Panchanguli Sadhana पंचांगुली शाबर मंत्र साधना : काल ज्ञान की सरल विधि

Panchanguli Sadhana पंचांगुली शाबर मंत्र साधना : काल ज्ञान की सरल विधि
Panchanguli Sadhana पंचांगुली शाबर मंत्र साधना : काल ज्ञान की सरल विधि

Panchanguli Sadhana पंचांगुली शाबर मंत्र साधना : काल ज्ञान की सरल विधि दोस्तों, अपने भारत में कालज्ञान की बहुत सारी साधनाएं हैं जो हस्तरेखाओं से लेकर के और एकदम मन की जो अवचेतन शक्तियां होती हैं, वहां तक वह शक्तियां काम करती हैं। थर्ड आई से लेकर के ब्रह्म तक वह शक्तियां काम करती हैं।

यानी कि कुंडली शक्ति से लेकर के और साधारण आ भूतों-प्रेतों तक अब वह शक्तियां काम करती हैं जो कालज्ञान के काम आती हैं जिनसे आप सामने वाले के आगंतुक के यजमान के भूतकाल में घटित हुई कई बातों को, कई रहस्यमई बातों को उनके सामने उजागर कर सकते हैं और उन्हें आश्चर्यचकित कर सकते हैं।

दोस्तों ऐसी साधनाओं में भूतों-प्रेतों की साधनाएं भी होती हैं, बेताल की साधनाएं भी होती हैं। बहुत सारी साधनाएं हैं और इनसे ऊपर जब आप बढ़ोगे तो महाविद्या की साधना होती है जिनके द्वारा आदमी त्रिकाल दर्शी हो जाता है।

Panchanguli Sadhana पंचांगुली साधना की जटिलता

आज उसी क्रम में मैं आपको एक बात बताता हूं कि हमारे देश में पंचांगुली नाम से एक साधना चलती है जो बड़ी टफ साधना है और आमतौर पर पंचांगुली साधना हर किसी को सफल नहीं होती। पंचांगुली साधना में बहुत सारी ऐसी डिफिकल्टीज़ आती हैं, ऐसी प्रॉब्लम आती है कि करते-करते आदमी की हालत ऐसी हो जाती है कि वह साधना को करने के लायक ही नहीं रहता है।

बहुत ही कोई ऊर्जावान व्यक्ति होता है, वह पंचांगुली साधना को करके पार निकलता है। जो आदमी पंचांगुली साधना को कर लेता है, ज्योतिष में वह नमकनिर्णय हो जाता है। जन्म कुंडली या हस्तरेखा उसके सामने किसी की भी आ जाती है, तो हाथ देखते ही वह यजमान का भूत, भविष्य और वर्तमान सब कुछ ऐसे बता देता है जैसे सब कुछ उसकी आंखों के सामने होकर के गुजरा।

हमारे हाथ पकड़ कर के पंडित जी ने ऐसा कुछ बता दिया। वास्तव में पंडित जी बड़े ज्ञाता हैं। पंडित जी को शास्त्रों का बड़ा अध्ययन है। पकड़ने के लिए बस हाथ को पकड़ लिया और देखते जा रहे हैं।

ऐसी साधनाओं में पंचांगुली साधना टॉप मानी जाती है, बहुत अच्छी मानी जाती है। ज्योतिष का जो लोग काम करते हैं, उनके लिए पंचांगुली साधना बहुत बेहतरीन साधना है। इसमें बहुत सारी चीजें इसमें होती हैं, बहुत सारी ऐसी सावधानियां होती हैं और बहुत सारे ऐसे सूत्र होते हैं जिनको अपनाने के बाद में साधना सफल होती है।

Panchanguli Sadhana  सरल पंचांगुली शाबर साधना

 

लेकिन आज मैं आपको एक ऐसी पंचांगुली साधना बताता हूं जिसमें कोई भी नियम ज्यादा पालन करने की आवश्यकता नहीं है, कोई भी ज्यादा उसमें डिफिकल्टी नहीं है और कुछ भी ऐसा नहीं है कि आपकी साधना खराब हो सके, बीच में रह सके, छूट सके।

आप जो आज मैं साधना बताऊं, यह पंचांगुली की सब्र साधना है और यह एक सरल साधना है। इस साधना के द्वारा आपको पंचांगुली के वही फल मिलेंगे जो वैदिक साधना में मिलते हैं। आप इस साधना को करके भी किसी भी जातक का भूत, भविष्य और वर्तमान देख सकते हो।

पंचांगुली में भविष्य देखने की क्षमता भी होती है, इसलिए आप भूतकाल की बातें बता करके अपने यजमान को आश्चर्यचकित कर सकते हो और भविष्य काल की बातें बता करके उन्हें खतरों से आगाह कर सकते हो कि आपके जीवन में खतरे आने वाले हैं, इन खतरों से आपको इस तरह से बचना चाहिए। यह साधना बड़ी टॉप साधना है और इस साधना में साधक को कुछ भी ज्यादा नहीं करना पड़ता। सिर्फ नियमबद्धता से साधना को करना पड़ता है।

Panchanguli Sadhana पंचांगुली साधना की विधि और संकल्प

चलिए आगे चलते हैं और देखते हैं कि साधना को किया कैसे जाता है। यह एक बहुत ही गुप्त साधना है जो सब्र साधना है, एक ऋषि की बनाई हुई साधना है। जयपाल जी करके एक नाथ थे, जयपाल नाथ जी, उनकी साधना है यह और यह साधना कैसे की जाएगी, इस पर थोड़ी चर्चा करते हैं।

दोस्तों, कोई भी शुक्ल पक्ष का शनिवार हो, उस दिन से साधना शुरू होती है, लेकिन शनिवार से पहले ही एक दिन पहले ही शुक्रवार के दिन आप संकल्प कर लें कि मैं 108 दिन तक निरंतर इस साधना को करूंगा और इसका मैं संकल्प लेता हूं। संकल्प कैसे लेना है?

आपको एक ही माला का जाप करना है। एक माला मंत्र का जाप का आपको 108 मंत्रों का आपको संकल्प लेना है। एक माला का भी मत बोलना क्योंकि माला इसमें है ही नहीं। तो 108 मंत्रों का संकल्प लेना कि मैं नित्य 108 मंत्रों का संकल्प लेता हूं और 108 दिन तक अब क्या है शनिवार के दिन सुबह प्रातःकाल जब आप उठेंगे, उससे पहले आज मैं मंत्र बताऊंगा, उस मंत्र को अच्छी तरह से याद कर लीजिए।

मंत्र सिद्धि तब मानी जाती है जब आपको रात नींद में उठा करके और कहे मंत्र बोलो, तो उस नींद में उठे हुए परिस्थिति में भी आप उस मंत्र को ऐज़ इट इज़ बोल देते हैं, हूबहू बोल देते हैं, जैसा का तैसा बोल देते हैं, तो उस मंत्र को सिद्ध मंत्र माना जाता है।

आपका यह मंत्र जितना फ़ास्ट निकलेगा, जितना त्वरित गति से निकलेगा, धाराप्रवाह निकलेगा आपके मन से, आपकी ज़बान से, उतना ही मंत्र सिद्ध माना जाएगा और उसी जागृत मंत्र से आपको साधना करनी है। तो पहले इस मंत्र को अच्छी तरह से पढ़कर रटकर तैयार रखें।

Panchanguli Sadhana पंचांगुली साधना मंत्र जाप और उंगली संचालन

ये आपके पाँच उंगलियां: एक अंगूठा, चार उंगलियां, तो पाँच उंगलियां मानी जाती है। पंचांगुली कैसे करेंगे ? जो यह मंत्र है, इस मंत्र में पाँचों उंगलियों का जिक्र है, यानी अंगूठे सहित पाँचों उंगलियों का जिक्र है। तो जैसे-जैसे जिस-जिस उंगली का जिक्र आता जाए, उस-उस उंगली को आप एक दूसरी उंगली से मिलाते जाएंगे। है न?

तो अब मैं मंत्र बोलता हूं और उंगलियां मिलाकर के आपको दिखाता हूं कि कैसे आपको जाप करना है। इस मंत्र को एक बार  जाप करना है कि  ऐसा बोलकर के आपको कनिष्ठा उंगली को जोड़ना है।

दूसरी  : अनामिका ऊर्जा प्राण संचय शक्ति पदार्थ। मंतर बोलकर के आपको अनामिका जोड़नी है। तीसरा है: एक बार मंत्र  बोल करके आपको मध्यमा उंगली को जोड़ना है। फिर: हरि तट तर्जनी सही दे ये मार्गदर्शक ।

ऐसा बोलकर के आपको ये जो तर्जनी उंगली है, इसको जोड़ना है। अब आपको अंगुष्ठ जोड़ना है और अब मंत्र की बोलना  है। 

जप की गणना और अनुभव

अब क्या है इस मंत्र को जपना कैसे? आपको ऐसा तो कर लिया आपने। मुंह पे फेर लिया। अब आपका गरम हो गया एकदम हाथ गरम हो गया, ऊर्जा चेहरे पर पहुंच गई। अब आपको आंखें खुली बिना ही यह जो हाथ है, इस हाथ में आप देखेंगे कि इन चार उंगलियों में 12 पोर हैं – 1, 2, 3, 4। इन 12 पोरों में आपको 12 मंत्रों का जाप करना है।

एक-एक मंत्र का एक-एक करके जाते जाना, अंगूठा देते जाना, जाप करते जाना, अंगूठा देते जाना, जाप करते रहिए, अंगूठा आगे लगाते रहिए। इस प्रकार से आपका जो 12-12 है, वह पूरा हो जाए। पूरा हो जाए, तो आपको इस हाथ में क्या करना है? इस हाथ में निशान लगा लेना है।

फिर से आपको 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12। आपने फिर दूसरे पोर पर इस प्रकार से दूसरे हाथ में गिनेंगे – 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 पोर गिनेंगे, तो आपके 108 मंत्र पूरे हो जाएंगे। इस प्रकार से आप 108 मंत्रों को पूर्ण कर लीजिए। 108 मंत्रों को पूर्ण करते आपकी एक माला पूर्ण हो गई। एक माला पूर्ण हो गई और वह जो मंत्र आपने पहले जपा था, वह सुमेरु हो गया।

अब इस प्रकार से आपकी यह साधना चलते रहेगी, चलती रहेगी, चलती रहेगी, चलती रहेगी। कुछ दिनों में आपको अपने आप ऐसे आभास होने लगेगा कि कोई भी जो जातक है, आपके सामने आकर के बैठा है।

सामने आकर के बैठते ही उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ते हैं, हस्तरेखा देखने के लिए पकड़ते हैं हाथ। हस्तरेखा देखते ही, हाथ पकड़ते ही उसका भूत, भविष्य, वर्तमान धीरे-धीरे धीरे-धीरे आपके सामने प्रकट होना शुरू होगा। इसका अभ्यास करना पड़ेगा। एकदम नहीं होगा, एकदम गड़बड़ हो जाएगी। तो पहले हल्का-हल्का, हल्का-हल्का आपको पता चलेगा कुछ-कुछ-कुछ-कुछ। तो आप श्योर हो जाइए, अब मुझे यह शब्द कहना है।

कई बार क्या होता है कि ऐसी बातें आ जाएंगी जो आपको नहीं भी कहनी होती हैं और वह अगर आप कह देते हैं तो मुश्किल में आ जाते हैं। तो आपको चुनाव करना है।

पहले अभ्यास करना धीरे-धीरे बोल करके और सोच-समझ के बोलना कि कौन सी बात बोलनी है, कौन सी नहीं बोलनी क्योंकि सामने जो जातक बैठा है, उसकी सारी बातें आएंगी आपके दिमाग में। तो सारी बातें अगर बोल दी तो मुसीबत का कारण, मुसीबत मोल लोगे आप। तो इस प्रकार से सोच-समझ के आपको बोलना कि कौन सी बात बोलनी है, कौन सी बात नहीं बोलनी है।

 

पंचांगुली शाबर मंत्र 

ॐ नमो पंचांगुली परशरी माता मयंगल वशीकरणी लोहमय

दंडमाणिनी चौसठ काम विहडनी रणमध्ये राउलमध्ये शत्रुमध्ये

दीपानमध्ये भूतमध्ये प्रेतमध्ये पिशाचमध्ये झोंटिंगमध्ये डाकिनीमध्ये

शंखिनीमध्ये यक्षिणीमध्ये दोषिणीमध्ये गुणीमध्ये गारुडीमध्ये

विनारीमध्ये दोषमध्ये दोषशरणमध्ये दुष्टमध्ये घोर कष्ट मुझ ऊपर बुरो

जो कोई करे करावे जड़े जडावे चिन्ते चिन्तावे तस माथे की माता

पंचांगुली देवी तणो वज्र निर्धार पड़े ॐ ठं ठं ठं स्वाहा ।।

 

गोपनीयता और अभ्यास का महत्व

अब जैसे कोई आदमी आकर बैठा और उसने कोई चोरी की है या उसने कोई मर्डर किया है या उसकी उसकी बीवी के कोई गलत अफेयर चल रहे हैं या उसकी बहन किसी के साथ गलत अफेयर कर रही है, आपके सामने तो सब बातें आ गईं, लेकिन इन बातों को कह दिया आपने, तो कोई बड़ी गड़बड़ हो सकती है।

इसलिए इस साधना में आपको धीरे-धीरे सोच-समझ के एक-एक शब्द बोलने का अभ्यास कर लेना चाहिए। अभ्यास कर लेंगे, तो कुछ दिनों में यह परिपक्वता अपने आप पैदा होना शुरू हो जाएगी और फिर आप किसी का भी हाथ देखेंगे या कुंडली देखेंगे, करोगे, तो उसका सारा भूत, भविष्य, वर्तमान आपके सामने आ जाएगा।

आप अपने जातक को बुराइयों से, बुरे कर्मों से, खतरों से, इन सब से बचा सकते हो। आप अपने जातक को जो पूर्व काल में हो चुका है, वह बातें भी बता सकते हो। बहुत सारी गुप्त बातें, तो उसे भी नहीं पता है, वह भी आप बता करके उसका कल्याण कर सकते हो।

इसे कल्याण की दृष्टि से ही लेना यह साधना को। जो आदमी कल्याण की दृष्टि से लेकर के साधना करता है, वह आदमी पंचांगुली की साधना में प्रवीण हो जाता है।

Panchanguli Sadhana पंचांगुली साधना का निष्कर्ष

इस साधना में न तो कोई भोग है, न कोई माला है, न कोई विधि-विधान है। सिंपल एकदम आसान विधि-विधान, एकदम आसान तरीका। इस प्रकार से इस साधना को करके आप कालज्ञानी बन सकते हो और बिना मेहनत के, बिल्कुल आसान, बिस्तर पर बैठे-बैठे करने की साधना है।

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मैं रुद्र नाथ हूँ — एक साधक, एक नाथ योगी। मैंने अपने जीवन को तंत्र साधना और योग को समर्पित किया है। मेरा ज्ञान न तो किताबी है, न ही केवल शाब्दिक यह वह ज्ञान है जिसे मैंने संतों, तांत्रिकों और अनुभवी साधकों के सान्निध्य में रहकर स्वयं सीखा है और अनुभव किया है।मैंने तंत्र विद्या पर गहन शोध किया है, पर यह शोध किसी पुस्तकालय में बैठकर नहीं, बल्कि साधना की अग्नि में तपकर, जीवन के प्रत्येक क्षण में उसे जीकर प्राप्त किया है। जो भी सीखा, वह आत्मा की गहराइयों में उतरकर, आंतरिक अनुभूतियों से प्राप्त किया।मेरा उद्देश्य केवल आत्मकल्याण नहीं, अपितु उस दिव्य ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाना है, जिससे मनुष्य अपने जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझ सके और आत्मशक्ति को जागृत कर सके।यह मंच उसी यात्रा का एक पड़ाव है — जहाँ आप और हम साथ चलें, अनुभव करें, और उस अनंत चेतना से जुड़ें, जो हमारे भीतर है ।Rodhar nathhttps://gurumantrasadhna.com/rudra-nath/