प्राचीन चमत्कारी ब्रह्मास्त्र माता बगलामुखी साधना अनुष्ठान Ph. 85280 57364

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बगलामुखी साधना   के लाभ  Benefits of Baglamukhi Sadhana

प्राचीन चमत्कारी ब्रह्मास्त्र माता बगलामुखी साधना अनुष्ठान

तंत्रशास्त्र में माँ बगलामुखी के इस तांत्रिक अनुष्ठान को ब्रह्मास्त्र तंत्र प्रयोग के नाम से जाना गया है। इस ब्रह्मास्त्र तंत्र प्रयोग की मदद से शत्रुदमन, मुकदमाबाजी, लड़ाई-झगड़े के साथ-साथ प्रतियोगिताओं में पूर्ण विजय पाने, असाध्य रोगों के जाल में पड़ जाने, दुर्घटना आदि से रक्षा के लिये, भूत-प्रेत आदि के प्रकोप से बचे रहने एवं अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव को शान्त करने उद्देश्य के लिये भी किया जाता है। पौराणिक उल्लेख है कि ब्रह्मास्त्र नामक इस तंत्र प्रयोग का सबसे पहले अनुष्ठान ब्रह्मा जी ने ही सम्पन्न किया था। ब्रह्माजी के उपरान्त इस तांत्रिक अनुष्ठान को परशुराम जी ने विधिवत् सम्पन्न किया था ।

परशुराम को ही शाक्त मत एवं बगलामुखी अनुष्ठान का प्रथम आचार्य माना गया है। परशुराम से यह विद्या पाण्डव – कौरवों के आचार्य द्रोण ने प्राप्त की थी और इस महाविद्या को पूर्णता के साथ सिद्ध किया था । माँ बगलामुखी के शुभ आशीर्वाद से आचार्य द्रोण को युद्ध में परास्त करने की सामर्थ्य किसी भी महारथी के पास नहीं थी । माँ बगलामुखी की तांत्रिक साधना करने का उल्लेख त्रेतायुग में भी मिलता है। लंकापति रावण इस विद्या के परम साधक थे, इस ब्रह्मास्त्र विद्या को उनके ज्येष्ठ पुत्र मेघनाथ ने भी सिद्ध किया था।

माँ बगलामुखी की अनुकंपा से मेघनाथ लंका दहन के समय हनुमान जी के वेग को नियंत्रित करने में सक्षम हो पाये थे । बालि पुत्र अंगद भी बगलामुखी महाविद्या के परम साधक माने गये हैं। माँ बगलामुखी की स्तंभन शक्ति के बल पर ही रावण की सभा में अंगद जमे हुये पैर को उठाने की बात तो दूर, रावण के सेनानायक पांव को हिला तक नहीं पाये थे। वास्तव में बगलामुखी का यह ब्रह्मास्त्र तंत्र प्रयोग बहुत ही अद्भुत है।