महत्वपूर्ण जानकारी बगलामुखी अनुष्ठान Important Information Baglamukhi Anushthan
महत्वपूर्ण जानकारी बगलामुखी अनुष्ठान Important Information Baglamukhi Anushthan आज के समय भी यह तांत्रोक्त अनुष्ठान उतना ही प्रभावी सिद्ध होता है, जितना की पूर्व समय में होता था । जब अभीष्ट संख्या में मंत्रजाप और रक्षा कवच का पाठ सम्पन्न हो जाये तो आसन से उठने से पहले एक बार पुनः माँ के समक्ष पूर्ण श्रद्धाभाव के साथ एकाग्रचित्त होकर अपनी प्रार्थना को दोहरायें तथा माँ से बार-बार अनुरोध करते रहें कि वह शीघ्रताशीघ्र प्रसन्न होकर उसके समस्त दुःखों की पीड़ा को दूर कर दें।
प्रार्थना करने के पश्चात् माँ से आसन से उठने की आज्ञा लें। आसन छोड़कर उठ जायें। माँ को अर्पित किये नैवेद्य में से थोड़ा सा प्रसाद स्वयं ग्रहण कर लें, शेष प्रसाद को छोटे बच्चों, विशेषकर कन्याओं के बीच बांट दें। माँ को चढ़ाये फल भी बच्चों में बंटवा दें। इस अनुष्ठान के दौरान उपवास आदि रखना आवश्यक नहीं है, लेकिन पूरे अनुष्ठान के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण करना, भूमि पर शयन करना तथा ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य माना जाता है । अगर अनुष्ठान के दौरान स्वयं पर इतना नियंत्रण रख पाना संभव न हो पाये तो इस अनुष्ठान को किसी विद्वान आचार्य द्वारा सम्पन्न करवा लेना चाहिये। यद्यपि अन्य तांत्रोक्त अनुष्ठानों की तरह इसको प्रारम्भ करने से पहले गुरु का आशीर्वाद प्राप्त कर लेना अनुष्ठान का एक हिस्सा रहता है। बगलामुखी महाविद्या का यह तांत्रोक्त अनुष्ठान यूं तो तीन महीने का है, परन्तु इसे निरन्तर एक साथ सम्पन्न करने की अपेक्षा 31-31 दिन की तीन आवृत्तियों में भी सम्पन्न किया जा सकता है। आमतौर पर अधिकांश समस्यायें 31 दिन के अनुष्ठान से ही दूर हो जाती हैं। 31 दिन के इस तांत्रोक्त अनुष्ठान में पूजा-अर्चना, मंत्रजाप एवं रक्षा कवच पाठ का यही क्रम जारी रहता है । प्रत्येक दिन सबसे पहले बीते दिन की पूजा सामग्री को एकत्रित करके एक जगह रख लें, ताकि यह पांवों के नीचे नहीं आये। उस दिन का कार्यक्रम पूर्ण होने के पश्चात् किसी तालाब या बहते हुये पानी में यह सामग्री प्रवाहित कर दें अथवा प्रत्येक दिन की पूजा सामग्री को एक जगह एकत्रित रखते हुये 32वें दिन, अनुष्ठान समाप्ि के पश्चात् एक साथ जल में विसर्जित कर दें। इस प्रकार इक्कीसवें दिन अनुष्ठान का समापन हो जाता है । 31वें दिन तीन माला अतिरिक्त मंत्रजाप और एक माला ( 108 बार ) मंत्र से प्रज्ज्वलित अग्नि में आहुतियां दी जाती हैं। मंत्रजाप एवं रक्षा कवच पाठ पश्चात् पांच कन्याओं को भोजन करवा कर दान-दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इस तरह अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है।
अनुष्ठान समाप्ति के अगले दिन मिट्टी के सकोरे में धेनुका शंख को रखकर जमीन में दबा दिया जाता है, जबकि बगलामुखी यंत्र को छोड़कर शेष सामग्री को एक पीले रंग के वस्त्र में बांधकर नदी या तालाब में प्रवाहित कर दिया जाता है । माँ बगलामुखी का यह तांत्रोक्त अनुष्ठान बहुत ही अद्भुत एवं प्रभावशाली है । इसके प्रभाव से अधिकांश मामलों में 31 दिन के भीतर ही अनुकूल लाभ मिलने लगता है। जिन मामलों में इस अवधि में अनुकूलता नहीं आ पाती या फिर मामला अत्यधिक जटिल होता है, उन मामलों में भी तीन महीने के भीतर ही आशानुकूल परिणाम मिल जाते हैं । इस अनुष्ठान का सबसे चमत्कारिक प्रभाव उन साधकों को दिखाई देता है, जो किसी अभीष्ट इच्छा की जगह माँ की अनुकंपा पाने के उद्देश्य से इस अनुष्ठान को सम्पन्न करते हैं ।
ऐसे साधकों को अनुष्ठान काल के दौरान अनेक प्रकार की अलौकिक अनुभूतियां होने लगती हैं। अनेक साधकों ने इस बात को निसंकोच स्वीकार किया है कि साधनाकाल के ग्यारहवें दिन से उन्हें साधना कक्ष में किसी अन्य की उपस्थिति का आभास होने लगता है। कई बार तो ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे कि साधनाकक्ष में कोई दूसरा व्यक्ति बैठकर साधक का ध्यान रख रहा हो । स्वयं मैं भी ऐसे अनुभव से गुजर चुका हूं। जब मैंने प्रथम बार बगलामुखीमहाविद्या का तांत्रिक अनुष्ठान सम्पन्न किया तो अनुष्ठान के 17वें दिन से मुझे साधनाकक्ष में माँ का तीव्र अट्टाहास सुनाई देने लगा था । अन्य गुप्त बातों को मैं यहां प्रकट नहीं करना चाहूंगा।
बगलामुखी साधना की सावधानियां Precautions of Baglamukhi Sadhana
यह साधना बिना गुरु के न करे
अगर इस साधना के दौरान कुछ अनुभव होते है वो किसी और को न बताओ
इस साधना के दिनों में ब्रह्चर्य का पालन करे
बहार का कुछ न खाए घर का शुद्ध भोजन करें
और अधिक जानकारी के लिए फ़ोन करे 85280 57364
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