Monday, February 17, 2025
Homeदस महाविद्याप्राचीन चमत्कारी ब्रह्मास्त्र माता बगलामुखी साधना अनुष्ठान Ph. 85280 57364

प्राचीन चमत्कारी ब्रह्मास्त्र माता बगलामुखी साधना अनुष्ठान Ph. 85280 57364

माँ बगलामुखी का ध्यान मंत्र– ॐ सौवर्णा सनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लासिनीं । हेमा भांगरूचिं शशांक मुकुटां सच्चम्प कस्त्रग्युताम् । हस्तैर्मुद्गरपाश वज्र दशनांः संविभूतीं भूषणै ॥ व्यप्तिगीं बगलामुखीमुखी त्रिजगतां संस्तम्भिनीं चिन्तयेत् ॥

 माँ का ध्यान करने के पश्चात् माँ के अग्रांकित मंत्र की प्रतिदिन ग्यारह मालाओं का जप करना होता है। जप अगर हरिद्रा माला के ऊपर अथवा लघु पंचमुखी रुद्राक्ष माला के ऊपर किया जाये तो शीघ्र प्रभावी होता है । माँ बगलामुखी का यह छत्तीस अक्षरों का मंत्र है। इस मंत्र में अद्भुत शक्ति सन्निहित है। मंत्र में ह्रीं बीज मंत्र माँ की असीम शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जो समस्त ऐश्वर्य, सुख-सम्पदा, ऋद्धि-सिद्धि को प्रदान करने वाला है। यद्यपि बगलामुखी मंत्र का पूर्ण पुरश्चरण सवा लाख या पांच लाख मंत्रजप से पूर्ण होता है, किन्तु साधारण साधकों का कार्य छत्तीस हजार मंत्रजप से ही पूर्ण हो जाता है।

बगलामुखी मंत्र इस प्रकार है

मंत्र इस प्रकार है- ॐ ह्रीं बगलामुखीमुखि, सर्वदुष्टानां वाचं मुखं परं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ फट् ॥

बगलामुखी का मंत्रजाप सम्पन्न हो जाने के पश्चात् मिट्टी की हांडी में निरन्तर लौबान, पीली सरसों, श्वेत चंदन, जवा कुसुम, हल्दी, धूप लक्कड़ आदि के मिश्रण से आहुति देते हुये इक्कीस बार बगलामुखीमुखी के आगे लिखे गये कवच का पाठ भी कर लेना चाहिये । अपनी सामर्थ्य अनुसार कवच पाठ की आवृत्ति ग्यारह या सात अथवा तीन बार रखी जा सकती है। माँ का यह कवच सभी तरह के अभिचार कर्मों, तांत्रोक्त क्रियाओं एवं अन्य तरह की आपदाओं से रक्षा प्रदान करने वाला है। अगर माँ के इस रक्षा कवच का नियमित रूप से पूर्ण भक्तिभाव से पाठ किया जाये तो उससे ही भक्त साधक अनेक परेशानियों से बचे रहते हैं। ऐसे साधकों पर किसी भी तरह के तांत्रोक्त प्रयोग सफल नहीं हो पाते। इनके सामने शत्रु भी अपने को अहसाय महसूस करते रहते हैं । अग्नि को आहुति अर्पित करते समय समिधा में थोड़ा सा गाय का घी भी मिला लेना चाहिये। माँ के अनुष्ठान का पाठ करते समय एक विशेष बात का ध्यान रखना चाहिये कि कवच पाठ से पूर्व एवं कवच पाठ पूर्ण होने के पश्चात् 21-21 बार माँ को उपरोक्त मंत्र का उच्चारण करते हुये अग्नि में आहुतियां प्रदान करनी चाहिये । इस कार्य से माँ बगलामुखी शीघ्र प्रसन्न होती ही है, साथ ही भैरव जैसे अन्य देव भी कृपा प्रदान करने लगते हैं।

Rodhar nath
Rodhar nathhttp://gurumantrasadhna.com
My name is Rudra Nath, I am a Nath Yogi, I have done deep research on Tantra. I have learned this knowledge by living near saints and experienced people. None of my knowledge is bookish, I have learned it by experiencing myself. I have benefited from that knowledge in my life, I want this knowledge to reach the masses.
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