दस महाविद्या: मां भैरवी का रहस्य और साधना

मां भैरवी साधना रहस्य Bhairavi Sadhana rahasya मां भैरवी के जो कॉन्सर्ट हैं वो भैरव हैं, गॉडेस ऑफ डेथ हैं और आपको वो सबसे पहला साइन ये देंगी कि आपके स्वप्न में आएंगी। थोड़ा डरा देने वाला भी स्वरूप जो है वो मां भैरवी का। पहले आपको मां काली को साधना होगा और उससे भी पहले मां दुर्गा को साधना। तो मां भैरवी की एनर्जी बहुत-बहुत फियर्स है, वो आराम से आपको नहीं बताएंगी।
तो इन्होंने अपनी जो शक्तियां थीं वो कम्बाइन करके अर्धनारीश्वर के फॉर्म में उसका संहार किया था। नहीं, हमें मां भैरवी की पूजा करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए? तो आप उनकी फियर्स फॉर्म में ही पूजा करें जो रात को आप करेंगे। सब 10 महाविद्या में आप पीरियड्स में पूजा कर सकते हैं। पांचवें दिन इनका हम जो है आह्वान कर सकते हैं। चेंज इज द रियलिटी ऑफ लाइफ।
नमस्कार, आज हम आपके लिए लेकर आए हैं 10 महाविद्याओं में से पांचवी महाविद्या मां भैरवी को लेकर एक खास लेख और इस लेख में हम बात करेंगे कि मॉडर्न वर्ल्ड में मां भैरवी का क्या महत्व है, किन बातों का खास ख्याल मां भैरवी की पूजा के लिए रखना चाहिए और बहुत सारे ऐसे किस्से और कहानियां मां भैरवी से जुड़ी हुई हैं जिनके रहस्य से आज हम पर्दा उठाने वाले हैं।
मां भैरवी का स्वरूप और आधुनिक महत्व
सबसे पहले तो यही कि मां भैरवी के रूप और स्वरूप को लेकर भी बहुत सारी बातें होती हैं। थोड़ा डरा देने वाला भी स्वरूप जो है वो मां भैरवी का और मॉडर्न वर्ल्ड में बात करें तो किस तरह से देखते हैं मां भैरवी को ?, मां भैरवी एक बहुत ही पावरफुल और फियर्स महाविद्या हैं।
यह जो हमारी महाविद्या की सीरीज है, उसमें मेरा यही प्रयत्न रहता है कि हम इन महाविद्याओं को एक आम आदमी तक बहुत ही सिंपल तरीके से पहुंचाएं।
मां भैरवी के जो कॉन्सर्ट हैं वो भैरव हैं और मां भैरवी अपने में इतनी परिपूर्ण और संपूर्ण हैं कि वो गॉडेस ऑफ डिस्ट्रक्शन हैं, गॉडेस ऑफ डेथ हैं।
अब आज की डेट में डेथ और डिस्ट्रक्शन को अगर कोई सुने तो वो एकदम डर जाएगा। लेकिन मैं ये बताना चाहती हूं अपने पाठकों को कि डेथ और डिस्ट्रक्शन से डरने की जगह हमें इसको अच्छे से समझना चाहिए। डेथ किसकी? डेथ हमारी ईगो की। डिस्ट्रक्शन किसका? डिस्ट्रक्शन हमारे अहंकार का।
मां भैरवी साधना रहस्य असुर प्रवृत्तियों का विनाश
पहले क्या होता था कि जब असुर होते थे और बहुत संग्राम होता था देवों और असुरों के बीच में तो हर एक चीज को मारना या किसी पर विजय प्राप्त करना एक असुर पर होता था।
लेकिन आज वो असुर क्या हैं? आज हम बाहु के काल में जी रहे हैं। मैं यह कहूंगी कि यह बिल्कुल गलत नहीं है कि हम सबके ऊपर एक-एक असुर ही सवार है।
जो हमारी प्रवृत्ति हो गई है कॉम्पिटिशन की, ट्रेड की, रेप की, जेलसी की, लस्ट की, ग्रीड की, किसी भी तरीके से अपना काम बनवाना, ये एक असुर प्रवृत्ति है।
वो अपने भीतर जो एकदम पल रहा है… हां, जो हमारी डार्कनेस है, वो एक असुर प्रवृत्ति है। तो जब हम मां भैरवी के बारे में बात करते हैं, इन्होंने लॉर्ड भैरव के साथ अंधक असुर को मारा था।
क्योंकि उसको यह वरदान था कि ना वो किसी स्त्री के हाथ से मर सकता है, ना किसी पुरुष के हाथ से। तो इन्होंने अपनी जो शक्तियां थीं वो कम्बाइन करके अर्धनारीश्वर के फॉर्म में उसका संहार किया था।
मां भैरवी साधना रहस्य – जीवन में विनाश का सकारात्मक पक्ष
तो कभी-कभी जब हम मां भैरवी की बात करते हैं, हम बात करते हैं डेथ और डिस्ट्रक्शन की। इससे डरने की जगह हमें यह सोचना चाहिए कि क्या हमारे शरीर में हर चीज की डिस्ट्रक्शन कॉन्स्टैंटली हो नहीं रही? आप ये देखिए ना, डेज़ के अंदर-अंदर हमारी सारी लाइनिंग जो है बॉडी की वो चेंज हो जाती है।
