Saturday, March 29, 2025
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sham Kaur Mohini माता श्याम कौर मोहिनी की साधना और इतिहास -ph.85280 57364

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sham Kaur Mohini माता श्याम मोहिनी  का इतिहास

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sham Kaur Mohini माता श्याम मोहिनी का  इतिहास – शयाम कौर मोहिनी sham Kaur Mohini के बारे में जानना है तो  तो नरकासुर को जानना होगा नरकासुर से शयाम कौर sham Kaur Mohini  का सीधा संबंध है। नरकासुर जो पृथ्वी का पुत्र था इसे विष्णु का भी पुत्र माना गया था। भगवान विष्णु की कृपा से ही राजा बना था। उसके बाद यह दुर्गामासुर और है  बाणा सुर के संपर्क में आया।  और इसके अंदर राक्षसी गुण पैदा हो गया उस गुण को प्रबल करने के लिए ,अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए नरकासुर ने ब्रह्मदेव की कठिन साधना की और वरदान के रूप में यह माँगा  कि मेरा वह कोई देव असुर  गंधर्व यक्ष किन्नर नाग भी ना मेरा वध  न कर सके।   देवी शक्ति और न तो उनकी अवतार कर सकें और उसके पश्चात नरकासुर दुर्गामासुर और हयग्रीव मिलकर एक योजना बनाते हैं उस योजना के तहत है हयग्रीव वेदों की चोरी कर लेता है

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यानी सृष्टि से ज्ञान नष्ट वाणासुर  वेदमाता गायत्री का अपहरण कर लेता है चोरी कर लेता है। अर्थात वेदों की माता भी गायब और नरकासुर देवी लक्ष्मी का अपहरण कर लेता है। अर्थात ज्ञान ही निष्क्रिय बना देता है सृष्टि को विष्णु हग्रीव  के वध के लिए है अवतार लिया  और दुर्गामासुर के वध  के लिए  देवी दुर्गा ने दुर्गा अवतार लिया।  इन दोनों का अंत तो हो गया नवरात्रि के ही पास  नरकासुर को वरदान प्राप्त था।  उसे कोई भी देवी शक्ति नहीं मार सकती है इसलिए नरकासुर को प्रभावित करने के लिए देवी कामाख्या अपने भैरव भयंकर भैरव के साथ नरकासुर को सम्मोहित करती हैं और देवी लक्ष्मी को मुकत  करती  है। लेकिन वहां पर नरकासुर का वध नहीं होता है

नरकासुर को यह बात समझ में आ जाती है कि भले ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त किए हैं ,लेकिन कामाख्या तो मुझसे भी बड़ी शक्ति है और वहीं से नरकासुर देवी कामाख्या का साधक बनता है। समय बीतता चला गया द्वापर युग में और भगवान श्री कृष्ण अपने जीवन में कभी भी किसी भी युद्ध में किसी महिला को लेकर नहीं गए थे  लेकिन कृष्ण के बात  जानते थे ,कि नरकासुर का वध मैं नहीं कर पाऊंगा कोई देवी शक्ति आसुरी शक्ति नहीं कर पाएगी न कोई  अवतार नरकासुर का वध कर सकता है।  इसलिए उस युद्ध में भगवान कृष्ण ने सत्यभामा को लेकर गए और वहीं पर सत्यभामा को अपना आधार बनाया सत्यभामा श्याम कौर मोहिनी है श्याम अर्थात कृष्ण कौर अर्थात राजकुमारी जिसे प्रिय कहते है 

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वह श्याम कौर मोहिनी हैं परंतु नियति का बल और कर्म के फल के आगे किसी की नहीं चलती सबको भोगना पड़ता है।  चाहे वह देवी   भी हो चाहे देवता। कंस किसी को  अपना नहीं मानता था कंस के वध के पश्चात कृष्ण धर्म  के इलावा किसी को अपना नहीं मानते थे  सब सब बांधो को छोड़  दिए।  तुम जिस का वध करते हो उसका कुछ दुर्गुण भी तुम्हें प्राप्त होता है निश्चित है और देवी सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया। क्योंकि  सत्यभामा तो देवी शक्ति थी ना तो अवतारी शक्ति  थी। मनुष्य की शक्ति थी और जब मनुष्य की शक्ति थी तो भगवान श्री कृष्ण ने इन्हें उस अवस्था में लेकर आए

जहां पर इन्हें देखकर नरकासुर सम्मोहित हो गया नरकासुर के साथ नरकासुर की तामसिक शक्ति  थी।  और वो कामाख्या का भक्त था।  साथ में ही उसे ब्रह्मदेव के द्वारा वरदान प्राप्त था कोई अवतार देवी देवता  मार पाएगा तो सत्यभामा अपने सुंदरता के बल पर उसे मोहित की और उसका वध किया भगवान श्रीकृष्ण ने उनके बंदी 16000 स्त्रियों को छुड़ाया धर्म का कार्य किया।   नरकासुर को मारने के पश्चात सत्यभामा में  अहंकार  और क्रोध  जैसे गुण  राक्षसी गुण  प्रबल होने लगे और यही कारण था कि देवी सत्यभामा जोकि कृष्णप्रिया थी क्या  अर्थात श्याम कृष्ण की राजकुमारी थी पटरानी थी। उनके अंदर भी थोड़ा अहंकार  आने लगा देवी आगे  चलकर सत्यभामा श्याम कौर मोहिनी sham Kaur Mohini बनी।

 

Rodhar nath
Rodhar nathhttp://gurumantrasadhna.com
My name is Rudra Nath, I am a Nath Yogi, I have done deep research on Tantra. I have learned this knowledge by living near saints and experienced people. None of my knowledge is bookish, I have learned it by experiencing myself. I have benefited from that knowledge in my life, I want this knowledge to reach the masses.
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