Maa baglamukhi sadhna diksha माँ बगलामुखी की साधना बिना गुरु दीक्षा के कैसे करें

Maa baglamukhi sadhna diksha माँ बगलामुखी की साधना बिना गुरु दीक्षा के कैसे करें जय श्री महाकाल आप सब का स्वागत है गुरु मंत्र साधना डॉट काम में साधकों जनो , आप सब पर महामाई मां पीतांबरा की जो कृपा है, वह पहुँच रही है इस बात की खुशी है मुझे बहुत खुशी सही तरह से धरम का प्रचार हो रहा है खुशी की बात है । और ऐसा मैं क्यों कह रहा हूँ ? क्योंकि आप में से बहुत से लोगों ने पिछले कुछ दिनों में कमेंट बॉक्स में जो है, मुझसे सवाल किए हैं।
और उससे यह साफ पता चलता है कि मां बगलामुखी महामाई, मां पीतांबरा को जानने की जो इच्छा है ना, वह आप में जागृत हो चुकी है। और अब मैं आपको सच बताऊँ, तो एक साधक की जो असली साधना है, वह यहीं से शुरू होती है।
आपकी जिज्ञासा ही आपको मां बगलामुखी की शक्ति और ऊर्जा तक पहुँचाने का पहला मार्ग है, जिसे आप सब ने जो है, वह पार कर लिया है। तो मैं बहुत खुश हूँ कि आप सबके मन में मां बगलामुखी को जानने की, उनके बारे में जानने की, उनकी साधनाओं को जानने की जो यह इच्छा है ना, बस यही वो एक सही शुरुआत है जो एक साधक में होनी चाहिए।
आज इस पोस्ट को मैं आपके ही एक सवाल से स्टार्ट कर रहा हूँ, जिसमें आपने पूछा था कि क्या हम बिना गुरु दीक्षा के मां बगलामुखी की साधना कर सकते हैं ? तो साधकों, बिना गुरु के ज्ञान नहीं मिलता, यह बात बिल्कुल सच है।
लेकिन जहाँ तक बात है मां बगलामुखी की साधना की, तो आपको पहले यह देखना है कि आपकी जो साधना है, उसका स्तर क्या है? आप किस लेवल पे हैं अभी? है ना ? अभी आप एडमिशन लेने की तैयारी कर रहे हो या आप प्राइमरी क्लास में आ चुके हो ?
साधना आखिर आपकी कहाँ पहुँची है ? आप साधना में कहाँ तक पहुँचे हो? पहले यह पता करना बहुत ज्यादा ज़रूरी है। अगर आप मां बगलामुखी के मंत्र का जाप, पूजा-पाठ या भक्ति-भाव से उनकी आराधना करना चाहते हो, तो इसके लिए आपको कोई भी दीक्षा की आवश्यकता नहीं होती।
अगर आपके पास किसी गुरु की दीक्षा है, तो आप उनके मंत्र जैसे कि ‘ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा’ इसका जप आप जो है कर सकते हो, या फिर जो है जो भी मंत्र आपको आपके गुरु से प्राप्त हुआ हो, यानी कि आपके गुरु ने आपको दिया हो, तो आपको उसका जप करना चाहिए।
अगर गुरु दीक्षा नहीं है आपके पास में, है ना, तो ऐसा नहीं है कि आप बगलामुखी मां की साधना ही नहीं कर सकते। आप मां बगलामुखी की चालीसा से जो है, मां पीतांबरा की साधना शुरू कर सकते हो। चालीसा क्या होती है? है ना? यह आपके इष्ट की प्रशंसा होती है।
तो आप क्यों ना जो है, आप अपनी महामाई की जो साधना है, वो उनकी प्रशंसा, उनकी चालीसा से ही शुरू करो। आप मां पीतांबरा की साधना गायत्री मंत्र से भी कर सकते हैं। ‘ॐ बगलामुखे च विद्महे स्तंभिनी च धीमहि तन्नो बगला प्रचोदयात’, यह मंत्र है और आप इसका जप कर सकते हैं। बिना किसी गुरु के जो है, आप महामाई की साधना भी शुरू कर सकते हैं। रोजाना पूजा, ध्यान या भक्ति के लिए यह बिल्कुल ठीक है, ठीक है? यहाँ श्रद्धा और सही भाव का होना सबसे ज्यादा ज़रूरी है।
तो यहाँ तक तो सब ठीक है, लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि जो है, आप संसार में मां बगलामुखी के साधक के रूप में जाने जाएँ और आप महामाई की कठोर साधना के लिए भी तैयार हैं, तो कठोर साधना का मतलब है गंभीर तांत्रिक साधना, जिसमें खास मंत्र, यंत्र और विशेष विधि-विधान शामिल होते हैं।
तो इसके लिए मेरा मानना है कि आपको गुरु दीक्षा बहुत ही ज्यादा ज़रूरी होती है। और वह क्यों ज़रूरी होती है? क्योंकि तंत्र शास्त्र में मां बगलामुखी की जो साधना है ना, उसको बहुत ही शक्तिशाली और मुश्किल भी माना जाता है। तो बिना सही मार्गदर्शन के गलतियाँ हो सकती हैं हमसे, जिससे आपको क्या होगा? फायदे के बदले पहले नुकसान हो जाएगा।
इसीलिए गुरु दीक्षा बेहद ज़रूरी है, क्योंकि गुरु की सही गाइडेंस होगी, तभी आप सही मंत्र, सही उच्चारण और सही विधि भी सीख पाते हो। बगलामुखी साधना में जो है, मंत्रों का सही उच्चारण और नियम बहुत ही ज्यादा ज़रूरी होते हैं। कर्म दीक्षा भी बहुत ज़रूरी है।
बीज मंत्रों को कैसे पढ़ना है, कैसे उच्चारण करना है, यह जानना भी बहुत ज्यादा ज़रूरी है। अब जैसे हम बीज मंत्र ‘ह्रीं’ का उच्चारण कर रहे हैं, अब इसमें क्या तत्व है? इस शब्द में ‘ह’ का क्या मतलब है, ‘र’ का क्या मतलब है, ‘ई’ का क्या मतलब है?
