विभीषणकृत हनुमद वडवानल स्तोत्र Hanuman Vadvanal Stotra की तंत्र साधना ph.8528057364
विभीषणकृत हनुमद वडवानल स्तोत्र Hanuman Vadvanal Stotra की तंत्र साधना हनुमानजी को महावीर भी कहा जाता है। महावीर का अर्थ है– अजेय अर्थात् जिसे बल, बुद्धि, विद्या, ज्ञान, नीति में कोई पराजित न कर पाये और जिसने समस्त शक्तियों को जीत लिया है। यह बात हनुमान जी पर बिलकुल सही बैठती है । इसलिये हनुमानजी को शास्त्रों में बल बुद्धि और विद्या का दाता कहा गया है।
हनुमान वडवानल स्तोत्र Hanuman Vadvanal Stotra प्रयोग
हनुमान वडवानल स्तोत्र Hanuman Vadvanal Stotra के तांत्रिक
हनुमान वडवानल Hanuman Vadvanal Stotra स्तोत्र इफेक्ट्स
वडवानल Hanuman Vadvanal Stotra शब्द का अर्थ
हनुमान वडवानल स्तोत्र Hanuman Vadvanal Stotra संस्कृत
हनुमान वडवानल स्तोत्र Hanuman Vadvanal Stotra इफेक्ट्स और लाभ
हनुमानजी के संबंध में कुछ बातें विशेष ध्यान देने की हैं। एक बात तो यह है कि हनुमानजी शिव के अंश हैं हनुमानजी को एकादश रुद्र अवतार इसी दृष्टि से कहा गया है। इसलिये हनुमत साधना से हनुमानजी की कृपा दृष्टि तो प्राप्त होती ही है, भगवान शंकर की कृपा भी सहज ही प्राप्त हो जाती है हनुमानजी के संबंध में दूसरी बात यह समझ लेने की है कि यह समस्त देवों की शक्ति को अपने अन्दर संचित करके अवतरित हुये हैं।
इसलिये वे वीरता, पराक्रम, दक्षता, निर्भयता, निरोगता आदि के प्रतीक हैं। जो साधक हनुमानजी की सच्चे मन से साधना करता है, उसे यह समस्त गुण सहज ही प्राप्त हो जाते हैं हनुमानजी शक्ति, पौरुषता, स्फूर्ति, धैर्य, विवेक, वाक्पटुता आदि गुणों से भी सम्पन्न हैं। इसलिये हनुमानजी के साधकों को यह समस्त गुण सहज ही प्राप्त हो जाते हैं।
हनुमानजी राम, लक्ष्मण और सीता की सेवा भक्ति में सदैव समर्पित रहे हैं। उन्हें सेवा और समर्पण का भाव बहुत पसन्द है। इसलिये जो व्यक्ति गहरी आस्था और पूर्ण समर्पण भाव के साथ हनुमानजी की शरण में आ जाता है, वह सहज ही हनुमानजी का कृपापात्र बन जाता है। साधना में पूर्ण समर्पण भाव ही साधक को तत्काल फल प्रदान कराता है।
ऐसी कोई बाधा, ऐसी कोई शारीरिक या मानसिक समस्या नहीं है, जो हनुमानजी की शक्ति के सामने ठहर सके। इसी तरह ऐसी कोई व्याधि और ऐसा कोई संकट नहीं है जो हनुमत साधना से दूर न हो सके। जिस साधक पर एक बार हनुमानजी का वरदहस्त आशीर्वाद स्वरूप रख दिया जाता है, फिर उस पर कोई भी शत्रु प्रभावी नहीं हो सकता।
उसके शत्रु हजारों प्रयास करें, कई तरह की तांत्रिक अभिचार क्रियायें करवा कर उसे परास्त करने का प्रयत्न करें, लेकिन हनुमत कृपा से वह उस साधक का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाते हैं। ऐसे हनुमत साधक को भूत, प्रेतादि का डर भी नहीं रहता।
सभी अशरीरी आत्माओं की शक्ति उसके सामने आते ही कमजोर पड़ जाती है। बुरे ग्रहों का प्रभाव भी हनुमत साधना से समाप्त हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को सबसे पापी और संताप देने वाला ग्रह माना गया है।
