Nav Durga Sadhna नवदुर्गा साधना का रहस्य नवरात्रि
स्पैशल
Nav Durga Sadhna नवदुर्गा साधना का रहस्य नवरात्रि स्पैशल नवरात्रि एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है जो माता दुर्गा के नव रूपों की पूजा और भक्ति के लिए शुभ समय है। इस अवसर पर नवदुर्गा साधना Nav Durga Sadhna का एक विशेष महत्व है जो हिंदू धर्म और धार्मिक शुभ महूर्त में से एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। नवदुर्गा Nav Durga Sadhna साधना साधकों को ध्यान, धारणा और धर्मिक अनुभव की गहराई में ले जाता है और एक आत्मिक अनुभव प्रदान करता है। इस लेख में, हम नवदुर्गा साधना Nav Durga Sadhna के रहस्य, महत्व, तारीका, लाभ और सावधानियों पर चर्चा करेंगे।
नवदुर्गाओं Nav Durga के सम्बन्ध में ऋषि मार्कण्डेय प्रदत्त भगवती पुराण अर्थात् दुर्गा सप्तशती में स्पष्ट उल्लेख करते हुये लिखा है- प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी । तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ॥ पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनाति च । सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ॥ नवमं सिद्धिरात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः । ‘ऽक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणेन महात्मना ॥
चन्द्रघण्टा देवी का उपासना मंत्र:- चन्द्रघण्टा देवी का उपासना मंत्र इस प्रकार है:- पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता । प्रसादं तनुते मह्नं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ॥
चतुर्थ रात्रि पूजा : माँ भगवती के चतुर्थ स्वरूप का नाम कूष्माण्डा है । अपनी मंद, हल्की मुस्कान द्वारा अखण्ड ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा नाम दिया गया है । जब सृष्टि अस्तित्व में नहीं आयी थी, सर्वत्र घोर अन्धकार व्याप्त था, तब इन्हीं देवी ने हर्षित हास्ययुक्त खेल ही खेल में इस ब्रह्माण्ड की रचना की थी ।
अतः यही सृष्टि का आदि स्वरूप आद्यशक्ति है। भगवद् पुराण में माँ का निवास सूर्यमण्डल के अन्दर बताया गया है। इसलिये ये अत्यन्त, दिव्य तेज युक्त हैं । इनका तेज दसों दिशाओं में व्याप्त रहता है। माँ कूष्माण्डा का स्वरूप अष्टभुजा युक्त माना गया है । इनके आठों हाथों में क्रमशः धनुष बाण, कमण्डल, कमल, अमृत कलश, गदा और चक्र एवं जप माला सुशोभित रहती है। माँ का वाहन सिंह है ।
माँ का यह स्वरूप विद्या, बुद्धि, विवेक, त्याग, वैराग्य के साथ-साथ अजेयता का प्रतीक है । इसलिये जो साधक माँ की शरण में आकर उनकी कृपा दृष्टि प्राप्ति कर लेता है, उसके शारीरिक, मानसिक और भौतिक, सभी दुःखों का अन्त हो जाता है।
साधक को रोग-शोक से छुटकारा मिलता है तथा उसके आरोग्य एवं यश में निरन्तर वृद्धि होती चली जाती है। । तांत्रिकों की दूसरी विद्या में कूष्माण्डा नामक इस आदिशक्ति का निवास अनाहत चक्र में माना गया है। अनाहत चक्र की स्थिति छाती के मध्य हृदय स्थल पर मानी गयी है।
अतः अनाहत चक्र की जाग्रति से ही साधक स्थूल शरीर की चेतना का परित्याग करके आत्मिक शरीर के स्तर में प्रविष्ट होता है । यह एक तरह से साधक का आध्यात्मिक धरातल पर पुनर्जन्म होता है। माँ कूष्माण्डा का उपासना मंत्र:- माँ कूष्माण्डा का उपासना मंत्र इस प्रकार है:- सुरासम्पूर्ण कलशं : रुधिराप्लुतमेव च । दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
