शत्रु शमन गुरु गरोखनाथ साधना – शत्रु हाथ जोड़कर माफी मांगेगा shatru hath jod kar maafi maangna ph.85280 57364

शत्रु शमन गुरु गरोखनाथ साधना - शत्रु हाथ जोड़कर माफी मांगेगा shatru hath jod kar maafi maangna
शत्रु शमन गुरु गरोखनाथ साधना – शत्रु हाथ जोड़कर माफी मांगेगा shatru hath jod kar maafi maangna

शत्रु शमन गुरु गरोखनाथ साधना – शत्रु हाथ जोड़कर माफी मांगेगा shatru hath jod kar maafi maangna शत्रु शमन जीवन में शत्रु तंग न करे, अब चाहे वह शरीरी हो या अशरीरी अर्थात अगर कोई पीड़ा देता है, तो वह शांत हो जाए, इसके लिए शाबर मंत्रों के क्षेत्र में एक विलक्षण प्रयोग है, जिसको संपन्न करते-करते शत्रु अपनी शत्रुता को भूल स्वयं ही संमुख उपस्थित होता है। 

इस प्रयोग को संपन्न करने के इच्छुक साधक या साधिका को चाहिए कि वह एक नीबू प्राप्त कर प्रयोग के दिन अपने सामने रखे तथा काली धोती पहनकर उत्तर दिशा की ओर मुख कर तेल का एक बड़ा-सा मिट्टी का दीपक जलाकर निम्न मंत्र का 1008 जप करे। 

यह रात्रिकालीन साधना है तथा इसमें किसी विशेष विधि-विधान की _आवश्यकता नहीं है। यह केवल तीन दिवसीय साधना है। मंत्र इस प्रकार । 

असगंध का जोता गोरखनाथ का चेला, गुरु गोरख ने दांव है खेला, अछतर बछतर तीर कमंदर, तीन मछंदर तीन कमंदर, पांच गुरु का पांच ही चेला, एक गोरख का यह सब खेला, सबद सांचा पिण्ड कांचा फुरो मंत्र ईसवरो वाचा ।। , मंत्र जप के पश्चात दीपक को एक ही फूंक मारकर बुझा दें तथा वहीं सो जाएं।

 

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Rodhar nath
मैं रुद्र नाथ हूँ — एक साधक, एक नाथ योगी। मैंने अपने जीवन को तंत्र साधना और योग को समर्पित किया है। मेरा ज्ञान न तो किताबी है, न ही केवल शाब्दिक यह वह ज्ञान है जिसे मैंने संतों, तांत्रिकों और अनुभवी साधकों के सान्निध्य में रहकर स्वयं सीखा है और अनुभव किया है।मैंने तंत्र विद्या पर गहन शोध किया है, पर यह शोध किसी पुस्तकालय में बैठकर नहीं, बल्कि साधना की अग्नि में तपकर, जीवन के प्रत्येक क्षण में उसे जीकर प्राप्त किया है। जो भी सीखा, वह आत्मा की गहराइयों में उतरकर, आंतरिक अनुभूतियों से प्राप्त किया।मेरा उद्देश्य केवल आत्मकल्याण नहीं, अपितु उस दिव्य ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाना है, जिससे मनुष्य अपने जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझ सके और आत्मशक्ति को जागृत कर सके।यह मंच उसी यात्रा का एक पड़ाव है — जहाँ आप और हम साथ चलें, अनुभव करें, और उस अनंत चेतना से जुड़ें, जो हमारे भीतर है ।Rodhar nathhttps://gurumantrasadhna.com/rudra-nath/