इसलिये शनि के प्रकोप से कोई नहीं बच पाता। वक्री शनि की दृष्टि, शनि की ढैय्या, शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव तो इतना आक्रांत करता है कि इस अवधि में व्यक्ति महल से उजड़ कर सीधे सड़कों पर आ जाता है। असाध्य व्याधियों के रूप में शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा देने में भी ऐसा शनि पीछे नहीं रहता । पारिवारिक कलह का कारण भी ऐसा शनि ही बनता है।
यह आश्चर्यजनक बात है कि जिस शनि के प्रताप से व्यक्ति कांप जाता है, वह शनि स्वयं हनुमानजी से भय खाते हैं। इसलिये बहुत से ज्योतिषी अपने यजमानों को शनि के पापी प्रभाव से बचने के लिये हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने का परामर्श देते हैं। नियमित रूप से हनुमानजी के मंदिर में जाकर हनुमत कृपा प्राप्त करने का आग्रह करते हैं।
अधिकांश शनि पीड़ित लोगों को हनुमानजी की पूजा-अर्चना का फल शीघ्र ही मिल जाता है। दक्षिण भारत के तमिलनाडू राज्य में अम्बपुर नामक एक प्रसिद्ध स्थान है। उस स्थान पर हनुमानजी के उग्र स्वभाव ( उग्र हनुमान) की स्थापना की गई है। यहां हनुमानजी उग्र आवेश में आकर शनि को अपने पैरों में दबाये हुये हैं। अन्यत्र कहीं भी हनुमानजी के उग्र स्वरूप की स्थापना नहीं की गई है।
विश्व भर में यही एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां हनुमानजी के विकराल स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। मानसिक रूप से कमजोर, मंदबुद्धि और मानसिक व्याधियों से पीड़ित चल रहे लोगों के लिये हनुमान जी की साधना संजीवनी बूटी से कम नहीं होती । हनुमानजी की नियमित साधना, उपासना से शीघ्र ही मानसिक परेशानियों का समाधान हो जाता है तथा साधक स्वयं के अन्दर संतोष, शांति एवं स्फूर्ति का अनुभव करने लग जाता है।
विभीषणकृत हनुमद्ववडवानल स्तोत्रम Hanuman Vadvanal Stotra :
बडवानल वन में लगी भीषण अग्नि को कहा जाता है। यह अनि थोड़े समय में ही विशाल वन को नष्ट करने की सामर्थ्य रखती है। जिस प्रकार ग्रीष्म ऋतु के दौरान वन में वृक्षों के परस्पर घर्षण से उत्पन्न हुई छोटी सी चिंगारी शीघ्र ही भीषण अग्नि का रूप धारणकर लेती है
और जंगल में चहुं ओर फैल कर समस्त जीव-जन्तुओं को पीड़ित करने लगती है, बडवानल की इस तपस से जंगल के जीव-जन्तु ही नहीं, बल्कि सभी तरह की वनस्पतियां तक समाप्त होने लग जाती हैं, ठीक वैसे ही हनुमानजी के इस हनुमद्ववडवानल नामक स्तोत्र के नियमित पठन-पाठन से अनेक प्रकार के संताप स्वतः ही समाप्त होते चले जाते हैं।
हनुमत स्तोत्र Hanuman Vadvanal Stotra का प्रभाव
अरिष्टकारक ग्रहों के दोषों को शांत करने, शत्रुओं के संताप से बचने, असाध्य रोगों के चंगुल में फंसने से बचने, भूत-प्रेत आदि के भय से मुक्त रहने के साथ-साथ मानसिक व्याधियों के समाधान के लिये भी किया जाता है। यह हनुमत स्तोत्र जीवन में असमय उत्पन्न होने वाली अनेक प्रकार की भीषण समस्याओं से बचने के लिये बहुत प्रभावशाली सिद्ध होता है।
इसके नियमित पाठ से हनुमानजी की अनुकम्पा सदैव अपने साधक पर बनी रहती है। इसलिये ऐसे साधकों को अपने जीवन में किसी तरह का भय नहीं सताता।
हनुमानजी की साधना हनुमद्ववडवानल स्तोत्र के द्वारा किसी हनुमानजी के मंदिर में हनुमानजी की प्रतिमा के सामने बैठकर की जा सकती है अथवा अपने घर पर भी हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करके इसका प्रयोग किया जा सकता है।
