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इसी आधार पर उनकी महाशक्ति को वल्गामुखी भी कह दिया जाता है। तंत्रशास्त्र और अन्य ग्रंथों में बगलामुखी देवी का क्रोधी स्वभाव वाली न्यायदेवी के रूप में वर्णन हुआ है। माँ का यही रूप उनके ध्यान में वर्णित किया जाता है तथा उनके चरित्र वर्णन एवं प्राचीन प्रतिमाओं में देखने को मिलता है । माँ का ध्यान एक राक्षस की जीभ को अपने हाथ से खींचते हुये रूप में किया जाता है। इस स्वरूप का भी यही भावार्थ है कि माँ अनंत शक्ति की प्रतीक है और वह अपने भक्तों के विरुद्ध किसी भी प्रकार की निंदा, झूठा आरोप, मिथ्या अफवाह, असत्य दोषारोपण आदि बिलकुल सहन नहीं करती। वह स्वतः ही अनर्गल निंदा करने वाले शत्रुओं की जीभ को कील देती है, जिससे उनके भक्त के शत्रु कमजोर पड़कर परास्त होने लगते हैं।

 

 

By Rodhar nath

My name is Rudra Nath, I am a Nath Yogi, I have done deep research on Tantra. I have learned this knowledge by living near saints and experienced people. None of my knowledge is bookish, I have learned it by experiencing myself. I have benefited from that knowledge in my life, I want this knowledge to reach the masses.

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