क्या हम मृतात्माओं से बातें कर सकते हैं ? | मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका

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क्या हम मृतात्माओं से बातें कर सकते हैं ? | मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका  how to talk to a dead person

 

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क्या हम मृतात्माओं से बातें कर सकते हैं ? | मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका  how to talk to a dead person हमारे-आपके चारों ओर एक ऐसी भी दुनिया है जो दिखाई नहीं देती लेकिन उतनी ही वास्तविक है जितनी कि यह धरती। इस अदृश्य दुनिया के अनदेखे प्राणी बराबर इस प्रयत्न में रहते हैं कि वे आपके माध्यम से अपनी बातें कह सकें और अपनी इच्छाएं पूरी कर सकें।

तो आइए, इस रोचक लेख में इस अनदेखे प्राणियों के बारे में जाने-समझें… प्रेतात्माओं के अस्तित्व और स्वरूप को समझने से पूर्व सृष्टि की संरचना समझ लेनी आवश्यक है। हमारी धारणा यह है कि जो इन्द्रियों की पकड़ में है, वही वास्तविक है।

वास्तविकता तो यह है कि जो हमें दिखाई देता है, या जो हमें सुनाई पड़ता है, वह तो इस सृष्टि का लाखवां हिस्सा ही हो सकता है। इसके परे भी सृष्टि है, जो इन चर्मचक्षुओं से न तो दिखाई देती है और न मानव कर्ण उनकी ध्वनियों को सुन सकते हैं। पाश्चात्य विद्वान् ब्लास्की, मैडम जोन, कर्नल आंत और भारतीय मनीषी स्वामी विवेकानन्द, योगीराज सच्चिदानन्द आदि ने यह स्वीकार किया है कि इस सृष्टि से परे भी विशाल सृष्टि है और कई लोक हैं।

इन लोकों को भारतीय दर्शन मूलांक, भूलोक, भुवलोक आदि के नाम से पुकारता है। इन साधकों ने इन लोकों को देखा है, समझा है और अपने ग्रन्थों में इनका विस्तार वर्णन किया है। मिस्टर डब्ल्यू वीटर की ‘अदर साइड ऑफ़ डेथ’, श्रीमती एनी बेसेन्ट की ‘लाइफ आफ्टर डेथ’ आदि ग्रन्थ इसके उदाहरण हैं।

1 मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका – स्थूल से भी परे सूक्ष्मतर

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वास्तविकता यह है कि हम जो कुछ भी देखते है, सुनते हैं या स्पर्श करते हैं, वही राय कुछ नहीं है। यह तो केवल स्थूल है। इस स्थूल शरीर के परे भी अन्य सात प्रकार के शरीर हैं, जो क्रमशः सूक्ष्मतर होते जाते हैं। इन शरीरों को इच्छा-शरीर, भावना-शरीर, या सूक्ष्म शरीर के नामों से पुकारा गया है।

इसी पृष्ठभूमि में हम मृत्यु को समझें। ज्यों ही हमारा भौतिक शरीर समाप्त होता है, इसका विखण्डन हो जाता है। ऐसा होते ही इच्छा-शरीर स्वतः ही सक्रिय हो जाता है और अपनी ही गति से कार्य करने लग जाता है। इस इच्छा शरीर की भी एक सीमा है, एक निश्चित जीवन है।

इसके बाद इस इच्छा शरीर का भी विखण्डन हो जाता है और इससे भी सूक्ष्म शरीर क्रियाशील हो जाता है। इस प्रकार से यह निश्चित है कि जो मृत्यु होती है, वह केवल इस शरीर के बाह्यकार की होती है । इसके मूलाधार आत्मा की मृत्यु नहीं होती।

आत्मा इससे सूक्ष्म शरीर में जाकर क्रियाशील हो जाती है। सूक्ष्म शरीर भौतिक उसमें भी इच्छाएं, शरीर का सूक्ष्म रूप है। अतः आकांक्षाएं, भावनाएं बराबर सूक्ष्म शरीर इन इच्छाओं- आकांक्षाओं की पूर्ति में बराबर संलग्न रहता है। जीवित रहती हैं।

इतना होते हुए भी वह सूक्ष्म शरीर अक्षम है। मानव शरीर इच्छाओं की पूर्ति का प्रयत्न कर सकता है, परन्तु सूक्ष्म शरीर में यह क्षमता नहीं है। सूक्ष्म शरीरों में स्थित आत्माएं व्यग्र रहती हैं, इच्छाओं की पूर्ति के लिये । वे आत्माएं इसी संसार के आस-पास भटकती रहती हैं और इस प्रयत्न में रहती हैं कि जैसे भी हो, कोई मानव शरीर मिल जाए, जिसके माध्यम से वे अपनी इच्छाएं पूर्ण कर सकें।

जिस व्यक्ति में जितनी ज्यादा संवेदनशीलता होती है, वह व्यक्ति उतना ही अच्छा माध्यम बनता है। कई बार माध्यमों के बगैर ही इन सूक्ष्म शरीरों की वाणी को समझा जा सकता है। योगीजन ऐसा कर सकते हैं। इसके लिए मन की एकाग्रता जरूरी है, जो ध्यान, योगासन, आदि के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है।

इसलिये योगी सीधे ही माध्यम बन जाते हैं। सूक्ष्म शरीर कुछ समय के लिए उनके शरीर को अधिकृत कर लेता है। यह बात भी निश्चित है कि यह सूक्ष्म शरीर एक प्रकार से इच्छा- शरीर है। यह क्षण भर में दूर की घटनायें देख-सुन सकता है। अतः योगी जब भविष्यवाणी करते हैं तब सूक्ष्म शरीरों की इन आत्माओं के माध्यम से ही करते है ।

इन आत्माओं को कोलाहल या तीव्र प्रकाश सह्या नहीं होता । अतः ये मद्धिम रोशनी तथा बिल्कुल शान्त वातावरण में ही आती है और पूछने पर बात कहती हैं तथा अपने अनुभव सुनाती हैं।

इन आत्माओं से सम्पर्क स्थापित करने के लिए कई साधन है, जिनमें प्लेंचित प्रयोग, तिपाई प्रयोग, उंझा बोर्ड प्रयोग, स्वतः लेखन प्रयोग, माध्यम प्रयोग आदि प्रचलित है।

2 मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका – प्लेंचित

आत्मायों से सम्पर्क स्थापित करने के लिए प्लॅचित का प्रयोग काफी समय से किया जाता रहा है। प्लेंचित लकड़ी का सपाट तख्ता होता है, जो चौकोर या पान की शक्ल का होता है।

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इसमें नीचे की तली में दो बालबियरिंग लगा दिए जाते हैं, जिसके छर्रे ऊपर की ओर रहते हैं। इससे चारों तरफ घूमने में आसानी रहती है। नीचे नोक वाले भाग में एक सुराख़ होता है जिसमें पेंसिल खोंस दी जाती है। इस प्रकार बालबियरिंग और पेंसिल का छिला हुआ सिरा एक सीधी स्थिति में आ जाते है । शान्त वातावरण में विशेषकर रात्रि में एक कमरे में चार-पांच व्यक्ति मद्धिम रोशनी में बैठ जाते हैं।

प्रयोग से पूर्व यदि कमरे को धोकर साफ कर लिया जाए और प्रयोग के समय कोई सुगन्धित अगरबत्ती लगाई जाए, तो अच्छा रहता है। चार- पांच व्यक्तियों में यदि एक-दो औरतें हों तो उचित रहा है। औरतें अपेक्षाकृत ज्यादा संवेदनशील होती है, और आत्माओं के लिए अच्छा माध्यम बन सकती हैं । जब यह प्रयोग प्रारम्भ करना हो तब तीन या पांच व्यक्ति उस प्लेंचित पर अपनी एक-एक उंगली हल्के से रख दें और फिर अपने मन में किसी मृतात्मा का आह्वान करें।

यह कोई आवश्यक नहीं है कि जिस मृतात्मा का आह्वान करें वह वहां आ ही जाए क्योंकि कई बार जिस मृतात्मा का हम आह्वान करते हैं, वह सुक्ष्म शरीर से भी कोई और किसी अन्य ऊँचे लोक में चली गई होती है। ऐसी स्थिति में उसका आना सम्भव नहीं होता ।

प्रत्येक व्यक्ति अपने मन में एक-एक मृतात्मा का आह्वान करता है। उनमें से कोई एक मृतात्मा अवश्य ही कुछ मिनटों के अन्दर आ जाती है। इसका प्रमाण यह है कि जब मृतात्मा आती है, तब वह पेंसिल स्वतः ही घूमने लगती है। इसकी जांच के लिए आप धीरे से प्रश्न कीजिए कि क्या आप आ गए हैं ?

तब मृतात्मा पेंसिल की नोंक से ‘हाँ’ या ‘येस’ शब्द लिखेगी। ऐसी स्थिति में आपको यह आभास हो जायगा कि मृतात्मा आपके पास मौजूद है। इसके बाद जब आप उसका नाम पूछेंगे तब आप देखेंगे कि आपके हाथों की उंगलियों के स्पर्श से ही वह पेंसिल घूम रही है और अपना नाम लिख रही है।

जब प्लेंचिट या पेंसिल रुक जाए तब आप कागज पर उसका नाम आसानी से पढ़ सकते हैं। इस बात का ध्यान रहे कि मृतात्मा अत्यन्त ही भावुक और संवेदनशील होती है, इसलिये उसे छोटी सी अवज्ञा या अपमान से क्रोध आ जाना स्वाभाविक है |

इसलिये अत्यन्त विश्वासपूर्वक और श्रद्धापूर्वक नम्रता के साथ प्रश्न करना चाहिए। इस प्रयोग में मृतात्मा का पढ़ा-लिखा होना आवश्यक है।

कई बार ऐसा भी अनुभव में आया है कि ज्यों ही हम यह प्रयोग प्रारम्भ करते हैं, त्यों ही स्वतः ही कागज पर उल्टी-सीधी लकीरें बन जाती है या पेंसिल थरथराती है, परन्तु वह लिखती कुछ भी नहीं है। ऐसी स्थिति में यह समझ लेना चाहिए कि मृतात्मा पढ़ी-लिखी नहीं है। जब यह ज्ञात हो जाए तब उसे नम्रता पूर्वक विदा करके किसी अन्य मृतात्मा का आह्वान करना चाहिए।

3 मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका- तिपाई

a black and white photo of a woman holding a rose

इंग्लैण्ड आदि देशों में टेबल का या तीन पैरों बाली तिपाई का ही प्रयोग किया जाता हैं । इसमें तिपाई के दो पैरों के नीचे कागज को मोड़ कर रख दिया जाता है तथा तीसरे के पैर के नीचे कोई चीज न रहने से वह सामान्यतया कुछ ऊँचा उठ जाता है। यदि तिपाई के उस कोने को हल्के से कम्पन के साथ दबाया जाए तो नंगे फर्श पर उस टेबल के पैर से खट-खट की ध्वनि निकलती है। शान्त वातावरण में ३ से ५ व्यक्ति टेबल के इर्द- गिर्द बैठ जाते हैं।

जब मृतात्मा का आह्वान किया जाता है तब स्वतः ही यह टेबल पैर से खट की ध्वनि करता है। इससे यह ज्ञात हो जाता है कि उस कमरे में मृतात्मा का आह्वान हो चुका है। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि उन तीन या पांच व्यक्तियों के हाथों का हल्का सा स्पर्श टेबल पर बना रहे । इसके बाद थोड़े से उच्च स्वर में मृतात्मा को समझा दिया जाता है कि यदि प्रश्न का उत्तर हाँ में देना हो तो एक बार खट की ध्वनि की जानी चाहिए और यदि नहीं में उत्तर देना हो तो दो बार ध्वनि होनी चाहिए।

अब आप अपने प्रश्न कर सकते हैं। प्रश्नों का क्रम स्पष्ट और सही तरीके से होना चाहिए। उदाहरण के लिए- १. क्या आप आ गए हैं ? खट | इ२. क्या आप हमारे प्रश्नों के उत्तर देना चाहेंगे ? – खट । ३. क्या राजेन्द्र इस समय दिल्ली में है ?- खट-खट । ४. क्या वह इस शहर में ही है? खट |

4 मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका- उंझा

इस प्रयोग में एक बोर्ड का उपयोग होता है, जो कि अण्डाकार लकड़ी का तख्ता होता है और इसके नीचे एक लकड़ी से तख्ते पर घिर्निया बंधी हुई होती है जिससे कि यह हल्के से स्पर्श से ही बाएं या दाएं घूम सकती है।कोई मानव शरीर मिल जाए, जिसके माध्यम से वे अपनी इच्छाएं पूर्ण कर सकें।

इसके सामने एक नोकदार चिन्ह होता है तथा सामने एक तख्ती लगी रहती है जिस पर ‘ए’ से लेकर ‘जेड’ तक अक्षर समान दूरी पर लिखे होते हैं तथा १ से ९ तक के तथा शुन्य के अंक भी लिखे होते हैं | जब प्रयोग करना हो, तब एक साफ धुले हुए कमरे में एक या तीन या पांच व्यक्ति बैठ जायें और कमरे का दरवाजा थोड़ा-सा खुला रखें। इसके बाद किसी मृतात्मा का आह्वान करें जो कि सामान्यतः अंग्रेजी पढ़ा-लिखा हो। (ऊंझा बोर्ड पर अंग्रेजी के ही अक्षर लिखे होते हैं। यदि उस बोर्ड पर हिन्दी के अक्षर लिखे हों तो हिन्दी पढ़े-लिखे किसी मुतात्मा का आह्वान भी किया जा सकता है ।)

इसके बाद प्रयोग करने वाला उंझा बोर्ड के सामने बैठ जाए और अपना दाहिना हाथ धीरे से उंझा बोर्ड पर रख दे। इस बात का ध्यान रखे कि हाथ अत्यन्त हलके रूप में बोर्ड को स्पर्श करता हो। इसके बाद किसी मृतात्मा का आह्वान करे और उससे प्रश्न करे।

प्रश्न करने के बाद आप अनुभव करेंगे कि वह बोर्ड स्वतः ही चलने लग गया है, और बोर्ड के सामने की सूई एक-एक अक्षर पर टिककर दाएं- बाएं घूमकर अगले अक्षर पर टिक जाती है और इस प्रकार आपके पूछे गए प्रश्न का उत्तर दे देती है। कई बार प्रश्नों के उत्तर देने के बाद मृतात्मा उत्तर देना बन्द कर देती है।

इससे यह समझ लेना चाहिए कि या तो मृतात्मा इस प्रश्न का उत्तर देना नहीं चाहती या वह थक गई है। ऐसी स्थिति में उससे यह प्रश्न पूछ लेना चाहिए कि क्या आप थक गए हैं? उत्तर हां में मिलने पर उस मृतात्मा को विदा कर देना चाहिए और किसी अन्य मृतात्मा का अह्वान किया जाना चाहिए।

 5 मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका स्वतः लेखन

इस पद्धति का पाश्चात्य देशों विशेष रूप से इंगलैण्ड में बहुत अधिक प्रयोग होता है। इस सम्बन्ध में यूरोप के प्रसिद्ध विद्वान मिस्टर होम के प्रयोग विश्वविख्यात हैं। इस प्रयोग में किसी ऐसे माध्यम की आवश्यकता होती है जो शान्त, सरल और निष्कपट हो |

यदि वह बालक हो तो उत्तम होगा। उनके मन में इस विद्या से संबन्धित किसी प्रकार की उपेक्षा या घृणा के भाव न हों। उसके हाथ में एक पेंसिल और खाली कागज दे दिया जाता है। उसके बाद किसी मृतात्मा का आह्वान किया जाता है और यह प्रार्थना की जाती है कि वह बालक के माध्यम से प्रश्नों के उत्तर दे । आह्वान करने के कुछ समय बाद वह बालक अर्धचेतन सा लगने लगेगा। ऐसा अनुभव होगा कि उस बालक को नींद सी आ रही है।

वह लगभग तन्द्रावस्था में दिखाई देगा। जब ऐसी स्थिति आ जाए तब यह समझ लेना चाहिए कि उस बालक के शरीर में मृतात्मा का आह्वान हो चुका है। इसके बाद आप उससे प्रश्न कीजिए और वह आपके प्रश्नों के उत्तर उस कागज पर बराबर देता रहेगा।

इससे कई हत्याकाण्डों के गुप्त रहस्य, षड़यंत्र और भविष्य में होने वाली अनेक अद्भुत बातें स्पष्ट हुई हैं। श्रीमती अरुणा कुमारी भारत में विख्यात महिला है। उनके पति श्री नरपतसिह का कुछ समय पहले निधन हो गया था तब से वह पूर्णतः साधु जीवन व्यतीत करती है।

स्वतः लेखन प्रयोग का यह महिला एक जीता जागता उदाहरण है। इस महिला के माध्यम से उसके पति ने ८०० पृष्ठ लिखे थे, जिसमें इस बात का वर्णन था कि उसकी हत्या किन परिस्थितियों में हुई। इसी सूचना के आधार पर हत्यारे पकड़े जा सके थे। यह बात ध्यान देने योग्य है कि ये पृष्ठ अंग्रेजी भाषा में लिखे गए थे और स्वयं माध्यम ( अरुणा कुमारी) को अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं है।

गत वर्ष मेरे एक परिचित व्यक्ति ने मुझ से इस प्रकार का प्रयोग सीख कर अपने घर में एक व्यक्ति के माध्यम से मृतात्मा का आह्वान किया । जो व्यक्ति माध्यम बना था उसकी उम्र लगभग २२ वर्ष की थी परन्तु वह माध्यम सरल, निष्कपट और भोला-भाला था। व्यक्ति ने आह्वान तो किसी अन्य मृतात्मा का किया था, परन्तु उससे पूर्व ही किसी दुष्ट मृतात्मा ने उस युवक के शरीर में प्रवेश कर लिया और प्रयोग कर्त्ता के प्रश्नों के उत्तर देने शुरू कर दिए।

जब प्रश्नोत्तर समाप्त हो गए और प्रयोगकर्त्ता ने उसे जाने के लिए कहा तब मृतात्मा ने जाने से इंकार कर दिया और कहा कि मैं इस घर को बरबाद करके ही जाऊंगा परन्तु मेरी इच्छा पूरी कर दी जाय तो मैं तुरन्त चला जाऊंगा | प्रयोगकर्त्ता ने जब उसकी इच्छा पूछी, तो माध्यम द्वारा उत्तर दिया कि मैं तुम्हारी पुत्री के साथ सम्भोग करने की इच्छा रखता हूं। उसकी वह मांग नितान्त अनुचित थी । जब प्रयोगकर्ता ने यह बात मानने से इन्कार कर दिया, तब उसने देखा की कुछ समय बाद ही माध्यम की आँखें पथरा गई हैं। और उसके मुह से सफेद-सफेद झाग निकल रहा है।

 

ऐसा लग रहा था जैसे उस माध्यम का गाला दबाया जा रहा हो। यही नहीं, कुछ समय बाद प्रयोगकर्त्ता के घर के पर्दों में आग लग गई और दूसरे दिन तो घर में बहुत अधिक उपद्रव हुआ। मृतात्मा की एक मांग थी कि यदि मेरी इच्छा पूरी नहीं की गई तो मैं तुम्हारे घर के सभी सदस्यों की हत्या कर दूंगा और इसके लिए मैं केवल तीन दिन का समय देता हूँ ।

प्रयोगकर्त्ता घबरा गए और उन्होंने तुरन्त मुझे टेलीफोन किया। दूसरे ही दिन मैंने वहां जाकर उस मृतात्मा से बात की और समझा-बुझा कर उसे जाने के लिये कहा परन्तु उसने जाने से मना कर दिया। तब कुछ विशेष मन्त्रों के प्रयोग से उस मृतात्मा को हटाना पड़ा। जब ऐसी विकट परिस्थिति उत्पन्न हो जाए तब क्रोध या जिद्द न करके नम्रतापूर्वक उस मृतात्मा को प्रस्थान करने के लिए कहना चाहिए।

 6 मरे हुए इंसान से बात करने का तरीका – माध्यम प्रयोग

इस प्रयोग को कहीं पर भी किसी भी समय किया जा सकता है। भारत में अधिकतर यही प्रयोग किया जाता है। इसमें किसी साफ, चिकनी सतह पर चाक से या किसी रंग से एक सफेद घेरा बना लेना चाहिए और उस घेरे के चारों तरफ अक्षर लिख लेना चाहिए तथा १ से ९ तक के अंक भी इसी घेरे के बाहर क्रम से लिख लेने चाहिए। जब प्रयोग करना हो तो एक साफ कटोरी घेरे के बीच में उल्टी रख देनी चाहिए । रखने के पूर्व एक माचिस की तीली जलाकर उसे कटोरी में घुमा कर वह कटोरी शुद्ध कर लेनी चाहिए तथा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कमरे का वातावरण पूर्णतया शान्त हो ।

बहुत ही हल्की रोशनी हो तथा कमरे में कोई सुगन्धित अगरबत्ती लगी हुई हो। इस प्रयोग में तीन व्यक्ति भाग ले सकते हैं। तीनों व्यक्तियों को चाहिए कि वे अपनी तर्जनी उंगली का हल्का सा स्पर्म उस कटोरी पर रखें और किसी ऐसी प्रेतात्मा का आह्वान करें जो सामान्य पढ़ी-लिखी हो ।

जब वह मृतात्मा आ जाएगी तब उस कटोरी में स्वतः कम्पन प्रारम्भ हो जायेगा और वह बिना दबाव दिए ही अपने स्थान से अक्षरों तथा अंकों के बीच घूमने लग जाएगी या सरकने लग जाएगी। अब ऐसी स्थिति का जाए तब हमें प्रश्न करने चाहिए। इसी प्रकार के एक प्रयोग में मैंने एक मृतात्मा का आह्वान किया और उससे निम्न प्रकार से प्रश्नोत्तर हुए

: १- इस घर में चोरी कब हुई ?

उत्तर मिला — परसों।

२- क्या सोने का जेवर इस घर से बाहर ले जाया गया है ?

उत्तर मिला — नहीं।

३- क्या चोर इस घर का है, या बाहर का ?

उत्तर — घर का ही। मिला

४- चोर कौन है ?

उत्तर मिला — राकेश |

५- राकेश तो गृह स्वामी का पुत्र है ?

उत्तर मिला – – हाँ ।

६- क्या उसने चोरी की है ?

उत्तर मिला — हाँ ।

७- उसने सोने का गहना कहाँ रखा है ?

उत्तर मिला — छत पर कबाड़खाने में ।

जब ऊपर जाकर कबाड़खाना खोला गया, तो कोने में एक डिब्बे में छिपाया हुआ सोने का आभूषण मिल गया। इस प्रकार मृतात्मा के माध्यम से खोए हुए व्यक्ति, चोरी की हुई वस्तु, परीक्षा का परिणाम आदि कई प्रश्नों के उत्तर ज्ञात कर सकते हैं। वास्तविकता यह है कि हम में और प्रेतात्मा में कोई अन्तर नहीं है।

हमारे पास भौतिक शरीर है, जबकि उनके पास सूक्ष्म शरीर है। सूक्ष्म शरीर के माध्यम से ये बहुत शीघ्र अत्यन्त दूर जा सकते हैं और सम्बन्धित सूचना एकत्र करके हमारे प्रश्नों के जवाब दे सकते हैं। हम इस भौतिक शरीर से ऐसा नहीं कर पाते।