वीर हनुमान मोहिनी साधना – हनुमान वशीकरण मंत्र – विद्या ph.8528057364
वीर हनुमान मोहिनी साधना – हनुमान वशीकरण मंत्र – विद्या नमस्कार मित्रों आप सभी का गुरु मंत्र साधना में स्वागत हैं। हमारे वेबसाइट से जुड़े रहने के लिए आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद मित्रों आज एक मंत्र बताने जा रहा हु मोहिनी विद्या के बारे में बताने वाले हैं पर निर्भर करता है कि आप कितने भाव पूर्वक इस मंत्र को सिद्ध करते हैं
इससे पहले आपको बता दे कि आप भूल कर भी इसका गलत उपयोग न करें अन्यथा यह मंत्र बिल्कुल भी अपना असर नहीं दिखाएगी क्योंकि यह हनुमान जी के मंत्र हैं
वशीकरण का अर्थ – वीर हनुमान मोहिनी साधना – हनुमान वशीकरण मंत्र
पहले आपको हम वशीकरण का अर्थ बिल्कुल सरल भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं । अपनी ओर आकर्षित करना मंत्र का प्रयोग किसी व्यक्ति के ऊपर करके आप उसके मन में खुद के लिए प्रेम पैदा कर सकते हो ,या फिर आप किसी को अपने वश में करके अपने उंगलियो के इशारे पर घूम सकते हैं। मंत्र का प्रयोग करके उसके मन को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं और वह व्यक्ति आपकी हर बात मानने लगता है।
यह मंत्र कैसे काम करते है वीर हनुमान मोहिनी साधना – हनुमान वशीकरण मंत्र
आपको विस्तार से समझते हैं और यह मंत्र कैसे काम करते है मंत्र एक प्रकार की कुंजियां होती हैं मंत्र भी उनमें से एक कुंजी है और जब आप वशीकरण मंत्र का जाप करते हैं तब उसमें से जो ध्वनि तरंगें निकलती हैं। वह जिस व्यक्ति के लिए आप प्रयोग कर रहे हैं ,उसके मन के ऊपर यह तरंगे एक कंपन पैदा करती है और उसे व्यक्ति के मन की वेज को आपकी और मोड़ देती है। आपको वशीकरण शाबर मंत्र को बताते हैं इस प्रकार हैं।
वीर हनुमान मोहिनी साधना मंत्र
जती हनुमन्त कनेरी, मेरे घट पिण्ड का कौन है बैरी, छत्तीस पवन मोहि मोहि जोहि जोहि दह दह मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति फुरो नाम ईश्वरो वाचा, सत्त नाम आदेश गुरु का ।
वीर हनुमान मोहिनी साधना विधि
शनिवार से प्रारम्भ करके अगले शनिवार तक प्रतिदिन हनुमान जी की धूप-दीप- नैवेद्य से पूजा करके यह मन्त्र प्रतिदिन १४४ बार जपें। साधना के दिनों में पूरे संयम से रहें। सातवें दिन गूगल से २१ बार हवन करें। फिर चौराहे से छोटी-छोटी ७ कङ्गड़ियाँ (मिट्टी के ढेले या सिटकरे ) लायें। उन्हें धोकर कपड़े पर रखें, फिर एक- एक कड़ियों पर १-१ बार मन्त्र पढ़कर फूँक मारे। इसके बाद १४४ बार मन्त्र पढ़कर उन कङ्कड़ियों पर जल छिड़कें, फिर मन्त्र पढ़ते हुए ही उन्हें किसी कुएँ में डाल दें। जो भी व्यक्ति उस कुएं का पानी पियेगा, साधक के प्रति समर्पित रहेगा।
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