Hanuman Sadhna प्राचीन रहस्यमय हनुमान साधना विधि
विधान सहित ph. 85280 57364
Hanuman Sadhna प्राचीन रहस्यमय हनुमान साधना विधि विधान सहितph. 85280 57364 हनुमान साधना Hanuman Sadhna एक विशेष प्रकार की धार्मिक साधना है, जिसमें हनुमान जी की उपासना और साधना की जाती है। हनुमान जी हिंदू धर्म के प्रमुख देवता में से एक हैं जो हिंदू धर्म के ग्रंथ रामायण में प्रमुख चरित्र हैं। हनुमान जी को शक्तिशाली, धैर्यवान, बलवान और सेवा भावना से युक्त माना जाता है।
हनुमान साधना Hanuman Sadhna का मुख्य उद्देश्य हनुमान जी की कृपा, आशीर्वाद और शक्ति प्राप्ति करना होता है। यह साधना विभिन्न तरीकों में की जा सकती है, जैसे कि मंत्र जाप, ध्यान, पूजा-अर्चना, व्रत आदि। यह साधना विशेष रूप से हनुमान जी की उपासना के लिए की जाती है और इसमें निष्ठा, धैर्य और समर्पण की आवश्यकता होती है।
हनुमान साधना Hanuman Sadhna करने वाले व्यक्ति को शक्ति, स्थैर्य, बुद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। यह साधना भक्ति, वैराग्य, सेवा और ध्यान को बढ़ाती है और व्यक्ति को आत्मिक और आध्यात्मिक विकास में सहायता प्रदान करता
हनुमान साधना Hanuman Sadhna labh करने से विभिन्न तरह के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं। यहां कुछ मुख्य लाभ हैं:
- शक्ति और सामर्थ्य: हनुमान जी एक बलशाली देवता है और उनकी साधना से आपको शक्ति और सामर्थ्य मिलता है। आपकी दैनिक जीवन गतिविधियों में बदलाव आता है और आप शक्तिशाली और सक्रिय बनते हैं।
- भक्ति और आंतरिक ध्यान: हनुमान साधना Hanuman Sadhna आपकी भक्ति बढ़ाती है और आपको आंतरिक ध्यान में ले जाती है। आपका मानसिक शांति, स्थिरता और आत्म-समर्पण बढ़ता है।
- सुरक्षा और रक्षा: हनुमान जी की कृपा से आपकी सुरक्षा बढ़ती है और आपको रक्षा की शक्ति प्राप्त होती है। आप नकारात्मक शक्तियों से बचे रहते हैं और सुरक्षित महसूस करते हैं।
- बुद्धि और विवेक: हनुमान जी विवेक और बुद्धि का प्रतीक हैं और उनकी साधना से आपकी बुद्धि बढ़ती है। आपके मन में सतत विचारधारा और विवेकपूर्ण निर्णय होते हैं।
- स्वास्थ्य और आरोग्य: हनुमान साधना Hanuman Sadhna से स्वास्थ्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है। हनुमान जी की कृपा से आपकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। आपकी शक्ति, ताकत और परिश्रम की प्रापति होती है ।
- बुराई से मुक्ति: हनुमान जी बुराई और अशुभता को हर किसी के जीवन से दूर रखते हैं। उनकी साधना से आप अन्याय, कष्ट और नुकसान से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। संकटमोचन भजाग्वं आप के सभी संकटो दूर रखते है
- धन संपत्ति: हनुमान जी की कृपा से आपके धन संपत्ति में बरक्कत होती है। आपके वित्तीय स्थिति में सुधार होता है और आपको आर्थिक उन्नति मिलती है।
