नीम करोली बाबा और रामदास कथा Neem Karoli Baba and Ramdas Katha

 

नीम करोली बाबा और रामदास कथा Neem Karoli Baba and Ramdas Katha मैं शायद, मेरा ख्याल है मैं बस उस व्यक्ति का एक वीडियो देख रहा था जिन्हें अमेरिका में आज रामदास के नाम से जाना जाता है वो अपने आप में 70 के दशक में एक कारनामा बन गए धे। वो 70 का दशक था, 60 या 70 मझे लगता है 60 के दशक में तो वो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के उन प्रोफेसरों में से एक थे जो एल एस डी पर बड़े पैमाने पर प्रयोग कर रहे थे।

 यहाँ तक की वो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एल एस डी बना भी रहे थे। उनका सोचना था कि यही निर्वाण का रास्ता है। ये तब की बात है जब कैलिफ़ोर्निया बड़े जोर शोर से प्रचार कर रहा था भारत में इसमें 12 साल लगते हैं। यहाँ ये तुरंत होता है। रामदास भारत भी आए। 

और अपनी एल एस डी का कोटा लेकर आये। वो अब धुरंदर हो चुके हैं। वो 2- 3 एल एस डी निगल जाते हैं एक ही दिन में। तो वो नीम करोली बाबा के पास आए जो एक दिव्यदर्शी हैं और अपार सिद्धियों वाले एक तांत्रिक हैं। 

और मैं चाहता हूँ आप अच्छे से समझ लें कि एक तांत्रिक कौन होता है। वो आदमी जिसके पास सिद्धियाँ होती हैं वो एक तांत्रिक होता है। जिसके पास कोई सिद्धि नहीं होती जिसके पास बस किताबी ज्ञान है वो तांत्रिक नहीं है ना ही वो किसी भी तरह से एक गुरु है। 

न ही वो किसी भी तरह से एक गुरु बनने योग्य है। तो नीम करोली बाबा एक तांत्रिक हैं। वो भारी भरकम आदमी हैं। वो उपासक हैं हनुमान के। वो नीम करोली बाबा के पास आए और बोले मेरे पास थोडा सा स्वर्ग का असली माल है।

 आप इसको लीजिये और वो सब कुछ जो जानने लायक है खुल जाएगा। आपको इसके बारे में कुछ पता है? नीम करोली बाबा बोले क्या है वो दिखाओ मुझे। तो उसने उन्हें इतनी सी दे दीं। वो बोले तुम्हारे पास कितनी हैं दिखाओ मुझे। 

उसके पास इतनी थीं जो कि कई दिनों या महीनों तक रामदास के लिए चल जातीं। वो बोले लाओ ये मुझे दो। तो उसने उन्हें पूरी मुट्ठी भर के सारी एल एस डी दे दीं उन्होंने सारी मू में डाल लीं और निगल गए। और बस वहीं बैठे रहे और जो कर रहे थे करते रहे। 

रामदास वहां बैठे-बैठे ये उम्मीद कर रहे थे कि इस आदमी में विस्फोट होने वाला है और ये मरने वाले हैं। पर बन्दे में एल एस डी का एक लक्षण तक दिखाई नहीं दिया। वो बस अपना काम करते रहे बस रामदास को ये दिखाने के लिए कि तुम अपना जीवन इन बकवास चीज़ों में बर्बाद कर रहे हो। 

ये फालतू चीज़ें तुम्हें कहीं पार लेकर जाने वाला। तो रामदास के लिए उनके प्रेम के कारण या रामदास की खुद की अपनी लगन और ग्रहण करने की इच्छा के कारण निश्चित ही एक आयाम उनमें उतर गया। क्योंकि रामदास अपनी ख़ुद की क्षमताओं के कारण रामदास नहीं बने।

 रामदास अपनी साधना से रामदास नहीं बने। रामदास रामदास बन पाए सिर्फ़ इसलिए कि उन्होंने अपने जीवन में एक समझदारी का काम किया कि वो नीम करोली बाबा जैसे व्यक्ति के साथ बैठे और उनके एक ख़ास पहलू को आत्मसात किया। और नीम करोली बाबा कई खिड़कियां खोलना चाहते थे। तो उन्होंने एक खिड़की बनाकर उन्हें अमेरिका भेज दिया।