मन्त्रों को गुप्त रखना mantro ko gupat rakhna (guru

mantra sadhna)

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मन्त्रों को गुप्त रखना   mantro ko gupat rakhna (guru mantra sadhna) मन्त्र सिद्धि के लिये जिन संस्कारों की आवश्यकता बताई गई है उनमें अन्तिम संस्कार है ‘‘गुप्ती” अर्थात् गुप्त रखना या मन्त्र किसी को बताना नहीं। मन्त्रसाधक के बारे में यह किसी को पता न लगे कि वह किस मन्त्र का जप करता है। यदि नाम का जप मन्त्रविधि से होता है तो उसको भी गुप्त रखना चाहिये। यदि जप के समय को
पास हो तो मानसिक जप करना चाहिए। उपांशु जप करना हो तो सर्वदा एकांत पर करना चाहिए।

मन्त्रों को गुप्त रखना mantro ko gupat rakhna

मन्त्रों का कीर्तन तो कभी भी नहीं होना चाहिए। वाचिक उसे कीर्तन होता है और उसकी विधि कोई नहीं होती है। परन्तु मन्त्र का संकीर्तन किसी भी अवस्था में नहीं होना चाहिए । एक मन्त्र के ग्रहण का सबको अधिकार होता । मन्त्र के गुप्त रखने का फल यह होता है कि लोगों की व्यर्थ बातों से बच । ९। जस मन्त्र को ग्रहण करने की अभिलाषा होती है वह विद्वान् गुरु के पास जा गुरु उसकी योग्यता के अनुकूल मन्त्र देता है, जिसके साधन से वह अपनी कामना का प्राप्त करता है। शास्त्रों में ऐसी आज्ञा है कि मन्त्र को हर किसी के समक्ष प्रकट करना चाहिए। इससे मन्त्र के प्रभाव फल में कमी हो जाती है।

कुपात्र व्यक्ति को टि गया मंत्र, दुरुपयोग होने की आशंका होती है। कई बार मनुष्य पाप का भागी हो जाता है। अत: इसे गुप्त रखना ही कल्याणकारी माना गया है।
‘एतद् गोप्यं महागोप्यं न देयं यस्य कस्यचित् ।” शाबर मन्त्र और ऐसे दूसरे भी मन्त्र श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर होते हैं क्योंकि देखा गया है कि अच्छी से अच्छी औषधि पर भी विश्वास न हो तो लाभ नहीं होता। वैद्य लोग इसी लिये औषधि का नाम नहीं बतलाते हैं। मन्त्रों के बारे में भी यही बात

मन्त्रों को गुप्त रखना mantro ko gupat rakhna