Navarna Mantra Ke Labh चमत्कारी नवार्ण मंत्र के लाभ Ph.85280 57364
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Navarna Mantra Ke Labh चमत्कारी नवार्ण मंत्र के लाभ Ph.85280 57364 नवरात्रि में सर्वत्र विजय की है तब तक रक्त बीज की तरह दूसरा उत्पन्न हो जाता है। इस कारण व्यक्ति अपने जीवन में अत्यधिक भय ग्रस्त रहता है, जिसके कारण वह मानसिक संतुलन नहीं रख पाता है। इन कारणों के चलते व्यक्ति की शक्ति क्षीण होने लगती है और शारीरिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी वह दीन एवं हीन दिखाई पड़ता है। जीवन में इस तरह के संग्राम को व्यक्ति केवल ॥ अपनी शक्ति के माध्यम से नहीं जीत सकता है।
इसके लिए उसके पास दैवीय बल होना आवश्यक है, मंत्र सिद्धि होनी ‘आवश्यक है। एक मात्र साधना-जो वन पग पग परिवर्तशील है और न जाने कब, कौन । सौ विकट स्थिति से गुजरना पड़ जाय, शत्रु हर मोड़ 1 पर खड़े रहते हैं, कब हमला कर दें, कोई भरोसा नहीं।
मनुष्य के शत्रु एक नही हजारों होते हैं, जब तक वह एक को परास्त करता महाभारत काल में श्रीकृष्ण ने गीता में यह कहा है, कि हे अर्जुन! तुम युद्ध को शस्त्रों के माध्यम से नहीं जीत सकते, जब तक कि तुम्हारे पीछे देवीय बल नहीं होगा, जब तक तुम्हें मंत्र सिद्धि नहीं होगी, इसीलिए तुमने जो गुरु द्रोणाचार्य से मंत्र सिद्धि प्राप्त की है, उस मंत्र सिद्धि को स्मरण करते हुए गांडीव उठाओ, तभी तुम महाभारत युद्ध जीत सकोगे, केवल धनुष और तीर चलाने से ये दुर्योधन, दुःशासन जैसे पापी समाप्त नहीं। हो सकते, अतः द्रोणाचार्य ने तुम्हें तीर चलाना ही नहीं सिखाया अपितु मंत्र शक्ति भी दी है।
वास्तव में साधना शक्ति का वह स्रोत है, जिसमें व्यक्ति शारीरिक रूप से तो स्वस्थ और बलवान होता है, साथ ही मानसिक रूप से भी यह पूर्ण स्वस्थ और बलवान होता ही है; क्योंकि उसे साधना का बल, ओज और तेजस्विता प्राप्त हो जाती है, जो उसे हर क्षेत्र में विजयी बनाने में सहायक सिद्ध होती है।
यदि व्यक्ति के पास साधना का तेज, मंत्र बल हो तो वह पराजित हो ही नहीं सकता और यदि व्यक्ति नवार्ण मंत्र की साधना सम्पन्न करता है, तो प्रबल शक्ति युक्त बनता ही है। नवार्ण साधना से साधक अपने जीवन में आने वाले हर शत्रु को, हर बाधा को हमेशा-हमेशा के लिए दूर कर सकता है। प्रायः नवार्ण साधना के विधि-विधान के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
इस साधना का मूल रहस्य इसके अक्षरों के मंत्र में निहित विराद शक्ति में छिपा हुआ है। भगवती दुर्गा की साधना में नवार्ण मंत्र का विशेष महत्व है। व्यक्ति चाहे किसी पक्ष का उपासक हो, प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सुख- समृद्धि एवं पूर्णता के लिए नवार्ण साधना अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती ही है। चामुण्डा तंत्र में कहा गया है, कि नवार्ण मंत्र की साधना ।
सिद्ध होने पर व्यक्ति के जीवन में नौ लाभ स्वतः प्राप्त होने लगते हैं, वे इस प्रकार है-
१. इस साधना के सिद्ध होने पर साधक की स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है, वाणी में ओज आ जाता है, जिससे वह अच्छा वक्ता बन जाता है।
२. यह साधना सिद्ध होने पर व्यक्ति के जीवन में दरिद्रता समाप्त हो जाती है और आर्थिक स्रोत खुलने लगते हैं।
