Wednesday, August 6, 2025
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karna pishachini कान में भूत भविष्य वर्तमान बताने वाली साधना के नुकसान karna matangi vartali devi

karna pishachini कान में भूत भविष्य वर्तमान बताने वाली साधना के नुकसान karna matangi vartali devi

 

karna pishachini कान में भूत भविष्य वर्तमान बताने वाली साधना के नुकसान karna matangi vartali devi गुरु मंत्र साधना.कॉम में आप सबका फिर से स्वागत है। आज का जो हमारा टॉपिक रहने वाला है, वह रहेगा कि जो शक्तियां कान में आपका भूत, भविष्य, वर्तमान काल बताती हैं, उसके साइड इफ़ेक्ट क्या होते हैं।

देखिए, हमारे पास बहुत सारे ऐसे केस आ रहे हैं, जिन्होंने कर्ण मातंगी की साधना को करा, कर्ण पिशाचिनी को करा या फिर वार्ताली देवी को करा या हनुमान जी की कोई सिद्धि करी। कान में बताने वाली लगभग जितनी भी साधनाएं हैं, जिन-जिन लोगों ने करी हैं, उनको उस चीज़ के साइड इफ़ेक्ट दिख रहे हैं। मेरे को फोन कर रहे हैं कि यह साइड इफ़ेक्ट हो रहा है, वह हो रहा है। इसमें क्या साइड इफ़ेक्ट होते हैं, उसके बारे में मैं बात करूंगा।

पिछले दो-चार दिन पहले ही मेरे पास एक साधक आया था, जिसने हनुमान जी की कान में भूत, भविष्य, वर्तमान काल बताने वाली साधना को करा था। साधना बिल्कुल उसकी अच्छी चल रही थी। उसने साधना को कम्प्लीट करा। कुछ दिन बाद ही उसके कान में दर्द होना शुरू हो गया। बहुत सारे डॉक्टरों के पास उसने दिखाया, बहुत सारे टेस्ट करवा दिए और टेस्ट में कुछ नहीं आता था।

karna pishachini कान में भूत भविष्य वर्तमान बताने वाली साधना के नुकसान karna matangi vartali devi
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कान उसका दर्द करता रहता है, निरंतर कान दर्द करता रहे। बंदा दुखी होकर मेरे को फोन करता है, “गुरु जी, मेरे कान में दर्द हो रहा है बहुत ज़्यादा और बहुत सारे डॉक्टरों को दिखा चुका हूँ।” तो मैंने करी थी हनुमान जी के कान वाली साधना।

जब उसने मेरे को विधि-विधान बताया तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए क्योंकि वह विधि-विधान ही गलत था। ज़्यादातर जो लोग इंटरनेट से साधना करते हैं, उनके साथ यही होता है। एक अच्छे गुरु से मार्गदर्शन लेकर साधना करिए, फिर आपको कोई दिक्कत नहीं है।

कुल मिलाकर, फिर आगे मैंने उसका समाधान बताया। उस समाधान से उसके जो कान में दर्द होता था, जड़ से खत्म हो गया। ऐसे बहुत सारे साधक आ चुके हैं हमारे पास। कर्ण मातंगी के साधक, हर तरीके के साधक आ चुके हैं।

जिन्होंने कर्ण पिशाचिनी करी थी, एक ऐसे साधक हैं पालमपुर से, उसके कान के अंदर निरंतर ही रक्त निकलता है, खून निकलता रहता है। जब भी वह वैसे उंगली लगाता है, तो खून आता है और उसके अंदर दर्द भी होता है।

कान के अंदर कभी-कभी, जैसे वह रात को सोता है, तो कोई कान के अंदर बहुत ज़ोर से चीख मारता है। वह रात को सही से सो भी नहीं पाता है। इस तरीके से साइड इफ़ेक्ट हो रहे हैं, जो कान में साधना कर रहे हैं। कुछ लोगों के कान दर्द हो रहे हैं, खून आ रहे हैं, रात को सो नहीं पाते हैं। देखिए, तरह-तरह के साइड इफ़ेक्ट उन लोगों को हो रहे हैं।

तो इस चीज़ से बचने के लिए आपको तो मैं एक चीज़ ही बोलूंगा कि आप बिना गुरु मार्गदर्शन के कोई भी साधना ना शुरू करें, नहीं तो आपको इसी तरीके से दिक्कत आ सकती है। स्पष्ट रूप में मैं बात करता हूँ, क्योंकि ये बहुत बड़ी शक्तियां हैं।

अगर थोड़ा सा भी काम बिगड़ जाता तो कुछ लोग ज़िंदगी भर के लिए बहरे भी हो सकते हैं, चाहे वह हनुमान जी की साधना हो, चाहे वह कर्ण मातंगी की हो, चाहे वार्ताली की हो। किसी भी तरह की साधना हो, बिना गुरु मार्गदर्शन के ना करें तो बेस्ट है।

करोगे, तो फिर भाई भरोगे। कुछ ऐसे लोग भी हैं जो ज़िंदगी भर के लिए बहरे हो गए। एक व्यक्ति अमन नरुला है, उसने भी कर्ण पिशाचिनी की साधना शुरू करी। मतलब अघोरी से मंत्र लेकर उसने साधना शुरू करी और अघोरी ने इसको मंत्र दे दिया, “इस तरीके से कर लो भाई।

और जैसे उसने कुछ दिन साधना करी, उसके बाद क्या हुआ, कर्ण पिशाचिनी आई और कान में उसने भयंकर सी चीख मारी, भयंकर सी चिल्लाई, फूँक मारी। फूँक मारने से क्या हुआ, ज़िंदगी भर के लिए वह व्यक्ति बहरा हो गया। आज की डेट में भी वह व्यक्ति बहरा है।

ऐसा काम कभी ना करें जिससे आपको साइड इफ़ेक्ट हो। हमेशा जो भी साधना करो, एक अच्छे गुरु के मार्गदर्शन में करो, तो ही आपके लिए सही है, नहीं तो आपको बहुत सारे साइड इफ़ेक्ट भोगने पड़ सकते हैं।

आज के लिए बस इतना ही। आप मेरे को आज्ञा दीजिए, फिर हम नए टॉपिक के ऊपर बात करेंगे।

Rodhar nath
Rodhar nathhttp://gurumantrasadhna.com
मैं रुद्र नाथ हूँ — एक साधक, एक नाथ योगी। मैंने अपने जीवन को तंत्र साधना और योग को समर्पित किया है। मेरा ज्ञान न तो किताबी है, न ही केवल शाब्दिक यह वह ज्ञान है जिसे मैंने संतों, तांत्रिकों और अनुभवी साधकों के सान्निध्य में रहकर स्वयं सीखा है और अनुभव किया है।मैंने तंत्र विद्या पर गहन शोध किया है, पर यह शोध किसी पुस्तकालय में बैठकर नहीं, बल्कि साधना की अग्नि में तपकर, जीवन के प्रत्येक क्षण में उसे जीकर प्राप्त किया है। जो भी सीखा, वह आत्मा की गहराइयों में उतरकर, आंतरिक अनुभूतियों से प्राप्त किया।मेरा उद्देश्य केवल आत्मकल्याण नहीं, अपितु उस दिव्य ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाना है, जिससे मनुष्य अपने जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझ सके और आत्मशक्ति को जागृत कर सके।यह मंच उसी यात्रा का एक पड़ाव है — जहाँ आप और हम साथ चलें, अनुभव करें, और उस अनंत चेतना से जुड़ें, जो हमारे भीतर है ।Rodhar nathhttps://gurumantrasadhna.com/rudra-nath/
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