- ग्रह शांति: हनुमान जी की साधना Hanuman Sadhna से आपके ग्रहों की शांति हो सकती है। आपके कुंडली में ग्रहों के दोष या आपदा को दूर करने में सहायता मिल सकती है।
- मानसिक शक्ति और धैर्य: हनुमान साधना Hanuman Sadhna आपको मानसिक शक्ति और धैर्य प्रदान करती है। आप जीवन की चुनौतियों को सामने लेने में सक्षम बनते हैं और धैर्य से उनका समाधान करते हैं।
- समृद्धि और सुख: हनुमान जी की कृपा से आप समृद्धि और सुख: हनुमान जी की कृपा से आपके जीवन में समृद्धि और सुख की वृद्धि हो सकती है। आपको सफलता, सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
- शत्रु नाश: हनुमान जी की साधना से आपके शत्रु और विरोधी नाश में मदद मिल सकती है। आपकी सुरक्षा बढ़ती है और आपको शत्रुओं से बचाने में सहायता मिलती है।
- विचार शक्ति और बुद्धि: हनुमान जी की साधना से आपकी विचार शक्ति बढ़ती है और आपको बुद्धि की प्राप्ति होती है। आपका मस्तिष्क ताजगी और स्थिरता से भरा रहता है, जो आपकी सोच, निर्णय और विचार प्रक्रिया में सुधार करता है।
इन सभी लाभों के साथ हनुमान साधना Hanuman Sadhna आपको शक्ति, स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि और आनंद की प्राप्ति में सहायता कर सकती है। यह आपकी आत्मिक और शारीरिक विकास में मदद कर सकती है और आपकी जीवन गुणवत्ता को सुधार सकती है। हानुमान जी की साधना को श्रद्धा और निष्ठा से करें और गुरु के मार्गदर्शन में रहें।
Hanuman Sadhna हनुमान साधना अनुभव
एकांत में रहने वाले, कामना रहित साधक वास्तव में अपनी आत्मलीनता के परम सुख का त्याग कर स्वयं को उत्सर्ग करने में ही लगे रहते हैं, किसी प्रान्त था देश के लिए नहीं, किसी जाति या धर्म विशेष के लिए भी नहीं, अपितु सभी के लिए, अखिल विश्व के लिए क्योंकि साधना उनके लिए ‘स्व’ से ऊपर उठने की क्रिया जो है ग्रीष्म: कौ अग्नि वर्षा करती हुई दोपहर में उसका आगमन गांव में सुखद हरियाली का प्रतीक बन गया था।
अत्यन्त अल्प समय मैं ही अपनी उदात्त प्रेम भावना को असहाय ग्रामीणों की सेवा सुश्रुषा के रूप में लुटाते हुए वह हृदय में छिपी अपनी समष्टिगत करुणा का परिचय दे चुका था। आज वह कितने ही मुरझाये दिलों में प्रेरणा और प्रकाश भरने का अधिकारी है, सब कितना प्यार करते हैं उसे गांव का एक भी घर उसकी कृपा दृष्टि की अमृत फुहार से अछूता नहीं बचा..
भव्य गौर वर्ण, सिर पर छोटी सी शिखा व मस्तक पर कभी न मिटने वाला रक्त चन्दन का तिलक पर आंखों में असीम वेदना, करुणा और जिज्ञासा थी। नेत्रों में एक निस्तब्धता थी, जिसे देख कर लगता था, मानों अंधकार होने पर भी वह प्रकाश की ओर बढ़ रहा हो उसके लम्बे व पतले अधरों पर विचित्र स्फुरण था, जैसे किसी अत्यन्त पवित्र शब्द का उद्घोष करने को व्याकुल हो उठे हों।
