Thursday, January 30, 2025
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pachaguli sadhna पंचांगुली साधना सम्पूर्ण रहस्य विस्तार सहित ph.8528057364

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pachaguli sadhna पंचांगुली साधना सम्पूर्ण रहस्य विस्तार सहित प्रणाम संपूर्ण ब्रह्मांड अज्ञात शक्ति के द्वारा चलता है जिसे हम ब्रह्मा कहते हैं । ब्रह्म आधार ईश्वर सर्वत्र समान व्याप्त होते हुए भी इस समस्त ब्रह्मांड से दूर है । उसी ब्रह्म के विस्तार को हमने माया के रूप में जाना है और माया की निरंतरता कछु प्रतीक है ।

 माया का जो प्रथम शस्त्र है उसे काल कहा जाता है । अर्थात समय निरंतर बहता है 3 वर्ष कोई नदी निरंतर बहती रहती हो । निर्वाचन किस समय कभी निश्चित है ब्रम्हांड बना समय की उत्पत्ति हुई पिछले कल भी था अभी भी है और आने वाले कल में भी होगा वही काल कहलाता है । इस कॉल को समझना साधक के लिए परम अनिवार्य तत्व कहा गया है अगम निगम दोनों ही ग्रंथों में काल स्वयंसेवक के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं

महाकाल कौन है प्रथम देव है । स्वयं को इस काल के उस पार जाने का ज्ञान देते हैं । जिनके भीतर एक ऐसी दिव्य शक्ति निहित है । कि वह साधक को त्रिकाल का ज्ञान देने में सर्व समर्थ होते हैं । वर्तमान काल को हमें कैसे जीना चाहिए । पुराना भूतकाल होने लगे तो वह एक उत्तम कार हो जाए आज ऐसा कौन सा कृत्य कर के आने वाले समय में सुबह ही उत्तम भविष्य हो जाए ।

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ऐसे ही काल ज्ञान कहा जाता है । और ज्ञान विशेष विधि द्वारा प्राप्त होने वाला क्या है भारतीय ऋषि-मुनियों ने आदिकाल से लेकर वर्तमान युग तक सरकार की पद्धति से साधना की है । काल को जान सके ब्रह्मांड को जान सके  । इसके लिए ज्ञान नाम की विद्या प्रदान की गई है । और काल क्या समय जानना है ।अपितु काल ज्ञान का तात्पर्य है होने तक का संपूर्ण चक्र यदि समझना है ।

 

 तो हमें kaal  ज्ञान साधना करनी होगी प्रकाश ज्ञान साधना विशेषताओं में से एक साधना है । लेकिन प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक साधक का ज्ञान के विराट स्वरूप और विराट प्रपंच को सरलता से नहीं समझ पाता इतनी इतनी विराट नहीं क्यों संपूर्ण ब्रह्मांड के बारे में सोचें अपने ही बारे में सोचना चाहता है ।

 

इसीलिए दृश्यों ने इसे बहुत सूक्ष्म निकाय से शुरू किया सामुद्रिक शास्त्र उससे भी छोटे नीचे के स्तर पर उसे कहा गया हस्तरेखा मस्तिष्क विज्ञान अंक विज्ञान प्रदर्शन भविष्य दर्शन और त्रिकाल ज्ञान भूत और भविष्य का और साथ ही साथ वर्तमान का विज्ञान प्राप्त कर सकें ।इसके लिए  एक शक्ति की पूजा की गई स्वरूप की वंदना की गई है जिसे त्रिकाल का ज्ञान देने वाली कहा गया और उसे पंचांगुली कह कर संबोधित किया गया शक्ति क्या है

उसी प्रकार ब्रह्मांड में 5 अंगुलियां हैं जिन्हें हम पंचतत्व कहते हैं चित्रों को संचालित करने वाली है और जिसकी अपनी उंगलियों में पंचांगुली नाम की शक्ति है साधक को त्रिकालदर्शी बनाती है । और भविष्य का ज्ञान प्रदान करते हैं । इसीलिए काले होने की महा साधना है तंत्र में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जो कम से कम काल ज्ञान और पंचांगुली साधना को संपन्ना करना चाहिए

अत्यंत जटिल और विराट विद्या इस विद्या को प्राप्त करना चाहिए। पंचांगुली देवी की साधना कैसे हो का मंत्र क्या है साधना विधान क्या है । ज्योति प्रकाश समझना चाहिए ब्रह्मांड की बात छोड़ कर यदि हम अपने शरीर को देखें तो यह भी कुछ छुपा है । हर दृष्टि हम कहीं तो हाथों की रेखाएं तो केवल किस लिए बनी है कि मैं हाथों को तोड़ मरोड़ सकूं ।

