Diwali Sadhana दिवाली के शुभ अवसर पर १०८ तंत्र साधना प्रयोग PH.85280 57364

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Diwali Sadhana दिवाली Diwali के शुभ अवसर पर १०८ तंत्र साधना प्रयोग diwali laxmi sadhana prayog PH.85280 57364
Diwali Sadhana दिवाली Diwali के शुभ अवसर पर १०८ तंत्र साधना प्रयोग diwali laxmi sadhana prayog PH.85280 57364

 

Diwali Sadhana दिवाली Diwali के शुभ अवसर पर १०८ तंत्र साधना प्रयोग diwali laxmi sadhana prayog PH.85280 57364

Diwali Sadhana दिवाली के शुभ अवसर पर १०८ तंत्र साधना प्रयोग PH.85280 57364
Diwali Sadhana दिवाली Diwali के शुभ अवसर पर १०८ तंत्र साधना प्रयोग PH.85280 57364

 

 

Diwali Sadhana दिवाली Diwali के शुभ अवसर पर १०८ तंत्र साधना प्रयोग PH.85280 57364  diwali laxmi sadhana prayog गुरु मंत्र साधना कॉम में स्वागत है  आज हम दिवाली Diwali के शुभ अवसर पर  दिवाली Diwali पर किए जाने वाले 108  प्रयोग आप के समक्ष रखेंगे।  यह प्रयोग आप की ज़िंदगी की हर समस्या को दूर करेंगे आप यह पोस्ट अंत तक पढ़े।

लक्ष्मी का अर्थ हमारे शास्त्रों में केवल मात्र धन से ही सम्बन्धित नहीं है, अपितु जीवन के विविध आयाम् धन- धान्य, गृहस्थ, आरोग्य, शांति, पुत्र, पौत्र, शत्रु विनाश, यश, समृद्धि, प्रतिष्ठा, भवन से भी है। यही कारण है, कि लक्ष्मी को अनेकानेक नामों से सम्बोधित किया गया है और उनके प्रत्येक स्वरूप का पूजन भी वर्णित किया गया है।

दीपावली Diwali Diwali का पर्व महालक्ष्मी की साधना का पर्व है, इस अवसर पर लक्ष्मी के ही विभिन्न स्वरूपों से सम्बन्धित प्रयोग प्रस्तुत हैं, जिन्हें सम्पन्न कर आप अवश्य ही लाभ प्राप्त कर सकेंगे और अपने जीवन की समस्याओं को इन लघु प्रयोगों के माध्यम से समाप्त कर सकेंगे।

इन प्रयोगों को आप दीपावली Diwali Diwali diwali laxmi sadhana prayog  से पूर्व इन प्रयोगों को आरम्भ करने से पूर्व साधक संक्षिप्त रूप से गुरु-पूजन अवश्य करें, यदि आपने दीक्षा न भी ली हो तो भी मानसिक रूप से गुरु का पूजन कर प्रयोग सम्पन्न करें। इन प्रयोगों को अत्यन्त शुद्धता और पवित्रता के साथ सम्पन्न करें, प्रयोग करते समय मन में कुविचार, अश्रद्धा, आदि भाव न लाएं। दिवाली Diwali साधना

 

 

१. भगवती लक्ष्मी के धनप्रदायक  diwali laxmi sadhana prayog

भगवती लक्ष्मी के धनप्रदायक स्वरूप  को ‘श्री’ नाम से सम्बोधित किया गया है। दीपावली Diwali Diwali के दिवस पर लाल रंग का वस्त्र बिछा कर पीले पुष्प के आसन पर ‘श्री चक्र’ स्थापित कर पूजन करें। फिर निम्न मंत्र का जप ५१ बार करें ।। ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं नमः // Om Hreem Shreem Hreem Namah यह प्रयोग दीपावली Diwali Diwali के दिन आप कभी भी प्रातः, सायं या मध्यरात्रि में करें, आधी रात में ही ‘श्री चक्र’ को वस्त्र में बांधकर तिजोरी में रख दें, ग्यारह दिन के पश्चात इसे नदी में प्रवाहित कर दें। आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है। 

२. आकर्षक शरीर की प्राप्ति के लिए diwali laxmi sadhana prayog

साधक या साधिका रूप चतुर्दशी  के दिन ‘पद्मा’ को अपने दाहिने हाथ में लेकर सिर, दोनों नेत्र, दोनों कान, मुख, गले, हृदय, उदर, दोनों हाथ, नाभि, जंघा, पैर पर क्रम से स्पर्श करते हुए ग्यारह ग्यारह बार निम्न मंत्र का उच्चारण करें-

।। ॐ ह्रीं पद्मे आगच्छ नमः ॥ Om Hreem Padme Aagachh Namah प्रयोग समाप्त होने पर ‘पद्मा’ को निर्जन स्थान पर फेंक अधिक या साधिका की देह आकर्षक बनेगी। दिवाली Diwali साधना मंत्र

३. ‘हल्ट हकीक’ को दीपावली Diwali Diwali के दिन पूजन कर धारण से कितना भी मानसिक तनाव हो, वह धीरे-धीरे समाप्त हो। है, सवा माह के बाद हल्ट हकीक को नदी में प्रवाहित कर दें।  

४. विद्या प्राप्ति में कठिनाई आ रही हो, तो  diwali laxmi sadhana prayog

विद्या प्राप्ति में कठिनाई आ रही हो, तो  diwali laxmi sadhana prayog  साधक बली के दिन एक पेंसिल, जिससे बच्चा लिखता हो, को सफेद मैं बांधकर निम्न मंत्र का २१ बार जप करें- ॥ ॐ ऐं क्रीं ऐं ॐ ॥ Om Ayeim Kreem Ayeim Om मंत्र जप नित्य  करें, फिर को बच्चे उसी पेंसिल से उपरोक्त मंत्र तीन बार लिखाएं। पेंसिल को क्षत रखें। दिवाली Diwali पर साधना

५. साधक में कार्य करने की शक्ति न्यून होती जा रही हैं। कार्य आरम्भ तो करता है, लेकिन कोई भी कार्य पूरा नहीं कर है, तो साधक यह प्रयोग सम्पन्न करें। दीपावली Diwali Diwali के दिन किसी पात्र में ‘ईप्सा’ रखकर उसका न करें, घी का दीपक लगा दें, निम्न मंत्र का जप १८ दिन तक २१ बार करें- ॥ ॐ ऐं तेजस् सिद्धिं क्लीं ॐ फट् ॥ Om Ayeim Teijas Siddhim Kleem Om Phat 

 

६. ‘अनौपम्या’ को लाल वस्त्र में बांधकर घर के उत्तर में रखने से घर में शांति का वातावरण बनता है। सवा माह के ‘अनौपम्या’ को नदी में प्रवाहित कर दें। –

७. यदि आप बरोजगार हैं और आपको कार्य की तत्क्षण चश्यकता है, तो ‘त्रिविधा’ को अपने दाहिने हाथ में लेकर प्रातः ७ बजे तथा सायं ७ बजे निम्न मंत्र का २१ बार जप करें- ॥ ॐ ह्रीं कार्य सिद्धिं ॐ नमः ॥ Om Hreem Kaarya Siddhim Om Namah. यह प्रयोग नौ दिन तक करें, शीघ्र ही मार्ग मिलेगा तथा प्रयोग के बाद त्रिविधा किसी मन्दिर में चढ़ा दें। 

८. यदि आप अपने वर्तमान कार्यक्षेत्र से सन्तुष्ट नहीं है और उसे बदलना चाहते हैं, लेकिन कोई उपयुक्त अवसर नहीं मिल रहा है, तो किसी पात्र में चावल भर कर उसमें ‘सुरेश्वरी’ स्थापित कर दें, नित्य पांच दिन तक ४१ बार निम्न मंत्र का जप करें- ॥ ॐ ऐं ह ह्रीं फट् ॥ Om Ayeim Hasfrem Hreem Phat पांचवें दिन सुरेश्वरी को नदी में या निर्जन स्थान में प्रवाहित कर दें।

९. घर में कितना धान्यादि लाकर रख दिया जाय, किन्तु फिर भी आवश्यकता पड़ने पर वह कम ही रहे, जिसके कारण सदैव तनाव सा व्याप्त रहे, तो ऐसे स्थिति से निपटने के लिए ‘महाधात्री’ को किसी पात्र में गुलाब के पुष्प की पखड़ियों का आसन बनाकर स्थापित करें, महाधात्री का पूजन अष्टगंध तथा चावल से करें। उसके समक्ष घी का दीपक लगाकर नित्य ४५ मिनट मंत्र का उच्चारण करें- ॥ ॐ ह्रीं धनमानव आबद्ध सिद्धिं ॐ फट् ॥ Om Hreem Dhanmaanay Aabaddh Siddhim Om Phat यह प्रयोग पांच दिन तक करें, पांचवें दिन ‘महाधात्री’ को घर के भण्डार गृह में रख दें। सवा माह के बाद महाघात्री को नदी में प्रवाहित कर दें। 

१०. धन के निरन्तर आगमन के लिए किसी पात्र में कुंकुंम से अष्टदल कमल का निर्माण कर ‘प्रमोदा’ को स्थापित कर उस पर कमल के पांच पुष्प चढ़ाएं, घी का दीपक लगाकर निम्न मंत्र का जप ५१ बार करें- ।। ॐ श्रीं श्रीं महाधनं देहि ॐ नमः ॥ Om Shreem Shreem Mahaadhanam Dehi Om Namah यह प्रयोग सात दिन तक करें, सातवें दिन ‘प्रमोदा’ को नदी में प्रवाहित कर दें।

११. महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए   diwali laxmi sadhana prayog

किसी पात्र में पाच गुलाब के पुष्प रखकर ‘ईश्वरी’ को स्थापित करें, घी का | दीपक लगाकर ईश्वरी का पूजन करें, निम्न मंत्र का जप ३५ बार ६ दिन तक करें- ॥ ॐ ह्रीं श्रियं देहि महालक्ष्मी आगच्छ ॥ Om Hreem Shriyam Dehi Mahaalakshmee Aagachh छह दिनों के पश्चात ईश्वरी को नदी में प्रवाहित कर दें।

१२. यश, सम्मान की प्राप्ति के लिए  diwali laxmi sadhana prayog

यश, सम्मान की प्राप्ति के लिए साधक धनत्रयो को स्नान कर ‘महिमा’ को अपने आज्ञा चक्र (दोनों भौहों के मध्य) रखते हुए निम्न मंत्र का जप ६५ बार करें – ॥ ॐ ऐं कीर्ति ऋद्धिं देहि देहि ॐ ॥ Om Ayeim Keertim Riddhim Debi Dehi Om यह प्रयोग भाई दूज तक करें, भाई दूज के दिन ‘महिमा’ क नदी में प्रवाहित कर दें। 

 

१३. वस्तु सम्बन्धी व्यापार की वृद्धि के लिए diwali laxmi sadhana prayog

साधक को चाहिए , कि पांच घी के दीपक लगाकर मध्य में पुष्प के आस- पर ‘ऋद्धि’ स्थापित करें, खड़े हो ‘कमलगट्टे की माला’ से निम्न मंत्र की तीन माला मंत्र जप करें- ॥ ॐ ह्रीं ऐं व्यापार वृद्धिं ॐ नमः ॥ Om Hreem Ayeim Vyaapaar Vriddhim Om Namah जप के उपरान्त माला ‘ऋद्धि’ के ऊपर रख दें, यह प्रयोग तीन दिन तक करें। पांच दिन के बाद ‘ऋद्धि’ तथा ‘माला’ नदी में प्रवाहित कर दें।  दीपावली Diwali Diwali साधना में

१४. मशीन सम्बन्धी व्यापार की वृद्धि के लिए साधक को चाहिए, कि मसूर की दाल से एक लाइन में सात ढेरियां बनाएं… सातों ढेरियों पर एक-एक पान का पत्ता तथा लौंग रख दें, तेल का दीपक लगा दें, धूप लगा दें। ‘अक्षया’ को मध्य की ढेरी पर स्थापित कर निम्न मंत्र का ३१ बार जप करें। ॥ ॐ वं विश्वकर्मा आजन्म साधव ॐ ॥ Om Vam Vishwakarmaa Aagachh Saadhay Om यह प्रयोग नौ दिन का है, नौ दिन के बाद ‘अक्षया’ को अपने व्यापार स्थल में स्थापित कर दें, सवा माह के पश्चात अक्षया को नदी में प्रवाहित कर दें। 

१५. चिकित्सा के व्यवसाय में सफलता के लिए  हरे रंग के वस्त्र में ‘वीर्हमाना’ बांध दें, उसे चिकित्सा सम्बन्धी व्यवसाय में ऐसे स्थान पर रखें जहां सिर्फ आप देख सकें, नित्य ‘वीर्हमाना’ पर एक लाल पुष्प चढ़ा कर निम्न मंत्र का जप २० दिन तक केवल ग्यारह बार करने से चिकित्सा के व्यवसाय में सफलता मिलेगी- ॥ ॐ ह्रीं ह्रीं हां हः ॐ नमः ॥ Om Hreem Hroum Hraam Hrah Om Namah २१ दिन के बाद वीईमाना को नदी में विसर्जित कर दें।  दीपावली Diwali Diwali साधना में

१६. व्यापार  खोलने के लिए अक्सर यह सुनने में आता है, कि दुश्मनी वश या स्वार्थ वश लोग एक दूसरे का व्यापार बांध देते हैं, जिसका सामना व्यापारी वर्ग को अक्सर करना पड़ता है। ऐसे टोटकों को समाप्त करने के लिए लाल रंग का वस्त्र बिछाकर हल्दी से त्रिभुज बनाकर उसके प्रत्येक कोण में एक-एक पुष्प रखें। एक पात्र में स्वस्तिक का निर्माण कर ‘नित्या’ उसके ऊपर रखें। ‘नित्या’ का संक्षिप्त पूजन कर, त्रिभुज में रखें प्रत्येक पुष्प पर अपना दाहिना हाथ रखते हुए निम्न मंत्र का २१-२१ बार जप करें- ॥ ॐ ह्रीं व्यापार बाधा निवारणाय फट् // Om Hreem Vyaapaar Baadhaa Nivarannaay Phat मंत्र जप पूर्ण होने पर पुष्प तोड़कर नित्या पर चढ़ा दें। इस प्रकार जब आखिरी पुष्प भी चढ़ जाए, तो नित्या तथा समस्त पुष्प की पंखुड़ियों को सावधानी पूर्वक श्मशान घाट में फेंक दें। #दीपावली Diwali Diwali साधनामें

१७. यदि घर का कोई सदस्य क्रोध में अधिक रहने लगा है और उचित या अनुचित बात का निर्णय किए बगैर सबका अपमान करने लगा है, तो साधक यह प्रयोग अपनाएं। जो क्रोध करता हो का नाम सफेद रंग के वस्त्र पर कुंकुंम से लिखकर उसमें ‘जवाला’ को रख कर बांध दें तथा उसे किसी भी वृक्ष पर निम्न मंत्र का ५१ बार जप करते हुए टांग दें – ॥ ॐ क्रीं क्रोषं संहरय वशव ॐ फट् ॥ Om Kreem Krodham Sanharay Vashay Om Phat 

 

 

Diwali Sadhana दिवाली के शुभ अवसर पर १०८ तंत्र साधना प्रयोग PH.85280 57364
Diwali Sadhana दिवाली Diwali के शुभ अवसर पर १०८ तंत्र साधना प्रयोग PH.85280 57364

१८.ग्राहक दुकान की ओर आकर्षिन  लाल रंग के वस्त्र में अष्टगंध से ‘श्री’ लिखें, फिर उसमें ‘त्रिधा’ को बांध कर दुकान के बाहर टांगने से ग्राहक दुकान की ओर आकर्षित होगा। तीन माह बाद त्रिघा को नदी में विसर्जित कर दें। 

१९. स्वयं के व्यक्तित्व में विशेषता लाने के लिए ‘सूक्ष्मा’ को दीपावली Diwali Diwali के दिन धारण कर लें, नित्य प्रातः स्नान करते हुए | निम्न मंत्र का जप करते हुए स्नान करें। ॥ ॐ श्रीं ई ब्रिवं साधव फट् // Om Shreem Eem Shriyam Saadhay Phat ग्यारह दिन के बाद ‘सूक्ष्मा’ को नदी में प्रवाहित कर दें। 

२०. यदि शत्रु अत्यधिक हावी हो रहा है, तो साधक यह प्रयोग सम्पन्न करें। यम द्वितीया के दिन रात्रि नौ बजे के बाद पांच कोयले रखकर ‘महेसरी’ रख दें, तीन दिन तक निम्न मंत्र का जप १०१ बार करें- ॥ ॐ क्लीं ह्रीं ऐं शत्रुनाशाय फट् // Om Kleem Hreem Ayeim Shatrunaashaay Phat जप के पश्चात रात में ही कोयले सहित ‘महेसरी’ को निर्जन स्थान में फेंक दें। 

२१. ‘जगजयेष्ठा’ को घर में सफेद रंग के वस्त्र में बांधकर उसे घर की उत्तर दिशा में रख देने से घर में हो रहा कलह में शांति आएगी।

२२. धन की प्राप्ति हेतु या आकस्मिक धन के आगमन के लिए ‘जगजयेष्ठा’ को निम्न मंत्र का ५१ बार उच्चारण कर धारण कर लें – ॥ ॐ ह्रीं हुं फट् ॥ Om Hreem Hum Ayeim Phat यह प्रयोग तीन दिन तक करें, तीन दिन के बाद जगजयेष्ठा को निर्जन स्थान में फेंक दें। 

२३. यदि आपका बच्चा बहुत अधिक झूठ बोलने लगा है और समझाने पर भी नहीं समझे, तो उसे दीवाली के दिन ‘सत्या’ पहना दें तथा नित्य आप उसके नाम का संकल्प लेकर २१ बार निम्न मंत्र का जप करें- ॥ ॐ फ्रें फ्रें हूं फट् // Om Frem Frem Hoom Phat २१ दिन के बाद सत्या को नदी में प्रवाहित कर दें।

