हनुमान देह रक्षा मंत्र – शरीर रक्षा मंत्र- प्राण रक्षा मंत्र ph. 85280-57364

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हनुमान देह रक्षा मंत्र - शरीर रक्षा मंत्र- प्राण रक्षा मंत्र इस शाबर मन्त्र के आराध्य देवता श्री हनुमानजी हैं। इसे सिद्ध करके कहीं भी आत्मरक्षा के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।
हनुमान देह रक्षा मंत्र - शरीर रक्षा मंत्र- प्राण रक्षा मंत्र इस शाबर मन्त्र के आराध्य देवता श्री हनुमानजी हैं। इसे सिद्ध करके कहीं भी आत्मरक्षा के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।

हनुमान देह रक्षा मंत्र – शरीर रक्षा मंत्र- प्राण रक्षा मंत्र ph. 85280-57364

हनुमान देह रक्षा मंत्र - शरीर रक्षा मंत्र- प्राण रक्षा मंत्र
हनुमान देह रक्षा मंत्र – शरीर रक्षा मंत्र- प्राण रक्षा मंत्र

हनुमान देह रक्षा मंत्र – शरीर रक्षा मंत्र- प्राण रक्षा मंत्र इस शाबर मन्त्र के आराध्य देवता श्री हनुमानजी हैं। इसे सिद्ध करके कहीं भी आत्मरक्षा के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है। शत्रुदल से घिर जाने पर अथवा भूत- प्रेतादि से आक्रांत होने पर इसका पाठ करते ही सारी आपदा दूर हो जाती है।

इस मन्त्र का जप करना ‘बीर चलाना’ कहा जाता है। यदि कोई व्यक्ति इसे विधिवत् सिद्ध कर चुका है, तो वह कैसे भी संकट के समय इसकी सहायता से संकट मुक्त हो सकता है।

कोई पैशाचिक विघ्न हो, प्रेतादि वायव्य आत्माओं का उत्पीड़न हो अथवा किसी के द्वारा किया गया कोई अभिचार कृत्य पीड़ा दे रहा हो या शत्रुओं ने घेर लिया हो अथवा हिंसक पशुओं के बीच पड़ जाने से प्राण संकट उत्पन्न हो गया हो तो ऐसे सभी अवसरों पर यह मन्त्र तुरन्त ही अपनी अमोघ शक्ति से आपदा का निवारण करके साधक को संकट मुक्त कर देता है।

हनुमान देह रक्षा मंत्र – शरीर रक्षा मंत्र- प्राण रक्षा मंत्र

जय हनुमान बारा वर्ष का जवान हाथ में लड्डू मुख में पान हांक मारत आय बाबा हनुमान मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।

विशेष – जैसा कि कई बार इस बात को स्पष्ट किया जा चुका है कि किसी भी मन्त्र को प्रारम्भ में दीपावली या अन्य किसी शुभ तिथि को विधिवत् जपकर एवं हवन आदि क्रिया करके सिद्ध कर लेना चाहिए, क्योंकि सिद्ध मन्त्र ही प्रभावी होते हैं। सिद्ध किये जाने के बाद वे कभी भी पढ़े जाएं, तुरन्त अपना प्रभाव दिखलाते हैं।

साधक को प्रतिवर्ष दीपावली की आधी रात में अपने उस मन्त्र को इसी प्रकार पुनः सिद्ध करके वर्ष भर के लिए सशक्त कर लेना चाहिए। वैसे यदि कोई व्यक्ति अपने मन्त्र को प्रत्येक मंगलवार और रविवार की रात्रि में लोबान की धूनी देते हुए एक सौ पाँच सौ या एक हजार बार जप लिया करे तो वह मन्त्र निश्चित रूप से इन्द्र के वज्र की भांति अचूक, सशक्त और त्वरित परिणाम देने वाला हो जाता है।

प्रायः इस मन्त्र के सम्बन्ध में ग्रामीण जनों में कहा जाता है कि किसी ने ‘बीर चला दिया है, वस्तुतः बीर चलाना यही मन्त्र है। हनुमान जी स्वयं महावीर हैं, इसलिए उनका यह मन्त्र भी वीर की भांति चलकर अपना रहस्यमय एवं चमत्कारी प्रभाव दिखलाता है।

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