चौराहे वाली माता की कहानी – चौराहे वाली माता कौंन है

चौराहे वाली माता की कहानी - चौराहे वाली माता कौंन है
चौराहे वाली माता की कहानी – चौराहे वाली माता कौंन है

चौराहे वाली माता की कहानी – चौराहे वाली माता कौंन है जय मां काली, तो आज का यह पोस्ट  बहुत ही ज्यादा खास होने वाला है क्योंकि इस पोस्ट  के माध्यम से मैं आपको यह बताऊंगी कि चौराहे वाली माता कौन है क्योंकि एक भाई ने प्रश्न किया था कि क्या चौराहे वाली माता ही माता शीतला है

तो अगर आपके मन में भी कुछ इसी प्रकार से प्रश्न चल रहे हैं कि कौन है चौराहे वाली माता या माता शीतला, क्या वे एक ही हैं, तो यह वीडियो आपके लिए ही है। तो अगर आप भी इस बारे में जानना चाहते हैं तो post को अंत तक जरूर पढ़े और इसके साथ ही 

 

तो आप सब ने मुझे यह कहते हुए कई पोस्ट  में पढ़ा  होगा कि माता चौराहे वाली को कोई भी साधना करने से पहले या किसी भी देवी-देवता को भोग देने से पहले या हवन करने से पहले इन माता को या चौराहे वाली माता को भोग देना बहुत ज्यादा जरूरी होता है।

तो अब मैं आपको यही बताऊंगी कि क्यों माता चौराहे वाली को भोग देना इतना ज्यादा जरूरी होता है, क्यों किसी भी साधना में माता चौराहे वाली को भोग दिया जाता है, क्या है इनका किसी भी साधना में स्थान, किस प्रकार से इनकी शक्तियां कार्य करती हैं, यह किस-किस प्रकार के कार्यों को करती हैं, कौन हैं माता चौराहे वाली।

लेकिन उससे पहले मैं आपको यह बता देती हूं कि कई व्यक्तियों के मन में यह कन्फ्यूजन होती है कि माता शीतला और माता चौराहे वाली एक ही हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।

जो माता शीतला हैं, जो गर्दभ पर सवार होती हैं, जिनके एक हाथ में झाड़ू होता है, एक हाथ में जल का कलश होता है, वो माता पार्वती का स्वरूप हैं, वो स्वयं जगत जननी का ही एक अवतार हैं, जिनको माता शीतला कहा जाता है।

और माता शीतला, जिनका होली के बाद जो बसोड़े शुरू होते हैं, इस दिन माता की पूजा की जाती है, वह माता शीतला हैं।

और जो माता चौराहे वाली हैं, यह चौराहे वाली माता अलग हैं। इनको माता चौगानन, माता मदानन, माता मसानी, छोटी माता, चौराहे वाली माता, थानों वाली माता, कलरों वाली माता और बाहरली माता के नाम से जाना जाता है।

यानी कि जो माता चौराहे वाली हैं, इनका वास चौराहे, मैदान, चौगान, मसान, इन सभी स्थानों पर होता है और इनकी शक्तियां इन सभी स्थानों पर अपना कार्य करती हैं और अपनी पूर्ण शक्तियों के साथ ही इन स्थानों पर माता का वास होता है।

और चौराहे पर विशेष रूप से और मैदान में इस देवी का भोग दिया जाता है। और जो माता चौराहे वाली हैं, यह देवी सात्विक रूप से भी चलती हैं और तामसिक रूप से भी चलती हैं। और माता चौराहे वाली यानी जो माता मदानन हैं, माता मसानी हैं, माता चौगानन हैं, यह देवी बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली होती हैं।

यानी कि इस देवी में इतना सामर्थ्य है कि यह देवी नकारात्मक शक्तियों के साथ-साथ सकारात्मक शक्तियों को भी रोक सकती हैं।

यानी कि भूत, प्रेत, जिन्न, मसान, इस प्रकार की जो नकारात्मक शक्तियां होती हैं, यह चाहे कितनी भी ताकतवर हों, कितनी भी भयानक शक्तियां हों, यह माता मदानन यानी कि जो माता चौराहे वाली होती हैं, इनके समक्ष नहीं टिक पातीं।

यानी कि अगर किसी व्यक्ति ने किसी का बुरा करने के लिए किसी नकारात्मक शक्ति को भेजा है और अगर वो व्यक्ति माता मसानी की यानी कि जो चौराहे वाली माता हैं, माता मदानन, माता चौगानन, इनकी शरण में चला जाए तो वह नकारात्मक शक्ति उस व्यक्ति का कुछ भी बुरा नहीं कर पाती।

और अब मैं आपको यह बता देती हूं कि मैं आपको चौराहे वाली माता को सभी साधना करने से पहले या हवन करने से पहले या भोग देने से पहले क्यों कहती हूं कि इस देवी का भोग देना जरूरी होता है।

क्योंकि जैसे मैंने आपको बताया कि इस देवी का वास चौराहे और मैदान में होता है, तो जब कोई सकारात्मक शक्ति या नकारात्मक शक्ति, यानी कि कई बार ऐसा होता है कि कोई भगत, साधक या तांत्रिक अपनी दुश्मनी को पूरा करने के लिए या किसी भी कारण से नकारात्मक शक्ति को व्यक्ति के ऊपर भेजता है, तो जब वो नकारात्मक शक्ति आप तक आती है तो वह नकारात्मक शक्ति चौराहे, मैदानों के माध्यम से होकर ही आप तक पहुंचती है।