हमारी स्टमक की लाइनिंग चेंज हो जाती है, हमारे ब्रेन की लाइनिंग चेंज हो जाती है, हमारा ब्लड फिर से फ्रेश बनता है। तो जो डिस्ट्रक्शन है, जो लय है, जो एक साइकिल है डिस्ट्रक्शन का, वो तो ऑलरेडी सब जगह हो रहा है। तो हम डिस्ट्रक्शन को अलग से क्यों देखें? डिस्ट्रक्शन होगा तभी किसी नई अपॉर्च्युनिटी का जन्म होगा।
मां भैरवी की साधना और अनुभव
तो मां भैरवी को अगर हमें समझना है 10 महाविद्या में और जो मैं कोर्स कर रही हूं, जो वर्कशॉप मैं करा रही हूं, उसमें ऑलरेडी लोग जो हैं मां भैरवी से जुड़े हुए हैं। तो कल किसी ने बोला कि मां भैरवी प्रकट हुईं और अभी तो वो लोग अपने माइंड में देख पाते हैं, उनकी थर्ड आई खुलती है। और एक ने कहा कि मेरी पूरी बैक में दर्द हो रही है
। बाद में उसने जब मां भैरवी से पूछा तो पता चला कि उसकी बैक में जो प्रॉब्लम थी, स्पाइन की प्रॉब्लम, अब वो दर्द से शुरू हुई है और इस लेडी ने संकल्प लिया है कि 42 डेज में यह दर्द के साथ-साथ मेरी बैक रिन्यू हो जाए, पूरी नई उसके अंदर सेल्स आएं। तो मां भैरवी इस सृष्टि की अगर डिस्ट्रक्शन करती हैं, तो वहीं से जो है नई चीजें आती हैं।
मां भैरवी साधना रहस्य- पूजा से जुड़े डर और संशय
थोड़ा सा इसको बड़ा सिंपल से उसमें समझते हैं कि क्योंकि ये जो सवाल है, ये अपने आप में अहम हो जाता है क्योंकि जो डर, एक भय जो आता है हमें कि जब हम तंत्र और मंत्र, काली विद्या से जोड़कर जब चीजों को देखते हैं, तो फिर हमें ये लगता है कि कहीं कोई चूक हो गई, कोई गलती हो गई तो उसके जो प्रभाव हैं वो एकदम उलट हो जाएंगे, यानी कि आप विनाश की तरफ ना चले जाएं।
दूसरा जिस डिस्ट्रक्शन और डेथ की हम बात कर रहे हैं, उसको थोड़ा सा और अगर डिटेल में समझें क्योंकि इसी से भी एक डर, एक फियर जो मन में आता है कि नहीं, हमें मां भैरवी की पूजा करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए? हां, आई थिंक ये बड़ा इम्पोर्टेंट सवाल है कि क्या हमें पूजा करनी चाहिए?
कौन और कैसे करे मां भैरवी की पूजा ?
देखिए, मां भैरवी का जो… मां भैरवी एक तांत्रिक रूप हैं, 10 महाविद्या एक उग्र और तांत्रिक रूप हैं। इनकी पूजा सिर्फ उन लोगों को करनी चाहिए जिनको इनके मंत्र उच्चारण और सारी पूजा विधि पता है। यह वाम मार्ग है, यह सिंपल पूजा नहीं है।
मां भैरवी की पूजा आपके घर में बैठ के, आपके मंदिर में बहुत ही मुश्किल से होगी क्योंकि एकांत चाहिए उसके लिए, उसके लिए एक तरह की जगह चाहिए। बहुत सारे लोग जो है मां भैरवी की पूजा श्मशान में करते हैं।
तो मां भैरवी के 12 रूप हैं और 12 रूप में से कुछ रूप हैं लिंग भैरवी, कामेश्वरी भैरवी, कालभैरवी। तो हर एक मां भैरवी का जो रूप है, उसकी मंत्र अलग है, उसका उच्चारण अलग है, उसकी प्रक्रिया अलग है। तो एक आम आदमी को अगर करना है तो उसको यह दीक्षा लेनी पड़ेगी और इसको समझ के करना पड़ेगा।
यह बहुत आसानी से की जाने वाली नहीं है। किसी भी महाविद्या की अगर आपको साधना करनी है तो पहले आपको मां काली को साधना होगा और उससे भी पहले मां दुर्गा को साधना होगा। तो जो बहुत सारे लोग ये वर्कशॉप करते हैं।
वो बहुत सालों से दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं, नवार्ण मंत्र कर रहे हैं, तो उनकी एक प्रिपरेशन है। तो क्या एक आम आदमी जिसने कभी भी कोई प्रिपरेशन ना की हो, मैं नहीं सलाह दूंगी कि वो सीधा मां भैरवी के मंत्र से शुरू करे।
आधुनिक युग में मां भैरवी साधना का सरल मार्ग
