महामृत्युंजय मंत्र के नुकसान – भूल से भी न करें ये 6 गलती ph.85280 57364

 

महामृत्युंजय मंत्र के नुकसान - भूल से भी न करें ये 6 गलती ph.85280 57364
महामृत्युंजय मंत्र के नुकसान – भूल से भी न करें ये 6 गलती ph.85280 57364

महामृत्युंजय मंत्र के नुकसान – भूल से भी न करें ये 6 गलती ph.85280 57364 प्राण कुछ देर के लिए रोक सकता है, वो महामृत्युंजय के मंत्र में वो बल है। इसलिए ब्राह्मण कहते महामृत्युंजय का जाप कर, इसका अनुष्ठान कर लीजिए, जप कर लीजिए, उस जप को धारण कर लीजिए। पर एक बात आपसे हम कहना चाहेंगे — थोड़ा सा भले आपको बुरा लगे, चाहे भला लगे।

जितने website के माध्यम से पढ़ रहे हो, आस्था के माध्यम से सुन रहे हो, चाहे महामृत्युंजय मंत्र बजता रहता या गायत्री मंत्र आपने अपने मोबाइल में डाल लिया, हनुमान चालीसा आपने अपने मोबाइल में डाल ली — चलते-फिरते, खाते-पीते आप जप पर।

शिव महापुराण की कथा कहती है — महा मृत्युंजय वो मंत्र है जिस मंत्र के बल पर स्वयं भगवान शंकर सामने आकर खड़े हो जाते हैं मृत्यु को जीतने के लिए। और उस मंत्र को आप गलत काम कर रहे हो — उसमें भी बज रहा है, रिंगटोन में चालू कर दिया है।

मालूम पड़े — सोच, कर्म के लिए बैठे हो, कहीं वॉशरूम में गए हो, कहीं मुंह धो रहे हो, उल्लंघन कर रहे हो, गलत — किसी से झूठ बोल रहे हो, बात कर रहे हो और वो मंत्र तुम्हारे मोबाइल में बज रहा है। उसका दोष तुमको सहन करना पड़ेगा, उसका कष्ट तुमको सहना पड़ेगा। कोई दूसरा नहीं सहेगा।

मंत्र का प्रयोग, मंत्र का उपयोग आप करो — मना नहीं है, परंतु उस मंत्र का प्रयोग जब आपको लगे कि मुझे इस मंत्र की ज़रूरत है — तब उस मंत्र को छोड़ा जाए। भगवान राम के उस तरकश के अंदर कितने बाण थे, पर भगवान ने समय-समय पर छोड़े — कि हां, इस बाण की ज़रूरत है — छोड़ दिया जाए। अब इसकी ज़रूरत है — छोड़ दिया जाए। अब इसकी ज़रूरत — छोड़ दिया जाए।

लक्ष्मण जी ने बार-बार भगवान राम से कहा — एक मिनट में निपटा दो इस रावण को। भगवान कहते — नहीं, पहले छोटे-छोटे बाण छोड़े जाएंगे। डॉक्टर भी अगर टैबलेट देता है, डॉक्टर भी दवाई देता है, तो पहले छोटी-छोटी देता है — कि ये काम कर जाएगी, यह काम कर जाएगी, यह काम कर जाएगी।

जब इतने एमजी की काम नहीं करती — 60 एमजी, 70 एमजी, 200 एमजी की काम न करे, फिर 500 एमजी पर पहुँचता है कि हां, अब यह दवाई काम करेगी। 500 से फिर आगे बढ़ेगा — 550 एमजी की, 600 एमजी की।

जब ये काम न करे, तब दिया जाता है। उस मंत्र का प्रयोग करो, जपो — और जब हम किसी कष्ट में हो, तब किसी ब्राह्मण देवता के पास जाकर निवेदन कर कहें — ब्राह्मण देवता, हे ब्राह्मण देव, आपकी कृपा हो — हमें महामृत्युंजय मंत्र का अनुष्ठान करवाना है। मेरे दादा, मेरे पिता, मेरी माता, मेरी बहन, मेरा भाई — उसकी स्वास्थ्य। ब्राह्मण देवता संकल्प लें — और संकल्प लेकर फिर वो महामृत्युंजय मंत्र का स्मरण करे। उसका जो फल हो, उसका जो सुख हो — वह एक आनंद देने वाला है, उसका एक आनंद है — जीवन की शरणागति का पथ है, सुख देने वाला आनंद।

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Rodhar nath
मैं रुद्र नाथ हूँ — एक साधक, एक नाथ योगी। मैंने अपने जीवन को तंत्र साधना और योग को समर्पित किया है। मेरा ज्ञान न तो किताबी है, न ही केवल शाब्दिक यह वह ज्ञान है जिसे मैंने संतों, तांत्रिकों और अनुभवी साधकों के सान्निध्य में रहकर स्वयं सीखा है और अनुभव किया है।मैंने तंत्र विद्या पर गहन शोध किया है, पर यह शोध किसी पुस्तकालय में बैठकर नहीं, बल्कि साधना की अग्नि में तपकर, जीवन के प्रत्येक क्षण में उसे जीकर प्राप्त किया है। जो भी सीखा, वह आत्मा की गहराइयों में उतरकर, आंतरिक अनुभूतियों से प्राप्त किया।मेरा उद्देश्य केवल आत्मकल्याण नहीं, अपितु उस दिव्य ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाना है, जिससे मनुष्य अपने जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझ सके और आत्मशक्ति को जागृत कर सके।यह मंच उसी यात्रा का एक पड़ाव है — जहाँ आप और हम साथ चलें, अनुभव करें, और उस अनंत चेतना से जुड़ें, जो हमारे भीतर है ।Rodhar nathhttps://gurumantrasadhna.com/rudra-nath/