रंभा अप्सरा rambha apsara द्वारा रवि को हिलाना

रंभा अप्सरा साधना और अनुभव rambha apsara sadhna
रंभा अप्सरा साधना और अनुभव rambha apsara sadhna

रवि लाभे समय तक अपने कमरी में पढ़ रहा था तो अच्चानक उस को कैसे नींद आ गई पता ही नहीं चला कैसे नींद आ गई। सर्दी का मौसम था इस लिए चारो और सुनसान था सब लोग अपने अपने कमरे में सो रहे थे। तो अचानक रवि को किसी हलकी से स्पर्श महसूस हुआ और कोइ धीमी आवाज में बोलै रवि उठो , रवि उठो , उस टाइम वो गहरी में नीद था । तो उसको लगा शायद कोइ सपना आ रहा है फिर उसको लगा के यह कोइ सपना नहीं वो सकता तो उसने डरते हुए । अपनी आँखे खोलने की कोशिश की तो बड़ी मुश्किल से आधी आँख खुली तो उसको अच्चानक अपने कमरे से भागते हुए कोइ दिखाई दिया तो वो पोर्रे तरह से देख नहीं पाया कोण था ।

तो अचनाक उसको याद आया को उसने साधना करनी है साधना कातिमी हो गया है। तो उसने फटा फट साधना की तयारी करी उस को यह सोचना वो कोण था नहीं मिला के वो कोण था वो अपनी साधना में बिजी हो गया ।अगले दिन उसने मुझे सारी घटना के बारे में बताया !मैंने उसको इस बात को गुपत रखने के कहा अब मुझे पता था । के अभ इस की परीक्षा होने वाली है तो मैंने पहले से ही पीरक्षा की तयारी करवा दी थी ! जायदातर अप्सरा साधना की परीक्षा स्वप्न के माध्यम  से होती है । इस लेया साधक की चेतना शक्ति विकसित होनी चाहिए