पंचम रात्रि पूजा : नवरात्रियों में पांचवीं रात्रि को भगवती के पांचवें स्वरूप स्कन्दमाता की पूजा- अर्चना करने का विधान है। माँ शैलपुत्री का विवाह शिवजी के साथ हो जाने के पश्चात् स्कन्द कुमार (इन्हें कार्तिकेय भी कहा जाता है) का जन्म हुआ । प्रसिद्ध देवासुर संग्राम के समय यही स्कन्द देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्तिधर कहकर इनकी बड़ी महिमा कही गयी है । इनका वाहन मयूर कहा जाता है ।
इन्हीं स्कन्द अर्थात् आसुरी शक्तियों का नाश करने हेतु एवं अपने साधकों का कल्याण करने व धर्म की पुनर्स्थापना के लिये भगवती दुर्गा अपनी अनन्त, आलौकिक शक्तियों के साथ समय-समय पर विभिन्न स्वरूपों में अवतरित होती हैं। माँ के उपरोक्त नौ स्वरूप भी उनमें से ही हैं।
माँ के इन स्वरूपों की साधना-उपासना करके माँ का आशीर्वाद सहज ही प्राप्त किया जा सकता है। जीवन में विशेष रूप से माँ की आराधना अगर नवरात्रों में की जाये तो वांछित फल प्राप्त होने के साथ-साथ मनोकामनायें भी पूर्ण होती हैं ।
समस्याओं से सहज ही छुटकारा पाते हुये सभी सुखों का आनन्द लिया जा सकता है। 70 नवरात्रि के अवसर पर इन्हीं नौ स्वरूपों की साधना का विधान रहा है । इनकी साधना की दो परम्पराएं रही हैं। साधना का एक स्वरूप तंत्र साधकों के निमित्त है, जबकि दूसरा स्वरूप आम साधकों के लिये है ।
यहां नवदुर्गाओं के इसी सहज साधना के रूप पर प्रकाश डाला जा रहा है। आम साधकों के लिये तो नवरात्रि के अवसर पर प्रत्येक रात्रि क्रमशः एक – एक स्वरूप की आराधना का विधान है ।
माँ की यह आराधना प्रत्येक दिन व्रत रख कर अथवा शुद्ध- सात्विक भावना बनाये रखकर एवं कंजक पूजन साथ सम्पन्न होती है । के नवरात्रियों में नवदुर्गा के नौ रूपों की उपासाना का विधान अग्रांकित क्रम से रहता है-
1. प्रथम रात्रि Nav Durga Sadhna नवदुर्गा साधना
पूजा प्रथम रात्रि को भगवती दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की आराधना की जाती है। पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा है। इन्हीं का एक अन्य नाम सती भी है। यह वृष पर सवार रहती हैं । इनके दायें हाथ में त्रिशूल तथा बायें हाथ में कमल पुष्प सुशोभित रहता है ।
माँ का यह स्वरूप अनंत शक्तियों का प्रतीक है । तंत्र की एक अन्य पद्धति में इन्हें ही कुण्डलिनी शक्ति का स्वरूप माना गया है, जो जन्म- जन्मान्तर से व्यक्ति के मूलाधार चक्र पर सुषुप्तावस्था में निष्क्रिय रहती है, लेकिन जाग्रत होने पर उसे असीम क्षमताओं से सम्पन्न कर देती है ।
प्रथम नवरात्रि को माँ के इस स्वरूप की पूजा दुःख, दरिद्रता से मुक्ति पाने एवं विवाह आदि की बाधाओं को दूर करने के लिये की जाती है ।
शैलपुत्री की उपासना का मंत्र – शैलपुत्री की उपासना का मंत्र इस प्रकार है- वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रधकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् ॥
2. द्वितीय रात्रि पूजा Nav Durga Sadhna नवदुर्गा साधना
: दूसरी नवरात्रि को भगवती दुर्गा द्वितीय स्वरूप के रूप में ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है। ब्रह्मचारिणी शब्द का अर्थ है पूर्णत्व के साथ सद् आचरण करने वाली। यह सदैव तपस्या में लीन रहती हैं । इसलिये इनकी शरण में जाने व इनकी आराधना करने से साधक में तप, त्याग, वैराग्य के साथ-साथ संयम व सदाचरण का भाव बढ़ता है तथा साधक मुक्ति की अवस्था का लाभ प्राप्त करता है ।

