sawan maas mein shiv sadhana शिव मंत्र साधना से कुंडलिनी जागरण | सावन मास में पाएं दिव्य अनुभव

सावन मास शिव साधना शिव मंत्र साधना से कुंडलिनी जागरण | सावन मास में पाएं दिव्य अनुभव sawan maas mein shiv sadhana जय सियाराम प्यारे साधकों हर हर महादेव। आज की यह लेख बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाली है। आज मैं जानकारी ले आया हूं सावन के इस पवित्र महीने में हम भगवान भोलेनाथ की किस प्रकार से साधना कर सकते हैं।
क्या हमारा प्रोसेस रहेगा और किस प्रकार से हम भगवान शिव के मंत्र का जाप करके अपनी कुंडलिनी शक्ति को अनुभव कर सकते हैं।
अपनी दिव्य दृष्टि से सूक्ष्म जगत के हम दर्शन कर सकते हैं और अपनी वाक् सिद्धि को बहुत ज़्यादा प्रबल कर सकते हैं और बहुत ज़्यादा अपनी सिद्धि शक्तियों को प्राप्त करके लोक कल्याण का कार्य भी कर सकते हैं।
तो प्यारे साधकों यह पोस्ट आप ही के लिए है। यदि आप एक बेसिक साधक हैं, एक न्यू साधक हैं और आप भी मंत्रों का जाप करना चाहते हैं। आप भी अपने देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं या आप एक एडवांस लेवल के साधक हैं।
काफी समय से आप प्रयासरत हैं अपनी सिद्धि शक्ति को प्राप्त करने के लिए, अपनी दिव्य दृष्टि को एक्टिवेट करने के लिए या कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने के लिए। तो प्यारे साधकों अब आपको किस प्रकार से प्लान करना है, वो मैं बता देता हूं।
sawan maas mein shiv sadhana चातुर्मास का महत्व और भोलेनाथ की कृपा

जैसे आप सभी जानते हैं 6 जुलाई से हमारे 1 नवंबर तक विष्णु भगवान पूर्ण रूप से योग निद्रा में चले गए हैं। अब इन चातुर्मास का जो अपने हमारे ग्रंथों के अंदर बहुत ज़्यादा महत्व होता है कि इस दौरान यदि कोई भी व्यक्ति अपने इष्ट की सेवा करता है या किसी भी देवी-देवता की सेवा भाव करता है तो 100% उसे पुण्यों की प्राप्ति होती है।
तो उसी प्रकार से अब इन चार महीनों को जो होल्ड करेंगे वह करेंगे हमारे भगवान भोलेनाथ शिव शंकर भोलेनाथ। तो शिव भगवान इन चार महीनों में आपकी सिद्धि साधनाओं को सफल करने वाले देवता बनेंगे।
sawan maas mein shiv sadhana सावन मास में साधना की योजना
तो इन चातुर्मास के अंदर आपको बोला जाता है तीर्थों के आप दर्शन कर सकते हैं। तीर्थों पे आप जाकर अपने गुरु मंत्र का जाप कर सकते हैं या कोई भी सिद्धि साधना करते हैं तो उसका पुण्य बहुत ज़्यादा मिलता है।
तो, इसी प्रकार से अभी सावन का जो महीना चालू होने वाला है, 11 जुलाई से चालू हो रहा है जो कि 9 अगस्त तक हमारा चलेगा। अब आप एक एडवांस लेवल के साधक हैं तो आप एक साधना उठा सकते हैं जो कि 11 तारीख से लेकर 9 अगस्त तक 30 दिन की एक साधना को भी आप उठा सकते हैं कि पूरा सावन के महीने में आप भगवान भोलेनाथ की सेवा करने जा रहे हैं।
यदि आप कोई जॉब करते हैं, कोई बिज़नेस करते हैं, ज़्यादा समय नहीं होता है, तो पूर्ण रूप से आप साप्ताहिक भी कर सकते हैं कि हर सोमवार के दिन चारों सोमवार जैसे 14 जुलाई, 21 जुलाई, 28 जुलाई और 4 अगस्त — इन चार महाशिवरात्रि का एक तरीके से जो पर्व है उसको सेलिब्रेट कर सकते हैं।
sawan maas mein shiv sadhana सावन मास शिव साधना – साधना के विविध तरीके
