पुतली तंत्र प्रयोग रहस्य putalee tantra prayog rahasy ph .85280 57364

 

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पुतली तंत्र प्रयोग रहस्य putalee tantra prayog rahasy ph .85280 57364 हमारी वेबसाइट  में आप सभी भाई-बंधुओं का स्वागत है। मैं हूँ, आज हम आपको बताएँगे कि बारह श्मशान में जो पुतले के ऊपर प्रयोग किया जाता है। तो आज जो है, श्मशान का एक प्रयोग है, श्मशान का जप जो कि शत्रु के ऊपर बहुत सारे तांत्रिक करते हैं।

बहुत पहले से, पुरातन समय से ही यह तंत्र जो है, चलता आ रहा है। इसमें होता यूँ है कि जो व्यक्ति होता है, उसका नाम, पता लिया जाता है और उसका बाल या फिर नाखून, उम्र या फिर कोई पेशाब की ऐसी वस्तु ली जाती है, जैसे कि मिट्टी, जहाँ उसने पेशाब किया हो, उस मिट्टी को लिया जाता है।

यानी कि कोई शारीरिक चीज़ ली जाती है, चाहे उसके सिर के बाल हों, उसका कोई नाखून हो या उसका कोई कपड़ा हो।

तो भी यानी कि कोई भी शारीरिक स्पर्श हो जाए, उसके शरीर का कोई भी अंग हो या वस्तु, उसके ऊपर तांत्रिक क्या करते हैं और करते आए हैं, कि यह एक पुतला बना लेते हैं, आटे का पुतला बना लेते हैं और मंत्रों द्वारा उसको जो है, फूँक देते हैं।

और उसका सीधा संबंध जो है, उस व्यक्ति का उस पुतले से हो जाता है। क्योंकि कैसे हो जाता है? तंत्र यही तो तंत्र है, जो आप दूर से नहीं कर सकते, वह होने लग जाता है।

तो फिर जो वह कहीं भी, अगर वह कहीं भी उस पुतले के अंदर, मान लो बड़ी सुई डालता है या फिर साही जानवर का काँटा होता है, बहुत लंबा, वह डालता है, तो वहीं-वहीं उसके दर्द होता है।

तो यह करते थे या करते हैं कि उस काँटे को दिल के आर-पार करके वहाँ पर गाड़ देते हैं। उस व्यक्ति का धीरे-धीरे इतना ज़्यादा दर्द बढ़ जाता है कि उसको कोई भी इलाज रास नहीं आता।

वह कोई भी इलाज करवाता है, वह सही नहीं हो पाता क्योंकि जब तक उस पुतले का तंत्र नहीं कटेगा, तब तक वह भले ही लाखों रुपए खर्च कर ले, तब तक उसको कोई भी प्रभाव उस पर नहीं पड़ेगा।

तो ऐसा हुआ भी है, मेरे पास केस आए हैं। नई दिल्ली से मेरे पास बहुत सारे केस आए एक ही बार में। वहाँ पर किसी तांत्रिक ने, मतलब दिल्ली में भी ऐसे तांत्रिक हैं जो इस तरीके की तांत्रिक प्रक्रिया जानते हैं, जो कि इस तरीके के कार्य करते हैं।

तो वह व्यक्ति जो है, मरणासन्न पर पड़ा हुआ था जब उन्होंने मेरे को फोन किया। तो अगर वह कुछ दिन लेट कर देते, तो उसकी स्थिति ही ऐसी थी कि उसको दुनिया छोड़कर जाना ही पड़ता। शरीर है, कब तक झेल सकता है, कोई सीमा होती है।

तो ऐसा करने से सारे शरीर पर ज़्यादा प्रभाव आना शुरू हो जाता है और सीरियस व्यक्ति मरणासन्न से ऊपर पहुँच जाता है।

तो उसको मेरे पास लाया गया गाड़ी पर और उसका मैंने तंत्र काट जो विधि-विधान से किया, उसके चार-पाँच दिन तक वह पूरा जो है, चलने-फिरने लग गया और दस दिन तक वह पूरा तंदुरुस्त हो गया। उसको टेस्ट वगैरह करवाए, कुछ भी नहीं आया था, ना ही पहले आया था और ना ही अब आ रहा था।

बस डॉक्टर उनको बोल रहे थे कि हुआ क्या है, यह समझ से परे है कि उनको कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। लेकिन उस व्यक्ति की जो जान पर आई हुई थी, तो वह दस दिन के बाद पूर्ण स्वस्थ हो गया।

और पहले वह पता नहीं महीनों-महीनों जो है, कभी इस डॉक्टर के, कभी उस डॉक्टर के। डॉक्टर वही ठीक कर सकता है अगर आपको कोई मामूली सी प्राकृतिक दिक्कत हो गई है।

आपकी सर्जरी करके वह आपको ठीक कर सकता है, बहुत पावर होती है डॉक्टर में भी। वह आपको कोई भी बीमारी अगर है तो बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज आज जो है, डॉक्टर जो है, कर सकते हैं, इतनी उनमें शक्ति है।

लेकिन इस बीमारी का इलाज वह नहीं कर सकते हैं। अगर यह बीमारी उनको भी दे दी जाए तो डॉक्टर खुद भी कहीं भी चला जाए, बड़े से बड़े हॉस्पिटल में चला जाए, वह ठीक नहीं होगा। तो तंत्र इतनी घातक बीमारी है।

क्योंकि पहले समय में इसीलिए कई बार होता था, तांत्रिक को मार भी दिया जाता था क्योंकि आज मारोगे तो आपके ऊपर पुलिस केस तो होगा ही होगा।

इसलिए जो है, पहले समय में लोग मार दिया करते थे अगर कोई ज़्यादा दुष्ट हो जाता था। तो इसलिए आज भी जो है, गुप्त तरीके से लोग काम करते हैं, किसी को परेशान करते हैं।

यह विद्या हमारे पास भी है लेकिन उपयोग में यह विद्याएँ तभी लाई जाती हैं जब कोई बड़ा ही दुष्ट इतना किसी को पीड़ित कर दे कि उसके पैर रखने की भी जगह ना हो, कि मैं कहाँ पैर रखकर साँस ले लूँ, कहाँ मैं किसके पास जाकर साँस ले लूँ।

साँस लेना तक दूभर कर दिया हो, उसके लिए यह प्रयोग किया जाता है। और हमने किया भी है ऐसे व्यक्ति पर किया है जिसको देखकर, जिसके कार्य, जिसके कर्म देखकर खून खौल जाए। ऐसे व्यक्ति पर किया था हमने, जब कि अंदर से हमारा खून खौला था तब किया था।

किसी लालच में इसका प्रयोग नहीं किया था। लालच में तो लाखों रुपए देने के लिए तैयार हो जाते हैं कि हमारे दुश्मन को यह कर दो, वह कर दो।

देखो, आप उसके दुश्मन हैं, वह आपका दुश्मन है, लेकिन दुश्मनी बनी है तो आप जो है, खुद लड़ो। कुछ भी हो सकता है, आप गलत हों, वह सही हो। दुश्मन का यह मतलब नहीं होता कि कोई दुश्मन है आपका, तो वह गलत है और आप भी तो उसके दुश्मन हैं, आप भी गलत हो सकते हैं उसके लिए।

इसलिए अगर वह ज़्यादा गलत करता है आपके साथ तो आप मुझे बता सकते हो कि यह बिना वजह इसने किया है।

अगर आपस में बहस कोई छोटी-मोटी बात को लेकर बढ़ गई, कल को उसके लिए यह नहीं कि आप मारण प्रयोग करवा दो। ऐसा है कि अगर मान लो हम भी जैसे एक इंसानियत के नाते जो होता है ना, तो ही किया जाता है।

मान लो इंसानियत के नाते हमें लगता है कि उसने, दरिंदों से भी… दरिंदा भी ऐसे गंदे कार्य नहीं करता जैसे तुमने कार्य किए हैं, तो हम उस व्यक्ति के लिए प्रयोग कर सकते हैं।

व्यक्ति हमसे संपर्क भी कर सकता है कि ऐसे कर्म करने वाला व्यक्ति है, कि आप उस पर प्रयोग कर देंगे? हम सोच-विचार के उसको बता सकते हैं, हाँ या ना में उत्तर दे सकते हैं। 

अगर कोई ऐसा दुश्मन है, दुश्मन ऐसा है आपका कोई, या कोई व्यक्ति ऐसा हो सकता है आपका दुश्मन ना हो, किसी को पीड़ित कर रहा है, गलत कार्य कर रहा है। 

वह आप उसके बारे में या आपको भी परेशान कर रखा है, उसके लिए मुझे बोल सकते हैं। उसके लिए मैं हाज़िर हूँ, लेकिन आपकी अपनी निजी दुश्मनी के लिए मुझे फोन ना करें क्योंकि उस निजी दुश्मनी में मैं किसी का भी घर बर्बाद नहीं कर सकता। मैं सिर्फ अच्छाई के लिए शक्तियों का प्रयोग कर सकता हूँ, बस।

तो यह जो है, अर्द्धरात्रि में जो यह पुतले की क्रिया होती है, इसको जब किया जाता है, एक घंटे के अंदर-अंदर पूरा जो है, जागृत हो जाता है पुतला। जब जागृत होता है तो आप क्रिया करते हैं, जैसी पीड़ा उसको देनी है, वैसी देते हो और फिर उसको गाड़ देते हो। 

उसको उखाड़ने वाला भी कोई नहीं, अगर उखाड़ देता है वहाँ से, तुरंत वहाँ से उसका तंत्र कट जाएगा।

मान लो पिन घुसेड़ दिया, तो पिन निकाल दोगे तो उसका तंत्र खत्म हो जाएगा। काट दोगे बीच में से पकड़कर, कोई अच्छा शांति मंत्र पढ़कर, तो कट जाएगा। 

लेकिन जब तक उसको उखाड़ेगा नहीं, तब तक नहीं हो सकता है। और पुतले में, पुतले के भी बंधन तंत्र बहुत सारे आते हैं, घातक से घातक।

मिलते हैं आपके लिए कोई और नई जानकारी लेकर, नए तंत्र के ऊपर कोई नई जानकारी लेकर मैं। तब तक के लिए नमस्कार।

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Rodhar nath
मैं रुद्र नाथ हूँ — एक साधक, एक नाथ योगी। मैंने अपने जीवन को तंत्र साधना और योग को समर्पित किया है। मेरा ज्ञान न तो किताबी है, न ही केवल शाब्दिक यह वह ज्ञान है जिसे मैंने संतों, तांत्रिकों और अनुभवी साधकों के सान्निध्य में रहकर स्वयं सीखा है और अनुभव किया है।मैंने तंत्र विद्या पर गहन शोध किया है, पर यह शोध किसी पुस्तकालय में बैठकर नहीं, बल्कि साधना की अग्नि में तपकर, जीवन के प्रत्येक क्षण में उसे जीकर प्राप्त किया है। जो भी सीखा, वह आत्मा की गहराइयों में उतरकर, आंतरिक अनुभूतियों से प्राप्त किया।मेरा उद्देश्य केवल आत्मकल्याण नहीं, अपितु उस दिव्य ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाना है, जिससे मनुष्य अपने जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझ सके और आत्मशक्ति को जागृत कर सके।यह मंच उसी यात्रा का एक पड़ाव है — जहाँ आप और हम साथ चलें, अनुभव करें, और उस अनंत चेतना से जुड़ें, जो हमारे भीतर है ।Rodhar nathhttps://gurumantrasadhna.com/rudra-nath/