२४. यदि आपका पुत्र गलत कार्यों में फंस कर घर से विमुख होता जा रहा है, तो उसे गलत कार्यों से उबरने के लिए, तो मानसिक संबल प्रदान करें ही, साथ ही यह प्रयोग भी करें। मिट्टी को गूंथ कर पांच ढेरियां बनाकर मध्य में ‘अपर्णा’ रख दें, अपर्णा का सिन्दूर से पूजन करें, अपने पुत्र का फोटो भी रख दें। बाकी चारों ढेरियों पर क्रमशः प्रत्येक ढेरी पर निम्न मंत्र का ३१ बार उच्चारण करते हुए सिन्दूर की बिंदी लगाएं- ॥ ॐ ऐं सौः ह्रीं ॐ // Om Ayeim Souh Hreem On मंत्र जप कर अपने पुत्र का फोटो उठाकर रख दें तथा बाकी चारों ढेरियों व अपर्णा को निम्न मंत्र का जप करते हुए क्रोधयुक्त हो दक्षिण दिशा में फेंक दें। 

२५. ‘क्रिया योग’ भी भगवती लक्ष्मी का ही एक स्वरूप है, साधक भगवती की कृपा से ही आध्यात्मिक जीवन में उन्नति कर सकता है। साधक नित्य प्रातः निम्न मंत्र का दस मिनट जप कर ध्यान करें, तो निश्चय ही उसे सफलता मिलेगी। ॥ ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं ग्लों ॐ फट् ॥ Om Shreem Hreem Hleem Gloum Om Phat

२६. ‘सम्पूर्णा’ को दीपावली Diwali Diwali के दिन धारण करें, साधक का व्यक्तित्व उसकी दृष्टि से पूर्णता प्राप्त करता है। सवा माह तक उसको धारण करने के पश्चात सम्पूर्णा नदी में प्रवाहित कर दें। 

 

२७. घर से मन उचाट हो रहा है और मानसिक रूप से व्यक्ति व्यथित ज्यादा रहने लगा हो, तो ‘शुद्ध’ को दीपावली Diwali Diwali के दिन लाल रंग के वस्त्र में निम्न मंत्र का ५१ बार उच्चारण कर बांध दें तथा उसे पूजन स्थान में रख दें तथा नित्य उसे देखते हुए मंत्र का जप करें- ॥ ॐ मं तच कुछ कुछ ॐ ॥ Om Mam Manas Cheitanyam Kuru Kuru Om यह प्रयोग सात दिन तक करें, सात दिन के बाद ‘शुद्ध’ अपने बगीचे में दबा दें या किसी मन्दिर में चढ़ा दें। धीरे 

२८. यदि पति या पत्नी का आकर्षण एक दूसरे से कम होता जा रहा है, तो उनके मध्य आकर्षण बढ़ाने के लिए एक पात्र में कुंकुंम से स्वस्तिक का निर्माण कर ‘आकर्षिणी’ स्थापित कर दें। उस पर कुंकुंम से पति तथा पत्नी के नाम का प्रथम अक्षर लिखें। उस पर प्रथम दिन लाल रंग के २१ पुष्प चढ़ाते हुए निम्न मंत्र का जप करें, दूसरे दिन पीले रंग के 

२१ पुष्प चढ़ाते हुए निम्न मंत्र जप करें तथा तीसरे दिन सफेद रंग के २१ पुष्प चढ़ाते हुए निम्न मंत्र का जप करें- ॥ ॐ ह्रीं मोहिते आकर्षय नमः स्वाहा ॥ Om Hreem Mohite Aakarshay Namah Swaahaa नित्य पुष्पों को एकत्र कर किसी मन्दिर में चढ़ा दें। तीसरे दिन पुष्पों के साथ ही ‘आकर्षिणी’ को मन्दिर में चढ़ा दें।

२९. यदि साधक भवन खरीदना चाहता है, वह भवन को खरीदने की सारी औपचारिकताएं भी सम्पूर्ण कर लेता है, फिर भी किसी न किसी कारण से वह भवन खरीद नहीं पाता है, तो साधक ‘वसुधा लक्ष्मी यंत्र’ को लाल रंग के वस्त्र पर स्थापित कर यंत्र का पूजन करें, घी के तीन दीपक लगा दें तथा निम्न मंत्र का जप २१ बार कर यंत्र पर एक बिन्दी लगा दें। इस प्रकार यह क्रम तीन बार दोहराएं जब तीन बिन्दी लग जाए, तो व्यक्ति जिस भवन को खरीदना चाहता है। वहां पर यंत्र पर लगा कुंकुंम गिरा दें- ॥ ॐ ह्रीं वसुधालम्बे नमः ॥ Om Hreem Vasudhaa-lakshmyei Namah प्रयोग के बाद यंत्र नदी में प्रवाहित कर दें। “

३०. यदि भूमि खरीदी हुई है, लेकिन उस पर भवन निर्माण का कार्य हो पाना असम्भव लग रहा है, तो साधक भूमि के मध्य में ‘वसुधा लक्ष्मी यंत्र’ को एक हाथ भर गड्ढा खोदकर अपने हाथों से दीपावली Diwali Diwali के दिन स्थापित कर दें। 

३१. यदि भवन आधा बन कर रुका हुआ है, तो साधक किसी पात्र में ‘वसुमती’ स्थापित कर उस पर जल चढ़ाते हुए निम्न मंत्र का जप १०१ बार करके, जल भवन में छिड़क दें- ॥ ॐ श्री ही कार्य सिद्धि ॐ नमः ॥ Om Ayeim Shreem Hreem Kaarya Siddhim Om Namah यह प्रयोग ९ दिन तक करें, नौ दिन के बाद ‘वसुमती’ को नदी में प्रवाहित कर दें। 

३२. शत्रुओं को निष्प्रभावी करने के लिए समाज में जो व्यक्ति उन्नति की ओर अग्रसर होता है। ★ धीरे-धीरे उसके शत्रु बढ़ते ही जाते हैं, कुछ तो स्वार्थवश होते हैं, कु ईर्ष्याग्रस्त लोग होते हैं, ऐसे शत्रुओं को निष्प्रभावी करने के लि ‘धूमाग्र’ को किसी पात्र में स्थापित कर उसका पूजन करें, धूमाना के समक्ष निम्न मंत्र का ३१ बार जप करें- ॥ ॐ हूं हूं शत्रुस्तंभनं ठः ठः स्वाहा ॥ Om Hroom Hroom Shatrustambhanam Tthah Tthah Swash जय समाप्त कर धूमाग्र को लाल वस्त्र में बांध कर रख दें। यह प्रयोग सात दिन तक करें। सात दिन के बाद धूमाग्र को ला वस्त्र में बांध कर नदी में प्रवाहित कर दें। 

३३. शत्रु मुकदमों को बढ़ता ही जा रहा है और पिछले वर्षों से चले आ रहे मुकदमे का निर्णय होना निश्चित नहीं लग रहा है ‘धूमाग्र’ पर काजल से अपने शत्रु विशेष या समस्त शत्रु लिखकर नि मंत्र का उच्चारण ग्यारह बार पांच दिन तक नित्य करें- ॥ ॐ हूं शत्रून् वशय विजय सिद्धिं ॐ फट् । Om Hroom Shatroon Vashay Vijay Siddhim Om Phat पांच दिन के बाद धूमाग्र को नदी में प्रवाहित कर दें। 

३४. आपके कार्यों का निरन्तर विरोध हो रहा हो औ आपको समझ में नहीं आ रहा है, कि यह विरोधी कौन है तो प्रयोग सम्पन्न करें। किसी थाली में कोयले का चूरा कर बिछा उस पर ‘कालिका’ स्थापित करें, कालिका का पूजन सिन्दूर तक लाल पुष्प से पूजन करें, निम्न मंत्र का जप ५१ बार करें- क न ॥ ॐ क्लीं कालि शत्रु शमनं कुरु कुरु फट् // Om Kleem Kaali Shatru-shamanam Kuru Kuru Phat यह प्रयोग ३ दिन तक करें, तीन दिन के बाद ‘कालि को निर्जन स्थान में फेंक दें। 

३५.सन्तान सुख प्राप्त  दीपावली Diwali Diwali के दिन ‘भ्रमराम्बा’ को लाल पुष्प के ऊप स्थापित करें, भ्रमराम्बा का पूजन कुंकुंम, अक्षत तथा पुष्प से क भ्रमराम्बा पर कुंकुंम से रंगे हुए चावल मिलाकर चढ़ाते हुए निम् मंत्र का ६५ बार जप करें- – ॥ ॐ नमो भगवते पुत्र सुखं साधय कुरु कुरु नमः Om Namo Bhagwate Putra Sukham Saadhay Kuru Kuru Nam यह प्रयोग म्यारह दिन तक करें, ग्यारह दिन के बाद भ्रमराम को नदी में प्रवाहित कर दें। सन्तान सुख प्राप्त होता है। 

३६. पुत्र की प्राप्ति के लिए साधक ‘सिद्धि गुटिका’ लेकर पत्नी के नाम से संकल्पित कर, पत्नी को धारण करा दें त नित्य स्वयं तथा आपकी पत्नी निम्न मंत्र का जप ५१-५१ बार करें- ॥ ॐ श्रीं सोभाग्य वृद्धिं कुरु कुरु ॐ नमः ॥ – Om Shreem Soubhaagya Vriddhim Kuru Kuru Om Namah २१ दिन के बाद सिद्धि गुटिका नदी में प्रवाहित कर दें। 