तंत्र साधना की हठयोग परम्परा से ब्रह्मचारिणी का स्थान स्वाधिष्ठान चक्र पर माना गया है । इसलिये इस चक्र के जागरण से साधक में विद्या, बुद्धि व ज्ञान की वृद्धि होती है। ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप अत्यन्त तेजमय है । इनके दायें हाथ में जप की माला तथा बायें हाथ में कमण्डल है ।
इस स्वरूप का भी यही भाव है कि माँ ज्ञान के सर्वोच्च शिखर को प्राप्त कर चुकी है । भगवद् पुराण में आया है कि माँ ने नारद `के परामर्श से भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिये घोर तपस्या की थी । इसी से देवताओं को राक्षसों के अत्याचार एवं संताप से मुक्ति प्राप्त हो पायी थी ।
माँ के इस स्वरूप की जो साधक विधिवत पूजा-अर्चना करता है, निश्चित ही माँ उसकी समस्त बाधाएं दूर कर देती हैं । उस साधक को फिर सर्वत्र विजय प्राप्त होती है ।
ब्रह्मचारिणी देवी का उपासना मंत्र :- ब्रह्मचारिणी देवी का उपासना मंत्र इस प्रकार है :- दधाना करपद्माभ्यामक्ष माला कमंडलू | देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तम ॥
3.तृतीय रात्रि पूजा : Nav Durga Sadhna नवदुर्गा साधना
माँ भगवती की तीसरी शक्ति का नाम चन्द्रघण्टा है । इनके मस्तिष्क में घण्टे की आकार की अर्द्धचन्द्राकृति झलकती रहती है, इसलिये इन्हें चन्द्रघण्टा कहा जाता है।
नवरात्रि उपासना में तीसरी रात्रि चन्द्रघण्टा की रहती है । अतः तृतीय नवरात्रि को इन्हीं के विग्रह की पूजा-अर्चना की जाती है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण की भांति कांतिमय है ।
इनके तीन नेत्र व दस हाथ हैं। इनके दसों हाथों में क्रमश: खड्ग, शस्त्र, बाण आदि अनेक शस्त्र सुशोभित रहते हैं। माँ चन्द्रघण्टा सिंह पर सवारी करती हैं। माँ का यह स्वरूप परम् शांतिदायक और कल्याणप्रद तो है ही, इनके वीर भाव को भी प्रकट करता है ।
इसलिये इनके सामने से सभी राक्षस भाग खड़े होते हैं। इसी तरह जो साधक माँ का कृपापात्र बन जाता है, उसके जीवन में फिर किसी तरह का अभाव नहीं रहता । वह समस्त सुखों को सहज ही प्राप्त कर लेता है ।
तांत्रिकों की एक अन्य परम्परा में माँ चन्द्रघण्टा का स्थान मणिपुर चक्र पर माना गया है। अतः जब तंत्र के अभ्यास से व्यक्ति की शक्ति मणिपुर चक्र पर आकर उसे जाग्रत करने लगती है, तो सहज ही उस साधक को अनेक अलौकिक शक्तियां प्राप्ति होने लगती हैं ।
चन्द्रघण्टा देवी का उपासना मंत्र:- चन्द्रघण्टा देवी का उपासना मंत्र इस प्रकार है:- पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता । प्रसादं तनुते मह्नं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ॥
4. चतुर्थ रात्रि पूजा Nav Durga Sadhna नवदुर्गा साधना
: माँ भगवती के चतुर्थ स्वरूप का नाम कूष्माण्डा है । अपनी मंद, हल्की मुस्कान द्वारा अखण्ड ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा नाम दिया गया है । जब सृष्टि अस्तित्व में नहीं आयी थी, सर्वत्र घोर अन्धकार व्याप्त था, तब इन्हीं देवी ने हर्षित हास्ययुक्त खेल ही खेल में इस ब्रह्माण्ड की रचना की थी ।

अतः यही सृष्टि का आदि स्वरूप आद्यशक्ति है। भगवद् पुराण में माँ का निवास सूर्यमण्डल के अन्दर बताया गया है। इसलिये ये अत्यन्त, दिव्य तेज युक्त हैं । इनका तेज दसों दिशाओं में व्याप्त रहता है। माँ कूष्माण्डा का स्वरूप अष्टभुजा युक्त माना गया है । इनके आठों हाथों में क्रमशः धनुष बाण, कमण्डल, कमल, अमृत कलश, गदा और चक्र एवं जप माला सुशोभित रहती है। माँ का वाहन सिंह है
