Saturday, February 15, 2025
Homeत्रिकाल ज्ञान साधनाकर्ण पिशाचिनी सिद्धि मंत्र | कर्ण पिशाचिनी विद्या ph.85280 57364

कर्ण पिशाचिनी सिद्धि मंत्र | कर्ण पिशाचिनी विद्या ph.85280 57364

कर्ण पिशाचिनी सिद्धि मंत्र | कर्ण पिशाचिनी विद्या ph.85280 57364

evil, woman, black magic

कर्ण पिशाचिनी साधना कर्ण पिशाचिनी का प्रयोग लोकसिद्धि के लिए बहुत ही प्रभावी है। यह साधना उग्र श्रेणी में आती है। अतः किन्हीं सिद्ध गुरुदेव का सहारा लेना चाहिये; अन्यथा सङ्कट में पड़ सकते हैं।

कर्णपिशाचिनी की उग्रता को कम करने के लिए घी कुवार या घृत-कुमारी नामक पौधे की जड़ और उसके पत्तों का गूदा बहुत उपयोगी है। जड़ को विधिवत् उखाड़कर सिद्ध कर अपने पास रखने से और उसके पत्तों के गूदे या रस को सारे शरीर तथा मस्तक में लगाने से उग्रता सौम्यता में बदल जाती है ।

1 कर्ण पिशाचिनी सिद्धि मंत्र

– ॐ नमः कर्ण पिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनी ! मम कर्णे अवतरावतर, अतिता नागत वर्तमनानी दर्शय, मम भविष्यं कथय कथय, ह्रीं कर्ण पिशाचिनी स्वाहा ।

लोहे का एक त्रिशूल बनाकर पञ्चोपचारों या षोडशोपचारों से उसका पूजन कर साधनास्थल में जमीन में गाड़ दें। दिन में घी का दिया जलाकर मन्त्र का ११०० जप करें। फिर आधी रात को त्रिशूल का पूजन कर घी और तेल के दीपक जलाकर ग्यारह दिन तक ग्यारह सौ मन्त्रजप करें। अन्त में ‘कर्णपिशाचिनी’ प्रकट होकर वर प्रदान करेंगी, जिससे किसी भी प्रकार के प्रश्नों का उत्तर ज्ञात होने लगेगा। यह अति उग्र साधना है। अतः सिद्ध गुरुदेव के सान्निध्य में ही करें।

 

2 कर्ण पिशाचिनी सिद्धि मंत्र

“ॐ ह्रीं चण्डवेगिनी वद वद स्वाहा ।”

साधन विधि- सर्व प्रथम इस मंत्र का १०००० जप करना चाहिए। तदुपरान्त किसी कृष्ण वर्ण ( काले रंग) की क्वारी कन्या को अभिमंत्रित कर उसका पूजन करे और उसके हाथों, पाँवों में कुकुम लगाये । अलकों में मल्लिका- पुष्प तथा कनेर के पुष्प लगाकर लाल रंग के डोरे से वेष्टित करे। इस साधन के द्वारा कर्णं पिशाचिनी यक्षिणी साधक के वशीभूत होकर उसे तीनों लोक और तीनों काल के शुभाशुभ का ज्ञान कराती रहती है। साधक को चाहिये कि वह मंत्र सिद्ध हो जाने पर अभिमंत्रित लाल सूत्र, मल्लिका पुष्प तथा लाल कनेर के पुष्प को धारण किये रहे ।

 

3 पिशाची साधन मन्त्र-

ॐ फट् फट् हुँ हुँ : भोः भोः पिशाचि भिन्द भिन्दछिन्द छिन्द लह लह दह दह पच पच मध्य मध्य पेय पेजय धून धून महासुर पूजिते हुं हूँ स्वाहा । —

साधन विधि – रात्रि के समय उच्छिष्ट मुख से श्मशान में बैठ- कर उक्त मन्त्र का जप करे। दस लाख की संख्या में जप करने से सिद्धि प्राप्त होती है तथा पिशाची साधक के समक्ष प्रकट होकर उसे अभिलाषित वर प्रदान करती और सदैव उसके वशीभूत रहती है । पिशाची जिस समय प्रकट हो, उस समय साधक को अर्ध्य, गंधादि द्वारा उसका पूजन करना चाहिए तथा जन काल में भी पूजनादि करना चाहिए । यह ध्यान रखना चाहिए कि मन्त्र जाप के समय में न तो साधक ही किसा व्यक्ति को देखे और न कोई अन्य प्राणी ही साधक को देख पाये । किसी के देख लेने पर जप निष्फल हो जाता है ।

त्रिकालदर्शी बनने की मातंगी साधना Matangi sadhna ph.85280 57364

 

 

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments