hanumat Margdarshan sadhna हनुमत मार्गदर्शन साधना hanumat Margdarshan sadhna hanumat Margdarshan sadhna हनुमत मार्गदर्शन साधना जीवन में कई बार आकस्मिक व ठोस निर्णय लेने पड़ते हैं। कभी घर परीवार या ऑफिस से सम्बंधित, निर्णय लेने होते हैं, कभी व्यवसाय से, तो कभी रिश्तेदारों से सम्बंधित । एक असमंजस की स्थिति होती है। एक मन कहता है कि हमें यह कार्य कर लेना चाहिये तो एक मन कहता है कि नहीं। किसी कार्य को करें या नहीं करें, आज करें या कल करें, यह काम लाभदायक होगा या हानिकारक, कुछ समझ में नहीं आता। ऐसे समय में आगर कोई दिव्य शक्ति हमारे लिए समाधान का माध्यम बन सकती हैं।
 जी हां, दिवय शक्तियो के माध्यम से हमें संकेत मिल सकता है कि अमुक कार्य हमें करना चाहिए या नहीं, यदि वह कार्य हमारे लिए लाभदायक होगा तो कार्य करने के संकेत मिल जायेंगे। यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाए तो उस सम्बन्ध में इस साधना द्वारा निश्चित उत्तर प्राप्त किया जा सकता है। इस साधना को करने से साधक को हनुमान जी स्वयं दर्शन देकर साधक के सभी प्रश्नो का उतर देते है ।
यह साधना परम गोपनीय साधना है । साध्ना विधि पवित्र ही रक्तवस्त्र (लाल व्स्तर) धारण कर रक्त आसन (लाल आसन) के ऊपर बैठे। हनुमान जी की रक्तचन्दन की प्रतिमा स्थापित कर के उस मूर्ति की प्रतिष्ठा कर – ‘ पंचोपचार पूजन करे, सिन्दूर चढावे और गुड के पूरमे का नैवेद्य लगाये । उस नैवेद्य को आठ पहर मूर्ति के सामने धरा रहने दे। जब दूसरे दिन नैवेध लगावे, उस समय पिछले दिन के नैवेद्य को उठाकर किसी पात्र में इकट्ठा करता जाऐ और अनुष्ठान होने के बाद किसी गरीब ब्राह्मण को दे देवे, अथवा पृथ्वी में गाड़ देते । घृत का दीपक जलाये, निर्जनस्थान में रात्रि के समय ग्यारह सौ ११०० मन्त्र का जप करे और फिर मौन रहे । hanumat Margdarshan sadhna उसी पूजन के स्थान पर रक्तवस्त्र के ऊपर सो जावे। ऐसा करने से ग्यारह दिन के भीतर श्रीहनुमानजी महाराज रात्रि के समय ब्रह्मचारी का स्वरूप धारण करके स्प्न में साधक को दर्शन देते हैं, साधक के प्रश्न का यथोचित उत्तर देते हैं और साधक को अभिलाषित वार्ता बताते हैं—इसमें सन्देह नहीं है । यह हमारा कई वार अनुभव किया हुआ सिद्ध प्रयोग एक महात्मा से मिला था। यह दुष्ट पुरुषों को देना योग्य नहीं है
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Rodhar nath
मैं रुद्र नाथ हूँ — एक साधक, एक नाथ योगी। मैंने अपने जीवन को तंत्र साधना और योग को समर्पित किया है। मेरा ज्ञान न तो किताबी है, न ही केवल शाब्दिक यह वह ज्ञान है जिसे मैंने संतों, तांत्रिकों और अनुभवी साधकों के सान्निध्य में रहकर स्वयं सीखा है और अनुभव किया है।मैंने तंत्र विद्या पर गहन शोध किया है, पर यह शोध किसी पुस्तकालय में बैठकर नहीं, बल्कि साधना की अग्नि में तपकर, जीवन के प्रत्येक क्षण में उसे जीकर प्राप्त किया है। जो भी सीखा, वह आत्मा की गहराइयों में उतरकर, आंतरिक अनुभूतियों से प्राप्त किया।मेरा उद्देश्य केवल आत्मकल्याण नहीं, अपितु उस दिव्य ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाना है, जिससे मनुष्य अपने जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझ सके और आत्मशक्ति को जागृत कर सके।यह मंच उसी यात्रा का एक पड़ाव है — जहाँ आप और हम साथ चलें, अनुभव करें, और उस अनंत चेतना से जुड़ें, जो हमारे भीतर है ।Rodhar nathhttps://gurumantrasadhna.com/rudra-nath/