। माँ का यह स्वरूप विद्या, बुद्धि, विवेक, त्याग, वैराग्य के साथ-साथ अजेयता का प्रतीक है । इसलिये जो साधक माँ की शरण में आकर उनकी कृपा दृष्टि प्राप्ति कर लेता है, उसके शारीरिक, मानसिक और भौतिक, सभी दुःखों का अन्त हो जाता है।
साधक को रोग-शोक से छुटकारा मिलता है तथा उसके आरोग्य एवं यश में निरन्तर वृद्धि होती चली जाती है। । तांत्रिकों की दूसरी विद्या में कूष्माण्डा नामक इस आदिशक्ति का निवास अनाहत चक्र में माना गया है। अनाहत चक्र की स्थिति छाती के मध्य हृदय स्थल पर मानी गयी है। ।
अतः अनाहत चक्र की जाग्रति से ही साधक स्थूल शरीर की चेतना का परित्याग करके आत्मिक शरीर के स्तर में प्रविष्ट होता है । यह एक तरह से साधक का आध्यात्मिक धरातल पर पुनर्जन्म होता है। माँ कूष्माण्डा का उपासना मंत्र:- माँ
कूष्माण्डा का उपासना मंत्र इस प्रकार है:- सुरासम्पूर्ण कलशं : रुधिराप्लुतमेव च । दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
5. पंचम रात्रि पूजा :Nav Durga Sadhna नवदुर्गा साधना
नवरात्रियों में पांचवीं रात्रि को भगवती के पांचवें स्वरूप स्कन्दमाता की पूजा- अर्चना करने का विधान है। माँ शैलपुत्री का विवाह शिवजी के साथ हो जाने के पश्चात् स्कन्द कुमार (इन्हें कार्तिकेय भी कहा जाता है) का जन्म हुआ ।
प्रसिद्ध देवासुर संग्राम के समय यही स्कन्द देवताओं के सेनापति बने थे। पुराणों में इन्हें कुमार और शक्तिधर कहकर इनकी बड़ी महिमा कही गयी है ।

इनका वाहन मयूर कहा जाता है । इन्हीं स्कन्द तंत्र के दिव्य प्रयोग की माता होने के कारण भगवती के इस पंचम स्वरूप को स्कन्दमाता कहा गया । स्कन्दमाता चार भुजाओं वाली हैं। इनके दायें हाथ में कमल पुष्प है । ऊपर वाले बायें हाथ में भी कमल पुष्प है । बायां एक हाथ वरमुद्रा में है ।
माँ की गोद में स्कन्द बैठे हैं। माँ के तीन नेत्र हैं तथा माँ कमलासान पर आसीन हैं। माँ का यह स्वरूप बहुत ही अनुपम है। यह चारों पुरुषार्थों को एक साथ प्रदान करने वाला है । इसलिये माँ के इस स्वरूप की आराधना से साधकों को समस्त सुख सहज ही प्राप्त हो जाते हैं, वह आध्यात्मिक मार्ग पर भी तेजी से अग्रसर होता है ।
माँ के तंत्र विधान से चारों पुरुषार्थों को प्राप्त किया जा सकता है। 73 तंत्र साधना की एक अन्य पद्धति में स्कन्दमाता के रूप में इस आदिशक्ति की उपस्थिति विशुद्ध चक्र में मानी गयी है । विशुद्ध चक्र का केन्द्र कण्ठ में है, जहां से शक्ति आज्ञाचक्र और सहस्त्रार चक्र की ओर उर्ध्वगमन करती है ।
स्कन्दमाता का उपासना मंत्र :- स्कन्दमाता का उपासना मंत्र इस प्रकार : है:- सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रित करद्वया । शभदास्तु सदां देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ॥
6. छठवीं रात्रि पूजा Nav Durga Sadhna नवदुर्गा साधना
: नवरात्रियों में छठे दिन आदिशक्ति के छठे स्वरूप कात्यायनी की आराधना की जाती है। महर्षि कात्यायन की पुत्री रूप में जन्म लेने कारण माँ दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कात्यायनी के रूप में विख्यात हुआ । ऐसी कथा है कि कत नामक एक महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुये ।
इन्हीं कात्य के गोत्र में महर्षि कात्यायन का जन्म हुआ था। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुये बहुत वर्षों तक साधना की । इनकी इच्छा थी कि उनके घर स्वयं माँ भगवती पुत्री के रूप में जन्म लेकर उन्हें कृतार्थ करें । इसलिये जगत जननी को उनके घर कात्यायनी के रूप में अवतरित होना पड़ा ।
