मारण क्रिया से बचने के उपाय maran kriya se kaise bachne ke upay

ओम नमः शिवाय मित्रों! गुरु मंत्र साधना में आपका हार्दिक स्वागत करता है। आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि जिन लोगों के ऊपर मारण तंत्र का प्रयोग होता है, कैसे होता है, कौन करते हैं, क्या लक्षण होते हैं, उनका बचाव क्या है, उसका निवारण क्या हो सकता है। इन सभी बिंदुओं पर आज चर्चा करूँगा।
तो मित्रों, मारण क्रिया तंत्र की एक क्रिया होती है। हमारा जो तंत्र शास्त्र है, उसमें छह अंग होते हैं, छह प्रधान अंग होते हैं। कौन-कौन से होते हैं? मारण, मोहन, वशीकरण या आकर्षण, विद्वेषण और उच्चाटन।
इसके अलावा जो छठा अंग होता है, वह स्तंभन है। यह छह तंत्र के अंग माने जाते हैं। हमारे ऋषियों ने जब इसका उद्भव किया था तो यह दृष्टिगत रखते हुए किया था कि इससे मानव अपनी परेशानियों को दूर कर सकेगा, मानव का हित मानव कर सकेगा।
लेकिन आज इसका उल्टा हो रहा है क्योंकि हमने तंत्र की अवधारणा को समझा ही नहीं। तो जिन लोगों के ऊपर मारण क्रिया की जाती है, उनके साथ क्या होता है?
तो सबसे पहले मैं आपको यह बता दूँ कि तंत्र क्रिया करवाता कौन है? मैं आपको बताऊँ कि जैसा नाम से स्पष्ट है, मारण, तो जिसके ऊपर, जिस व्यक्ति के ऊपर यह तंत्र क्रिया होती है, उसका मरना निश्चित हो जाता है।
कुछ अवधि के साथ यह तंत्र क्रिया की जाती है और उस अवधि के अंदर यदि वह अपना उपचार नहीं कर पाता है तो उसकी मृत्यु हो जाती है।
तंत्र के बारे में आप यह समझ लीजिए, अच्छे तरीके से मन में बिठा लीजिए, तंत्र क्रिया कभी भी कोई कराएगा तो आपका अपना ही होगा।
आपके घर का सदस्य हो सकता है, आपके परिवार का सदस्य हो सकता है, आपका रिश्तेदार हो सकता है, आपका पड़ोसी हो सकता है या वह व्यक्ति हो सकता है जिसका कि संबंध आपकी जर, जमीन और जोरू के साथ जुड़ा हुआ है।
कोई भी तांत्रिक कभी भी आपके ऊपर तांत्रिक क्रिया नहीं कर सकता है जब तक कि इनमें से उसे कोई व्यक्ति सहायता न पहुँचाए क्योंकि इसमें बहुत सी चीजों की आवश्यकता पड़ती है जो जानकार व्यक्ति ही उन्हें उपलब्ध करता है या करा सकता है।
तो जहाँ पर धन से संबंधित कोई मामला हो, जमीन से संबंधित कोई मामला हो, या स्त्री से संबंधित कोई मामला हो, या आपके बिजनेस से संबंधित कोई मामला हो, या आपकी तरक्की से संबंधित कोई मामला हो।
हमारा जो मस्तिष्क है, मानवीय मस्तिष्क है, इसके अंदर एक अवगुण अक्सर पाया जाता है, अधिकतर पाया जाता है, वह होता है जलन का। यदि हम तरक्की करते हैं तो हमसे जलन करने वाले बहुत पैदा हो जाएँगे और उन्हें हमारी तरक्की आँखों से नहीं भाएगी।
तो प्रत्यक्षतः वह कुछ हमारा कर नहीं सकते, इसलिए वह अप्रत्यक्ष रूप से तांत्रिकों का सहारा लेकर के हमारे ऊपर तंत्र क्रिया करवाते हैं। तो हमें इसमें विशेष सावधानी की भी आवश्यकता है।