हनुमान वडवानल स्तोत्र Hanuman Vadvanal Stotra हनुमत अनुष्ठान
हनुमत अनुष्ठान के लिये हनुमान प्रतिमा पर गन्धादि चढ़ाने, उन्हें चूरमे का नैवेद्य अर्पित करने एवं उनके सामने घी का दीपक जलाकर रखना ही पर्याप्त होता है। इसी से हनुमानजी प्रसन्न हो जाते हैं। अगर हनुमत अनुष्ठान के दौरान प्रत्येक मंगलवार के दिन हनुमानजी के मंदिर में जाकर अथवा घर में स्थापित की गई मिट्टी की हनुमान प्रतिमा पर घी – सिन्दूर का चौला चढ़ा दिया जाये, साथ ही हनुमानजी पर लौंग, सुपारी, पान के पांच पत्ते, चांदी के पांच वर्क चढ़ाकर उन्हें धूप, दीप करने के साथ पुष्पों की माला अर्पित करके नैवेद्य चढ़ाया जाये, तत्पश्चात् हनुमद्ववडवानल स्तोत्र के 51 पाठ पूरे कर लिये जायें, तो साधक को सहज ही अनेक फलों की प्राप्ति हो जाती है।
साधक की अनेक प्रकार की अभिलाषायें भी पूर्ण होने लगती हैं। इस संक्षिप्त अनुष्ठान के द्वारा साधक की आर्थिक समस्यायें धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं। धन प्राप्ति के नये स्रोत खुलने लगते हैं। हनुमद्ववडवानल स्तोत्र का तांत्रिक अनुष्ठान भी है। हनुमानजी के तांत्रिक स्तोत्र की रचना लंकाधिपति एवं रावण के लघुभ्राता व भगवान श्रीराम के परम् भक्त विभीषण के द्वारा की गई है।
रावण स्वयं तो अपने समय का प्रकांड विद्वान था ही, उसके भाई और पुत्र भी अनेक विद्याओं में पारंगत थे। रावण ने सभी शास्त्रों का गहन अध्ययन किया था। तंत्र, ज्योतिष और कर्मकाण्ड, पूजा-पद्धति का भी रावण सर्वश्रेष्ठ ज्ञाता था। इसी प्रकार रावण का लघुभ्राता विभीषण भी तंत्र विद्या का श्रेष्ठ विद्वान था । उसने तंत्र से संबंधित अनेक साधनाओं को सिद्ध किया था, साथ ही अपनी क्षमताओं के बल पर अनेक तांत्रिक साधनाओं को संकलित कर उन्हें जनोपयोगी बनाया था।
हनुमद्ववडवानल स्तोत्र Hanuman Vadvanal Stotra नामक इस विशिष्ट रचना का सूत्रपात विभीषण के द्वारा ही किया गया है। इस स्तोत्र के पीछे एक कथा है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि जब राम-रावण का युद्ध समाप्त हो गया, भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण, माँ सीता एवं वानर – भालुओं की अपनी सेना के साथ लंका से वापिस अयोध्या चले गये, तो विभीषण अपने आराध्य देव भगवान राम के विछोह को सहन नहीं कर सके।
विभीषण अपने समस्त परिवार की असमय मृत्यु के कारण एकाएक गंभीर मानसिक संताप की स्थिति में चले गये । विभीषण की वह हालत दयनीय रूप धारण करती जा रही थी। इसी समय एक रात्रि को उन्हें स्वप्न में शिव के दर्शन हुये। भगवान शिव ने उसे हनुमान जी की शरण में जाने और उनसे अपने घर पर अथवा किसी एकान्त स्थान पर बैठकर भी सम्पन्न किया जा सकता है।
हनुमान वडवानल स्तोत्र Hanuman Vadvanal Stotra तांत्रिक साधना प्रयोग विधि विधान सहित
इसके लिये घर में एक एकांत कक्ष की व्यवस्था कर लें ताकि अनुष्ठान में और इसकी पूरी अवधि तक कक्ष में आपके अतिरिक्त किसी अन्य का प्रवेश नहीं हो। कक्ष को धो-पौंछ कर गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लें। पूर्व अथवा दक्षिण की तरफ बैठकर अपने सामने एक चौकी (बाजोट) स्थापित करें। उस पर लाल रंग का सवा मीटर वस्त्र चार तह करके बिछायें।