पर गांव वालों को इससे क्या? वे तो अत्यन्त कौतूहल से उस अल्पवय साधु को देख रहे थे, जो गांव की सीमा पर न जाने कहां से जेठ की तपती धूप में प्रकट हो गया था। पिछले कई माह से ग्रामीणों का जीवन किसी दैवीय आपदा से अस्त-व्यस्त हो चुका था, कितने परिजनों की अकाल मृत्यु हुई, कितनों के शिशु मृत्यु शैय्या पर झूल रहे थे। कई घर तो पूरी तरह से बरबाद हो चुके ये शव को कंधा देने वाला भी शेष नहीं था। कदाचित इन्हीं कारणों से वे ग्रामीण किसी भी आगन्तुक को अत्यन्त भय की दृष्टि से देखा करते थे।
“पर यह तो बिल्कुल अलग सा दिखता है” पीली धोती पहने व कंधे पर लाल झोली उठाये वह तरुण साधक प्रत्येक को अपनी ओर मानों खींच रहा था. ‘सचमुच ही इसमें तपस्या का तेज दिखाई दे रहा है, क्या मालूम ईश्वर ने हम दुःखी ग्रामीणों के कल्याण का माध्यम बना कर ही इसे यहां भेज दिया हो… कितनी प्रेमभरी आंखों से पूरे गांव को निहार रहा है”- कुछ ग्रामीण यह विचार कर ही रहे थे, कि उस युवा तपस्वी ने उनके पास आकर अत्यन्त विनम्रता पूर्वक पूछा “यदि आप संत जन कृपा करें, तो मैं कुछ समय के लिए इस गांव में ठहरना चाहता हूँ।।
“विश्वास रखिये, मैं हर प्रकार से मंगल हो करूंगा।” — अन्य “हां बेटा! तुम इसे अपना ही गांव समझो ” कोई होता, तो गांव वाले धक्के दे कर भगा देते, पर उसकी सम्मोहक वाणी और संत जन का सम्बोधन सुन वे भोले ग्रामीण प्रसन्न हुए बिना न रह सके पर आजकल इस गांव में मृत्यु ने अपना भयानक पञ्जा फैला रखा है, कोई परिवार सुखी नहीं है, इसीलिए तुम बाहर हनुमान मंदिर में डेरा डाल सकी, तो हमें कोई असुविधा नहीं है।
‘हनुमान मंदिर ” साधु के कान मानों इसी शब्द की प्रतीक्षा कर रहे थे, उसकी आंखों में अपूर्व चमक कौंध उठी। अपना कमण्डल व थैली उठाये वह दूर अमराइयों के बीच स्थित उस पुराने खण्डहरनुमा हनुमान मन्दिर के प्रांगण मैं प्रवेश कर गया।
अपने लाल अंगोछे से मन्दिर की धूल साफ की और पत्तियों को एकत्र कर धूनी में डालने के पश्चात् एक ओर आसन लगा कर बैठ गया। गांव के दो युवा खटिकों की इहलीला समाप्त होने के कारण यह अमराई और मन्दिर दोनों हो ग्रामीणों की दृष्टि में अभिशप्त साबित हो चुके थे, अतः वे दूर से ही कुछ समय टकटकी लगा कर साधु के क्रिया-कलाप से संतुष्ट हो लौट चले। मर्मान्तक पीड़ाओं से मुक्ति तपस्वी की रात्रि व्यतीत होनी थी, कि गांव का कायापलट आरम्भ हो गया।
मृत्यु शैय्या पर लेटे गांव के लच्छू महाराज का एकमात्र पुत्र प्रातः ही उठ बैठा और भावविभोर शब्दों में इतना ही कह पाया ‘मां! रात में भूत बगीचे के हनुमान जी मेरे पास आये थे, मुझे छूते रहे और जाते-जाते कहने लगे, कि अब मैं अच्छा हो जाऊंगा, पहले की तरह खेल सकूंगा। माता-पिता बालक के शरीर में रोग का कोई लक्षण न देख प्रसन्नता से रो पड़े।
कल तक जिसके लिए कोई उपचार शेष नहीं बचा था, वही मरणासन्न पुत्र आज किलकारियां भरते हुए मां की गोद में सिमटा जा रहा था। तब भी ग्रामीणों को उस तपस्वी की महिमा का पूरा अंदाज नहीं मिल पाया था, अभी भी वे उसके निकट जाने से डरते थे। वह बुषा र रात्रिपर्यन्त एक ही आसन पर बैठा हुआ मंत्र जप किया करता, सामने रक्तवर्णीय जंगली फूल व गुड़ का नैवेद्य बिखरा होता और वहदीपक के धीमे प्रकाश में किसी प्रखर देवात्मा का आवाहन करता प्रतीत होता, कभी-कभी तो भावावेश में रोने भी लगता।