अब मैं आपको बताऊँ, तंत्र क्रिया कैसे की जाती है। यह तंत्र क्रिया जो होती है, यह तंत्र का एक अंग है लेकिन इसके अंदर तामसिक चीजों की भरमार होती है।
तामसिकता के आधार पर ही यह तंत्र क्रिया होती है। जब भी कभी आपको लगे कि हमारे घर में, हमारे घर के आसपास या फिर हमारी छत पर कुछ चीजें दिखाई दे जाएँ तो आप समझ लीजिए आपके ऊपर तंत्र क्रिया की जा रही है।
यह तंत्र क्रिया नींबू से हो जाती है, पान आपको खिलाया जा सकता है, उससे भी हो जाएगी, शराब पिलाई जा सकती है आपको, उससे भी तंत्र क्रिया हो जाती है। मांस का टुकड़ा अगर घर पर या छत पर मिल जाए तो समझें कि तंत्र क्रिया हमारे ऊपर हो रही है।
मासिक धर्म के रक्त से भी, पान में वह चीज आपको खिलाई जा सकती है, उससे भी तांत्रिक क्रिया हो जाती है। लड़कियों के चुंबन लेने से भी यह तंत्र क्रिया हो जाती है।
तामसिक चीजों पर ही यह आधारित होती है। इसमें आप लौंग, एक लौंग से भी आपके ऊपर तंत्र क्रिया हो सकती है, जायफल से भी तंत्र क्रिया हो सकती है, चाय इत्यादि में, खाने-पीने की चीजों में मिलाकर के भी तंत्र क्रिया हो जाती है।
यह तंत्र क्रिया हमेशा श्मशान घाट पर होती है। इसकी सारी तैयारी तांत्रिक लोग श्मशान में करते हैं और उसको श्मशान काली का नाम देते हैं।
यह माता महाकाली की बात नहीं है और न ही उनका इससे कोई संबंध है। यह जो श्मशान काली जो नाम दिया गया है, वह मिलता-जुलता नाम दे दिया गया है, अलंकारिक तौर पर दे दिया गया है। श्मशान काली एक तांत्रिक शक्ति होती है जो श्मशान में वास करती है।
श्मशानी राख आपको किसी भी चीज में मिलाकर के दी जा सकती है, उससे भी तंत्र क्रिया हो जाएगी। कोई बाबा आकर के आपके शरीर पर फूँक मारता है या आशीर्वाद देता है आपको तो समझो तंत्र क्रिया हो रही है, आपको सतर्क हो जाना चाहिए।
आपको अपने बुद्धि और विवेक का सहारा लेना चाहिए। कोई भी भभूत दे सकता है, वह आपके माथे पर टीका लगा सकता है, आपके हाथ में धागा बाँध सकता है, पैर में धागा बाँध सकता है। अगर आप सतर्क नहीं हुए तो फिर तंत्र क्रिया का शिकार आप हो जाएँगे, मारण क्रिया का शिकार आप हो सकते हैं।
अब किन लोगों पर होता है यह? जो दिल से कमजोर होते हैं। यदि तंत्र क्रिया किसी पर हो गई तो यह समझ लीजिए वह मानसिक तौर पर कमजोर है, पूजा-पाठ नहीं किया है उसने या पूजा-पाठ नहीं कर रहा है या फिर उसका आहार-विहार सही नहीं है, वह तामसिक प्रवृत्ति का है, तो उसके ऊपर यह तंत्र क्रिया हो जाना स्वाभाविक है और बहुत शीघ्र हो जाती है। तामसिक आहार-विहार हमारे शास्त्रों में इसीलिए मना किया गया है।
अच्छा हाँ, इसमें कुछ चीजें और छूट गई हैं क्योंकि तंत्र क्रिया के लिए कोई एक मीडिएटर चाहिए होता है तो वह अपना रिश्तेदार, पड़ोसी वगैरह कोई भी हो सकता है।
तो जिसके ऊपर तंत्र क्रिया की जानी है, जिसके ऊपर मारण का प्रयोग किया जाना है, उसका कोई साबुत कपड़ा चाहिए होता है, बाल चाहिए होते हैं, या फिर नाखून चाहिए होता है, उसका नाम, पिता का नाम, गोत्र, स्थान, सबकी जानकारी होनी चाहिए। औ