उस पर मिट्टी की हनुमान प्रतिमा स्थापित करें। अगर हनुमान प्रतिमा बनाना संभव न हो तो यह बाजार से बनी बनाई भी प्राप्त की जा सकती है। इसकी ऊंचाई छ: इंच से अधिक नहीं होनी चाहिये। अब सर्वप्रथम घी – सिंदूर का चौला चढ़ायें। दीपक प्रज्ज्वलित करें। धूप-अगरबत्तियां जलायें ताकि वातावरण सुगंधमय हो जाये । पुष्प एवं नैवेद्य अर्पित करके पूजा करें।
यह सब करते हुये हनुमान के नाम का मानसिक जाप करते रहें । पूजा विधान के पश्चात् एक सुपारी पर रोली लपेट कर एवं कुंकुम आदि का टीका लगाकर श्री गणेशाय नमः मंत्र का एकादश जाप कर हनुमानजी के पास स्थापित कर दें। फिर अपने दाहिने हाथ में जल, अक्षत, पुष्प लेकर निम्न विनियोग करें।
Hanuman Vadvanal Stotra विनियोग : ॐ अस्य श्री हनुमद्ववडवानल स्तोत्र मंत्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः श्री वडवानल हनुमान देवता मम समस्त रोगप्रशमनार्थ आयुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं समस्तपापक्षयार्थं श्री सीताराम चन्द्रपीत्यर्थं हनुमद्ववडवानलस्तोत्र पाठे विनियोगः ।
मंत्र बोल कर अपनी अंजलि को खोल कर जल को चौकी के नीचे अपने सामने पृथ्वी पर गिरा दें। आगे लिखे मंत्र का सात बार उच्चारण करते हुये सिन्दूर का एक घेरा अपने चारों ओर रक्षाकवच के रूप में खींच लें। हनुमानजी से सम्बन्धित ऐसे तांत्रिक अनुष्ठानों में | आत्मरक्षा के लिये रक्षा कवच खींच लेना अति आवश्यक है।
हनुमानजी का रक्षा मंत्र इस प्रकार है–
हनुमते रुद्रात्मकाय हूं फट् इसके उपरान्त एक त्रिकोणाकृति का हवन कुण्ड निर्मित करके अथवा किसी मिट्टी के पात्र में ग्यारह आम की लकड़ियां, तीन पीपल की लकड़ियां और तीन उपामार्ग की लकड़ियां रखकर अग्नि को प्रज्ज्वलित करें तथा हनुमानजी के उपरोक्त मंत्र के द्वारा ही 21 आहुतियां देकर स्तोत्र पाठ करें।
हवन में आहुति प्रदान करने के लिये लोबान, कपूर, अगर, तगर, पीली सरसों, पारिजात के पुष्प, सुगन्धबाला, श्वेत चंदन, रक्त चंदन का बुरादा, भूतकेशी की जड़, घी आदि का मिश्रण तैयार कर लें। हनुमद्ववडवानल स्तोत्र का पाठ करते इसे इसक हनुमानजी से अपनी प्रार्थना करें कि उनके दुःख, दर्द को शीघ्रताशीघ्र मिटा मनोकामना को पूर्ण करें।
तत्पश्चात् हनुमानजी की आज्ञा प्राप्त करके उनके निम्न
हनुमान वडवानल स्तोत्र का पाठ शुरू कर दें। प्रत्येक दिन साधक को इस स्तोत्र की 21 आवृत्तियां पूरी करने का विधान है। यद्यपि इनकी संख्या को गुरु आज्ञा से घटाया बढ़ाया जा सकता है। 21 आवृत्तियां पूर्ण होने के पश्चात् भी अग्नि को उपरोक्त मंत्र से पुनः 21 आवृत्तियां प्रदान करनी होती है।
हनुमान वडवानल स्तोत्र Hanuman Vadvanal Stotraहिंदी में
हनुमान वडवानल Hanuman Vadvanal Stotra स्तोत्र संस्कृत– ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्री महाहनुमते प्रकट पराक्रम सकलिदड्मण्डलयशोवितानधवली कृत जगत्त्रितय वज्रदेह रुद्रावतार लंकापुरीदहन उमाअमल मंत्र उदधि बन्धन दशशिरः कृतान्तक सीताश्वसन वायुपुत्र अन्जनीगर्भसंभूत श्रीरामलक्षणणा नन्दकर कपिसैन्य प्राकार सुग्रीवसाहारण्यपर्वतोत्पादन कुमारब्रह्मचारिन् गंभीर नाद सर्वपापग्रहवारण सर्वज्वरोच्चाटन डाकिनीविध्वसंन ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीर वीराय सर्वदुःखनिवारणाय ग्रहमण्डल सर्वभूतमण्डल सर्वपिशचमण्डलोच्चाटान भूतज्वर एकाहिक ज्वर द्वाहिक ज्वर त्र्याहिक ज्वर चातुर्थिक ज्वर संताप ज्वर विषम ज्वर ताप ज्वर माहेश्वरवैष्णव ज्वरान् छिन्धि छिन्धि यक्ष ब्रह्मराक्षस भूतप्रेतपिशाचान् उच्चाटाय उच्चाटय ॐ ह्रां ह्रीं श्रीं ॐ नमो भगवते श्री महाहनुमते ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं है ह्रौं ह्रः आं हां हां हां हां औं सौं एहि एहि एहि एहि ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ नमो भगवते श्रीमहाहनुमते श्रवण चक्षुर्भूतानां शाकिनी डाकिनीनां विषमदुष्टांसर्वविषं हरहरआकाशभुवनं भेदय छेदय छेदय मारय मारय शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय प्रहारय प्रहारय सकलमायां भेदय भेदय ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महाहनुमते सर्वग्रहोच्चाटन परबलं शोभय सकल बन्धन मोक्षणं कुरू कुरू शिरः शूल गुल्मशूल सर्वशूलात्रिर्मूलय निर्मूलय नागपाशानन्त वासुकितक्षक कर्कोटककालियान् यक्षकुल जगत रात्रिंचरदिवाकर सर्वान्नि विंषिं कुरू कुरू स्वाहा । राजभय चोरभय परमंत्र परयंत्र परतंत्र परविद्याश्छेदय छेदय स्वमंत्र स्वयंत्र स्वतंत्र स्वविद्या: प्रकटय प्रकटय सर्वारिष्टान्नाशयनाशय सर्वशत्रुन्नाशय नाशय असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा ॥
स्तोत्र समाप्त होने तथा हनुमते रुद्रात्मकाय हूं फट् की 21 आहुतियां अग्नि को समर्पित करने के पश्चात् हनुमानजी के सामने एक बार पुनः ध्यानमग्न हो जायें तथा मन ही मन अपनी प्रार्थना को दोहराते रहें। तत्पश्चात् हनुमानजी से आज्ञा प्राप्त करके आसन से उठ जायें। हनुमानजी को समर्पित किये गये नैवेद्य का थोड़ा सा अंश स्वयं ग्रहण कर लें तथा शेष प्रसाद को घर, पड़ौस के लोगों में वितरित करवा दें। इस हनुमत अनुष्ठान प्रयोग के दौरान कुछ विशेष बातों का भी ध्यान रखना पड़ता है।
एक तो पूरे अनुष्ठानकाल के दौरान ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें। दूसरे, इस अवधि में तामसिक आहार जैसे मांस, मछली, मदिरा, प्याज, लहसुन आदि के सेवन से दूर रहें। तीसरे, इस अनुष्ठान को लाल रंग के आसन पर बैठकर और लाल ही रंग के वस्त्र पहन कर करना होता है । अगर लाल रंग के वस्त्र पहनने में परेशानी आये तो एक लाल रंग का जनेऊ गले में धारण किया जा सकता है अथवा लाल रंग की लंगोट पहनी जा सकती है । इसके अतिरिक्त पूरे अनुष्ठान काल में भूमि पर ही सोना चाहिये ।
यह हनुमत अनुष्ठान 31 दिन का है। यद्यपि इसे तीन महीने या अधिक समय तक भी जारी रखा जा सकता। पूरे अनुष्ठान के दौरान साधना का क्रम पहले दिन की भांति रखना होता है। मंदिर में प्रत्येक मंगलवार के दिन अथवा घर में प्रतिदिन हनुमान प्रतिमा को घी – सिन्दूर का चोला चढ़ायें। धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य से पूजा करें। तत्पश्चत् विनियोग, रक्षा कवच के बाद हवन कुण्ड में उपरोक्त मंत्र की 21 आहुतियां प्रदान करें तथा हनुमद्ववडवानल स्तोत्र का अभीष्ट संख्या में पाठ करें।