३७. यदि सन्तान अनियंत्रित हो, तो ‘सिद्धि गुटिका’ के निम्न मंत्र का ७५ बार जप कर सन्तान की फोटो के साथ बांध कर रख दें- ॥ ॐ ह्रीं ज्वालामालिनि पुत्रं वशय आकर्षण ॐ नमः ॥ Om Hreem Jwaalaamaalini Putram Vashay Aakarshann Om Namah यह प्रयोग दीपावली Diwali Diwali के दिन करें। २१ दिन के बाद पुनः एक बार ७५ बार जप कर लें। उसके पश्चात सिद्धि गुटिका नदी में प्रवाहित कर दें। 

३८. यदि आप सौन्दर्यवान बनना चाहते हैं, तो रूप चतुर्दशी के दिन ‘सौन्दर्या’ को किसी पात्र में स्थापित कर उस पर जल चढ़ाते हुए, निम्न मंत्र का १५ मिनट तक जप करें, तथा उस जल को अपने ऊपर छिड़क लें- ।। ॐ श्रीं कृष्ण सौन्दर्य सिद्धिं ॐ नमः ॥ Om Shreem Krishana Soundarya Siddhim Om Namah इस प्रकार यह प्रयोग ९ दिन तक करें, ९ दिन बाद गुटिका नदी में प्रवाहित कर दें। 

३९. सौन्दर्ययुक्त  होने  प्रत्येक स्त्री का स्वप्न होता है, कि वह सौन्दर्ययुक्त व बनी रहे, लेकिन इस प्रदूषण युक्त, तनाव युक्त वातावरण में यह सम्भव नहीं हो पाता, लेकिन इस प्रयोग के माध्यम से स्त्री अपने सौन्दर्य को बनाकर रखने में समर्थ हो सकती है। ‘अप्सरा सौन्दर्य प्राप्ति गुटिका’ को अपने दाहिने हाथ में लेकर दाहिना हाथ सीधा रखें, टिका पर दृष्टिपात करते हुए निम्न मंत्र का ६१ बार जप करें- ॥ ॐ ह्रीं सः सूर्याब सौन्दर्य देहि स्वाहा ॥ Om Hreem Sah Sooryaay Soundarya Dehi Swaahan यह प्रयोग सात दिन तक करें, सात दिन के बाद अप्सरा सौन्दर्य गुटिका को जल में प्रवाहित कर दें। यह प्रयोग करते समय एक समय भोजन करें। 

४०. पूरे शरीर को निश्चित अनुपात में ढालने के लिए यह प्रयोग सम्पन्न करें। ‘इन्द्रेश’ को दीपावली Diwali Diwali के दिन धारण कर लें तथा नित्य निम्न मंत्र का वज्रासन में बैठकर १०१ बार जप करें-॥ ॐ ह्रीं अमृते अमृत कल्पं साधव ॐ फट् ॥ Om Hreem Amrite Amrit Kalpam Saadhay Om Phat यह प्रयोग ग्यारह दिन तक करें, ग्यारह दिन के बाद इन्द्रेश को नदी में प्रवाहित कर दें। 

४१. कमल के बीज से निम्न मंत्र का जप करते हुए घी के ‘साथ १०१ आहुतियां देने से साधक की प्रत्येक कामना पूर्ण होती है। ॥ ॐ क्लीं चामुण्डे मनोवाति कुरु कुरु कट् ॥ Om Kleem Chaamunde Manovaanchhitam Kuru Kuru Phat 

४२. विशेष कामना की पूर्ति  के लिए किसी पात्र में ‘विधात्री’ स्थापित कर उसका पूजन करें, विधात्री पर तिल तथा जौ चढ़ाते हुए निम्न मंत्र का जप ७५ बार करने से विशेष कामना की पूर्ति होती है- ॥ ॐ कं कामदेवाय मनोवांछित साधय ॐ फट् ॥ Om Kam Kaamdevaay Manovaanchhit Saadhay Om Phat यह प्रयोग तीन दिन तक करें। तीन दिन के बाद विधात्री को नदी में प्रवाहित कर दें, तिल तथा जौ एकत्र कर किसी को दान में दें। 

४३. विभवासु को लाल रंग के वस्त्र में बांध कर किसी वृक्ष में लटका देने से स्वयं के ऊपर आई विपत्तियां समाप्त होती है। 

४४. ‘सामुधा’ को दीपावली Diwali Diwali के दिन अपने सिर पर से निम्न मंत्र का जप करते हुए ग्यारह बार घुमा कर दक्षिण दिशा में फेंक देने से रोगों से मुक्ति मिलती है। ॥ ॐ क्लीं आपदुद्धरणाव फट् ॥ Om Kleem Aapaduddharannaay Phat 

४५. ग्रह बाधा के कारण जीवन में सफलता नहीं मिल पा रही है तो ‘सौशिल्य’ को किसी पात्र में स्थापित कर उसका पूजन कुंकुम, अक्षत, पुष्प से पूजन करें, निम्न मंत्र का जप ५१ बार करें- ॥ ॐ जूं सः ग्रह बाधा निवारणाय फट् // Om Jum Sah Graha Basdhaa Nivaarannaay Phat यह प्रयोग सात दिन तक करें, सात दिन के बाद ‘सौशिल्य’ को नदी में प्रवाहित कर दें। 

४६. शनि, राहु, मंगल ग्रह विपरीत प्रभाव दिखाने वाले हैं, तो साधक को चाहिए किसी पात्र में चावल भरकर उसमें ‘सौशिल्य’ स्थापित कर दें, सौशिल्य का पूजन अष्टगंध, लाल पुष्प से करें, जिस ग्रह विशेष के लिए प्रयोग कर रहे हैं, उसकी शांति के लिए संकल्प लें- ‘मैं ( ग्रह का नाम) की शांति के लिए यह प्रयोग सम्पन्न कर रहा हूं। निम्न मंत्र का जप ७५ बार करें ॥ ॐ शं ग्रह दोष नाशय फट् ॥ Om Sham Grah Dosh Naashay Phat यह प्रयोग ११ दिन तक करें, ग्यारह दिन के बाद सौशिल्य को नदी में प्रवाहित कर दें। 

४७. मानसिक तनाव को दूर करने के लिए ‘शुद्धक’ को धारण कर लें, नित्य प्रातः ६ बजे से ६.३० तक ध्यान लगाएं, मानसिक तनाव तो समाप्त होगा ही, साथ ही समस्याओं का हल भी मिलेगा। सवा महीने बाद शुद्धक को नदी में प्रवाहित कर दें।

४८. जो अध्यात्म की उच्चता को धारण करना चाहता है और निरन्तर इसी प्रयास में संलग्न है, तो उसे यह प्रयोग अवश्य करना चाहिए। सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर कुंकुंम से स्वस्तिक का निर्माण कर उस पर ‘क्रिया योग्या’ स्थापित करें, इसका पूजन कर घी का दीपक लगा दें, दीपक की लौ पर त्राटक करते हुए निम्न मंत्र का जप आधे घण्टे तक करें- दा ॥ ॐ ह्रीं श्रीं ऐं क्रिवायोग्या सिद्धिं ॐ नमः ॥ Om Hreem Shreem Ayeim Kriyaayogyaa Siddhim Om Namah यह प्रयोग ग्यारह दिन तक करें, ग्यारह दिन के बाद क्रियायोग्या को नदी में प्रवाहित कर दें, दीपक की लौ पर नित्य त्राटक कर मंत्र जप करते रहें। 

४९. ‘अमृतस्यन्दिनी’ को दीपावली Diwali Diwali के दिन अपने। स्थान में स्थापित कर, नित्य उस पर त्राटक करते हुए गुरु मंत्र का जप करने से साधक का कल्याण होता है। तीन महीने बाद अमृतस्यन्दिनी नदी में विसर्जित कर दें। 

५०. ‘रतिम्भरा यंत्र’ को पूजन स्थान में रखने मात्र से ही साधक के घर में बुद्धि, विद्या, श्री का वास होता है। यंत्र स्थापन के तीन माह के पश्चात यंत्र को नदी में प्रवाहित कर दें। साधना सामग्री 

५१. लाल रंग के वस्त्र पर ‘सर्वाभिलाषा पूर्णेच्छु यंत्र को स्थापित कर यंत्र का पूजन सुगंधित द्रव्य तथा पुष्प से करें, सुगंधित अगरबती लगाकर निम्न मंत्र का जप ११ दिन तक नित्य २१ बार करने से साधक को यौवन, सौन्दर्य, उमंग उत्साह की प्राप्ति होती है। ॥ ॐ ह्रीं सः सोन्दर्य सः ह्रीं ॐ ॥ Om Hreem Sab Soundaryam Sah Hreem Om ग्यारह दिन के बाद यंत्र को नदी में प्रवाहित कर दें।

५२. विवाह योग्य कन्या का शीघ्र विवाह  हेतु किसी पात्र में अष्टगंध से षट्कोण बनाकर ‘सर्वाधारा यंत्र’ को स्थापित करें। यंत्र का पूजन करें, यंत्र पर दृष्टि एकाग्र करते हुए निम्न मंत्र का जप ६५ बार करें- ॥ ॐ क्लीं विवाह सिद्धिं ॐ ऐं फट् ॥ Om Kleem Vivaah Siddhim Om Ayeim Phat विवाह योग्य कन्या का शीघ्र विवाह होगा। यह प्रयोग पांच दिन का है, प्रयोग के समय कन्या का फोटो भी सामने रखें। प्रयोग समाप्त कर यंत्र को नदी में प्रवाहित कर दें। 

५३. सफेद वस्त्र पर ‘सहस्राणी’ स्थापित कर, उसका पूजन कुंकुंम, अक्षत तथा पुष्प से करने से स्त्री सौभाग्यशाली होती. है। सहस्राणी के समक्ष मात्र ११ बार निम्न मंत्र का उच्चारण करें- ॥ ॐ श्रीं श्रीं सोभाग्यं सिद्धबे ॐ नमः ॥ Om Shreem Shreem Soubhaagyam Siddhaye Om Namah सवा माह के पश्चात सहस्राणी को नदी में प्रवाहित कर दें।। 

५४. ‘सुख सौभाग्य यंत्र’ को बायें हाथ में लेकर उसे दाहिने हाथ से ढकते हुए निम्न मंत्र का ३१ बार उच्चारण करने से स्त्री अनेकानेक गुणों से युक्त होती है- ॥ ॐ ऐं आं सुगुणं आं ऐं फट् ॥ Om Ayeim Aam Sugunnam Aam Ayeim Phat यह प्रयोग ११ दिन का है। ग्यारह दिन के बाद यंत्र को नदी में विसर्जित कर दें। 

५५. ‘कमल गट्टे की माला’ से निम्न मंत्र का एक माला जप दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके करें, अष्टगंध का तिलक लगाएं, फिर वह साधक अपने आस-पास रहने वाले लोगों को सम्मोहि सा कर लेता है। यह प्रयोग पांच दिन तक करें- ॥ ॐ सं सर्व सम्मोहनाव फट् ॥ Om Sam Sarva Sammohanany Phat पांच दिन बाद माला नदी में प्रवाहित कर दें। 

५६. यदि पत्नी अत्यधिक कलहकारिणी हो गई हो तथा वश में न आये, तो साधक धनत्रयोदशी को पांच तेल के दीपक अपने चारों ओर लगा दें तथा मध्य में स्वयं खड़ा होकर निम्न मंत्र की ‘कमलगट्टे की माला’ से पांच माला जप करें- ॥ॐ हूँ फट् ॥ Om Kleem Hroom Streem Phat स्त्री का स्वभाव परिवर्तित होता है तथा वह पति के अनुसार चलती है, मंत्र जप कर माला तोड़कर उसके दानें घर से बाहर चारों दिशाओं में फेंक दें।

५७. यदि कोई व्यक्ति अत्यधिक विपरीत बोलने ल हो तथा समझाने पर भी नियंत्रण में न आये, तो आक के पत्ते पर हल्दी से उस व्यक्ति का नाम लिख, निम्न मंत्र का जप ‘काली हकीक माला’ से सात माला कर, पत्ते सहित माला को किसी भी वृक्ष की जड़ में दबा दें। व्यक्ति आपके विरुद्ध फिर नहीं बोलेगा। ॥ ॐ ह्रीं श्रीं फट् ॥ Om Hreem Bhreem Hrum Phat 

५८. यदि पति पत्नी से विमुख हो रहा है और उसका ध्यान घर से कहीं और लग रहा है, तो स्त्री निम्न जप करते हुए भोजन करे, पति का पुन: पत्नी की ओर आकर्षण होगा। ॥ ॐ ह्रीं ठः ठः ह्रीं ॐ ॥ Om Hreem Tthah Tthab Hreem Om 

५९. जिस व्यक्ति को क्रोध अत्यधिक आता है, उसका क्रोध नियंत्रित करने के लिए, एक कागज पर अष्टगंध से उस व्यक्ति का नाम लिखें। उस कागज को गाय के दूध में डूबा दें, ‘त्रिगुणा माला’ से निम्न मंत्र-यंत्र विज्ञान ’10’ मंत्र का पांच माला जप करें। यह प्रयोग पांच दिन तक करें – ॥ ॐ क्लीं ऐं क्लीं फट् ॥ Om Kleem Ayeim Kleem Phat पांचवें दिन माला को नदी में विसर्जित कर दें।

६०. पुत्र या पुत्री के असंयमित आचरण के कारण यदि बदनामी हो रही है, तो उनका उन कारणों से उच्चाटन करने के लिए निम्न प्रयोग सम्पन्न करें- काले रंग के वस्त्र में ‘जयन्ती माला’ रखकर सिन्दूर से पोत कर पांच कीलें तथा एक कोयला रख कर मौली से बांध दें। पोटली को अपने हाथ में लेकर निम्न मंत्र का ६० बार जप करें- ॥ ॐ क्लीं सौः ही स्वाहा ॥ Om Kleem Ayeim Souh Hreem Swaahaa प्रयोग के पश्चात इसे किसी भी वृक्ष की जड़ में दबा दें, ऐसा करने से पुत्र/पुत्री को अपनी नासमझी का एहसास होगा और वह स्वयं को नियंत्रित कर लेंगें।

६१. शत्रु शान्ति हेतु चार अंगुल की नीम की लकड़ी लेकर उससे शत्रु का नाम किसी कागज पर लिखें, उस कागज पर लकड़ी रख दें, तथा उस पर ही एक तेल का दीपक रख दें। ‘जयन्ती माला’ से निम्न मंत्र की ग्यारह माला मंत्र जप करें। ॥ ॐ क्रीं क्लीं शत्रु शमनं क्लीं क्रीं फट् ॥ Om Kreem Kleem Shatrushamanam Kleem Kreem Phat यह प्रयोग तीन दिन तक करें, दीपक को न बदलें अपितु उसमें ही तेल डालकर जला दें। शत्रु कितना भी हावी हो रहा हो, एकदम से शांत हो जायेगा। यह अत्यन्त तीव्र प्रयोग है। तीसरे दिन अग्नि प्रज्ज्वलित कर माला को तोड़कर प्रत्येक मनके को घी में डुबोते हुए निम्न मंत्र जप करें, अंतिम आहुति में कागज तथा लकड़ी भी डाल दें। 

६२. धन प्राप्ति  हेतु निम्न मंत्र को अष्टगंध से सफेद रंग के वस्त्र पर लिख दि उस वस्त्र पर अपना बायां हाथ रखते हुए दाहिने हाथ से ‘लक्ष्मी माला’ से एक माला निम्न मंत्र जप करें। यह प्रयोग सात दिन तक करें। सातवें दिन वस्त्र को धन रखने के स्थान पर रख दें तथा माला को नदी में प्रवाहित कर दें। अनवरत धन प्राप्ति का स्रोत प्राप्त होगा। ॥ ॐ ही अक्षवं धनमानव फट् ॥ Om Hreem Akshayam Dhanmaanay Phat 

६३. चौड़े मुंह के मिट्टी के पात्र में पान, तुलसी, दूब, बिल्ब पुत्र, घी, चीनी, दूध डालकर तथा उसमें ‘लक्ष्मी यंत्र’ रखकर सफेद कपड़े से उसका मुंह बांध दें, उस पात्र का पूजन कर निम्न मंत्र का जप ७५ बार करें- उ उ ल है प्र 0 वि पु Я पृ ॥ ॐ क्लीं क्लीं ह्रीं फट् ॥ Om Kleem Kleem Hleem Phat खेत में एक हाथ का गड्ढा खोद कर दबा देने से खेत की ‘अगस्त’ 98 मंत्र-तंत्र- उपद्रवी जीवों से रक्षा में सहायता मिलती है। साधना सामग्री पैकेट-210/-

६४. किसी कागज पर लाल चंदन से गणपति बनाकर उस पर ‘लक्ष्मी यंत्र’ रखकर लाल पुष्प चढ़ायें, तेल का दीपक लगाकर निम्न मंत्र का जप ६५ बार करें- ॥ ॐ ह्रीं विचित्रे कामं पूरब ॐ ॥ Om Hreem Vichitre Kaamam Pooray Om व्यक्ति की कामना पूर्ण होती है। यह प्रयोग पांच दिन का है। पाचवें दिन यंत्र को उसी कागज में लाल धागे से बांधकर नदी में प्रवाहित कर दें।

६५. कुबेर के समान धन-धान्य प्राप्ति करने के लिए साधक ‘इन्द्राक्षी यंत्र’ को स्थापित कर उसका सुगंधित द्रव्य से पूजन कर निम्न मंत्र का जप ७५ बार करें। ॥ ॐ ह्रीं श्रीं नमो भगवते धनं देहि देहि ॐ // Om Hreem Shreem Namo Bhagwate Dhanam Dehi Dehi Om यह प्रयोग ग्यारह दिन तक नियमित रूप से करें, म्यारह दिन के बाद यंत्र को नदी में प्रवाहित कर दें। – साधना सामग्री पैकेट 120/-

६६. किसी पात्र में कुंकुंम से षोडशदल कमल बनाकर उसमें ‘अष्टलक्ष्मी यंत्र’ स्थापित करें, अग्नि प्रज्ज्वलित कर १०१ बिल्वपत्र को घी के साथ निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए आहुति दे, तो स्त्री पुत्रवती होती है। ॥ ॐ ह्रीं फ्रें सः सः ॐ // Om Hreem Frem Sah Sah Om प्रयोग समाप्त कर यंत्र को नदी में प्रवाहित कर दें। 