र यह जानकारी कौन उपलब्ध कराता है? हमारा अपना, जिसको हम अपना समझते हैं, वह हमारा मित्र, पड़ोसी, रिश्तेदार ही कोई होगा जो वहाँ तक यह सारी बातें पहुँचाएगा और तभी तंत्र क्रिया हो पाएगी।
अब बात यह करते हैं कि वे लक्षण कौन-कौन से हैं जिनसे हम यह जान सकते हैं कि हमारे ऊपर तंत्र क्रिया हो चुकी है। तो जिस व्यक्ति के ऊपर तंत्र क्रिया होती है, इसमें समय, इसमें अवधि डाल दी जाती है। तंत्र क्रिया में, मारण क्रिया में जो अवधि डाली जाती है कि यह मारण क्रिया कम से कम 40 दिन पर अपना असर शुरू करेगी और अधिकतम 100 दिन तक।
100 दिन में उसे वह समाप्त कर देगी, मतलब तीन साल में, अधिकतम समय तीन साल होता है, इसी बीच में वह व्यक्ति चल बसता है।
जब तंत्र क्रिया हो जाती है तो सबसे पहले उसका शरीर पीला पड़ना शुरू होता है, शरीर की रौनक खत्म हो जाती है, चमक खत्म हो जाती है, शरीर फीका पड़ जाता है, ठीक है?
उसके शरीर में खून बनना बंद हो जाता है। लगातार उसको पतली टट्टी आती रहती है, दवाइयाँ देने के बावजूद भी टट्टी बंद नहीं होती। चाहे आप बोतल चढ़ा दो, चाहे ड्रिप लगाओ, चाहे कुछ करो, थोड़े समय के लिए रुकेगी, फिर ज्यों की त्यों पतली टट्टी आना शुरू हो जाएगी जिससे उसके शरीर का जो पानी है, वह निकलना शुरू हो जाता है, शरीर में खून में पानी की कमी हो जाती है।
उसकी आँखें बाहर निकलना शुरू हो जाती हैं, उसका चेहरा भयानक होने लगता है और हो सकता है कि इसी बीच में वह इलाज करा रहा है लेकिन कोई दवा काम नहीं कर रही है। इस बीच में वह कोमा में भी जा सकता है और या उसको अटैक भी आ सकता है, हार्ट अटैक भी आ सकता है क्योंकि ब्लड में खून की मात्रा, खून जो है गाढ़ा हो चुका है, इतना गाढ़ा हो चुका है, पंप नहीं हो पा रहा, तो अटैक भी आ सकता है।
एक तो यह लक्षण हुआ। दूसरा लक्षण मैं आपको बताऊँ, उसके पूरे शरीर में दर्द रहता है, भूख नहीं लगती, स्वाभाविक भूख चली जाती है उसकी। यदि तंत्र क्रिया शराब में की गई है तो वह शराब लगातार पीता है, अपनी क्षमता से अधिक शराब पीता रहता है और लगातार पीता रहता है।
अगर ऐसा कुछ आपको दिखाई दे कि अस्वाभाविक उसका क्रियाकलाप हो रहा है तो समझ लीजिए कि उसके ऊपर मारण प्रयोग किया गया है।
उसके शरीर में गाँठें बनना शुरू हो जाती हैं। फिर क्या होता है? या तो उसको टीबी हो जाएगी या फिर उसको कैंसर जैसी कोई बीमारी लग जाएगी जो वर्षों चलेगी, जिसमें सबसे पहले उसका धन बर्बाद होगा और उसे ठीक नहीं होना है। दवा कोई काम नहीं करेगी, चिकित्सक परेशान हो जाएँगे, डायग्नोसिस सही नहीं होगा और अंततः उसकी मृत्यु हो जाएगी।