लेकिन इसके पीछे के हाथों को तोड़ मरोड़ करता है अंगुलियों की बनावट हड्डियों की बनावट त्वचा नाखून और एक रेखा आपके बारे में कुछ बताती है । बहुत बढ़िया तो उन्होंने उन्होंने शरीर पर तिल विज्ञान को ढूंढा शरीर के अंग अंग पर तिल होने पर क्या होगा ।आकृति नाथ की आकृति सर की आकृति शरीर की आकृति हाथों की रेखाओं के साथ-साथ पैरों की रेखाएं के बनावट प्रत्येक तत्वों को देखा पूर्वाभास के क्षमताओं को विचारा ।

अंत में एक महाशक्ति से जुड़ा हुआ पाया जिससे पंचांगुली कहा जाता है ।अर्थात ब्रह्मांड को अपने पांच उंगलियों पर करने वाली ब्रह्मांड को पांच उंगलियों के द्वारा संचालित करने वाले शक्ति ही पंचांगुली नाम की महाशक्ति है। पंचांगुली साधना क्यों आने वाले हैं ।

साधना से आपको मुद्दा गंभीरता प्रतिवेदन मिलती है कि आप पृथ्वी पर कैसे जीवन जीना हैं इसकी आपको प्राप्त होते हैं । शत्रु तो कहीं मित्र  है तो  कहीं निरंतर हो रहा है

कभी शब्द के पीछे इतने अधिक पड़ जाते हैं कि व्यक्ति विचलित होकर आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगता है । अध्यात्म के शिखर को पाना चाहता है ।तो कभी राज्य सत्ता के शिखर को प्राप्त करना चाहता है ।

पर जाना चाहता है जाना चाहता है तो उनके निमित्त पंचांगुली साधना मौलिक साधना की गई करने वाला भूत वर्तमान और भविष्य की पारीक रखता है । जुड़कर भविष्य लगता है इसलिए गुरुओ का कथन है पंचांगुली साधना से व्यक्ति अपने भूत और वर्तमान को भी देख सकता है अद्भुत भारतीय साधना को कैसे सफल किया जाए ब्रह्मांड को आप जानना चाहते हैं फिर आप जीवन और मरण के बंधन को समझने के योग्य हो जाते हैं ।

आपके समस्त कष्टों का हरण करने वाली है । क्योंकि यदि आपको आज ही पता हो कि कल आपके साथ पूरा होने वाला है ।तो आप तपोबल और साधना से भविष्य को सुधारने में समर्थ हो सकते हैं । अपने जीवन में मनचाहा परिवर्तन ला सकते हैं । कुंडली में ग्रहों के दर्शाए उत्तर नहीं है तो आप से परिवर्तित कर सकते हैं यदि आपके में कोई भावना हो सकते हैं

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 और आप इसी कारण  साधना बेहद बेहद और अत्यंत विराट साधना है देने के लिए अति संक्षेप में आपको की पंचांगुली देवी उसका साधना विधान समझाने के लिए प्रेरणादायक बताने के लिए कुछ शब्द आपको कहे  । लेकिन शब्दों में इस महाविद्या को नहीं  जान सकते। सर्वप्रथम पंचांगुली काल ज्ञान मंत्र लेना चाहिए और इत्यादि सहित अन्य मंत्रों का भी हवन करना चाहिए जिससे पंचांगुली साधना प्राप्त कर सकते हैं

कि शास्त्र सम्मत इसी प्रकार शास्त्र ने प्राचीन समय से ऋषि होने पर गुरुओं ने क्या है तो पंचांगुली साधना आप अपने जीवन में कर सकें आप अपने हाथों की रेखाओं में क्या छुपा है यह जान सके चेहरे की आकृति और बनावट में क्या छुपा है यह जान सकें और भविष्य के आने वाले समय में आपके लिए क्या छुपा सके और आने वाले वक्त को बदल सकें आशीर्वाद आपको देता हूं

 मंत्र के माध्यम से आपको देवी माता की स्तुति करनी चाहिए ।और देवी की सिद्धि के लिए प्रथम पात्रता अर्जित करने का की प्रमुख मंत्र है । इसी मंत्र से आपको पात्रता प्राप्त होगी और आप अपने गुरु के पास जाकर इस देवता को प्राप्त कर सकेंगे भूमिका में प्रणाम ओम नमः शिवाय ।

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Rodhar nath
Rodhar nathhttp://gurumantrasadhna.com
My name is Rudra Nath, I am a Nath Yogi, I have done deep research on Tantra. I have learned this knowledge by living near saints and experienced people. None of my knowledge is bookish, I have learned it by experiencing myself. I have benefited from that knowledge in my life, I want this knowledge to reach the masses.
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