माँ कात्यायनी के स्वरूप की आभा स्वर्णमयी है । यह तीन नेत्रों और चार भुजाओं वाली हैं। इनका दायां हाथ वर देने की मुद्रा में है । बायें हाथों में तलवार व कमल पुष्प सुशोभित हैं। माँ सिंह पर सवारी करती है ।
अपने भक्तों की सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाली है। नवरात्रियों के छठवें दिन इनकी विशेष पूजा-अर्चना करने से साधक के समस्त दु:ख कष्ट दूर हो जाते हैं । ऐसा उल्लेख है कि द्वापर युग में ब्रज की गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति स्वरूप में प्राप्त करने के लिये माँ के इसी रूप की आराधना की थी ।
तंत्र साधना की हठयोग पद्धति में आद्यशक्ति के इस स्वरूप का निवास भृकुटी के मध्य आज्ञा चक्र पर माना गया है । इसलिये तंत्र साधना में इस स्थान की जाग्रति से साधक का रूपान्तर होने लगता है तथा उसकी चेतना पराभौतिक जगत में प्रविष्ट कर जाती है ।
माँ कात्यायनी का उपासना मंत्र :- माँ कात्यायनी का उपासना मंत्र इस प्रकार है:- चन्द्रहासौ ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दधादेवी दानव धातिनी ||
7. सप्तम रात्रि पूजा :Nav Durga Sadhna नवदुर्गा साधना
आद्यशक्ति के सप्तम स्वरूप की आराधना सप्तम नवरात्रि को की जाती है । माँ का सप्तम स्वरूप कालरात्रि के नाम से जाना जाता है । माँ का यह अद्भुत स्वरूप है । इनका रंग श्याम है। बाल बिखरे हुये हैं । यह त्रिनेत्रधारी एवं चतुर्भुजी हैं। इनके ऊपर उठे हुये दायें हाथ में तलवार है व दूसरा हाथ वर देने की मुद्रा में उठा हुआ है। बायें ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा व नीचे वाले हाथ में कटार है ।
माँ गदर्भ पर सवार रहती हैं । नासिका से ज्वाला निकलती रहती । गले में माला धारण किये रहती हैं। माँ सबको भयाक्रान्त रखने वाले काल को भी भय देने वाली है । इसलिये इन्हें कालरात्रि कहा जाता है 1 माँ का यह स्वरूप अत्यन्त विकराल है, पर वह अपने भक्तों के लिये बहुत सुकोमल स्वभाव रखती हैं ।
जो कोई भी व्यक्ति माँ की शरण में पहुंच जाता है, अपने उस भक्त को माँ हर संकट से उबारे रखती हैं। माँ की कृपा से साधक अपनी सभी आकांक्षाओं की पूर्ति कर लेता है ।
तंत्र साधना की एक अन्य पद्धति में माँ के इस स्वरूप का स्थान मस्तिष्क स्थित सहस्त्रार चक्र में माना गया है। जो तांत्रिक सहस्त्रार चक्र की जाग्रति कर लेता है, उसके सामने अनन्त संभावनाओं के द्वार खुलते चले जाते हैं । ऐसे साधक अष्ट सिद्धियां भी सहज से प्राप्त कर लेते हैं ।
माँ कालरात्रि की उपासना का मंत्र:– माँ कालरात्रि की उपासना का मंत्र इस प्रकार है :- चतुर्बाहु युक्तादेवी चन्द्रहासेन शोभिता । गदर्भे च समारूढ़ा कालरात्रि भयावहा ||
8 .अष्टम रात्रि पूजा :Nav Durga Sadhna नवदुर्गा साधना
माँ भगवती की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है । यह गौर वर्णा हैं । माँ के इस गौरे रंग की उपमा शंख, चन्द्र और कुन्द के पुष्प से दी जाती है । माँ का रूप आठ वर्षीय कन्या जैसा है। इनके समस्त वस्त्र व आभूषण भी श्वेत रंगी हैं ।
त्रिनेत्री व चतुर्भुजी माँ की मुख मुद्रा शांत व सौम्य है, जिस पर बाल सुलभ मुस्कान झलकती रहती है । माँ का वाहन वृष है। इनका ऊपरी दायां हाथ वरमुद्रा में है । यह नीचे वाले हाथ में त्रिशूल धारण किये हुये हैं । इनके ऊपरी बायें हाथ में डमरू तथा नीचे वाले हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में हैं ।