तो अगर ऐसे में आपने चौराहे वाली माता को प्रसन्न किया हुआ है, चौराहे वाली माता आप से प्रसन्न हैं और आप चौराहे वाली माता को भोग देते हैं तो वो नकारात्मक शक्ति कभी भी आप तक नहीं आती। वो माता चौराहे वाली वहीं से ही उस नकारात्मक शक्ति को वापस भेज देती हैं और आपको बचा लेती हैं।

और उसी तरीके से जब आप कोई साधना करते हैं और जब आप साधना करते हैं तो उस साधना से प्रसन्न होकर सकारात्मक शक्तियां आपकी तरफ आकर्षित होती हैं और आपके घर तक आती हैं, आपके पास तक आती हैं।

और जब वह सकारात्मक शक्तियां आपके पास आती हैं तो वह सकारात्मक शक्तियां भी चौराहे और मैदान से होकर ही आपके पास आती हैं। और अगर ऐसे में आपने उस साधना में या उस हवन के दौरान या उस पूजा के दौरान आपने चौराहे वाली माता को भोग नहीं दिया होता तो ऐसे में वो चौराहे वाली माता उस सकारात्मक शक्ति को भी वहीं रोक लेती हैं।

और अगर आपने चौराहे वाली माता को भोग दिया होता है तो चौराहे वाली माता उस सकारात्मक शक्ति को आपके घर तक आने देती हैं और आप पर कृपा करने देती हैं।

तो इसीलिए ही मैं आपको अपनी हर पोस्ट में कहता हूं कि जब भी आप कोई साधना करें या जब भी आप कुछ हवन करते हैं, अनुष्ठान करते हैं या किसी भी देवी-देवता की कोई साधना करते हैं तो उस समय पर आप चौराहे वाली माता को भोग जरूर दें क्योंकि चौराहे वाली माता ही हैं जो आप तक शक्तियों को पहुंचा भी सकती हैं और शक्तियों को रोक भी सकती हैं।

और इसके साथ-साथ इसका फायदा यह भी है कि अगर आप चौराहे वाली माता को भोग देते हैं तो यह माता आपसे प्रसन्न हो जाती हैं।

और जब चौराहे वाली माता आपसे प्रसन्न हो जाती हैं तो आपको किसी भी नकारात्मक शक्ति का कोई भय नहीं रहता क्योंकि माता चौराहे वाली के समक्ष कोई भी शक्ति अपना कार्य कर ही नहीं पाती क्योंकि यह शक्ति एक पल में उस नकारात्मक शक्ति को नष्ट करने में समर्थ है।

यानी अगर किसी व्यक्ति के ऊपर कुछ बुरी शक्ति है या तांत्रिक क्रिया की हुई है या कोई भयंकर शक्ति उस व्यक्ति के ऊपर छोड़ी हुई है, अगर वह व्यक्ति चौराहे वाली माता का कोई उतारा करता है 

या चौराहे वाली माता के माध्यम से अपने संकटों को कटवाता है तो माता चौराहे वाली, माता मदानन, माता मसानी, माता चौगानन पल भर में उस व्यक्ति के ऊपर से नकारात्मक शक्ति को खत्म कर देती हैं। तो इस प्रकार से हैं माता चौराहे वाली।

तो आशा है जिन भाई ने यह प्रश्न किया था कि चौराहे वाली माता, माता शीतला एक ही हैं या कौन हैं चौराहे वाली माता, तो उनको समझ आया होगा। तो आपको जानकारी पसंद आई है तो पोस्ट  को लाइक करें और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शेयर करें।

 

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Rodhar nath
मैं रुद्र नाथ हूँ — एक साधक, एक नाथ योगी। मैंने अपने जीवन को तंत्र साधना और योग को समर्पित किया है। मेरा ज्ञान न तो किताबी है, न ही केवल शाब्दिक यह वह ज्ञान है जिसे मैंने संतों, तांत्रिकों और अनुभवी साधकों के सान्निध्य में रहकर स्वयं सीखा है और अनुभव किया है।मैंने तंत्र विद्या पर गहन शोध किया है, पर यह शोध किसी पुस्तकालय में बैठकर नहीं, बल्कि साधना की अग्नि में तपकर, जीवन के प्रत्येक क्षण में उसे जीकर प्राप्त किया है। जो भी सीखा, वह आत्मा की गहराइयों में उतरकर, आंतरिक अनुभूतियों से प्राप्त किया।मेरा उद्देश्य केवल आत्मकल्याण नहीं, अपितु उस दिव्य ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाना है, जिससे मनुष्य अपने जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझ सके और आत्मशक्ति को जागृत कर सके।यह मंच उसी यात्रा का एक पड़ाव है — जहाँ आप और हम साथ चलें, अनुभव करें, और उस अनंत चेतना से जुड़ें, जो हमारे भीतर है ।Rodhar nathhttps://gurumantrasadhna.com/rudra-nath/