एक तो यह लक्षण हुआ। नकारात्मक विचार उसके अंदर आना शुरू हो जाते हैं। कैसे नकारात्मक विचार आते हैं? उसका खुद को मरने का, खुद को मारने का जी करता है और उन नकारात्मक विचारों के आते-आते, कभी-कभी जब वह विचार ज्यादा हावी हो जाते हैं तो व्यक्ति डिप्रेशन में जाकर के आत्महत्या भी कर लेता है।
और इसी के साथ-साथ में यदि उस बीच में अगर उसको आध्यात्मिक तौर पर, आध्यात्मिक क्रियाकलापों को करने वाला व्यक्ति मिल जाता है या घर में कोई आध्यात्मिक क्रिया होती है, कोई पूजा-पाठ होता है तो उसे बड़ी बेचैनी हो जाएगी, वह घर छोड़ देगा, भाग जाएगा और जब क्रिया समाप्त हो जाएगी तब आएगा।
उसको वह सहन नहीं कर सकता क्योंकि उस समय उसके शरीर में जो है, वह नकारात्मक शक्ति बैठी हुई है जो उसको सहन नहीं हो सकता, कोई भी धार्मिक क्रियाकलाप।
यह लक्षण अगर दिखाई देते हैं, इनमें से एकाध लक्षण दिखाई दे जाए तो ऐसा मत समझ लेना कि हमारे ऊपर मारण प्रयोग किया गया है। मेरा उद्देश्य अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है। मेरा उद्देश्य है वस्तुस्थिति से अवगत कराना क्योंकि तंत्र में यह क्रियाएँ होती हैं।
यदि आदि शंकराचार्य जी को टोटके लग सकते हैं, दिए जा सकते हैं, उनका असर हो सकता है, तो हम-आप तो साधारण जीव हैं, ऐसा क्यों नहीं हो सकता? तो लेकिन मैं साथ-साथ यह भी कहना चाहूँगा कि आप विवेक, बुद्धि का इस्तेमाल करिए।
सबसे अधिक तांत्रिक क्रिया करता कौन है? जब हम दरगाह पर जाते हैं न, तो वहाँ पर वह फूँक मारते हैं और कोई चीज देते हैं। हम, वह चीज बहुत ही घातक होती है और सबसे अधिक श्मशान की साधना जो करते हैं, वह यही लोग करते हैं। इसलिए मैं आपको सावधान करना चाहूँगा कि दरगाह वगैरह पर आप न जाइए।
आप बार-बार अपने गुरु को मत बदलिए, अपने सनातन धर्म पर विश्वास रखिए। इसमें कोई भी ऐसी चीज नहीं है, कोई भी ऐसा संकट नहीं है जिसको टालने की, जिसको नष्ट करने की ताकत हमारे सनातन धर्म में न हो। सब कुछ सही हो सकता है, सब कुछ बिगड़ा हुआ सही हो सकता है। आपको विश्वास करना है।
अब मैं आपको बताता हूँ कि यह जो तांत्रिक क्रिया होती है, इसे हर तांत्रिक भी नहीं कर सकता। इसको हर तांत्रिक नहीं कर सकता।
इसके लिए एक विशेष तपस्या की आवश्यकता होती है जिसमें वह तामसिक चीजों का आहार करता है, तामसिक चीजें अपने इष्ट देव पर चढ़ाता है और कभी-कभी तो वह मुर्गा चढ़ाता है, बकरे की बलि देता है, यानी कि इसमें बलि भी चढ़ती है।
गुपचुप तरीके से चढ़ाते हैं, इसका प्रयोग करते हैं और तब कहीं जाकर के उसे ऐसी श्मशानी शक्ति मिल पाती है जो मारण का प्रयोग उसका सफल कर पाती है। तो साधारण व्यक्ति कर भी नहीं पाता है।
मैंने आपको लक्षण बताए, कौन करवाता है, किससे करवाता है, क्यों करवाता है और इसके साथ-साथ में मैंने आपको बताया कि वे लक्षण कौन से हैं जो प्रकट होते हैं। अब मैं आपको बताता हूँ कि यदि किसी के अंदर 100% यह सिद्ध हो जाए कि इसके ऊपर तंत्र क्रिया की गई है, मारण प्रयोग किया गया है, तो उसे क्या करना चाहिए?