दिन के तीसरे प्रहर जब गांव का बाल समूह विद्यालय, से लौटता, तो अमराइयों में बसे उस साधक का लोभ बरबस ही उन्हें वहां खींच लाता। उस समय वह प्रत्येक से उसके घर का कुशल-क्षेम पूछता और तकलीफ सुनते ही अत्यन्त विश्वास के साथ अगले दिन ठीक हो जाने का आश्वासन भी दे देता। भोले-भाले बालक घर लौट कर माता-पिता को यह समाचार सुनाते और फिर कुछ डांट-फटकार खाकर चुप हो जाते। ग्रामवासी अभी भी जिस साधु को भय से देखते थे, बालकों को वही अपना सबसे परम मित्र प्रतीत होता।
आषाढ़ मास का प्रारम्भ हो चुका था। हल्की-फुल्की रिमझिम वर्षा ने अचानक एक दिन प्रलयंकारी रूप धारण कर लिया। वृद्धजन आश्चर्य से भर उठे, अपने जीवन में इस गांव में वर्षा का इतना भीषण ताण्डव उन्हें कभी स्मरण नहीं आया था। खेत-खलिहान डूबने लगे, सूरज देवता तो जैसे अदृश्य ही हो गये थे। चारों ओर जलाप्लावन का दृश्य उपस्थित हो गया। एक-एक करके मवेशियों की मृत्यु होने लगी।
घर गिर जाने की आशंका से कितने ही परिवार गांव खेड़ कर पलायन कर गये, जो बचे, वे अन्न-जल को भी तरसने लगे, साथ ही संक्रामक रोगों ने भी सबको अपनी गिरफ्त में ले लिया था, किसी को अब जीवन का भरोसा नहीं रह गया। इन्हीं दुर्दिन के क्षणों में गांव बालों को उस तपस्वी का वास्तविक देवात्मा स्वरूप दिखाई पड़ा।
कष्ट भोगते रोगियों को वह कुछ अभिमंत्रित जल दे देता और उनकी तकलीफ मिटने लगती। गांव का सूखा तालाब, जो अब एक विशाल झील का रूप ले चुका था, उसमें से उस साधु ने कई बालकों को काल कवलित होने से बचा लिया। अपने प्राणों का तो जैसे उसे कोई मोह था ही नहीं, मूसलाधार वर्षा में भी वह आराम से तैरते हुए झील में प्रवेश कर डूबते मवेशियों को खींच लाता।
पता नहीं कितनी अद्भुत शारीरिक क्षमता भगवान ने उसे प्रदान की थी, कि वह कभी रुग्ण नहीं होता था, अपितु दिवस पर्यन्त दूसरों की सेवा में ही लीन रहता और रात्रि साधना में ही चीत जाती। प्रबल पराक्रम का रहस्य अन्ततः प्रकृति का ताण्डव समाप्त हुआ, तपस्वी की रात्रि साधना सफल हो चुकी थी।
अब उसके प्रस्थान का समय आ चुका था। गांव की सीमा पर पहुंचे उन ग्रामीणों ने तपस्वी के पुण्य चरणों में प्रणाम कर क्षमा याचना करते हुए कहा ‘भगवन्। अज्ञानवश हमसे जो भी भूल हो गई हो, उन्हें क्षमा कर देना कभी इधर आगमन हो, तो सेवा का अवसर हमें ही दें, आपके उपकारों से हम कभी उऋण नहीं हो पायेंगे। ”
तपस्वी की आंखें छलक उठी स्नेह पूर्वक उस ग्रामीण के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा ‘कल्याण करने की सामर्थ्य तो एकमात्र मेरे गुरुदेव में ही है, मैं तो उनका एक निमित्त मात्र ही हूं। पीड़ित मानवता के पति उनकी असीम करुणा ही मुझे यहां खींच लाई सेवा से मिलने वाला आत्म संतोष ही मेरे लिए सबसे बड़ा वरदान है, वही मेरी प्रसन्नता है।
‘अब इस गांव में कभी कोई संकट या देवी आपदा आ ही नहीं सकती। मेरी ‘हनुमान साधना’ Hanuman Sadhna यहां पूर्णत: सफल हुई है। गांव को सीमा पर विराजमान बड़े हनुमान जी स्वयं इस गांव की सुरक्षा करते रहेंगे, अपने गुरु की साक्षी में मैंने यही वरदान उनसे प्राप्त किया है। ” विलक्षण साधना प्रक्रिया गुरुदेव के अत्यन्त प्रियपात्र उस तरुण सिद्ध तपस्वी ने अपनी कठिन तांत्रोक्त
Hanuman Sadhna हनुमान साधना विधि विधान
बजरंग साधना का जो सरल विधान बताया, वह इस प्रकार है। सर्वप्रथम प्राण प्रतिष्ठित ‘हनुमान यंत्र’ को प्राप्त कर लें, किसी मंगलवार की रात्रि में स्वयं स्नान कर लाल रंग का शुद्ध वस्त्र पहन हनुमान यंत्र को बाजोट पर लाल वस्त्र बिछा कर उस पर सिन्दूर छिड़क कर स्थापित कर दें, दक्षिण दिशा की ओर आपका मुख हो। 1 पहले गुरु ध्यान कर वीर मुद्रा में बैठ कर भी का दीपक जलायें और सामने स्थापित हनुमान यंत्र को स्नान करा कर उस पर तेल मिश्रित सिन्दूर का लेपन करें, स्वयं भी सिन्दूर का तिलक करें तथा लाल पुष्प और कोई भी फल नैवेद्य रूप में समर्पित करें। तत्पश्चात् मंत्रसिद्ध ‘मूंगा माला’ से निम्नलिखित मंत्र का 21 माला मंत्र जप करें मंत्र
Hanuman Sadhna mantra
॥ ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय हनुमते नमः ।। OM NAMO BHAGVATE ANJANEYAY MAHABALAY HANUMATE NAMAH
जय समाप्ति पर नहीं लाल बिछने पर शयन करें। यही क्रम 11 दिनों तक नित्य दोहरायें तथा नैवेद्य को स्वयं ग्रहण करें। यथासम्भव मौन रहें तथा प्रयोग को भी गोपनीय ही रखें। पूर्ण एकनिष्ठ भाव व विश्वास के साथ साधना सम्पन्न करने पर अंतिम दिन बजरंग बली प्रत होकर स्वयं दर्शन देते ही है तथा सभी विपदाओं का शमन करते हुए पूर्ण सुरक्षा प्रदान करते हैं। हनुमान साधना के आवश्यक नियम हनुमान साधना में शुद्धता अनिवार्य है।
लाल पुष्प कमल, गुड़हल आदि को ही अर्पित करें। नैवेद्य में प्रातः पूजन में गुड़, लड्डू, दोपहर में गुड़, घी और गेहूं की रोटी का चूरमा तथा रात्रि में आम, अमरूद या केले का नैवेद्य चढ़ायें। इस साधना में घी की एक या पांच बतियों वाला दीपक जलायें। पूर्ण साधना काल में अखण्ड ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य ही करें।
मंत्र जप करते समय दृष्टि सदैव यंत्र पर ही टिकी रहे। ‘हनुमान दीक्षा’ प्राप्त कर साधना में प्रवृत्त होने पर प्रथम बार में ही इष्ट के साक्षात् जाज्वल्यमान स्वरूप से साक्षात्कार सम्भव है। साथ ही इस साधना अवधि में किसी प्रकार की विघ्न-बाधा अथवा भयावह स्थिति उत्पन्न नहीं होती। साधना काल में एकान्तवास तथा मौन अत्युतम है।
शारीरिक अथवा मानसिक रोगों को समाप्ति के लिए उसी प्रकार का संकल्प मंत्र जप से पहले अवश्य ले लेना चाहिए। मात्र 11 दिनों तक नियम पूर्वक किया गया यह विलक्षण प्रयोग अतुलनीय बल पराक्रम व निष्काम सेवा भक्ति के भाव से साधक को आप्लावित कर उसे जीवन के उच्चतम सोपान पर प्रतिष्ठित कर देता है।
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