Sapneshwari sadhna – स्वप्नेश्वरी त्रिकाल दर्शन साधना Ph.85280 57364
Sapneshwari sadhna – स्वप्नेश्वरी त्रिकाल दर्शन साधना Ph.85280 57364 यह साधना प्रत्येक मानव के लिए आवश्यक है, जो साधक ऊंचे स्तर की साधना नहीं कर पाते या जिन्हें इतना अवकाश नहीं मिलता, उन्हें स्वप्नेश्वरी साधना सम्पन्न करनी चाहिए जिससे कि वे जीवन में स्वयं का तथा दूसरे लोगों का कल्याण कर सकें। इस साधना से आप भूत भविष्य वर्तमान की जानकारी हासिल कर सकते है हर सवाल का जवाब आपको सपने के माध्यम हासिल कर सकते है।
जीवन की अनेक समस्याएं होती है. अनेक बाधाएं होती हैं, चाहे वह प्रेम-प्रसंग का विषय हो अथवा ऋण से मुक्ति का. जिनका स्पष्ट रूप से उल्लेख भी नहीं किया जा सकता और जिनका समाधान प्राप्त करना भी आवश्यक होता है।
और ऐसी ही स्थितियों में बत जाती है सहायक ऐसी कोई विशिष्ट साधना जो त्वरित फलप्रद हो स्वप्नेश्वरी साधना उसी त्वरित फलप्रद श्रेणी की साधना है। प्रयोग जब भी कोई समस्या आपके सामने हो और उसका हल नहीं मिल रहा हो, तो इस प्रकार मन्त्र जप किया हुआ साधक उस समस्या को कागज पर लिख ले और रात्रि को सिरहाने रख कर सो जाय, रात्रि को स्वप्नेश्वरी देवी स्वप्न में ही उस समस्या का हल स्पष्ट रूप से बता देती हैं,
जिससे कि साधक को निर्णय करने में आसानी होती है। साधक चाहे तो किसी भी व्यक्ति की समस्या इसी प्रकार से हल कर सकता है, उदाहरण के लिए व्यक्ति का प्रमोशन किस तारीख को होगा या मैं अमुक व्यक्ति के साथ लेन-देन कर रहा हूँ, यह ठीक रहेगा या नहीं, ऐसे प्रश्न स्पष्ट रूप से कागज पर लिख लेने चाहिए, और अपने सिरहाने रात्रि को सोते समय देख लेने चाहिये, तत्पश्चात् स्वप्नेश्वरी देवी को मन ही मन प्रणाम कर सो जाना चाहिए, ऐसा करने पर उसे रात्रि को ही स्वप्न में उसका प्रामाणिक हल मिल जाता है। वस्तुतः यह महत्वपूर्ण साधना है, और साधक इसके माध्यम से साधक हजारों-लाखों लोगों का कल्याण कर सकता है।
स्वप्नेश्वरी देवी साधना विधान
इस साधना के लिए मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त स्वप्नेश्वरी यंत्र स्वप्नेश्वरी देवी का चित्र आवश्यक है, तथा यह यंत्र तांबे के पतरे पर या चांदी के पतरे पर बना हुआ लेना चाहिए तथा उस चित्र को मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठा युक्त चैतन्य कर देना चाहिए, जिससे कि उसका प्रभाव मिल सके, यदि आपके शहर में योग्य पण्डित हो, तो प्राण प्रतिष्ठा की जा सकती है,
स्वप्नेश्वरी देवी के चित्र को फ्रेम में मढ़वा कर रख साधना प्रारम्भ करने से पूर्व चावल, कुकुम या केशर, जल का लोटा, दीपक, अगरबत्ती पहले से ही तैयार करके रख देनी चाहिए। यह साधना सोमवार से प्रारम्भ की जाती है।
यह मात्र पांच दिन की साधना है। इसमें नित्य 101 मालाएं फेरनी आवश्यक है, इस साधना में हकीक का ही प्रयोग किया जाता है, अन्य मालाएं वर्जित हैं। यह साधना दिन को या रात्रि को भी की जा सकती है। साधक चाहे तो पचास मालाएं दिन को तथा इक्यावन मालाएं रात्रि को भी कर सकता हैं. इस प्रकार दिन और रात में दो बार में पूर्ण मंत्र जप हो जाना चाहिए।
माला सोमवार को साधक स्नान कर धोती पहन कर उत्तर की ओर मुंह कर बैठ जायें, सामने लकड़ी के बाजोट पर पीला रेशमी वस्त्र बिछा दें और उस पर स्वप्नेश्वरी देवी का यंत्र व स्वप्नेश्वरी देवी का चित्र स्थापित कर दें, इसके बाद अलग बर्तन में स्वप्नेश्वरी देवी के यंत्र को जल से, फिर कच्चे दूध से तथा फिर जल से धोकर पोंछकर बाजोट पर रखे किसी पात्र में यंत्र को स्थापित कर दें, यह पात्र ताम्बे का स्टील या चांदी का हो सकता है, फिर कुकुम या केशर से तिलक करें सामने अगरबत्ती व दीपक लगायें दूध का बना प्रसाद चढ़ायें और
फिर एकनिष्ठता से ध्यान करें-
ध्यान स्वप्नेश्वरी देवी
स्वप्नेश्वरी नमस्तुभ्यं फलाय वरदाय च। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्व प्रदर्शयः ।।
मंत्र स्वप्नेश्वरी देवी
फिर नीचे लिखे मंत्र की एक सौ एक मालाएँ नित्य जये मंत्र ॐ ह्रीं स्वप्नेश्वरी ह्रीं ह्रीं क्रीं क्रीं की ॐ ॥ OM KREEM KREEM KREEM HREEM HREEM SWAPNESHWARI HREEM HREEM KREEM KREEM KREEM OM
इस प्रकार नित्य एक सौ एक माला मंत्र जप करें. इन पांच दिनों में साधक जमीन पर सोयं, एक समय भोजन करें। पांच दिन तक मंत्र जप के बाद छठे दिन इसी मंत्र की मात्र शुद्ध घृत से एक हजार एक आहुतिया दें, फिर पांच कुमारी कन्याओं को भोजन करायें और उन्हें यथोचित यस्त्र दान आदि देकर सन्तुष्ट करें, इस प्रकार करने पर साधना सम्पन्न मानी जाती है। ‘इस का इस्तमाल कैसे करना है वो लेख में पहले ही बता दिया गया है
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