उसे कहीं भी जाने की आवश्यकता नहीं। आपके जो भी इष्ट हों, आप जिनका भी, जिन पर भी भरोसा करते हों, जिस देवता की तरफ आपकी श्रद्धा हो, विश्वास हो, आप उसी देवता का कम से कम एक घड़ी, मैं आपका ज्यादा समय नहीं लेता, एक घड़ी यानी 24 मिनट, 24 मिनट आसन पर बैठकर के उसका मंत्र जाप कर लीजिए, उसके चालीसा का पाठ कर लीजिए, उसकी पूजा कर लीजिए, जो भी आपको रुचिकर लगे।
क्योंकि कितनी भी तगड़ी नकारात्मक शक्ति हो, सकारात्मक शक्ति से हमेशा ही सामना नहीं कर सकती और भाग जाती है। सकारात्मक शक्ति ही जीतती है क्योंकि वह परमात्मा विभिन्न रूपों में स्वयं ही तो है। तो आप जो है, चाहे हनुमान चालीसा का पाठ कर लीजिए, लगातार करिए, एक दिन भी नागा मत होने दीजिए।
अपने मन का मनोबल बढ़ाइए, आत्मबल बढ़ाइए। इससे आपका आत्मबल बढ़ेगा। जो नकारात्मक शक्ति, जो तांत्रिक शक्ति आपके ऊपर हावी हुई है, वह आपके सूक्ष्म, स्थूल शरीर तक ही सीमित है। उसका प्रभाव आपके स्थूल शरीर तक है।
कुछ मामलों में यह सूक्ष्म शरीर तक पहुँच जाती है लेकिन अधिकतर यह शक्ति हमारे अन्नमय कोष तक ही सीमित रहती है, यानी स्थूल शरीर तक सीमित रहती है। और स्थूल शरीर की शुद्धि स्थूल क्रियाओं के द्वारा हम कर सकते हैं। तो यह तंत्र क्रिया फेल हो जाएगी और आप इससे उभर सकते हैं।
दूसरे की दी हुई चीज पर विशेष नजर रखें, विशेष सावधानी बरतें। आप शुद्ध सात्विक आहार का संकल्प ले लें और शुद्ध सात्विक आहार पर रहें।
आपको गंगा, गीता, गौ, गायत्री और गोविंद, इन पाँच में से किसी का भी आप सेवन करना शुरू कर दीजिए। यह पाँच जो गकार हैं, यह हमारे हिंदू के, हमारी सनातन संस्कृति के स्तंभ हैं। कैसी भी, कितनी भी भयानक से भयानक क्रिया की गई हो, इनके आगे नहीं टिकेगी क्योंकि गौ में भी सभी देवताओं का निवास होता है, गायत्री में सभी देवताओं का निवास है, गोविंद में सभी देवताओं का निवास है और गंगा जी में सभी को पवित्र करने की शक्ति।
और गीता जो स्वयं भगवान जी के मुख से निकली है, उनकी सामर्थ्य की तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि वह स्वयं भगवान के मुख से निकली है। जब भी आप भोजन करें तो भोजन का एक ग्रास छोटा सा लीजिए और भगवान को निवेदित करिए, जिन्हें भी मानते हैं आप, उनको निवेदित कर दीजिए या फिर यह कहिए “त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये”।
भगवान को वह समर्पित कर दीजिए पहला ग्रास, तो कोई भी नकारात्मकता होगी, वह गोविंद को समर्पित हो गई है और वह भोजन आपके लिए अमृत बन गया। चाय, दूध वगैरह पीते हैं तो भगवान का स्मरण कर लीजिए और स्मरण करके तब आप उसे ग्रहण कीजिए। कोई भी नकारात्मक शक्ति आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर पाएगी।
सावधानी आपको यह रखना है कि आपको दरगाहों पर नहीं जाना है और किसी से भी आशीर्वाद लेते समय आपको सतर्क रहना है। आशीर्वाद ही लेना है तो सिर्फ अपने गुरु का आशीर्वाद लीजिए, बाकी किसी का आशीर्वाद के लिए आप बाध्य नहीं हैं, आप नहीं लें।
तो यह जो बातें मैंने आपको बताई हैं, अगर इन्हें आपने फॉलो कर लिया तो तंत्र के मारण प्रयोग से आप बच सकते हैं। बच सकते नहीं हैं, बच जाएँगे। आपको कहीं जाने की आवश्यकता नहीं।
आज के लिए बस इतना ही। मिलूँगा अगले पोस्ट में नई जानकारी के साथ। तब तक के लिए ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय।