रंभा  अप्सरा rambha apsara अनुभव

 

ऐसा ही हुआ था एक साधक के साथ रवि के साथ यह बात 2010  से भी पहले की उस टाइम तंत्र चलन इंटरनेट बहुत काम था उस टाइम दो या चार ग्रुप ही  थे ।  फेसबुक पर एक मेरा ग्रुप था दूसरा shaatya जोशी जी का था गुरु गम्य ग्रुप और एक अभिक पांडे  जी का था भारतीय परलौकिक विद्या इस नाम से था अभषेक पांडे  जी का मेरा ग्रुप था ।गुरु मंत्र साधना  यह दो से तीन ग्रुप ही थे अब तो ग्रुप तो बाढ़  सी आ गई  है । मैं ग्रूप में कुछ न कुछ पोस्ट करता ही रहता था मैं रभा अप्सर rambha apsara साधना डाली थी । तो उस साधना को करने के लिए रवि कुमार जी का फोनी आया के गुरु जी मैंने आप की रंभा अप्सरा साधना करनी है वो उस टाइम सरकारी टीचर की नौकरी की त्यारी कर रही थे ।उस का यह आखिर मौका था नौकरी था उसके बाद वो ओवर ऐज होने के कारन दुबारा नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर सकता था । इस के लेया वो जी तोड़ मेहनत कर रहा था । वो साथ में किसी अधियात्मक शक्ति की मदद चाहता था । इस लेया उसने रंभा अप्सरा का सोचा तो मैंने उस को रम्भा अप्सरा का दीक्षा दिया और साधना शुरू करवाई

साधना के साथ ही वो नोकरी के टेस्ट की तयारी भी कर रहा था और साथ में साधना भी इंसान हर काम के लिए परिश्रम करना पड़ता है । यह परिश्रम इंसान के होश सँभालने से शुरू हो जाता है पढ़ाई में पास होने के लिए अउ अच्छे नंबर लेने के लिए परिश्रम करो। परिश्रम के बाद उच्च शिक्षा भी हासिल कर ली अब नौकरी पाने के लेया परिश्रम करो । ऐसी सारी ज़िंदगी निकल जाती है देखा जाए तो एक आम इंसान की ज़िंदगी परिश्रम से भरी है हर छोटे से छोटे काम के लेया परिश्रम है। अगर हम एक चीज के चीज के लेया परिश्रम कर ले तो ज़िंदगी अन्य किसी काम के परिश्रम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी वो है । साधना किसी गर आप ने किसी साधन को सिद्ध कर लिया तो आप को किसी भी कार्य के लेया हाथ पैर मरने की जरूरत नहीं पड़ेगी । अब हम यह भी नहीं कहते के आप मेहनत न करो काम धाम छोड़ कर साधना ही करो सर्फ साधना ही करो आप अपने काम के साथ साथ साधना भी करो अब अपने विषय की और आते है । मैंने रवि को साधना शुरू करवाई तो साधना काल में के कुछ दिन तक कोई अनभूति नहीं होई सारा कुछ नार्मल तरीके से चल रहा था ।