शिव को प्राप्त करने के लिये दीर्घ अवधि तक की साधना की थी । इस साधना से उन्हें महागौरव की प्राप्ति हुई थी । महागौरी की साधना से साधक का यश और प्रताप निरन्तर बढ़ता जाता है। भगवान शिव की कृपा भी इन पर निरन्तर बनी रहती है । मृत्यु उपरान्त इन्हें शिव तत्त्व की प्राप्ति होती है ।
महागौरी का उपासना मंत्र :- महागौरी का उपासना मंत्र इस प्रकार है:- – – श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः । महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा ॥
9 .नवम रात्रि पूजा Nav Durga Sadhna नवदुर्गा साधना
: नवरात्रों की नवम रात्रि सिद्धिदात्री की रहती है । यह आद्यशक्ति माँ दुर्गा का नवम स्वरूप है। माँ सिद्धिदात्री अपने साधकों को समस्त रिद्धयां, सिद्धियां एवं लौकिक व परालौकिक सुखों को प्रदान करने वाली हैं। माँ के इस स्वरूप की साधना से अन्त में मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है ।

माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप चतुर्भुजी है जिनके दाहिने नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख व ऊपरी हाथ में कमल पुष्प सुशोभित रहता है ।
माँ कमल पुष्प पर ही आसीन रहती हैं । माँ का यह स्वरूप समस्त लौकिक एवं परालौकिक सुखों को प्राप्ति कराने वाला है। तांत्रिकों की अन्य परम्परा में सिद्धिदात्री स्वरूप में माँ की साधना अष्टसिद्धियों अर्थात् अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व की प्राप्ति के उद्देश्य के लिये भी की जाती है।
माँ सिद्धिदात्री का उपासना मंत्र:- माँ सिद्धिदात्री का उपासना मंत्र इस प्रकार है:- सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैर सुरैरमरैरपि । सेव्यमाना सदां भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ॥
अतः निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि माँ भगवती के उपरोक्त नौ स्वरूपों की पूर्ण विधि-विधान से आराधना करने से सहज ही अपने समस्त कष्टों से छुटकारा पाया जा सकता है तथा अनेक प्रकार की मनोकामनाओं की प्राप्ति की जा सकती है। नवरात्रियों के दौरान इनकी विशेष पूजा-अर्चना का विधान प्राचीन समय से चला आ रहा है।
भगवती दुर्गा और उनके नौ रूपों की वैदिक आराधना और तांत्रिक अनुष्ठान भी सर्वत्र प्रसिद्ध रहे हैं। ऋषि मार्कण्डेय द्वारा संकलित किया गया भगवती चरित्र (दुर्गा) सप्तशती) तो बहुत ही अद्भुत है। इसमें भगवती के स्वरूपों, चरित्रों के साथ-साथ अनेक गूढ़ रहस्यों को एक जगह समाहित किया गया है ।
इन रहस्यों के विषय में या तो स्वयं साधनारत होकर ही पूरी तरह से जाना जा सकता है या फिर गुरु कृपा से इनके रहस्य को समझना सम्भव है। साधारंण भक्तों के लिये तो यह तेरह अध्याय एवं 700 श्लोकों में संकलित किया गया एक काव्य भर ही है ।
यद्यपि प्राचीन समय से ही तंत्र साधना के विविध ग्रंथों में ऐसा भी उल्लेख किया जाता रहा है कि दुर्गा सप्तशती पाठ अथवा उसमें वर्णित किये देवी चरित्रों की विधिवत् साधना से भौतिक इच्छाओं के साथ परालौकिक अनुभवों को भी पाया जा सकता है । दुर्गा सप्तशती तंत्र साधना की कामधेनु है ।
CATEGORIES
- Tantra English
- vashikaran
- video
- yakshini sadhana
- अप्सरा साधना Apsara sadhna
- काला इल्म इल्म और काला जादू
- ज्योतिष-हिंदी
- त्रिकाल ज्ञान साधना
- दस महाविद्या
- दैविक साधना
- धार्मिक यात्रा
- भारतीय-त्योहार
- मुस्लिम साधना MUSLIM sadhna
- यंत्र मंत्र तंत्र ज्ञान
- सनातन-धर्म
- स्वास्थ्य