६७. सर्वत्र विजय प्राप्त करने के लिए ‘कीर्तिजया यंत्र’ को किसी पात्र में स्थापित कर यंत्र का पूजन करें। उस पर सफेद पुष्प चढ़ाते हुए निम्न मंत्र का २१ बार उच्चारण करें- ॥ ॐ ऐं क्रों सर्व विजवाब ॐ ॥ Om Ayeim Krom Sarva Vijayaay Om मंत्र जप के बाद समस्त पुष्प एकत्रित कर वृक्ष की जड़ में डाल दें। यह प्रयोग सात दिन तक करें, सात दिन के बाद यंत्र भी नदी प्रवाहित कर दें। 

६८. ‘महानारायणी यंत्र’ को किसी पात्र में रखकर उसका पूजन करें, यंत्र को जल में डुबो दें तथा मध्यमा अंगुली से २१ बार जल में ही निम्न मंत्र लिखें, उस जल से सन्तान को स्नान करवाएं। सन्तान को नजर नहीं लगेगी। यह प्रयोग ९ दिन तक करें। ।। ॐ श्रीं महाभिषेक ह्रीं ॐ ॥ Om Shreem Mahaabhishekam Hleem Om नौ दिन के बाद यंत्र को नदी में प्रवाहित कर दें।

६९. साधक चौखट पर बैठ अपने बाएं हाथ में ‘महानारायणी यंत्र’ को लेकर, किसी पात्र से यंत्र पर निरन्तर दूध चढ़ायें और निम्न मंत्र का ३५ बार जप करें, तो साधक की आयुवृद्धि होती है। ॥ ॐ ऐं दीर्घायुष्यं सिद्धवे ॐ नमः ॥ Om Ayeim Deergbaayushyam Siddhaye Om Namah यह प्रयोग मात्र तीन दिन करें। तीन दिनों के बाद यंत्र नदी में प्रवाहित कर दें। 

७०. ‘बीसा मुद्रिका’ को खेत के मध्य में रखकर उसके चारों ओर चार दीपक लगा दें, मुद्रिका का पूजन कर निम्न मंत्र का १०१ बार जप करते हुए अक्षत चढ़ाते जाएं- ॥ ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अन्नपूर्ण स्वाहा ।। Om Hreem Shreem Kleem Annapoorane Swaahan मंत्र जप समाप्त कर मुद्रिका को वहीं पर गड्ढा खोदकर दबा दें। खेत के चारों ओर मंत्र पढ़ते हुए अक्षत अपने पीछे फेंकते चलें। जब पूरी परिक्रमा हो जाय तो खेत को प्रणाम कर घर वापस आ जाएं, फसल उत्तम होगी। 

७१. ‘सर्वमंगला यंत्र’ को स्थापित कर यंत्र का पूजन आक के पुष्प से करें, घी का दीपक लगा दें, अग्नि प्रज्ज्वलित कर निम्न मंत्र से खीर की ३१ आहुतियां दें – ॥ ॐ क्लीं महाकालाब अभीष्ट सिद्धिं नमः ॥ Om Kleem Mahaskaalany Abbeeshta Siddhim Namah साधक की अभीष्ट सिद्धि होती है। यह प्रयोग तीन दिन तक करें। तीन दिन बाद यंत्र नदी में प्रवाहित कर दें। 

७२. ‘सर्वमंगला यंत्र’ को स्थापित कर, यंत्र का पूजन कर, निम्न मंत्र का ७५ बार जप करने से व्यक्ति को ध्यानस्थ होने में शीघ्र सफलता प्राप्त होती है- ॥ ॐ क्रीं ही हूं आं ॐ ॥ Om Kreem Hreem Hroom Aam Om यह प्रयोग २१ दिन का है, २१ दिन के बाद समस्त सामग्री नदी में प्रवाहित कर दें। 

७३. ‘स्वास्थ्य लक्ष्मी यंत्र’ का पूजन कर ५१ लाल पुष्प चढ़ाते हुए निम्न मंत्र का जप चढ़ाते हुए करने से साधक आरोग्य प्राप्त करता है तथा स्वयं के कायाकल्प का भी अनुभव करता है।. ॥ ॐ ह्रीं आरोग्यं देहि देहि फट् ॥ Om Hreem Aarogyam Dehi Dehi Phat यह प्रयोग सात दिन करें, सात दिन के बाद यंत्र को नदी में प्रवाहित कर दें। 

७४. दीपावली Diwali Diwali के दिन ‘महालक्ष्मी यंत्र’ पर ५१ ‘कमल गट्टे के बीज’ पुष्प के साथ निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए ‘अगस्त’ 98 मंत्र-तंत्र- अर्पित करने से साधक धन प्राप्त करता है। ।। ॐ ह्रीं ह्रीं महालक्ष्मी आगच्छ नमः ॥ Om Hreem Hreem Mahaalakshmee Aagacchh Namah प्रयोग के पश्चात यंत्र तथा कमल गट्टे के बीज नदी में प्रवाहित कर दें। 

७५. लाल वस्त्र पर ‘जयंकारी स्थापित कर पूजन करें। अग्नि प्रज्ज्वलित कर तिल को सरसों के तेल से सिक्त कर १०१ आहुति निम्न मंत्र का जप करते हुए करने से साधक के समस्त शत्रु स्तम्भित होते हैं। ॥ ॐ क्लीं ऐं शत्रुस्तंमनाव फट् ॥ Om Kleem Ayeim Shatru-stambhanaay Phat अगले दिन ‘जयंकारी’ नदी में प्रवाहित कर दें। साधना सामग्री पैकेट – 45/-

७६. सफेद वस्त्र पर कुंकुंम से स्वस्तिक का निर्माण कर ‘आदित्यवर्णा’ स्थापित करें, यंत्र का पूजन करें, घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें, आदित्यवर्णा के समक्ष सात दिन तक निम्न मंत्र का ६१ बार जप करने से साधक स्वयं में शिव के समान आनंद का अनुभव करता है। ॥ ॐ शं शिव मनुभवाय नमः ॥ Om Sham Shiv Manubhavaay Namah प्रयोग समाप्त कर आदित्यवर्णा को नदी में प्रवाहित कर दें। 

७७. यदि घर में निरन्तर रोग बना हुआ रहता हो, तो साधक दीपावली Diwali Diwali के एक दिन पूर्व रात्रि दस बजे यह प्रयोग सम्पन्न करें, किसी पात्र में ‘महानीला’ स्थापित कर महानीला का पूजन करें उस पर निम्न मंत्र का जप करते हुए जल चढ़ाएं- ॥ ॐ ठः ठः रोगनाशाव फट् // Om Tthah Tthah Rognaashaay Phat उस जल को पूरे घर में छिड़क दें। यह प्रयोग सात दिन तक करें, सात दिन के पश्चात महानीला को नदी में प्रवाहित कर दें। 

७८. निम्न मंत्र का प्रत्येक शनिवार को भगवती लक्ष्मी देवी पर जल चढ़ाते हुए उच्चारण करने से कामना पूर्ण होती है। ॥ ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं मनोवांछितं ॐ फट् ॥ Om Shreem Hreem Kleem Manovaanchhitam Om Phat

७९. दीपावली Diwali Diwali के दिन प्रात: काल ही स्नानादि से निवृत्त होकर, सफेद वस्त्र पर कुंकुंम से स्वस्तिक का निर्माण कर उस पर ‘शर्वाणी’ स्थापित करें, उसका पूजन सिन्दूर तथा पुष्प से कर तेल का दीपक लगा दें तथा निम्न मंत्र का जप ६५ बार करने से साधक जिस भी आजीविका से सम्बन्धित ज्ञान प्राप्त कर, अपनाना चाहता है, उसका मार्ग मिलता। है। ॥ ॐ क्रीं ह्रीं ज्ञान सिद्धिं ॐ फट् स्वाहा ॥ Om Kreem Hreem Gyan Siddhim Om Phat Swashas -यंत्र विज्ञान 18′ RO यह प्रयोग पांच दिन का है। पांच दिन के बाद शर्वाणी नदी मैं प्रवाहित कर दें। 

८०. किसी पात्र में ‘शर्वाणी’ स्थापित करें, शर्वाणी का पूजन सिन्दूर, अक्षत तथा पुष्प से करें, तिल का भोग लगाएं। शर्वाणी के समक्ष निम्न मंत्र का ६५ बार जप करने से दुर्घटना का भय समाप्त होता ॥ ॐ क्रीं कालिके हूं फट् स्वाहा ॥ Om Kreem Kaalike Hroom Phat Swanhas यह प्रयोग सात दिन का है। सात दिन के बाद शर्वाणी को नदी में प्रवाहित कर दें। 

८१. ‘वारुणी’ को एक पात्र में स्थापित करें, सामने तीन तिल के तेल का दीप प्रज्ज्वलित करें, प्रत्येक दीप का पूजन करें, । उसके पश्चात वारुणी का पूजन कर निम्न मंत्र का जप ६५ बार करने से व्यक्ति रोजगार प्राप्त करता है। ॥ ॐ हूं हूं महाकाल प्रसीद प्रसीद ॐ फट् // Om Hroom Hroom Mahaakaal Praseed Praseed Om Phat यह प्रयोग सात दिन का है। सात दिन के बाद वारुणी को नदी में प्रवाहित कर दें। 

