक हानिकारक सिद्ध होते हैं। यदि साहस करके और उन बाधाओं से भयभीत न होकर अनुष्ठान करता रहे तो वह उन सब पर विजयी हो जाता है। अनुष्ठान की सबसे अधिक सफलता दृढ़ निश्चय पर निर्भर है। गुरु निश्चय, मन्त्र निश्चय और इष्ट निश्चय-जिस साधक में यह तीनों प्रकार के निश्चय दृढ़ हैं उसको कोई शक्ति असफल नहीं कर सकती और जिसमें श्रद्धा और प्रेम नहीं है उसको ब्रह्मा भी सफल नहीं बना सकते । Shatru Maaran Prayog
सभी मन्त्रों में एक जैसी शक्ति है। जिस मन्त्र को ग्रहण किया जावे उस पर पूरा विश्वास हो, उसकी विधि से ही अन्य मन्त्रों का अनुष्ठान भी किया जा सकता है। जो अज्ञानता से अथवा लोभ के कारण नित्य प्रति नए-नए मन्त्र परिवर्तन करता रहता है वह अपना समय ही नष्ट करता है। सब शक्तियां और रूप उस ईश्वर के ही हैं, केवल नाम पृथक-पृथक हैं। प्रत्येक मन्त्र और प्रत्येक देवता में उस ईश्वर की ही शक्ति होती है। इसलिए साधक को चाहिए कि जिस मन्त्र और जिस देवता की वह शरण ले उसी में दृढ़ निश्चय बनाकर साधना करें। Shatru Maaran Prayog
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