पाठ की समाप्ति भी पूर्ववत 21 आहुतियां, प्रार्थना एवं हनुमत आज्ञा के साथ ही करें। इस तरह आपका यह हनुमत अनुष्ठान आगे बढ़ता रहता है। इस दौरान आपको कई तरह के अनुभव भी मिल सकते हैं। स्वप्न में आपको कई तरह की आकृतियां दिखाई पड़ सकती हैं। कई तरह के दृश्य दिखाई दे सकते हैं। कई तरह की अद्भुत एवं रोमांच पैदा करने वाली आवाजें सुनाई पड़ सकती है ।
अन्ततः आपका यह अनुष्ठान सम्पन्न हो जाये, तो उस दिन सवा किलो आटे का विशेष चूरमा या रोट तैयार करके हनुमानजी को प्रसाद चढ़ायें। हनुमानजी के सामने पांच घी के दीपक जलायें। हनुमान जी की प्रतिमा पर सामर्थ्य अनुसार वस्त्र चढ़ायें। अनुष्ठान उपरांत पूजा में प्रयुक्त की गई समस्त सामग्री को जल में प्रवाहित करवा दें।
हनुमान जी को अर्पित किये गये ग्यारह सप्तमुखी रुद्राक्ष माला को अपने पूजास्थल में रख दें। इस रुद्राक्ष माला के अलग-अलग कार्यों के निमित्त अलग-अलग उपयोग किये जाते हैं। जैसे कि मानसिक व्याधि से पीड़ित लोगों को अनुष्ठान उपरांत यह रुद्राक्ष माला स्वयं अपने गले में धारण करनी पड़ती है, जबकि अपने परिवार, घर अथवा ऑफिस आदि पर कराये गये तांत्रोक्त प्रयोग को समाप्त करने के लिये इस रुद्राक्ष माला को मुख्यद्वार के बाहर चौखट के बाहर किसी गुप्त स्थान पर रखना होता है।
हनुमानजी का यह स्तोत्र बहुत ही अद्भुत है। इस अनुष्ठान को सम्पन्न करने से शारीरिक, मानसिक निरोगता को प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा भौतिक सुखों के साथ-साथ आध्यात्मिक लक्ष्यों को भी पाया जा सकता है। अगर किसी व्यक्ति को इस अनुष्ठान को किसी कारणवश स्वयं सम्पन्न करने में किसी प्रकार की समस्या आये तो उसके स्थान पर परिवार का कोई अन्य सदस्य भी इसे सम्पन्न कर सकता है अथवा इस अनुष्ठान को सम्पन्न कराने के लिये किसी विद्वान आचार्य की मदद ली जा सकती है।
यद्यपि हनुमद्ववडवानल स्तोत्र Hanuman Vadvanal Stotra के संबंध में एक विशेष बात और भी देखने में आयी है कि अगर इस स्तोत्र का नियमित पूजा-अर्चना के रूप में भी हनुमानजी के मंदिर जाकर अथवा उनकी प्रतिमा अथवा चित्र के सामने बैठ कर सात, पांच, तीन अथवा ग्यारह बार पाठ करते रहा जाये तो भी इसके चमत्कारिक लाभ साधक को प्राप्त होते रहते हैं।
ऐसे साधकों को न कभी आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है और न ही उन्हें किसी प्रकार के रोग सता पाते हैं। ऐसे साधक भूत-पिशाच आदि के संताप से भी बचे रहते हैं ।
CATEGORIES
- Tantra English
- vashikaran
- video
- yakshini sadhana
- अप्सरा साधना Apsara sadhna
- काला इल्म इल्म और काला जादू
- ज्योतिष-हिंदी
- त्रिकाल ज्ञान साधना
- दस महाविद्या
- दैविक साधना
- धार्मिक यात्रा
- भारतीय-त्योहार
- मुस्लिम साधना MUSLIM sadhna
- यंत्र मंत्र तंत्र ज्ञान
- सनातन-धर्म
- स्वास्थ्य
यह साधना भी पढ़े नीचे दिए गए लिंक से
प्राचीन चमत्कारी उच्छिष्ट गणपति शाबर साधना Uchchhishta Ganapati Sadhna PH. 85280 57364
रत्नमाला अप्सरा साधना – एक दिवसीय अप्सरा साधना ek divaseey apsara saadhana ph.85280 57364
नाथ पंथ की महागणपति प्रत्यक्षीकरण साधना भगवान गणेश के दर्शन के लिए ph.85280 57364
Pataal Bhairavi – पाताल भैरवी बंगाल का जादू की मंत्र साधना Pataal Bhairavi bangal ka jadu mantra
प्राचीन प्रत्यंगिरा साधना Pratyangira Sadhana Ph.85280 57364