इस दिन आप फलाहार ले सकते हैं या इस दिन आप फास्टिंग भी कर सकते हैं या कोई किसी भी जैसे शिव पुराण का पाठ करना हो इस प्रकार के पाठों को भी कर सकते हैं। यदि आप राम भक्त हैं, शिव या बालाजी के भक्त हैं तो आप रामायण जी का भी पाठ कर सकते हैं और भगवान भोलेनाथ को सुना सकते हैं।
तो इस प्रकार से भी आप प्लान करते हैं। किसी भी साधना को करने से पहले सबसे पहले हम भगवान गणेश जी का ध्यान करते हैं। उनका हम नमन करते हैं और गणेश जी का हम पंचोपचार से पूजन करते हैं।
कोई भी हम चौकी स्थापित कर सकते हैं। चौकी के ऊपर गणेश जी का पीले चावल छोड़कर हम पंचोपचार से पूजन करेंगे सर्वप्रथम। उसके बाद में आपने यदि गुरु दीक्षा ली हुई है तो आप गुरु का अपना पूजन करेंगे।
गुरु का पूजन करने के उपरांत यदि आपके कोई शरीरधारी गुरु नहीं हैं, आपने अपने इष्ट देवी-देवता या भगवान भोलेनाथ को ही अपना गुरु मान रखा है तो आप भगवान भोलेनाथ का पंचोपचार से पूजन करेंगे।
sawan maas mein shiv sadhana सावन मास शिव साधना – मुख्य पूजन विधि और मंत्र जाप
उसके उपरांत आप अपने मेन मंत्र के ऊपर आएंगे। मतलब अपने मेन इष्ट के ऊपर आएंगे। आप भगवान भोलेनाथ के एक सुंदर से चित्र को रख सकते हैं। यदि आपके मंदिर में पहले से ही कोई मूर्ति है तो उसी मूर्ति को आप स्नान करा के बढ़िया तरीके से उनकी स्थापना कर सकते हैं।
पंचोपचार से पूजन करने के बाद में उनकी आरती करने के बाद में आप उनको मिष्ठान्न का भोग लगा सकते हैं। प्रसाद चढ़ा सकते हैं। फल फूल जो भी आप समर्पित करना चाहते हैं आप भगवान भोलेनाथ को समर्पित कर सकते हैं।
अब जब यह आपका पूजन क्रम कंप्लीट हो जाता है, तो सबसे पहले हमारा जो सबसे प्रभावी मंत्र होता है, शिव साधना के लिए पंचाक्षरी मंत्र है और शिव मंत्र यह इतना ज़्यादा पावरफुल होता है कि किसी भी व्यक्ति की कुंडलिनी शक्ति को बिना किसी पेन के उठाने का दम रखता है।
सबसे पावरफुल मंत्र बोला जाता है। क्योंकि कहीं ना कहीं हमारी जो कुंडलिनी शक्ति है वह माता पार्वती का ही स्वरूप है और जो हमारे शिव हैं जो ब्रह्म रंध्र से हमारे कुंडलिनी के साथ में जो मिलन होता है एक तरीके से बोला जाता है शिव शक्ति का मिलन — इसे ही हम कुंडलिनी शक्ति का जागरण कहते हैं।
तो इस हमारे शिव मंत्र का जो कि “नमः शिवाय” का मंत्र होता है जिसमें पांच अक्षर मंत्र होते हैं। यह अपने आप में बहुत ज़्यादा पावरफुल है। यदि हम इसमें आगे और पीछे प्रणव लगा देते हैं “ॐ” तो यह षडाक्षरी या षडक्षरी मंत्र बन जाता है।
sawan maas mein shiv sadhana सावन मास शिव साधना – कुंडलिनी जागरण की प्रक्रिया

अब जब कोई भी साधक शिव मंत्र का जाप करता है तो उसके शरीर की 72,000 नाड़ियां पूर्ण रूप से एक्टिवेट होकर उसके शरीर के अंदर में कॉस्मिक एनर्जी को भरने लग जाती है और पूरा ओरा उसका ब्लूइश कलर का दिखाई देने लगता है।
और शिव मंत्र एक बहुत ज़्यादा सौम्य मंत्र है। इसके जाप से हमारे शरीर के ऊपर कोई भी दुष्परिणाम नहीं आते हैं। तो कोई भी साधक अपने इस मंत्र का जाप करके कुंडलिनी शक्ति को आसानी से फील कर सकता है और सिद्धि शक्तियों को तुरंत से आकर्षित कर सकता है।
अब हमारा सबसे अहम पड़ाव जो होने वाला है इस साधना में वो रहेगा — संकल्प।
sawan maas mein shiv sadhana सावन मास शिव साधना – संकल्प और न्यास की विधि

कोई भी साधना की जाती है तो हम देवी-देवता से अपना संकल्प लगाते हैं। तो आप संकल्प लगाना सभी जानते हैं। आपको देवता का आह्वान करना होता है और उनसे प्रार्थना करनी होती है कि मेरा यह नाम है। मेरे पिता का यह नाम है, एड्रेस यह है, गोत्र यह है और मैं भगवान भोलेनाथ आपकी साधना करने जा रहा हूं।
कृपया करके आपकी जो भी मनोकामना है, वह आपको बोल देनी है और संकल्प में बोलना है कि मैं कम से कम इन 11 दिन के अंदर सवा लाख मंत्रों का जाप करूंगा या मैं इस पूरे सावन के महीने में 30 दिन के अंदर सवा पांच लाख मंत्रों का जाप करूंगा।
सबसे पहले तो आपको अपना बढ़िया तरीके से बैठ जाना है। न्यास करना है। मंत्र की ऊर्जा को अपने संपूर्ण शरीर के अंदर स्थापित करना है।
अब आपको सबसे पहले न्यास कर लिया कि यह मंत्र “ॐ नमः शिवाय” के न्यास का हिस्सा है, जो भगवान शिव को समर्पित है। “अंगुष्ठाभ्यां समर्पयामि” का अर्थ है “अंगूठे से स्पर्श करता हूँ”, “तर्जनीभ्यां समर्पयामि” का अर्थ है “तर्जनी उंगली से स्पर्श करता हूँ”, और “मध्यमाभ्यां समर्पयामि” — पूरे शरीर के अंगों को स्पर्श करके मंत्र की ऊर्जा को हम समाहित कर लेते हैं।
अब हम यहां पे प्रोटेक्शन हो गया है हमारा। ऊर्जा हम शिव तुल्य हो गए हैं शिव के मंत्र को जप करने के लिए।
sawan maas mein shiv sadhana सावन मास शिव साधना – ध्यान और इमेजिनेशन की महत्ता
अब आपको सबसे पहले थर्ड आई मतलब आंखों को भी आप बंद करके जाप कर सकते हैं ताकि आपका कंसंट्रेशन लेवल ज़्यादा से ज़्यादा बने। यदि आप आंख खोल के करते हैं तो आपकी आंखों की वजह से आपका ध्यान भटक सकता है।
तो आप आज्ञा चक्र पर इमेजिनेशन करेंगे कि आपका जो मंत्र है “ॐ नमः शिवाय” — वह पीले अक्षरों में गोल्डन कलर में आपकी थर्ड आई के पटल पर लिखा जा रहा है।
मन ही मन इस मंत्र का जाप करेंगे, और हार्ट के अंदर से उसकी गूंज सुननी है कि मंत्र की आवाज कैसी है।
जब आप आराम से, धीरे-धीरे मंत्र को फील करते हुए, सुनते हुए जाप करते हैं तो मंत्र की वाइब्रेशन आपके शरीर के अंदर गहराई तक जाती है।
sawan maas mein shiv sadhana बाधाएँ, अनुभव और अंतिम रहस्य
जब आपकी फ्रीक्वेंसी मंत्र से मेल खा जाती है तो आपकी कुंडलिनी शक्ति ऊपर की ओर चलना प्रारंभ कर देती है।
50% जाप के बाद आपको लग सकता है कि यह सब व्यर्थ है, छोड़ दूं। लेकिन यही समय है जब साधना परीक्षा लेती है।
आपको डरावने सपने आ सकते हैं, शरीर में दर्द हो सकता है — लेकिन ये संकेत हैं कि आपकी शक्ति जागृत हो रही है।
80% के बाद आपका मन उचाट हो सकता है। लेकिन नियम का पालन करना आवश्यक है। यदि कुंडलिनी किसी चक्र पर फंसी हो तो वह वहां से निकल कर ऊपर चढ़ती है।
अनुभवी साधकों की प्रेरणा
कुछ साधकों ने वर्षों तक सवा लाख पार्थिव शिवलिंग बनाकर सिद्धि प्राप्त की है। उनकी इच्छाएं स्वतः पूर्ण होती हैं।
सावन मास शिव साधना – ध्यान का अंतिम चरण और निष्कर्ष
अब आपको ध्यान में कम से कम 40 मिनट से 1 घंटे तक बैठना है और मन ही मन शिव से संवाद करना है।जब आप इस प्रकार से जाप और ध्यान करते हैं तो 100% आपकी साधना सफल होती है।
निष्कर्ष
तो प्यारे साधकों, इस सावन में आप अपनी साधना प्रारंभ कर सकते हैं। ध्यान करें, जाप करें और अपनी दिव्यता को प्राप्त करें।