३. इस साधना के सिद्ध होने पर साधक के समस्त शत्रु समाप्त हो जाते हैं और वे उसके विरुद्ध कोई भी षड्यंत्र नहीं कर पाते हैं अपितु मित्रवत् व्यवहार रखने लगते हैं। इस साधना के सिद्ध होने से सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह होती है, कि उस साधक की सर्वत्र विजय एवं प्रसिद्धि होने लगती है, साथ ही उसमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, लगभग समाप्त हो जाता है।
४. साधक के सौभाग्य के द्वार खुलने लगते हैं। उसे दीर्घायु प्राप्त होती है। घर में आकस्मिक विपत्ति व संकट नहीं आते हैं तथा किसी भी प्रकार का रोग व्याप्त नहीं होता है।
५. नवार्ण साधना सिद्ध होने पर आत्म कल्याण की पूर्ण प्रक्रिया प्रारम्भ हो जाती है, जिससे कुण्डलिनी जागरण की स्थिति प्राप्त होने लगती है।
६. इस साधना के सिद्ध होने पर सन्तान सुख मिलने लगता है। यदि सन्तान न हो, तो श्रेष्ठ सन्तान उत्पन्न होती है।
७. नवार्ण साधना सिद्ध होने पर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, कि व्यक्ति के जीवन में यदि बाधाएं हैं, तो उसका भाग्योदय होकर उन्नति होने लगती है। आय के स्रोत खुलने लगते हैं तथा पग-पग की बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
८. नवार्ण साधना की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह प्रायः नवार्ण साधना के विधि-विधान के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इस साधना का मूल रहस्य इसके अक्षरों के मंत्र में निहित विराट् शक्ति में छिपा हुआ है। है कि व्यक्ति हर क्षेत्र में पूर्णता प्राप्त करता ही है, चाहे वह स्वास्थ्य की दृष्टि से हो, चाहे गृहस्थ सुख-सुविधा से हो या आध्यात्मिक उन्नति से, वह निश्चित ही पूर्णता करता है।
९. नवार्ण मंत्र साधना के लिए शाखों में बताया गया है, कि इस मंत्र से पूर्व प्रणव (ॐ) नहीं लगाना चाहिए, नवार्ण मंत्र स्वयं में अत्यन्त तेजस्वी मंत्र है, जो अपार शक्ति समेटे हुए है। नवार्ण मंत्र की साधना को नवरात्रि के अवसर पर सम्पन्न करना, जीवन के सौमान्य को ही उदित करना है, क्योंकि ऐसी विलक्षण साधना को प्राप्त करना, उसे पुनः सम्पन्न करना, योगियों लिए भी श्रेयस्कर होता है।
नवार्ण मंत्र साधना को सम्पन्न करने के लिए साधक चाहे तो नवरात्रि के अतिरिक्त किसी भी शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा को भी आरम्भ कर सकता है, परन्तु इसके लिये उत्तम तथा निर्धारित मुहूर्त नवरात्रि ही मानी गई है। इस साधना को सम्पन्न करने के लिए ‘गणपति चित्र, दुर्गा चित्र, नवार्ण यंत्र, खड्ग माला’ की आवश्यकता होती है।
आप इस सामग्री को कहीं से भी प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन नवार्ण यंत्र तथा खड्ग माला चामुण्डा तंत्र के अनुसार प्राण प्रतिष्ठित और मंत्र सिद्ध होनी चाहिए। गणपति चित्र तथा दुर्गा चित्र भी मंत्र सिद्ध हो तो उत्तम है। नवरात्रि में यह प्रयोग प्रत्येक व्यक्ति को सम्पन्न कर ही लेना चाहिए, तथा उन साधकों को जो नवरात्रि शिविर में भाग न ले सकें तथा वे साधक जो नवरात्रि शिविर में आ रहे हैं, किन्तु उनका परिवार घर पर ही रुक रहा है, तो परिवार के एक या सभी सदस्यों को यह साधना सम्पन्न कर ही लेनी चाहिए, जिससेमां दुर्गा का आशीर्वाद आपकी तथा आपके सम्पूर्ण परिवार की सुरक्षा करता रहे।
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