kritya sadhana -प्राचीन तीक्ष्ण कृत्या साधना ph. 85280 57364
Hanuman Sadhana प्राचीन रहस्यमय हनुमान साधना विधि विधान सहित ph. 85280 57364
Sapneshwari sadhna – स्वप्नेश्वरी त्रिकाल दर्शन साधना Ph.85280 57364
Lakshmi Sadhna आपार धन प्रदायक लक्ष्मी साधना Ph.8528057364
Narsingh Sadhna – भगवान प्राचीन नृसिंह साधना PH.8528057364
चमत्कारी वीर बेताल साधना – Veer Betal sadhna ph .8528057364
Panchanguli – काल ज्ञान देवी पंचांगुली रहस्य विस्तार सहित Ph. 85280 57364
Veer Bulaki Sadhna – प्राचीन रहस्यमय वीर बुलाकी साधना PH.85280 57364
चमत्कारी प्राचीन लोना चमारी साधना शाबर मंत्र lona chamari ph.85280 57364
sham Kaur Mohini माता श्याम कौर मोहिनी की साधना और इतिहास -ph.85280 57364
Masani Meldi माता मेलडी मसानी प्रत्यक्ष दर्शन साधना और रहस्य ph. 85280 57364
Lama Tibet Tantra लामा तिब्बत तंत्र का वशीकरण साधना
नाहर सिंह वीर परतक्षीकरण साधना nahar singh veer sadhana ph.85280 – 57364
पुलदनी देवी त्रिकाल ज्ञान साधना भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना bhoot bhavishya vartman janne ki
भुवनेश्वरी साधना महाविद्या साधना रहस्य (Bhuvaneshvari Mahavidya MANTRA TANTRA SADHBNA)
काले इल्म की काल भैरव साधना kala ilm aur kala jadu sadhna ph. 85280 57364
काला कलुआ प्रत्यक्षीकरण साधना ( काले इल्म की शक्तियां पाने की साधना) Ph. – 85280 57364
Kachha Kalua – कच्चा कलुआ साधना – सम्पूर्ण रहस्य के साथ ph.8528057364
कमला महाविद्या साधना ( करोड़पति बनने की साधना ) साधना अनुभव के साथ kamala mahavidya mantra
baglamukhi sadhna प्राचीन शक्तिशाली मां बगलामुखी साधना ph.85280 57364
प्राचीन चमत्कारी ब्रह्मास्त्र माता बगलामुखी साधना अनुष्ठान Ph. 85280 57364
रंभा अप्सरा साधना और अनुभव rambha apsara sadhna ph.8528057364
urvashi apsara sadhna उर्वशी अप्सरा साधना एक चनौती PH. 85280 57364
अप्सरा साधना और तंत्र apsara sadhna aur tantra
रत्नमाला अप्सरा साधना – एक दिवसीय अप्सरा साधना ek divaseey apsara saadhana ph.85280 57364
अप्सरा साधना में आहार कैसा होना चाहिए apsara mantra sadhna
उर्वशी अप्सरा साधना प्रत्यक्षीकरण urvashi apsara pratyaksh sadhana mantra vidhi ph.85280
yakshini sadhana
rakta chamunda रक्तचामुण्डा यक्षिणी सब से तीव्र वशीकरण साधना Ph.85280 57364
तुलसी यक्षिणी साधना tulsi yakshini sadhana
कनक यक्षिणी साधना प्रत्यक्षीकरण kanak yakshini sadhna ph. 85280 57364
पीपल यक्षिणी वशीकरण साधना pipal yakshini sadhana ph. 85280 57364
त्रिकाल ज्ञान साधना
Sapneshwari sadhna – स्वप्नेश्वरी त्रिकाल दर्शन साधना Ph.85280 57364
Panchanguli sadhana – चमत्कारी प्राचीन त्रिकाल ज्ञान पंचांगुली साधना रहस्य ph.85280 57364
vartali devi sadhana वार्ताली देवी साधना भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना ph. 85280 -57364
पुलदनी देवी त्रिकाल ज्ञान साधना भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना bhoot bhavishya vartman janne ki