यह साधना भी पढ़े नीचे दिए गए लिंक से
प्राचीन चमत्कारी उच्छिष्ट गणपति शाबर साधना Uchchhishta Ganapati Sadhna PH. 85280 57364
रत्नमाला अप्सरा साधना – एक दिवसीय अप्सरा साधना ek divaseey apsara saadhana ph.85280 57364
नाथ पंथ की महागणपति प्रत्यक्षीकरण साधना भगवान गणेश के दर्शन के लिए ph.85280 57364
Pataal Bhairavi – पाताल भैरवी बंगाल का जादू की मंत्र साधना Pataal Bhairavi bangal ka jadu mantra
प्राचीन प्रत्यंगिरा साधना Pratyangira Sadhana Ph.85280 57364
kritya sadhana -प्राचीन तीक्ष्ण कृत्या साधना ph. 85280 57364
Hanuman Sadhana प्राचीन रहस्यमय हनुमान साधना विधि विधान सहित ph. 85280 57364
Sapneshwari sadhna – स्वप्नेश्वरी त्रिकाल दर्शन साधना Ph.85280 57364
Lakshmi Sadhna आपार धन प्रदायक लक्ष्मी साधना Ph.8528057364
Narsingh Sadhna – भगवान प्राचीन नृसिंह साधना PH.8528057364
चमत्कारी वीर बेताल साधना – Veer Betal sadhna ph .8528057364
Panchanguli – काल ज्ञान देवी पंचांगुली रहस्य विस्तार सहित Ph. 85280 57364
Veer Bulaki Sadhna – प्राचीन रहस्यमय वीर बुलाकी साधना PH.85280 57364
चमत्कारी प्राचीन लोना चमारी साधना शाबर मंत्र lona chamari ph.85280 57364
sham Kaur Mohini माता श्याम कौर मोहिनी की साधना और इतिहास -ph.85280 57364
Masani Meldi माता मेलडी मसानी प्रत्यक्ष दर्शन साधना और रहस्य ph. 85280 57364
Lama Tibet Tantra लामा तिब्बत तंत्र का वशीकरण साधना
नाहर सिंह वीर परतक्षीकरण साधना nahar singh veer sadhana ph.85280 – 57364
पुलदनी देवी त्रिकाल ज्ञान साधना भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना bhoot bhavishya vartman janne ki
भुवनेश्वरी साधना महाविद्या साधना रहस्य (Bhuvaneshvari Mahavidya MANTRA TANTRA SADHBNA)
काले इल्म की काल भैरव साधना kala ilm aur kala jadu sadhna ph. 85280 57364
काला कलुआ प्रत्यक्षीकरण साधना ( काले इल्म की शक्तियां पाने की साधना) Ph. – 85280 57364
Kachha Kalua – कच्चा कलुआ साधना – सम्पूर्ण रहस्य के साथ ph.8528057364
कमला महाविद्या साधना ( करोड़पति बनने की साधना ) साधना अनुभव के साथ kamala mahavidya mantra
baglamukhi sadhna प्राचीन शक्तिशाली मां बगलामुखी साधना ph.85280 57364
प्राचीन चमत्कारी ब्रह्मास्त्र माता बगलामुखी साधना अनुष्ठान Ph. 85280 57364
रंभा अप्सरा साधना और अनुभव rambha apsara sadhna ph.8528057364
urvashi apsara sadhna उर्वशी अप्सरा साधना एक चनौती PH. 85280 57364
अप्सरा साधना और तंत्र apsara sadhna aur tantra
रत्नमाला अप्सरा साधना – एक दिवसीय अप्सरा साधना ek divaseey apsara saadhana ph.85280 57364
अप्सरा साधना में आहार कैसा होना चाहिए apsara mantra sadhna
उर्वशी अप्सरा साधना प्रत्यक्षीकरण urvashi apsara pratyaksh sadhana mantra vidhi ph.85280
yakshini sadhana
rakta chamunda रक्तचामुण्डा यक्षिणी सब से तीव्र वशीकरण साधना Ph.85280 57364
तुलसी यक्षिणी साधना tulsi yakshini sadhana
कनक यक्षिणी साधना प्रत्यक्षीकरण kanak yakshini sadhna ph. 85280 57364
पीपल यक्षिणी वशीकरण साधना pipal yakshini sadhana ph. 85280 57364
त्रिकाल ज्ञान साधना
Sapneshwari sadhna – स्वप्नेश्वरी त्रिकाल दर्शन साधना Ph.85280 57364
Panchanguli sadhana – चमत्कारी प्राचीन त्रिकाल ज्ञान पंचांगुली साधना रहस्य ph.85280 57364
