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shaabar mantra utpatti शाबर मंत्र उत्पत्ति की कथा और रहस्य ph.85280 57364

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shaabar mantra utpatti  शाबर मंत्र उत्पत्ति की कथा और रहस्य ph.85280 57364
shaabar mantra utpatti शाबर मंत्र उत्पत्ति की कथा और रहस्य

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shaabar mantra utpatti शाबर मंत्र उत्पत्ति की कथा और रहस्य शाबर मंत्र प्रयोग की यह शृंखला आगे बढ़ाने से पहले एक प्रसिद्ध कथा लिख दूं । द्वारा विजय पाने का निर्देश दिया। अतः अर्जुन को घोर जंगल में तप करना यह ‘महाभारत’ की कथा है कि महर्षि व्यास ने अर्जुन को ‘पाशुपतास्त्र‘ पड़ा।

 किरात वेश में भगवान शंकर ने उनकी परीक्षा ली। प्रसन्न होकर शंकर ने उन्हें कौरवों पर विजय पाने हेतु अपना अस्त्र प्रदान किया। उसी समय माता पार्वती ने भी शबरी का रूप धारण किया था। दीर्घकाल तक शबर-सेवकों द्वारा सेवित होने पर मां ने प्रसन्न होकर उनसे वर मांगने को कहा। उन लोगों ने निवेदन किया- “मां! 

अगर आप प्रसन्न हो तो भोले को मनाकर हम सबको ऐसे मंत्रों का उपदेश दो, जिससे हम अपढ़, अनभि के भी पाप सरलता से मिट जाएं।” माता पार्वती ने भगवान भूतनाथ को प्रसन्न देखकर अपने भक्तों की आकांक्षा कह सुनाई। 

फलस्वरूप शबर-रूपी शंकर एवं शबरी रूपिणी माता पार्वती के मुखारविंद से जो अक्षर निकले, उनके उच्चारण मात्र से सभी सिद्धियां तत्काल मिलने लगीं। इन मंत्रों में वैदिक मंत्रों की तरह उच्चारण एवं स्वर-क्रम की न तो कंठिनता होती है और न फल- सिद्धि में विलंब होता है।

 इसका एक कारण यह भी है कि अन्य सभी मंत्रों को ‘कीलित’ किया गया है, अतः वे ‘उत्कीलन’ किए जाने पर ही अपना प्रभाव दिखाते हैं, परंतु शाबर मंत्रों को कीलित नहीं किया गया है, इसलिए अन्य मंत्रों की अपेक्षा कम समय में और अल्प साधना से ही वे सिद्ध हो जाते हैं। कुछ शाबर मंत्र तो ऐसे होते हैं, जिन्हें सिद्ध करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। उनके उच्चारण से ही लाभ होता है।