सात्विक सौम्य करन पिशाचिनी साधना भूत भविष्य वर्तमान की जानकारी के लिए karna pishachini sadhana
hanumat Margdarshan sadhna हनुमत मार्गदर्शन साधना
maa durga Trikal gyan sadhna माँ दुर्गा त्रिकाल ज्ञान सध्ना
काला इल्म इल्म और काला जादू
Kachha Kalua – कच्चा कलुआ साधना – सम्पूर्ण रहस्य के साथ ph.8528057364
काला जादू black magic क्या है? और इस के क्या रहस्य है PH.8528057364
काले इल्म की काल भैरव साधना kala ilm aur kala jadu sadhna ph. 85280 57364
काला कलुआ प्रत्यक्षीकरण साधना ( काले इल्म की शक्तियां पाने की साधना) Ph. – 85280 57364
यंत्र मंत्र तंत्र ज्ञान
गायत्री मंत्र के लाभ The Benefits Of Chanting Gayatri Mantra
Kachha Kalua – कच्चा कलुआ साधना – सम्पूर्ण रहस्य के साथ ph.8528057364
kritya sadhana -प्राचीन तीक्ष्ण कृत्या साधना ph. 85280 57364
Khetarpal Sadhna खेत्रपाल साधना और खेत्रपाल रहस्य कौन है
यह तंत्र साधना कभी न करे एक शादीशुदा साधक tantra sadhana
मायावी विद्या और कृष्ण के पौत्र के माया से अपहरण mayavi vidya ph.85280
इस्माइल जोगी का परिचय Introduction to Ismail Jogi
maran aadi mantra Prayogo me savdhaniya मारणादि मंत्र प्रयोगों में सावधानियां
vashikaran uchatan akarshan mantra paryogo savdhani वशीकरण, उच्चाटन,आकर्षणादि मन्त्र
Trikal gyan varahi sadhna त्रिकाल ज्ञान वाराही
Taratak Meditation kundalini jagarn karni ke pahile seedhee त्राटक ध्यानकुण्डलिनी जागरण करने
mantra Tantra khatkarm मंत्र तंत्र षट्कर्म Ph 85280 57364
MUSLIM sadhna
प्राचीन चमत्कारी मुवक्किल muwakkil साधना रहस्यph.85280 57364
Muslim sadhna मनवांछित इस्लामिक शक्ति को सिद्ध करने की साधना ph.85280 57364
sulemani panch peer sadhna सुलेमानी पाँच पीर साधना
Khabees – खबीस शैतान का सम्पूर्ण जानकारी- कैसा होता है
ख्वाजा पीर जी की साधना Khawaja Peer Sadhana
Sifli ilm सिफली इलम रहस्य हिंदी में विस्तार सहित ph.85280 57364
Tilasmi paryog ख़्वाजा तिलस्मी प्रयोग से त्रिकाल ज्ञान ph. 8528057364
Tantra English
Kamakhya Sindoor: History, Benefits, and Uses
Kamakhya Devi – A Journey Through the Mystical Temple of the Mother Goddess
Significance of wealth in life Maha lakshmi Sadhana ph.8528057364
mantra tantra education and guru knowledge
Is Tantra a Rapid Path to Self-Realization
what is Mantra Tantra Shastra?
Milarepa- The Great Tibetan Tantric & His Enlightenment
A Man Who Learnt a Magical Secret Mantra Secret Mantra
Relationship between Kundalini Tantra Yantra,Mantra
How is Aghori Tantra Mantra Sadhana?
Tantra Mantra education is not pornography and sexy science
Difference between Beej mantras and Tantric mantras and how to use them
guru mantra sadhna Facebook page
guru mantra sadhna facebook group
other links
my WordPress use plugin
Ad Invalid Click Protector (AICP)
Featured Image from URL (FIFU)
Webpushr Push Notifications |
guru mantra sadhna pages
guru mantra sadhna Privacy Policy
guru mantra sadhna Terms and Conditions
guru mantra sadhna Contact