vartali devi sadhana वार्ताली देवी साधना भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना ph. 85280 -57364
पुलदनी देवी त्रिकाल ज्ञान साधना भूत भविष्य वर्तमान जानने की साधना bhoot bhavishya vartman janne ki
सात्विक सौम्य करन पिशाचिनी साधना भूत भविष्य वर्तमान की जानकारी के लिए karna pishachini sadhana
hanumat Margdarshan sadhna हनुमत मार्गदर्शन साधना
maa durga Trikal gyan sadhna माँ दुर्गा त्रिकाल ज्ञान सध्ना
काला इल्म इल्म और काला जादू
Kachha Kalua – कच्चा कलुआ साधना – सम्पूर्ण रहस्य के साथ ph.8528057364
काला जादू black magic क्या है? और इस के क्या रहस्य है PH.8528057364
काले इल्म की काल भैरव साधना kala ilm aur kala jadu sadhna ph. 85280 57364
काला कलुआ प्रत्यक्षीकरण साधना ( काले इल्म की शक्तियां पाने की साधना) Ph. – 85280 57364
यंत्र मंत्र तंत्र ज्ञान
गायत्री मंत्र के लाभ The Benefits Of Chanting Gayatri Mantra
Kachha Kalua – कच्चा कलुआ साधना – सम्पूर्ण रहस्य के साथ ph.8528057364
kritya sadhana -प्राचीन तीक्ष्ण कृत्या साधना ph. 85280 57364
Khetarpal Sadhna खेत्रपाल साधना और खेत्रपाल रहस्य कौन है
यह तंत्र साधना कभी न करे एक शादीशुदा साधक tantra sadhana
मायावी विद्या और कृष्ण के पौत्र के माया से अपहरण mayavi vidya ph.85280
इस्माइल जोगी का परिचय Introduction to Ismail Jogi
maran aadi mantra Prayogo me savdhaniya मारणादि मंत्र प्रयोगों में सावधानियां
vashikaran uchatan akarshan mantra paryogo savdhani वशीकरण, उच्चाटन,आकर्षणादि मन्त्र
Trikal gyan varahi sadhna त्रिकाल ज्ञान वाराही
Taratak Meditation kundalini jagarn karni ke pahile seedhee त्राटक ध्यानकुण्डलिनी जागरण करने
mantra Tantra khatkarm मंत्र तंत्र षट्कर्म Ph 85280 57364
MUSLIM sadhna
प्राचीन चमत्कारी मुवक्किल muwakkil साधना रहस्यph.85280 57364
Muslim sadhna मनवांछित इस्लामिक शक्ति को सिद्ध करने की साधना ph.85280 57364
sulemani panch peer sadhna सुलेमानी पाँच पीर साधना
Khabees – खबीस शैतान का सम्पूर्ण जानकारी- कैसा होता है
ख्वाजा पीर जी की साधना Khawaja Peer Sadhana
Sifli ilm सिफली इलम रहस्य हिंदी में विस्तार सहित ph.85280 57364
Tilasmi paryog ख़्वाजा तिलस्मी प्रयोग से त्रिकाल ज्ञान ph. 8528057364
Tantra English
Kamakhya Sindoor: History, Benefits, and Uses
Kamakhya Devi – A Journey Through the Mystical Temple of the Mother Goddess
Significance of wealth in life Maha lakshmi Sadhana ph.8528057364
mantra tantra education and guru knowledge
Is Tantra a Rapid Path to Self-Realization
what is Mantra Tantra Shastra?
Milarepa- The Great Tibetan Tantric & His Enlightenment
A Man Who Learnt a Magical Secret Mantra Secret Mantra
Relationship between Kundalini Tantra Yantra,Mantra
How is Aghori Tantra Mantra Sadhana?
Tantra Mantra education is not pornography and sexy science
Difference between Beej mantras and Tantric mantras and how to use them
guru mantra sadhna Facebook page
guru mantra sadhna facebook group
other links
my WordPress use plugin
Ad Invalid Click Protector (AICP)
Featured Image from URL (FIFU)
Webpushr Push Notifications |
guru mantra sadhna pages
guru mantra sadhna Privacy Policy
guru mantra sadhna Terms and Conditions
guru mantra sadhna Contact