Dhanteras 2025 धनतेरस पर अष्टलक्ष्मी रहस्य धन वर्षा रहस्य

🌟 परिचय: लक्ष्मी के प्रकार और श्री का महत्व
आपके घर की दक्षिण दिशा में अगर पूरी रात तक कोई दीपक जला सके अखंड ज्योत, आपका असामयिक मृत्यु, अकाल मृत्यु टल जाएगा। यह यमराज जी का वरदान है। आयुर्वेद के अंदर यह जो धनिया है ना, यह जो सब्जी में हम खाते हैं, बहुत आपको लगता होगा साधारण सी चीज है, नहीं नहीं, यह बहुत महत्वपूर्ण एक जड़ी-बूटी है।
नमस्कार, नमो नारायण। दिवाली के पर्व की सजावट, दिवाली के पर्व की रोशनी घर-घर दिखाई देने लगी है, और हम आज धनतेरस, धनलक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी की बात करने जा रहे हैं। जगत में किसको लक्ष्मी नहीं चाहिए ? लेकिन क्या आपको पता है, लक्ष्मी कितने प्रकार की होती है ?
आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, भाग्य लक्ष्मी, विजयालक्ष्मी और विद्या लक्ष्मी। आठ प्रकार की लक्ष्मी होती है, और हम ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि गांधी छाप एक ही लक्ष्मी होती है।
नहीं, जिस तरह से लक्ष्मी आठ प्रकार की होती है, उसी तरह से आठ स्त्रोतों की रक्षा करने वाली भी लक्ष्मी जो होती है, वह क्या आठ हैं? सोत्र आध्यात्मिक है, भौतिक धन है, कृषि है, राज परिवार है, ज्ञान है, साहस है, संतान है, और जीत है। इन सब में लक्ष्मी जी का बहुत बड़ा महत्व है।
जीवन में आपके पास सब कुछ हो अगर श्री नहीं है, क्योंकि श्री में ये आठों आठ आ जाएगी। गीता जी का वह श्लोक है ना: यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम जहां कृष्ण हैं, वहां श्री रहेगी।
तो सीधी सी बात है, जिस व्यक्ति के पास, जिस मनुष्य के पास श्री नहीं है, वह दरिद्र है, क्योंकि श्री के बिना श्रीहीन हो जाते हो। हम अपने नाम में श्री या श्रीमती क्यों लगाते हैं?
हम सबको श्री की आवश्यकता है। तो श्री का पर्व दिवाली पर धनतेरस, और धनतेरस के दिन अगर ठीक से लक्ष्मी पूजन आप करते हैं, तो पूरे वर्ष उसकी कृपा बनी रहती है।
🙏 धनतेरस पर विशेष पूजन और पंजीकरण
आप मित्रों के अनुरोध पर, जैसे कि मैंने बताया था कि ऑफलाइन तो हम नहीं, संसाधन सीमित होने से आपको नहीं बुला पाए संस्कार केंद्र पर, लेकिन ऑनलाइन हमारा धनतेरस का विशेष पूजन होने जा रहा है।
धनतेरस का योग सिर्फ दो घंटे, छ: से आठ। करना क्या है? विवरण में दिया हुआ लिंक है, उस लिंक पर जा करके आपको रजिस्टर करना है। जितनी जल्दी हो सके, आप इसको करेंगे, और धनतेरस के दिन आप अपने सामने अपना श्रीयंत्र अथवा तो लक्ष्मी जी की मूर्ति ले कर के बैठेंगे।
मैं स्वयं जो-जो चीजें लक्ष्मी जी की पूजा के लिए शास्त्रोक्त पद्धति से है, वह करेंगे, और साथ में इसमें होम भी होगा। सहस्रनाम का, ललिता सहस्रनाम के हजार नाम होंगे, श्री यंत्र का अभिषेक होगा। तो बाद में वह प्रोग्राम ही जाएगा, परंतु लाइव देखने का एक आनंद, उसमें भाग लेना एक अलग आनंद है। तो मिलते हैं 10 तारीख शुक्रवार को धनतेरस के दिन।
🛍️ धनतेरस पर खरीदारी और बचत का महत्व
तो धनतेरस का महत्व हजारों सालों से हमारे परंपरा में आपने अगर देखा होगा, तो हमारे नाना नानी, दादा दादी चांदी की कोई ना कोई चीज खरीद किया करते थे। चांदी की ही क्यों ? क्योंकि चांदी एक तो शुद्ध है, ठंडी है, और चांदी का लक्ष्मी जी से बहुत बड़ा संबंध है, जुड़ाव है।
बाद में जब हमारी इनकम थोड़ी बहुत कम हुई होगी, तो लोगों ने स्टील के बर्तन, तांबे के बर्तन, पीतल के बर्तन लेने भी शुरू किए, लेकिन इसमें एक दूसरा राज क्या है ?
हमारे ऋषि मुनि, हमारे पूर्वज इतने स्मार्ट थे, इतने इंटेलिजेंट थे कि वह उस समय तो बैंकिंग सिस्टम विकसित नहीं था ना, बैंकिंग सिस्टम था नहीं, यह पेपर करेंसी नहीं थी, सारे की सारी मेटल्स के ऊपर चल रहा था। तो प्रत्येक घर में कुछ बचत हो, हर साल कुछ उसके लिए सिक्योरिटी बढ़े, तो आप कैसे बढ़ाओगे ?
तो उसको धर्म से जोड़ कर के उन्होंने धनतेरस के दिन कुछ खरीदारी करो, सोने की, चांदी की, तांबे की, पीतल की, कम से कम कुछ जोड़ो, तोड़ो मत, जोड़ो। तो आप भी इस धनतेरस को कुछ जोड़ें, शुभ संकल्प ले कर के जोड़ें।
🪔 दीपदान का महत्व और यमराज का वरदान
दूसरा धनतेरस के दिन दीपदान भी होता है। यह जो पर्व है, ये तीन पर्व एक साथ आ जाते हैं। दीपदान का महत्व क्या है ? कहानी तो उसमें मैं आपको बताऊंगा अगर, चलते चलते राजा हेम की। कि राजा हेम जो हैं, उनको किसी ज्योतिषी ने बताया, पुराण की कहानी है, कि ज्योतिषियों ने बताया कि भई आप, आपके बेटे की अगर शादी होती है, तो चौथे दिन के बाद ही उसका मृत्यु का योग बनेगा।
तो राजा हेम ने कहा, तो फिर मुझे अपने बेटे को ऐसी जगह भेज देना चाहिए जहां पर उसको लड़की या कोई स्त्री का दर्शन ही ना हो, पर विधि के विधान को कोई तोड़ नहीं सकता।
राजा हेम ने अपने बेटे को ऐसी जगह भेजा, जहां कोई स्त्री का उसको दर्शन नहीं हो रहा था, लेकिन उस प्रकृति, उस विराट, उस कॉस्मिक डिज़ाइन के अंदर एक दिन एक राजकुमारी उसी एरिया से गुजरती है, और राजा हेम के पुत्र की उस पर नजर पड़ती है।
दोनों में प्रेम होता है, दोनों गांधर्व विवाह करते हैं। विवाह के होते ही चौथे दिन जो मृत्यु योग था, वह सामने आ गया।
अब जब चौथे दिन मृत्यु योग आ गया, तो यमराज के दूत उसको लेने के लिए पहुँच गए। तो राजा हेम की बहू, नवविवाहिता थी, चौथे दिन का मतलब विधवा योग।
खूब कल्पाती है, हृदय से रोदन करती हुई विलाप करती है, और ऐसा विलाप, ऐसा विलाप कि यम दूतों के हृदय भी पिघल गए।
तो उनमें से एक यमदूत यमराज जी से पूछता है कि प्रभु, आप इस तरह से जो यह मृत्यु के देवता हैं, और इस तरह से खींच के ले आते हैं, लोग इतना रोदन करते हैं, क्या कोई रास्ता नहीं है कि मृत्यु को असामयिक रोका जा सके? इतनी जवानी में यह राजा का बच्चा मर रहा है, तो उसको कैसे रोकें हम?
यमराज जी कहते हैं कि देखो, विधि के विधान को मैं भी नहीं बदल सकता हूँ। मैं भी एक ड्यूटी कर रहा हूँ, जैसे पुलिस वाला अगर किसी को पकड़ता है, तो वह ड्यूटी कर रहा है, उसका कोई व्यक्तिगत उससे दुश्मनी नहीं है। तो मैं ड्यूटी कर रहा हूँ, और ड्यूटी के तहत मृत्यु के अधीन मुझे वह आत्मा ले लेनी पड़ती है।
पर हाँ, मैं एक रास्ता बता देता हूँ कि अगर धनतेरस वाले इसी दिन, कार्तिक मास की जो ये आएगी त्रयोदशी, कि इसी दिन घर की दक्षिण दिशा में, आपके घर की दक्षिण दिशा में अगर पूरी रात तक कोई दीपक जला सके, अखंड ज्योत।
बहुत अच्छा, नहीं जला सकते हो, कम से कम सूर्यास्त के बाद थोड़ी देर के लिए ही दीप प्रज्वलित कर लो, तो आपका असामयिक मृत्यु, अकाल मृत्यु टल जाएगा। यह यमराज जी का वरदान है। तो धनतेरस का एक यह महत्व रहा।
⚕️ धनवंतरी भगवान और लक्ष्मी जी का प्राकट्य दिवस
फिर धनतेरस का दूसरा महत्व क्या है? ऐसा कहा जाता है कि अमृतमंथन के समय इसी दिन धनवंतरी भगवान का जन्म हुआ है। धनवंतरी भगवान अपने हाथ में अमृत का कलश ले कर के बाहर प्रकट होते हैं, और धनवंतरी भगवान, आपको पता ही है, आयुर्वेद के भगवान माने जाते हैं, और भारत सरकार ने इस दिन को आयुर्वेद दिवस घोषित किया हुआ है।
तो धनवंतरी जी आयुर्वेद के अंदर तो पूजनीय हैं ही, लेकिन मैं मानता हूँ कि जो भी सनातनी, उनको धनवंतरी भगवान के विषय में थोड़ा बहुत जान लेना चाहिए। थोड़ा सा गूगल करके पढ़ोगे, धनवंतरी जी की कृपा प्राप्त करोगे, तो आपको यह असामयिक रोग या बीमारियाँ, दुख, क्लेश नहीं होंगे, क्योंकि धनवंतरी जी जो हैं, वह इन सभी का निदान करने के लिए सक्षम माने जाते हैं।
दूसरा, इसी धनतेरस के दिन माँ लक्ष्मी जी का भी प्रकट दिवस माना जाता है कि वो अमृत मंथन हो रहा था, उसमें से लक्ष्मी जी प्रकट होती हैं।
तो यह दिन लक्ष्मी जी से भी जुड़ा हुआ है। अब जब हम लक्ष्मी जी का पूजन करते हैं, तो लक्ष्मी जी के पूजन में आपने देखा होगा जो सजावट होते हैं फोटोज के, वह धनवंतरी जी भी उनमें रखे जाते हैं .
कुबेर देवता या कुबेर का यंत्र होता है, माँ लक्ष्मी होती है, गणेश होता है, और भगवान विष्णु। भगवान विष्णु क्यों? क्योंकि लक्ष्मी जी तो विष्णु के साथ रहेंगी, तो विष्णु जी रहेंगे ही रहेंगे। तो श्री रहेगी तो श्रीपति रहेंगे, नाथ रहेंगे।
तो यह अपने आप में फ्रेम पूरा होता है, और गणेश जी और लक्ष्मी जी के संयुक्त होने की कहानी हम ऑलरेडी कहीं बोल चुके हैं, तो आप देख लेना कि जहाँ लक्ष्मी जी रहेंगी, वहाँ गणेश जी उनके मानस पुत्र के तरीके से रहते हैं।
🧘 ध्यान तेरस, धन्य तेरस और महावीर का निर्वाण
अब धनतेरस, इसमें तेरह ही क्यों है? तेरस मतलब तेरह। तेरह क्यों है ? अगर आप गहराई से सोचोगे, तो सब कुछ दीना आपने, बेटा, दरू क्या मैं नाथ। नमस्कार, बेटा हमारी आप स्वीकार कर लो, तेरा तेरा, सब कुछ तेरा है। नानक कहते हैं ना, सब तेरा है, मेरा कुछ नहीं।
लेकिन धनतेरस का एक और अर्थ जो हम मानते हैं, वह है धन्य तेरस और एक है ध्यान तेरस। धन्य और ध्यान क्यों? ध्यान तेरस इसीलिए कहा जाता है कि भगवान महावीर इसी दिन तीसरे और चौथे ध्यान में गए, और तीन दिन के बाद योग निरोध करते निर्वाण को प्राप्त होते हैं।
दिवाली के दिन महावीर जी की निर्वाण तिथि है वह। तो धनतेरस अपने आप में, क्योंकि दिवाली के यह जो दिन है ना, बड़े शुभ हैं।
जितना हो सके, किसी को उलझना मत, किसी से उलझन वाली बातें मत करना, बिल्कुल आनंद रहना, और जितना हो सके, पूजा पाठ है, नित-नेम, दान पुण्य, गरीबों को देखना, शुभ शुभ करना, तो सब शुभ शुभ होगा।
🌱 धनतेरस पर धनिया का प्रयोग और स्वास्थ्य लाभ
उसी दिन धनतेरस के दिन साबुत धनिया होते हैं, साबूत धनिया तो आप मसाला यूज़ करते हैं, तो धनिया जो होता है, साबूत धनिया भगवान धनवंतरी को अर्पित किए जाते हैं, और कुछ धनिये साबुत अपने तिजोरी में लोग रखते हैं।
वह धन का प्रतीक है, और कुछ लोग उन्हीं दानों को, उन जो धनिया के बीज हैं, उनको जमीन में बो देते हैं, और उनमें से हरे धनिये निकलते हैं। मैं आपको बताऊँ, आयुर्वेद के अंदर यह जो धनिया है ना, यह जो सब्जी में हम खाते हैं, बहुत आपको लगता होगा साधारण सी चीज है, नहीं नहीं, यह बहुत महत्वपूर्ण एक जड़ी-बूटी है, और उसकी बहुत से उपयोग, सदुपयोग हैं।
आज का विषय नहीं है, क्योंकि आज का आपका विषय तो लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है, तो मैं उसको कहाँ सब्जी में ला रहा हूँ, लेकिन याद रखिएगा, यह जो धनिया है, बहुत ही उत्तम, स्वास्थ्यवर्धक, और काफी कुछ साधना में, आध्यात्मिकता में भी उसका महत्व होता है।
🛐 समापन और निवेदन
तो जैसे कि मैंने आपको बताया कि भगवान धनवंतरी जी की वह कहानी, कलश ले कर पैदा होना, और जैन आश्रम में धनतेरस को बहुत महत्व दिया गया है। धनतेरस के विषय में अगर हम और आगे आगे आगे आपको बताते जाएँगे, तो आप कहोगे कि धनतेरस के आगे दिवाली भी तो आती है, उसके विषय में कब बताओगे ? तो मैं तो यही कहूँगा कि अष्टलक्ष्मी की आप पूजा उस दिन व्यवस्थित करें।
अष्टलक्ष्मी का स्तोत्र का पाठ करें, पर आपको मिल जाता है, और जितना हो सके, दीपदान के मनोभाव से दक्षिण दिशा में दीप को प्रज्वलित करेंगे। धनिया वाली बात मैंने आपको कही है, उसका इस बार प्रयोग करेंगे, आपको बहुत बहुत फायदा होगा, पूरे साल फायदा होगा, और हर साल इसको नियम में बना दें।
आने वाली पीढ़ियों को यह संस्कार दें। हमारी संस्कृति और हमारे संस्कार जो हैं, वो इतने हजारों-हजारों सालों से यह वैज्ञानिक तरीके से जाने माने गए हैं।
इनको अपनी पीढ़ियों तक धरोहर समझकर पहुँचाएँ, और इन पर्वों पर, रोशनी के इन पर्वों पर अपने मन के भीतर भी रोशनी लाएँ, अड़ोस-पड़ोस में भी रोशनी लाए, अपने भाइयों, बहनों और धर्म से जुड़े हुए, संस्कृति से जुड़े हुए लोगों के मन में खुशियाँ आए, इसके लिए मिठाइयाँ वगैरह का अरेंजमेंट है।
पर एक करबद्ध हाथ जोड़ कर के निवेदन, स्वदेशी बनिए, स्वदेशी चीजों का उपयोग करिएगा। विदेशी और देश के जो दुश्मन हैं, उनके लिए कुछ भी आपको करना नहीं है।
तो आज इतना ही। फिर मिलेंगे अगले पोस्ट में, अगले विषय को ले कर। तब तक के लिए नमो नारायण।