लेकिन क्या मंत्र किए बिना हम इनको साध नहीं सकते? यहां आती है मॉडर्न स्पिरिचुअलिटी और यहां आता है हमारा माइंड, हमारी आत्मा और हमें जो भगवान ने शक्ति दी है। तो आप मानते हैं कि शिव जी ने बोला था पार्वती जी को कि आगे जाकर जो कलयुग आएगा।
इसमें एक आम आदमी के पास साधना करने के इतने सारे ना समय होगा, ना साधन होंगे, ना एकांत होगा, तो क्या किया जाए? वहां से… चक्र में फंसा हुआ है… वहां से आए शाबर मंत्र, वहां से आए छोटे मंत्र और ये भगवान भी देख रहे हैं कि हम इस तरीके से जो है पूरी साधना हर कोई नहीं कर सकता।
तो एक आम आदमी क्या करे ? मां भैरवी की पिक्चर ले और मां भैरवी की पिक्चर को नवरात्रों के दौरान देखे, उनको साधे, उनका जो मंत्र है उससे साधे और यह बोले कि मेरी लाइफ में जो जिस चीज की भी डिस्ट्रक्शन आपको लगता है कि होनी है, वो आराम से हो, वो चीज जाए ताकि कोई नई चीज आए।
तो डिस्ट्रक्शन का यह मतलब है जो चीज आपकी लाइफ से निकलनी है। हो सकता है आपके पास कुछ ऐसे दोस्त हों जो अच्छे ना हों लेकिन आपको पता ना हो, आपको लगता है कि वो अच्छे हैं लेकिन असल में पीछे से वो बुरे हैं आपके लिए। हो सकता है आपकी… आपने जो मांगा है मां से, उसके आड़े आपकी नौकरी आ रही है।
हो सकता है उस नौकरी का जाना जरूरी है। हो सकता है घर का जाना जरूरी है ताकि आप एक नया विला ले सकें। हो सकता है आपके जीवन से किसी आदत का जाना जरूरी है। तो डिस्ट्रक्शन मतलब किसी चीज का जाना, किसी चीज का डिस्ट्रॉय होना ताकि सामने से हमने जो मांगा है मां से वो आए।
मां भैरवी की कृपा के संकेत
तो आप पिक्चर देख सकते हैं और मां की आंखों में, ऐसा कहते हैं बहुत सारे लोग तो देख नहीं पाते 30 सेकंड के ऊपर, अगर आप मां भैरवी की पिक्चर को देख सकते हैं, नवार्ण मंत्र करते-करते या मां भैरवी का मंत्र करते-करते, इसका मतलब मां भैरवी की कृपा आप पर है और आपको वो सबसे पहला साइन यह देंगी कि आपके स्वप्न में आएंगी।
आपके स्वप्न में आएंगी और उसके साथ एक ऐसी चीज दिखाएंगी जिसका आपके जीवन से जाना जरूरी है। जब वो मेरे स्वप्न में आई थीं बहुत साल पहले, जब मुझे पता भी नहीं था कि यह मां भैरवी हैं, तो मुझे लगा था यह मां काली हैं,
जैसे आपने बोला कि मां काली और मां भैरवी का जो रूप है वो काफी सिमिलर है और मैं काफी डर गई थी क्योंकि उनका काफी फियर्स फॉर्म होता है और उसके साथ उन्होंने मेरा ऑफिस दिखाया और मुझे बिल्कुल भी समझ नहीं आई।
लेकिन तीन महीने के अंदर-अंदर मैंने अपना कॉर्पोरेट वर्ल्ड छोड़ दिया। अपने में यह एक सडन बात हो सकती है, लेकिन उस समय मुझे नहीं पता चला लेकिन
अब मैं अपने स्टूडेंट्स को… बात कर पा रही हूं… अब मैं रिलेट कर पा रही हूं क्योंकि उसका जाना जरूरी था ताकि मैं स्पिरिचुअलिटी की वर्ल्ड में आ सकती। तो डिस्ट्रक्शन का मतलब किसी चीज का जाना जिसकी जरूरत आपकी जीवन में नहीं है।
मां भैरवी का वास्तविक कार्य
यानी कि सीधे से अगर समझें कि मां भैरवी आपको उन चीजों से अवगत या एक तरह से परिचय कराती हैं जो आपकी लाइफ में सही नहीं हैं, आपके लिए हो सकती हैं कि वो बहुत ज्यादा प्रिय हैं आपके लिए वो चीजें लेकिन वो कहीं ना कहीं आपकी लाइफ को खराब कर रही हैं।
उस डिस्ट्रॉय की तरफ ले जा रही हैं जहां से आपको बचना चाहिए और मां भैरवी असल में उसको डिस्ट्रॉय करके आपको एक बेहतर जिंदगी की तरफ बढ़ाने की कोशिश करती हैं।
बिल्कुल। लेकिन राज जी, होता क्या है कि हम सब इतने अटैच्ड होते हैं चीजों के साथ कि हमें यूनिवर्स और मां जब बार-बार साइन दिखाती हैं, जैसे मां अपने बच्चे को बोलती है इस चीज को छोड़ दो, बच्चा नहीं सुनता, इस चीज को छोड़ दो, हम नहीं सुनते।
फिर वो एक उग्र फॉर्म में आके या तो डांट के या छीन के वो चीज को आपसे अलग करती हैं। तो मां भैरवी की एनर्जी बहुत सडन है, बहुत अनएक्सपेक्टेड है और वो एक आपकी लाइफ से जो है चीज छीन लेंगी, फिर आपको एकदम शॉक लगेगा कि ये क्या हो गया। तो मां भैरवी की एनर्जी बहुत-बहुत फियर्स है, वो आराम से आपको नहीं बताएंगी।
अगर वो आपके जीवन से कुछ निकाल रही हैं, इसका मतलब आपको 10 साल से संकेत आ रहे हैं लेकिन आप उसको छोड़ने को तैयार नहीं। उनकी एनर्जी फियर्स है, सडन है। जो भी मां भैरवी को साधता है, उसको अपनी लाइफ में एकदम से केओस का एहसास होता है।
लेकिन मैं अपने पाठकों को यह बता दूं कि 10 महाविद्या अपने में ही फियर्स हैं। अगर आप में वो एनर्जी है कि आप अपनी लाइफ को सरेंडर कर दें मां को और कहें कि जो आपने लेना है लीजिए, देना है दीजिए, मैं बिल्कुल प्रणाम करके यहीं खड़ा हूं क्योंकि मैं आपको ट्रस्ट करता हूं, आप मेरी मां हैं, तो इन नवरात्रों में, इन नौ दिनों में आपका जीवन पूरी तरह से परिवर्तित हो सकता है।
नवरात्रि में मां भैरवी की पूजा
ये बड़ी अहम है और चूंकि अब नवरात्र की शुरुआत और हर साल जब-जब नवरात्र आते हैं तो जाहिर सी बात है कि इन नौ दिनों में हम मां के अलग-अलग रूप और स्वरूप को पूजते हैं। तो यहां पर यह भी समझना जरूरी है कि मां भैरवी को किस दिन नवरात्रि के उनकी पूजा करनी चाहिए जिससे कि ज्यादा आपके लिए वह फलदायी हो, आपके जीवन में और ज्यादा सुख-समृद्धि और जो बुराई है वह आपके जीवन से हट सके?
मां भैरवी साधना रहस्य पूजा का सही दिन और विधि
पांचवा दिन होता है, यह पांचवी महाविद्या है और पांचवें दिन इनका हम जो है आह्वान कर सकते हैं। जी, इनको कालरात्रि के साथ भी जोड़ा जाता है। ऐसा कहते हैं कि कालरात्रि मां का भी एक फॉर्म है। तो यहां मैं अपने पाठकों को कहना चाहूंगी कि काल मतलब समय और रात्रि मतलब अंधेरा।
तो काल को भी दर्शाती हैं यह। महाकाल, कई लोग कहते हैं कि मां भैरवी का जो कॉन्सर्ट है वो महाकाल है, है ना, जो दक्षिणेश्वर शिव हैं वो इनका कॉन्सर्ट हैं। तो उस समय वो काल की बात कर रही हैं, जिस चीज का समय आपके जीवन में खत्म हो गया, जिस इंसान का समय खत्म हो गया। तो समय को दर्शाती हैं और रात्रि किसको दर्शाती है?
हमारे इग्नोरेंस को, हमारे फियर्स को, हमारे डाउट्स को। अगर किसी के भी दिल में बहुत भय है तो मां भैरवी की पूजा करे, वो अभय हैं। वैसे तो सब महाविद्या जो हैं अभय मुद्रा दिखाती हैं, इसका मतलब महाभय विनाशिनी, बड़े से बड़े डर को भी हटाने वाली।
लेकिन फिर भी मैं कहूंगी कि अगर आपको डर लगता है, आप में कॉन्फिडेंस की कमी है, आपके जीवन में कुछ भी ऐसा है, आपके शत्रु इतने बढ़ गए हैं और उनका विनाश बहुत जरूरी है,
आप किसी एब्यूजिव रिलेशनशिप में हैं, आप किसी नार्सिसिस्टिक रिलेशनशिप में हैं, तो मां भैरवी को हमें जरूर पूजना है। जो रात्रि आपके जीवन में खत्म नहीं होने को आ रही है, जिसकी सुबह नहीं हो रही है, वो मां भैरवी आपको एक मदर के रूप में प्रोटेक्ट करेंगी।
तो यह बहुत जरूरी है कि हम उनको एक मां के रूप में, स्पेशली क्योंकि हम… में नहीं जा रहे, हम तांत्रिकों की तरह उनकी वो पूजा नहीं कर रहे कि हमें कोई सिद्धि मिले।
हम उनकी मदर की तरह पूजा कर रहे हैं कि प्लीज मैं आपके पास मदद मांग रही हूं, यह पीरियड मेरी लाइफ में खत्म नहीं हो रहा, प्लीज आप मेरी मदद करें और मुझे इस अंधकार से निकालें। तो इस चलते क्योंकि सातवें दिन कालरात्रि की पूजा होती है नवरात्रि में, तो हमें मां भैरवी की पूजा फिफ्थ डे भी करनी चाहिए और सेवंथ डे भी करनी चाहिए।
मां भैरवी साधना रहस्य पूजा के नियम और सावधानियां
यहां घर में पूजा करें मां भैरवी की या घर में पूजा करने से अवॉइड करें? अगर आप महाविद्याओं की पूजा पहले से करते आ रहे हैं, अगर आप मां काली के साधक हैं, अगर मां काली की कृपा आप पर है तो आप घर में पूजा कर सकते हैं लेकिन इनकी साधना नहीं कर सकते। पूजा आप आराम से कर सकते हैं, पूजा करने में कोई भी प्रॉब्लम नहीं है।
जितनी भी महाविद्याएं हैं, उनकी पूजा साउथ डायरेक्शन में उनका ऑल्टर होता है और उनका जो ऑल्टर होता है वो बाकी मंदिर से अलग होता है। मां कालरात्रि के लिए, मां भैरवी के लिए आपको एक लाल कपड़े का आसन बिछाना है, उनको लाल गुड़हल के फूल चढ़ाने हैं, उनको आपको रुद्राक्ष की माला या लाल चंदन की माला पे उनका मंत्र करना है।
और हमेशा जब भी आप किसी महाविद्या की पूजा करें, शहद जरूर रखें क्योंकि हमें नहीं पता कि वो कब उग्र फॉर्म में आ जाएंगी। हम साधना नहीं कर रहे, हम तंत्र नहीं कर रहे, हम केवल उनकी ब्लेसिंग्स के लिए पूजा कर रहे हैं।
तो आप शहद रखें, गुड़हल का फूल रखें, गुड़ रखें, कोई मिठाई रख सकते हैं तो रखें, काली उड़द की दाल के वड़े बनाकर रखें, जरूर कुछ दक्षिणा दें और जितनी भी देवी की पूजा होती है, उसमें आप कंजक जरूर बिठाएं और छोटे बच्चों को खाना जरूर खिलाएं।
मां इससे ज्यादा खुश होती हैं रादर दैन बहुत सारे रिचुअल्स। और क्योंकि मैं हर लेख में यह कहती हूं कि हर एक इंसान को ना दीक्षा मिल पाती है, ना वो उसको साध पाते हैं, तो हमारे लिए जरूरी है कि हम उसको थोड़ा सिम्प्लिस्टिक बनाएं, ऐसा बनाएं कि एक आम आदमी भी कर सके।
पीरियड्स में पूजा का मिथक
और एक और बात, सब 10 महाविद्या में आप पीरियड्स में पूजा कर सकते हैं क्योंकि मां के यह उग्र फॉर्म होते हैं और मां कामाख्या जो इनके ऊपर, इन 10 महाविद्याओं के ऊपर जो डेटी हैं, वो हैं मां कामाख्या और मां कामाख्या के टेम्पल में भी जो है हम देवी की ही पूजा करते हैं और उनकी हम मेंस्ट्रुएशन में ही पूजा करते हैं।
तो जब हम… मतलब ये सवाल बहुत बार आता है कि नवरात्रि में ऐसा हो गया या अगर हम 10 महाविद्या की पूजा करें तो क्या हम हाथ ना लगाएं? ऐसा नहीं है। और मां भैरवी यही कहती हैं, कोई डिफरेंस नहीं है किसी भी इंसान में, आदमी और औरत में, शुद्ध-अशुद्ध, पवित्र-अपवित्र, महाविद्या इनके ऊपर हैं।
यानी कि एक तरह का मिथ है इसको लेकर क्योंकि मां फर्क नहीं कर रही हैं किसी में, उसके लिए तमाम बच्चे अपने एक जैसे, एक बराबर हैं।
मां काली और मां भैरवी का संबंध
बीच में जिस तरह से जिक्र हमने किया कि मां काली और मां भैरवी, मतलब एक तरह से एक अंश, एक रूप कहीं ना कहीं वो रिलेट करता दिखता, एक जैसा है। क्या मां भैरवी मां काली का ही एक रूप हैं? बहुत ही बढ़िया क्वेश्चन है, यह मेरा फेवरेट है क्योंकि बहुत सारे लोगों को मां भैरवी और मां काली के इमोशन में डिफरेंस नहीं पता। मां काली ट्रांसफॉर्मेशन की देवी हैं और मां भैरवी डिस्ट्रक्शन की देवी हैं। ट्रांसफॉर्मेशन मतलब कोई चीज का खत्म होना और बिल्कुल ट्रांसफॉर्म होके एक नया रूप आना।
मेरी जीवन में बहुत बार ट्रांसफॉर्मेशन आ चुका है, मैंने अपना कॉर्पोरेट करियर एक तरीके से खत्म किया और मैं स्पिरिचुअल साइड पे आई, ये ट्रांसफॉर्मेशन है। कहना बहुत आसान है, करना और इसके थ्रू गो करना बहुत मुश्किल है। लेकिन मां भैरवी केवल डिस्ट्रक्शन करती हैं। इसका मतलब अगर आपने उनको साध लिया और आपने उनको ये रिक्वेस्ट की कि मुझे ये चाहिए, मुझे अपने जीवन से ये निकालना है, तो वो आपकी डिस्ट्रक्शन में हेल्प करेंगी।
डिस्ट्रक्शन ट्रांसफॉर्मेशन का एक पार्ट है। तो ऐसा कह सकते हैं कि मां भैरवी अ… एक तरीके से मां काली को अ… जैसे हम कॉर्पोरेट वर्ल्ड में कहते हैं, रिपोर्ट करती हैं क्योंकि उनका एक… वो उनका एक काम कर रही हैं, ट्रांसफॉर्मेशन का एक काम कर रही हैं जिसका नाम है डिस्ट्रक्शन।
अगर आपको कोई भी एनर्जी डिस्ट्रॉय करनी है तो आप मां भैरवी को वो करें और इनका जो चक्र होता है, इनका जो एलिमेंट होता है वो अर्थ होता है। तो वो अपने पैर को, ऐसा कहते हैं जब मां भैरवी अपने पैर को धरती पर जोर से रखती हैं तो एकदम भूकंप आता है और एक कपकपी सी होती है, अर्थक्वेक जिसको हम कहते हैं।
आप इसी पिक्चर को अपने जीवन में सोचिए, अगर आपने उनको साधा और उन्होंने अपना पैर ऐसे रख दिया तो फिर जो रिक्वायर्ड नहीं है वो निकल जाएगा।
घर और कारोबार में मां भैरवी की स्थापना
इसके अलावा जो स्थापना की बात करें, आमतौर पर होता है कि आप जिसको पूजते हैं, वो फिर कोई देव हो सकता है, देवी हो सकती हैं। मां भैरवी की बात कर रहे हैं, क्या मां भैरवी की स्थापना घर या कारोबार, दोनों जगह की जा सकती है? या फिर इनमें से किसी एक जगह करनी चाहिए या दोनों जगह से बचकर हमें रखना चाहिए कि नहीं, कोई दूसरे विकल्प हैं, उनको साधने की तरफ जाएं हम? मां भैरवी की स्थापना दोनों जगह की जा सकती है।
आप सिर्फ उनकी पूजा कर रहे हैं, पूजा और अर्चना कर रहे हैं। लेकिन आपके लिए, आपके जीवन में मां काली की एनर्जी फील होनी बहुत जरूरी है। मतलब अगर आपको अपने जीवन में कुछ बहुत बड़ा पाना है, आपके बहुत दुश्मन हैं, आप एक बहुत बड़ी चीज को करने जा रहे हैं, तभी आप 10 महाविद्या की तरफ जाएंगे।
अगर आपका लाइफ बहुत अच्छा चल रहा है, आपका गृहस्थ जीवन है और आप बहुत खुशी-खुशी हैं तो मैं हमेशा कहती हूं आप कृष्ण भक्ति की तरफ जाइए। तो मां 10 महाविद्या को साधने का मतलब है कि आपका लाइफ का जो पर्पस है, वह बहुत बड़ा है, कुछ ऐसा आपको करना है और आपको कोई सपोर्ट नहीं कर रहा, आपको लोग धोखा दे रहे हैं, आपको एक एनर्जी की जरूरत है। अ… तो आप घर में भी स्थापित कर सकते हैं और कारोबार में भी स्थापित कर सकते हैं।
जिनकी फैक्ट्रीज़ हैं, उनको मां भैरवी को जरूर रखना चाहिए। अ… जिनकी बड़ी-बड़ी मशीनें हैं, बहुत लोगों के साथ डीलिंग्स हैं, अ… जिनके बहुत बड़े दुश्मन हैं, उनके लिए मां भैरवी जो है बहुत स्ट्रांग एनर्जी है। लेकिन एक बात याद रखिए, फिर हमें मां भैरवी को सरेंडर करना होगा, फिर हम रो नहीं सकते, फिर हम छोटा बच्चा नहीं बन सकते। हमको भी यह समझना होगा कि जो वो कर रही हैं, जो कह रही हैं, जो दिखा रही हैं, वो समझाएंगी नहीं।
ये समझाने की देवी नहीं हैं, ये बस एकदम गला काट देंगी और बस फिर खत्म, आप डील करिए उसके साथ। तो आपको पहले सरेंडर मोड में आना होगा तभी आप मां भैरवी की तरफ जाएं। और मां भैरवी के साथ हमेशा जो है भैरव रहते हैं।
और एक और बात कि मां भैरवी को साधने से पहले, आप इनकी स्थापना करें, इससे पहले आपको कम से कम 11000 गणेश मंत्र करने हैं और 11000 शिव जी के मंत्र करने हैं। इन दोनों को साध कर, इनकी रिक्वेस्ट करके, इनकी पूजा करके ही आप किसी 10 महाविद्या, स्पेशली मां छिन्नमस्तिका, मां भैरवी, मां काली, मां तारा और मां धूमावती, इनको करके ही आप इन बहुत स्ट्रांग एनर्जीज़ को जो है ला सकते हैं।
आधुनिक जीवन और कर्म का महत्व
लेकिन अभी मॉडर्न वर्ल्ड की बात करें जहां अभी हम हैं, एक दौर होता था, सैटिस्फैक्शन था लाइफ में, बहुत ज्यादा लालच नहीं था, बहुत कुछ पाने की चाह नहीं थी। लेकिन आज के इस मॉडर्न वर्ल्ड में सब कुछ पाना चाहता है इंसान और इसमें कोई अछूता नहीं बचा है। तो यानी कि आप ये समझिए कि हर शरीर के भीतर वो असुर है, वो बुराई है।
उस असुर और बुराई के साथ वो कैसे मां भैरवी को साध सकता है? सबसे पहले उसे वो खत्म करना होगा? अगर वो लेकिन इसके साथ अगर साधता है, क्या चीजें उलट हो सकती हैं? नहीं, उलट नहीं हो सकतीं। आपके अंदर अगर असुर है तो आपके अंदर मां भैरवी भी हैं क्योंकि आपकी ऑलरेडी एक साइकिल चल रही है।
असुर आपको एक तरीके से लेके जा रहा है, मां भैरवी उसको एक तरीके से किल कर रही हैं। अगर आपको उनको साधना है तो आपको अपने माइंड से साधना होगा, अपने बिहेवियर से, अपनी इच्छाओं को देखना होगा कि क्या मेरी इच्छा ठीक डायरेक्शन में है कि नहीं।
क्योंकि मां भैरवी या कोई भी 10 महाविद्या आपको एक ही डायरेक्शन में लेके जाएगी और वो डायरेक्शन सिर्फ सक्सेस की नहीं होगी, अच्छे कर्म की भी होगी। तो मैं कहूंगी कि अगर आपको किसी भी महाविद्या को साधना है, आप अपने कर्म को नोटिस कीजिए और कर्म केवल करने वाला नहीं होता, सोचने वाला भी होता है।
तो अगर आप सोच रहे हैं कि यह मेरे सामने बैठा है, मैं इसका कैसे फायदा उठाऊं, तो आप मां भैरवी की जितनी मर्जी पूजा कर लीजिए, आप उसको साध नहीं पाएंगे। बहुत लोग अपने वाइव्स की इज्जत नहीं करते, बहुत लोग अपनी बेटियों को मारते हैं, अ… लेडीज की इज्जत नहीं करते और फिर जाकर मां कामाख्या में अपना सर पटकते रहते हैं और कहते हैं मैं देवी का साधक हूं।
लेकिन मैं यह कहती हूं कि अगर आप एक बेसिक लेवल पे जो देवी का लाइव रूप है, व्हिच इज अ वुमन, उसी का तो शोषण कर रहे हैं आप, उसी का बुरा चाह रहे हैं।
अगर आपको मां भैरवी या किसी भी दस महाविद्या का बहुत ज्यादा इफ़ेक्ट चाहिए तो आप लेडीज को सपोर्ट करें। आप ऐसे देखिए जिनके पास घर नहीं है, खाना नहीं है, उनके बच्चों की शादी नहीं हो रही, उनके पास कोई सपोर्ट नहीं है, आप उनके साथ काम करिए। आप मां भैरवी को उसके बाद केवल एक मंत्र से भी साध सकते हैं।
मां भैरवी साधना रहस्य की निरंतरता और समय
यह माना जाता है और यह कहा भी जाता है कि मां काली से इसलिए बार-बार हम रिलेट कर रहे हैं क्योंकि उनके रूप और उनके बारे में बहुत सारी बातें हमेशा होती रहती हैं।
लेकिन मां भैरवी के बारे में बहुत कम बातचीत होती है और आज जो तमाम पाठक पढ़ रहे हैं, उन्हें एक क्लैरिटी भी यहां पर आ रही है कि मां भैरवी कौन हैं, उनका रूप-स्वरूप किस तरह से है। लेकिन जो समय मां काली के लिए कहा जाता है कि अगर आप उनको पूज रहे हैं तो फिर वो आप रेगुलर रहें, आप उसमें फिर आप छोड़ नहीं सकते हैं चीजों को बीच में।
तो क्या मां भैरवी को लेकर भी इसी तरह की बातें हैं कि आप अगर एक बार मां भैरवी को पूजने लगे, आपको उनका पूजन, उनकी साधना रेगुलर रखनी होगी?
साथ ही साथ, क्या दिन का समय होना चाहिए उनकी साधना के लिए? क्योंकि बड़ा फर्क पड़ता है क्योंकि हम ग्रह-नक्षत्र के हिसाब से भी बहुत सारी चीजों को सोचते हैं। तो क्या इसका भी प्रभाव पूजा और साधना पर पड़ता है? जी, सब दस महाविद्या की जो पूजा होती है, वो रात के 9:00 बजे के बाद ही होती है।
तो आप अगर कर रहे हैं तो करें। साधना बहुत ज्यादा ना करें क्योंकि अगर आपके पास सही नॉलेज नहीं है तो ये हमें नहीं करना चाहिए। अगर आप उनका मंत्र कर रहे हैं तो आप सुबह भी कर सकते हैं, शाम को भी कर सकते हैं। आप मंत्र का एक संकल्प ले सकते हैं कि मैं 40 डेज तक मां भैरवी का करूंगा।
तो आपने शुरू में ही बता दिया कि मैं 40 डेज करूंगा। तो आप 40 डेज जो है 9:00 बजे के बाद करें और जो उनके मंत्र, जितने भी आपने मंत्र उच्चारण सोचे हैं, वो करें।
यह तब होगा जैसे हम एंटीबायोटिक लेते हैं, अगर हमें कोई बहुत अचानक से हेल्प की जरूरत है, हम बॉडी को वेट नहीं कर सकते कि खांसी और बुखार खुद ठीक हो या स्टेरॉयड लेते हैं, तो 10 महाविद्या एक इस टाइप की एनर्जी है। तो आप क्या कर सकते हैं कि आप 40 दिन का कर सकते हैं और फिर 40 दिन खत्म होने के बाद रोज सुबह एक नॉर्मल उनकी एक माला, सिंपल सी जो है वो कर सकते हैं।