८२. वट वृक्ष के पांच पत्ते लेकर उनको एक के ऊपर एक कर रख दें, उस पर ‘शक्ति खड्ग’ को स्थापित कर लाल कनेर के पुष्प चढ़ाते हुए निम्न मंत्र का २१ बार जप करने से साधक या साधिका इच्छित लड़का या लड़की से विवाह करता है- ।। ॐ ऐं अमीष्ट सिद्धिं विवाह बाधा निवारणाय फट् ॥ Om Ayeim Abheesht Siddhim Vivaah Baadhaa Nivaarannasy Phat यह प्रयोग पांच दिन तक करें, पांच दिन के बाद शक्ति खड्ग को नदी में विसर्जित कर दें।

८३. सफेद रंग के वस्त्र पर चावल की ढेरी बनाकर ‘शक्ति खड्ग’ को स्थापित कर निम्न मंत्र का ७५ बार जप करने से साधक दीर्घायु प्राप्त करता है। ॥ ॐ श्रीं ॐ दीर्घायुष्यं ॐ नमः ॥ Om Shreem Om Deerghasyushyam Om Namah अगले दिन शक्ति खड्ग को नदी में प्रवाहित कर दें।

८४. दीपावली Diwali Diwali के दिन सूर्योदय के समय सूर्य के समक्ष खड़े होकर अपने हाथ में ‘त्रैलोक्य भूषणा’ लेकर दोनों हाथ ऊपर कर निम्न मंत्र का जप बीस मिनट तक करें, जप समाप्त करके त्रैलोक्य भूषणा को पूजन स्थान में रख दें, भाग्योदय होगा। होली पर त्रैलोक्य भूषणा को होलिका में विसर्जित कर दें। ।। ॐ ह्रीं भाग्योदय कुरु कुरु रुद्रव फट् // Om Hreem Bhaagyoday Kuru Kuru Rudray Phat 

८५. ‘अन्नपूर्णा यंत्र’ को किसी पात्र में अक्षत भर कर स्थापित कर दें, अन्नपूर्णा यंत्र का पूजन कुंकुंम, अक्षत तथा पुष्प से करें, तीन बत्तियों का घी का दीपक लगाकर निम्न मंत्र का ५१ बार उच्चारण करने से अन्नादि के व्यापार में वृद्धि होती है। ॥ ॐ ह्रीं अन्नपूर्ण व्यापार वृद्धिं कुरु कुरु ॐ फट् // Om Hreem Annapoornne Vyaapaar Vriddhim Kuru Kuru Om Phat यह प्रयोग ग्यारह दिन का है। ग्यारह दिन के बाद यंत्र को नदी में प्रवाहित कर दें। 

८६. सफेद रंग के वस्त्र पर अष्टदल कमल अष्टगंध से बनाएं उसके ऊपर ‘कमला यंत्र’ स्थापित कर यंत्र का पूजन कमल के पुष्प से करें, आटे के पांच दीपक प्रज्ज्वलित कर उपरोक्त मंत्र का उच्चारण ३१ बार करें- ॥ ॐ ई हीं नित्य क्लिन्ने ॐ फट् ॥ Om Eem Hreem Nitya Klinne Om Phat यह प्रयोग ९ दिन तक करें, दुकान की ब्रिकी में वृद्धि होगी। ९ दिन के बाद यंत्र को नदी में विसर्जित कर दें। 

८७. अशोक के सात पत्ते लेकर क्रम से रख दें, सातों के ऊपर चावल की ढेरी बनाकर एक-एक इलायची स्थापित करें, उसके आगे ‘कमला यंत्र’ स्थापित कर प्रत्येक इलायची पर कुंकुंम चढ़ायें। निम्न मंत्र का ६५ बार जप करें- / ओं क्रों व्यापार वृद्धिं नमः ॥ Om Krom Vyaapaar Vriddhim Namah वस्त्र से सम्बन्धित व्यापार में विशेष लाभ प्राप्त होगा यह प्रयोग आठ दिन तक करें, आठवें दिन यंत्र को नदी में विसर्जित कर दें। साधना सामग्री पैकेट-210/-

८८. उड़द की दाल को किसी पात्र में भरकर उस ‘शंखिनी’ स्थापित करें, शंखिनी पर गुड़हल का पुष्प चढ़ाएं, सुगन्धित अगरबत्ती लगा दें। निम्न मंत्र का ५१ बार जप करें- ॥ ॐ ऐं क्लीं त्रिपुरे व्यापार वृद्धिं साधय ॐ फट् ॥ Om Ayeim Kleem Tripure Vyaapaar Vriddhim Saadhay Om Phat सौन्दर्य प्रसाधन से सम्बन्धित व्यापार में धन लाभ होगा। यह प्रयोग ७ दिन तक करें, सातवें दिन शंखिनी को दाल सहित किसी नदी में विसर्जित कर दें। 

८९. पांच तेल के दीपक गोलाई में रखकर, मध्य में ‘महोत्कट’ स्थापित करें, महोत्कट का पूजन पुष्प, अक्षत से करें। निम्न मंत्र का ६१ बार मंत्र जप करें- ॥ ॐ ह्रीं ह्रीं व्यापार वृद्धिं ॐ ॥ Om Hloum Hleem Vyaapaar Vriddhim Om मशीन से सम्बन्धित व्यापारियों के लिए यह ब्रिकी वर्ल्डक -यंत्र विज्ञान *197 SA मशीन से सम्बन्धित व्यापारियों के लिए यह ब्रिकी वर्द्धक प्रयोग है। यह प्रयोग पांच दिन तक करें, पांचवें दिन ‘महोत्कट’ को किसी वृक्ष की जड़ में दबा दें। ·

९०. पृथ्वी पर आटे से चतुर्दल कमल का निर्माण कर | उसके ऊपर अक्षत रखकर ‘भू-वसना’ स्थापित करें, भू-वसना का पूजन कर, निम्न मंत्र का जप ५१ बार करें – ॥ ॐ ह्रीं ह्रीं भूवेवाय ॐ ॥ Om Hreem Hreem Bhoo-devasy Ayeim Ayeim Om यह प्रयोग सात दिन तक करें, बाद में भू-वसना को नदी में प्रवाहित कर दें, भूमि सम्बन्धी व्यापार में लक्ष्मी की वृद्धि होगी। साधना सामग्री पैकेट 135/-

९१. ‘कात्यायनी यंत्र’ को सफेद रंग के वस्त्र में बांधकर निम्न मंत्र का ६१ बार उच्चारण कर, किसी निर्जन स्थान में फेंक दें या नदी में प्रवाहित करें- ॥ ॐ श्रीं सोभाग्यं सुमंगलाय फट् ॥ Om Shreem Soubhaagyam Sumangalaay Phat कैसी भी विपरीत परिस्थितियां हो व्यक्ति के अनुकूल होने लगती है। 

९२. किसी पात्र में ‘कात्यायनी यंत्र’ को स्थापित कर यंत्र का पूजन सिन्दूर से कर, पांच तेल के दीपक लगा दें, यंत्र पर २१ पीले पुष्प चढ़ाते हुए निम्न मंत्र का जप करें- ॥ ॐ श्रीं श्रं स सम्मोहनाव फट् // Om Shreem Shroom som Sammohanaay Phat इस प्रयोग को ७ दिन तक करें। व्यक्ति में सम्मोहन की क्षमता की वृद्धि होती है। सात दिन बाद यंत्र को नदी में प्रवाहित कर दें। नित्य पांच बार उपरोक्त मंत्र का जप कर लें। 

९३. घर में क्ले बढ़ गया हो, पुत्रों के मध्य तनाश अधिकव हो, कि वे एक दूसरे का मुख देखना न पसन्द कर रहे हों तथा धन के लोभ मैं नित नये कुचक्र रच रहे हों, तो घर का मुखिया या कोई भी सदस्य यह प्रयोग सम्पन्न करे, जिससे घर में सुख-सौहार्द का वातावरण बन सके। किसी पात्र में पुष्प का आसन बनाकर ‘नारसिंही’ को स्थापित कर नारसिंही का पूजन करें, अक्षत (चावल) के वे दाने जो टूटे न हों को १०१ बार निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए नारसिंही पर चढ़ायें- ॥ ॐ क्लीं श्रं वं ॐ फट् ॥ Om Kleem Shram Vam Om Phat यह प्रयोग पांच दिन तक करें। पांचवें दिन समस्त चावल तथा नारसिंही को किसी वट वृक्ष के नीचे गड्ढा खोद कर दबा दें। 

९४. सफेद रंग के वस्त्र पर किसी पात्र में अष्टगंध से निम्न मंत्र लिखकर ‘स्वस्था’ स्थापित करें, स्वस्था का पूजन करें। इसके ज ‘अगस्त’ 98 मंत्र-तंत्र पश्चात दूध, दही, घी तथा मधु मिलाकर स्वस्था पर चढ़ाते हुए ७५ बार निम्न मंत्र का जप करें- ॥ ॐ हाँ आरोग्य सिद्धिं शिवाय नमः ॥ Om Hroum Aarogya Siddhim Shivaay Namah व्यक्ति के घर में आरोग्यता का निवास होगा। यह प्रयोग तीन दिन तक करें, तीन दिन के बाद स्वस्था को नदी में प्रवाहित कर दें।

