मधुमती विद्या – साधना सबसे बड़ी आकर्षण वशीकरण की साधना ph.8528057364

मधुमती विद्या - साधना सबसे बड़ी आकर्षण वशीकरण की साधना ph.8528057364
मधुमती विद्या – साधना सबसे बड़ी आकर्षण वशीकरण की साधना ph.8528057364

Madhumati vidya मधुमती विद्या – साधना सबसे बड़ी आकर्षण वशीकरण की साधना ph.8528057364 आप सभी को तो आप लोगों ने देख लिया होगा अभी जो आज जो योगिनी साधना मैं दे रहा हूं इनका नाम है मधुमती योगिनी बहुत ही अच्छी योगिनी है और इनका जो साधन है वह भी बहुत अच्छी है कोई इंसान अगर चाहे तो अगर नया साधक भी कर सकता  है यह साधना में आपको जो है जो नॉर्मली साधना का नियम है वह सारा मानना होता है

पहले बता दो यह योगिनी सिद्ध होने के बाद क्या क्या काम करती है सिद्ध हो जाता है माता रूप में सिद्ध होगी तो आपको जो आपको जो है छठ कर्म  से लेकर तंत्र में जितने भी चीज हैं मतलब यह शक्ति कोई भी चीज मतलब ऐसा नहीं है कि नहीं कर सकती है लिमट  होता है कि यह नहीं कर सकता है कर सकती ऐसा कुछ है के द्वारा तंत्र का जितना भी चीज किया जा सकता है

सही करवा सकते हो इतना पावरफुल है और मधुमती योगिनी है सुंदर है बहुत ही और इनको आपको माता रूप में सिद्ध करना है और यह आपको आपको आपको करना है पूर्णिमा के दिन से पूर्णिमा के दिन से रात को 10 या 11 बजे आपको अच्छा सा एक जगह देख लेना है

जहां पर आप जो है इसको करोगे और यह देखिए तीन चार दिन पहले से प्रेक्टिस करेगा विधि विधान का क्या करते डायरेक्टली साधना में बैठ जाते हैं उसके बाद साधना सफल नहीं होता है क्योंकि उनको लंबे समय तक बैठने की आदत ही नहीं है चैटिंग तो मैं कभी बोल रहा हूं बहुत सारे लोग को डायरेक्टली

मधुमती साधना मंत्र 

 श्री मधुमति दिश: स्थावर जंगमाः सागर पुरत्नानि सर्वेषां कर्षिणी ठं ठं स्वाहा ।

साधन विधि – जो मनुष्य इस मन्त्र का एक वर्ष तक प्रतिदिन १०८ की संख्या में जप करता है, उसे यह विद्या सिद्ध होती है । यह विद्या समस्त ज्ञानों की प्रकाशक है । यह सुमेरू, दिशा, सागर, नदी, रत्न, पुरी, स्त्री, वनस्पति तथा पाताल स्थित सभी अलम्य द्रव्यों का आकर्षण करती है । इसके द्वारा राजा का पुर, स्थान तथा वृतान्त सभी जाना जा सकता है । साधक मनुष्य रात्रिकाल में शैया पर १०८ बार इस मन्त्र का जप करके सिद्धि को प्राप्त होता है ।

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Rodhar nath
मैं रुद्र नाथ हूँ — एक साधक, एक नाथ योगी। मैंने अपने जीवन को तंत्र साधना और योग को समर्पित किया है। मेरा ज्ञान न तो किताबी है, न ही केवल शाब्दिक यह वह ज्ञान है जिसे मैंने संतों, तांत्रिकों और अनुभवी साधकों के सान्निध्य में रहकर स्वयं सीखा है और अनुभव किया है।मैंने तंत्र विद्या पर गहन शोध किया है, पर यह शोध किसी पुस्तकालय में बैठकर नहीं, बल्कि साधना की अग्नि में तपकर, जीवन के प्रत्येक क्षण में उसे जीकर प्राप्त किया है। जो भी सीखा, वह आत्मा की गहराइयों में उतरकर, आंतरिक अनुभूतियों से प्राप्त किया।मेरा उद्देश्य केवल आत्मकल्याण नहीं, अपितु उस दिव्य ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाना है, जिससे मनुष्य अपने जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझ सके और आत्मशक्ति को जागृत कर सके।यह मंच उसी यात्रा का एक पड़ाव है — जहाँ आप और हम साथ चलें, अनुभव करें, और उस अनंत चेतना से जुड़ें, जो हमारे भीतर है ।Rodhar nathhttps://gurumantrasadhna.com/rudra-nath/