Home दैविक साधना हनुमान जी की तंत्र साधना Hanuman Tantra Sadhana PH. 85280 57364

हनुमान जी की तंत्र साधना Hanuman Tantra Sadhana PH. 85280 57364

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हनुमान जी की तंत्र साधना  Hanuman Tantra Sadhana PH. 85280 57364
हनुमान जी की तंत्र साधना Hanuman Tantra Sadhana PH. 85280 57364

हनुमत साधना हनुमान जी की तंत्र साधना Hanuman Tantra Sadhana का विधान

हनुमत साधना की प्रक्रिया : वैसे तो इस हनुमत साधना को अपनी सुविधानुसार कितने भी दिनों तक जारी रखा जा सकता है, लेकिन किसी परीक्षा अथवा स्पर्द्धा में उच्च स्थान प्राप्त करने के लिये अगर इस साधना को सम्पन्न करना हो तो उसके लिये ग्यारह दिन तक ही इस साधना को जारी रखना पर्याप्त रहता है। ग्यारह दिनों की साधना से ही साधक को इच्छित फल की प्राप्ति होने के अवसर बनने लगते हैं ।

 

इस हनुमत साधना को अगर मंगलवार या शनिवार के दिन से शुरू किया जाये तो हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं । इसी प्रकार अगर इस साधना को किसी प्राचीन हनुमान जी के मंदिर में हनुमान जी की विशेष पूजा करके सम्पन्न किया जाये तो इसका फल तत्काल रूप से मिलता है अन्यथा इस साधना को घर पर भी सम्पन्न किया जा सकता है ।

 

मंगलवार अथवा शनिवार के दिन उपवास रखें। उपवास के दौरान एक-दो बार दूध, फलों का सेवन किया जा सकता है। संध्या के समय नहा धोकर और स्वच्छ वस्त्र पहनकर हनुमान जी के मंदिर जायें। मंदिर में सबसे पहले हनुमानजी को घी – सिन्दूर से चोला चढ़ायें। उन्हें पुष्पमाला अर्पित करें।

हनुमान जी को फल और नैवेद्य अर्पित करें। नैवेद्य के रूप में चूरमे का भोग लगाया जाये अति उत्तम है अन्यथा मोतीचूर के लड्डू प्रसाद रूप में अर्पित किये जा सकते हैं। सबसे पहले हनुमानजी के सामने लाल रंग का ऊनी आसन बिछा कर बैठ जायें। हनुमान जी के चरणों में शुद्ध रक्तचंदन की माला रखें।

इसके अलावा हनुमान जी के सामने एक घी का दीपक जलाकर भी रख दें । शुद्ध गुग्गुल धूप अथवा लोबान धूप जला कर रखें। अपनी आंखें बंद करके पूर्ण एकाग्रता के साथ प्रार्थना करें। जिस निमित्त इस हनुमत साधना को सम्पन्न किया जा रहा है, उस बात का विशेष रूप से उल्लेख करें ।

हनुमान जी से तत्काल इच्छित अभिलाषा की पूति का निवेदन करें। तत्पश्चात् हनुमान जी से मंत्रपाठ की आज्ञा प्राप्त करके अग्रांकित मंत्र का जाप प्रारम्भ करें। अगर हनुमान जी की साधना में लाल रंग के वस्त्र पहनकर अथवा लंगोट व जनेऊ पहनकर बैठा जाये तो और भी अच्छा रहता है। मंत्रजाप शुरू करने से पूर्व हनुमान जी को समर्पित की गई रक्तचन्दन माला को अपने हाथों में ग्रहण कर लें तथा पूर्ण एकाग्रता के भाव के साथ अग्रांकित मंत्र का ग्यारह • माला जाप कर लें ।