मां भैरवी के दो स्वरूप
मां भैरवी के दो फॉर्म हैं, थोड़ा सा उसको भी एक बार डिटेल में एक्सप्लेन कीजिए पाठकों के लिए, किस फॉर्म की पूजा-साधना करनी चाहिए? जी, मां भैरवी के दो फॉर्म्स हैं। एक बहुत फियर्स फॉर्म है जो बिल्कुल मां काली की तरह दिखता है, जिसमें उनके केश खुले हुए हैं, बहुत पावरफुल हैं और थोड़ा डराने वाला फॉर्म भी है।
ये फॉर्म डिस्ट्रक्शन का फॉर्म है। और दूसरा फॉर्म है जिसमें वो कमल के फूल के ऊपर बैठी हुई हैं, उनके हाथ में एक किताब है और अभय मुद्रा में, दान मुद्रा में, यू नो, वर मुद्रा में हैं वो।
तो अगर आपको अपनी लाइफ में सच में मां भैरवी की असली एनर्जी को लाना है तो आप उनकी फियर्स फॉर्म में ही पूजा करें जो रात को आप करेंगे। और अगर आपको उनका सौम्य फॉर्म चाहिए, मदर फॉर्म चाहिए तो आप उनकी कमल वाले पे भी कर सकते हैं।
निष्कर्ष: परिवर्तन ही जीवन का सत्य है
यानी कि यह स्पष्ट है कि जो मां का एक रूप होता है अपने बच्चों के लिए कि जब उसके ऊपर कोई कष्ट आता है, कोई विपदा आती है, कोई परेशानी आती है, तो तब वो जो रूप होता है उसका, वो मां भैरवी का वो असल रूप है।
और मां किसी भी रूप में हों, अपने बच्चे, अपने परिवार के लिए हमेशा अच्छा सोचती हैं और उसकी यही एक कोशिश रहती है कि मेरे बच्चे जो हैं, उनके लाइफ में कुछ भी जो बुरा उनके साथ है… इसको थोड़ा सा इस तरह से भी समझें कि हमारे पेरेंट्स, खासतौर से मां, कई बार आपके साथ ऐसे यार-दोस्त होते हैं, आपको लगता है कि वो आपके बचपन के बहुत अजीज दोस्त हैं लेकिन आप उनकी बुराइयां नहीं देख पा रहे होते जो आपकी मां देख पा रही होती हैं।
और वो चाहती हैं कि आप इनसे दूर हो जाएं। बहुत सारी ऐसी लत होती है आपकी लाइफ में, आपको लगता है कि नहीं, यह जो सब आप कर रहे हैं, यह सब ठीक है, लेकिन उसके प्रभाव बहुत बुरे होते हैं जिससे कि मां आपको दूर रखना चाहती हैं। और मां भैरवी भी यही आपके जीवन में करती हैं।
बस मां भैरवी को आपको बहुत अच्छे से समझना है, उनकी साधना को समझना है और फिर आप देखेंगे कि आपकी लाइफ में कितने और किस तरह के बदलाव हों।
एक आखिरी सवाल आज के इस लेख का, मां भैरवी जो 10 की 10 महाविद्या, उसमें से एक मां भैरवी का जो रूप-स्वरूप है, वो मुझे को इस तरह से और प्रभावित करता है मेरी लाइफ का थीम ट्रांसफॉर्मेशन है और डिस्ट्रक्शन इसका बहुत बड़ा पार्ट है।
तो मेरी लाइफ में डिस्ट्रक्शन आता ही रहता है, केओस आता ही रहता है। तो मैं मां भैरवी को बहुत मानता हूं और मैं उनको समय-समय पर उनकी साधना जरूर करती हूं।
इन्होंने मुझे बहुत प्रभावित किया है यह बता के कि सब कुछ चेंज रिलेटेड है, कुछ भी स्थिर नहीं है, कुछ भी स्थाई नहीं है। चेंज इज द रियलिटी ऑफ लाइफ।
डिस्ट्रक्शन होगी तो न्यू बिगिनिंग होगी, डिस्ट्रक्शन नहीं होगी तो न्यू बिगिनिंग नहीं होगी। मैंने अपनी लाइफ में ये बहुत हार्ड तरीके से सीखा है। तो मैं… मैं मां भैरवी को बहुत-बहुत क्लोज उनके साथ रिलेट करती हूं और वो मेरी हर रोज की पूजा का एक हिस्सा हैं।
समापन
थोड़ा सा समय अगर हम साधना को दें लेकिन उसको समझते हुए हम दें, कहीं ऐसा ना हो कि आप बहुत ज्यादा साधक होने के चलते जो है गलत भी कुछ कर बैठें, तो उनका भी हमें ध्यान रखना है।
अगले लेख में आपसे एक बार फिर से मुलाकात होगी और तब 10 महाविद्याओं में से एक मां कमलात्मिका के बारे में बात करेंगे और उनके बारे में भी जानेंगे कि इस मां के रूप का जो है हमारे जीवन पर कितना और कैसा प्रभाव है। नमस्कार।