९५. किसी पात्र में कुंकुंम से स्वस्तिक का निर्माण कर उसमें ‘शिवा’ स्थापित करें, शिवा का पूजन करें, अग्नि प्रज्ज्वलित कर उसमें राई तथा नमक से निम्न मंत्र की ३१ बार आहुतियां दें। समस्त शत्रु तेजहीन, निर्बल हो जायेंगे तथा आपके मार्ग में रोड़े नहीं बन सकेंगे- ॥ ॐ इसकल हीं रुद्राव शत्रुनाशाय फट् // Om Hasakal Hreem Rudrasy Shatrunaashaay Phat यह प्रयोग पांच दिन तक करें। पांच दिन के पश्चात शिवा तथा समस्त भस्म एकत्र कर नदी में प्रवाहित कर दें।

९६. लाल रंग के वस्त्र पर पुष्प का आसन रखकर ‘भवमालिनी’ का स्थापन कर उस पर १०१ कमल के बीज निम्न मंत्र उच्चारित करते हुए चढ़ाने से व्यक्ति के घर लक्ष्मी का स्थाई स्रोत बनता है। यह प्रयोग दीपावली Diwali Diwali के दिन सम्पन्न करें। ।। ॐ श्रीं ह्रीं लक्ष्मी आबद्धं सिद्धवे नमः ॥ Om Shreem Hreem Lakshmee Aabaddham Siddhaye Namah प्रयोग समाप्ति पर समस्त सामग्री को बांधकर नदी में प्रवाहित कर दें तथा नित्य निम्न मंत्र का प्रातः म्यारह बार उच्चारण कर लें। 

९७. ‘घोषवर्जिता’ को लाल रंग के वस्त्र में अपने व्यापार स्थल पर रख दें तथा २१ दिन तक नित्य निम्न मंत्र का ६५ बार जप करें – ॥ ॐ हं क्षं लं व्यापार वृद्धिं फट् ॥ Om Ham Ksham Lam Vyaapaar Vriddhim Phat घोषवर्जिता को उसी वस्त्र में बांधकर बाइसवें (२२) दिन नदी में प्रवाहित कर दें तो व्यापार में बढ़ोत्तरी होगी। 

९८. किसी पात्र में जल लेकर उसको देखते हुए निम्न मंत्र का २१ बार जप कर उस जल को पूरे घर में छिड़क दें, यह प्रयोग नित्य करने से घर में छोटी-मोटी बाधाएं तो समाप्त होंगी ही, साथ ही वातावरण प्रसन्नतादायक बना रहेगा। ॥ ॐ खें खों बाधा निवारणाय फट् // Om Khem Khoum Bandhaa Nivaarannay Phat

९९. जो व्यक्ति पशुपालन करते हैं, वे पशुओं की रक्षा को लेकर हर क्षण चिन्तित रहते हैं, कि न जाने किस बीमारी से वे बेजान जीव ग्रसित हो जाएं। उनकी सुरक्षा के लिए यह प्रयोग सम्पन्न करें। जिस स्थान में पशु रहते हैं उस स्थान के उत्तर दिशा की ओर ‘सूर्य्या’ के मंत्र-यंत्र विज्ञान 20 सामने ५१ बार निम्न मंत्र का उच्चारण कर दबा दें- ॥ ॐ ही पशुपतवे रोजनाशाय फट् ॥ Om Hreem Pashupataye Rognaashaay Phat नित्य इसी मंत्र का ५१ बार उच्चारण करते हुए अगरबती उसी स्थल पर लगा दें। पशु स्वस्थ बने रहेगें। 

१००. ‘घोषवर्जिता’ को किसी पात्र में स्थापित कर, घोषवर्जिता का पूजन कुंकुंम अक्षत, पुष्प से कर घी का दीपक लगा दें, निम्न मंत्र का जप ५१ बार ग्यारह दिन तक करें- ॥ ॐ ह्रीं आकस्मिकं धनं देहि देहि ॐ // Om Hreem Aakasmikam Dhanam Dehi Dehi Om ग्यारह दिन के बाद घोषवर्जिता को नदी में प्रवाहित कर दें, साधक आकस्मिक धन प्राप्ति के स्रोत प्राप्त करता है।

१०१. चावल की ग्यारह ढेरियां बना लें प्रत्येक पर एक सुपारी रखें, मध्य में ‘नृसिंहीं स्थापित करें, नृसिंहीं का पूजन सिन्दूर तथा पुष्प से करें, इसी प्रकार सभी ढेरियों का पूजन करें। पांच बत्तियों का दीपक लगाएं। निम्न मंत्र का जप १०१ बार करें, यह प्रयोग ग्यारह दिन तक करें- ॥ ॐ आं ही करें] महाकट् ॥ Om Aam Hreem Krom Mahaa-arisinghaay Phat साधक का व्यक्तित्व प्रचण्ड, तेजस्वी होगा। ग्यारह दिन बाद समस्त सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दें। 

१०२. किसी पात्र में काजल से दो आंखें बनाएं, उस पर ‘महाचण्ड’ को स्थापित करें, उस पर कुंकुंम से अपने शत्रु का नाम लिखें, फिर क्रोध मुद्रा में निम्न मंत्र का ७५ बार जप करते हुए महाचण्ड पर काली सरसों के दाने फेंकें- ॥ ॐ ऐं क्लीं शत्रु शमनं ॐ फट् ॥ Om Ayeim Kleem Shatrushamanam Om Phat मंत्र जप समाप्त कर समस्त सरसों जला दें। यह प्रयोग आठ दिन तक करें। शत्रु मानसिक रूप से आपसे भयभीत होगा ही तथा दिनों-दिन वह अपने कर्मों का फल भोगता रहेगा। आठ दिन के बाद सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दें। 

१०३. लाल रंग के वस्त्र पर अष्टगंध से त्रिभुज बनाकर उसके मध्य में ‘वसुप्रदा’ को स्थापित करें, उसका पूजन करें, तेल का दीपक लगाकर निम्न मंत्र का जप ५१ बार करें- ॥ ॐ ह्रीं वास्तुदेवाय नमः ॥ Om Hreem Vaastudevaay Namah साधक भूमि, भवन निर्माण आदि का कार्य सफलता पूर्वक कर लेता है। यह प्रयोग ६ दिन का है छः दिन के बाद ‘वसुप्रदा’ को नदी में प्रवाहित कर दें। 

-१०४. जो साधक विद्या, लक्ष्मी, यश प्राप्त करना चाहता है यह प्रयोग सम्पन्न करे। किसी पात्र में कुंकुंम घोल दें, उसमें एक पुष्प रखकर उस पर ‘बागीश्वर’ स्थापित करें, उसके समक्ष खड़े। होकर निम्न मंत्र का ६५ बार मंत्र जप करें- ॥ ॐ हां हंसः हाँ हाँ ॐ स्वाहा ॥ Om Haam Hansah Hroum Hroum Om Swaahas यह प्रयोग तीन दिन तक करें। तीन दिन के पश्चात बागीश्वर को नदी में विसर्जित कर दें। 

१०५. ‘जयाश्री’ को कुंकुंम से रंगे हुए चावल पर स्थापित करें जयाश्री का पूजन कुंकुंम, अक्षत तथा पुष्प चढ़ाकर करें। जयाश्री के समक्ष घी का दीपक लगाकर निम्न मंत्र का जप ५१ बार करें- ॥ ॐ ह्रीं क्रीं धनागमं साधव ॐ ॐ ॥ Om Hreem Kreem Dhanaagamam Sandhay Om Om धन प्राप्ति के नये अवसर मिलेंगे। यह प्रयोग तीन दिन का है। तीसरे दिन जयाश्री को नदी में प्रवाहित कर दें। 

१०६. किसी पात्र में ‘इन्द्राक्षी माला’ स्थापित कर इन्द्राक्षी माला का पूजन अष्टगंध, पुष्प तथा अक्षत से कर, सुगंधित धूप लगायें। निम्न मंत्र का जप ३५ बार नित्य नौ दिन तक करें- ॥ ॐ ह्रीं देहि महेन्द्राय फट् ॥ Om Hreem Iddham Dehi Mahendraay Phat साधक का व्यक्तित्व इन्द्र के समान प्रभावशाली होता है। 

१०७. ‘रतिप्रिया माला’ को किसी पात्र में स्थापित कर, यज्ञ कुण्ड में अग्नि प्रज्ज्वलित कर घी तथा जीरे से निम्न मंत्र का १०१ बार आहुति देने से जिस व्यक्ति का भी आकर्षण करें, तो वह साधक के अनुकूल होता है। ॥ ॐ सं संकर्षणाव रतिप्रियाब फट् ॥ Om Sam Sankarshannaay Ratipriyaay Phat अगले दिन रतिप्रिया माला को किसी मन्दिर में चढ़ा दें। 

१०८. जो साधक समाज में निरन्तर अग्रणी बने रहना चाहते हैं, वे ‘सिद्धिमाला’ से निम्न मंत्र का जप एक माला २१ दिन तक करें ॥ ॐ फट् ॥ 20 Om Ayeim Frem Heim Hroom Phat २१ दिन के बाद सिद्धिमाला को नदी में प्रवाहित कर दें। –

दीपावली Diwali Diwali के सभी १०८ प्रयोगों में से साधक अपनी आवश्यकतानुसार जितने चाहे, उतने प्रयोग सम्पन्न कर सकता है। यदि साधक चाहें, तो एक दिन में एक से अधिक प्रयोग भी कर सकता है, किन्तु यह ध्यान रखें, कि दो प्रयोगों को करने के बीच में कम से कम एक घण्टे का गैप अवश्य दें। 

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