यह आपको कौन बता सकता है? आप मान लीजिए ‘ह्रीं’ को ‘हलाम’ पढ़ रहे हैं, ‘ब्लूम’ पढ़ रहे हैं, तो यह कौन देखेगा, कौन बताएगा कि यह गलत है? पता चला आप सालों से ‘ह्रीं’ के बदले ‘हिलाम’ पढ़ रहे हैं और डाकिनी की ऊर्जा को बुलाने में लगे हुए हैं, है ना?
आप हर दिन आसन बिछाकर, पीले वस्त्र धारण करके, संकल्प लेकर के ‘हिलीं’ को ‘ह्रीं’ का चांट करने में लगे हैं, बार-बार पढ़ रहे हैं, मंत्र जप कर रहे हैं और अपने साथ आपने क्या कर दिया? पिशाचिनी की ऊर्जा को लेकर के घूमना शुरू कर दिया।
इसीलिए अगर आप मां पीतांबरा, मां राजराजेश्वरी, मां बगलामुखी की गंभीर तांत्रिक साधना करना चाहते हो, तो गुरु की दीक्षा बहुत ज़रूरी है।
और यह मत सोचना कि गुरु का काम बस आपको बीज मंत्र का सही उच्चारण सिखाना है, पूजा विधि सिखाना है। गुरु ने मंत्र सिखा दिया, उच्चारण सिखा दिया, तो गुरु का काम खत्म। आप में से कई लोगों के मन में सवाल आ रहा होगा कि गुरु की ज़रूरत ही क्या है? है ना?
क्यों चाहिए गुरु ? YouTube में से हम जो है, मंत्रों का उच्चारण सीख लेंगे और हमारा काम तो बन गया। अगर आप ऐसा सोच रहे हो तो यह आपकी सबसे बड़ी भूल होगी।
बच्चों, जितने भी लोग है ना, आप मुझे सुन रहे हो, आप यह नोट कर लेना कि जो गंभीर साधना है, अगर आपको वो चाहिए, तो सही गुरु को भी ढूँढना ही होगा। क्योंकि गुरु का काम ही आपको सिर्फ मंत्र देने के बाद खत्म नहीं हो जाता या सिर्फ मंत्र देना नहीं होता।
गुरु दीक्षा के दौरान जो है, गुरु अपनी शक्ति, अपनी ऊर्जा को आपको ट्रांसफर किया जाता है, जिससे आपकी साधना में और ज्यादा बल मिलता है।
और यह भी आपको जो है, गाँठ बाँध लेनी चाहिए बात। तांत्रिक साधना में ऊर्जा बहुत ही तीव्र होती है। जब आप दीक्षा लेकर के मां बगलामुखी की साधना शुरू करते हैं, तो कई तरह की ऊर्जाएँ जो है, वह आपके संपर्क में आने की कोशिश करती हैं ताकि आपका ध्यान भटका सकें, है ना? आपकी साधना में रुकावट लेकर के आएँ।
लेकिन एक गुरु ही होता है, जो आपको गलत और नेगेटिव प्रभावों से बचाने में और आपकी साधना को संतुलित करने में जो है, आपकी मदद करता है। तो साधकों, तंत्रशास्त्र में जो है, गुरु-शिष्य जो ये परंपरा है, यह बहुत इंपॉर्टेंट होती है। इसकी इंपॉर्टेंस बहुत ज्यादा हाई है। टीचर की गाइडेंस में जो है, आप स्पिरिचुअली डिसिप्लिन बनते हैं।
लेकिन अगर आप बिना किसी दीक्षा के मां बगलामुखी, मां राजेश्वरी की साधना कर रहे हैं, तो रिस्क भी है। और यह रिस्क क्या है ? मंत्रों के उच्चारण में आपसे गलती हो सकती है।
गलत मंत्र उच्चारण से साधना का प्रभाव जो है, वह बिल्कुल कम हो जाएगा। गलत विधि से जो है, नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव भी बढ़ सकता है। बिना गुरु के मार्गदर्शन के आप साधना के गहरे प्रभावों को समझ भी नहीं पाते हो, जिससे मानसिक या शारीरिक परेशानी हो सकती है आपको। कहता
अब आपका सवाल होगा कि तो आखिर हम करें क्या? है ना? तो मैं यह नहीं कहता कि आप सब कुछ छोड़ के गुरु की तलाश में निकल जाओ, क्योंकि तलाश करने से गुरु कभी भी नहीं मिल सकता।
हम बोलते हैं ना, ‘व्हेन यू आर रेडी, गुरु अपीअर्स’। तो जब आप जो पात्र हैं, है ना, जब आप लेने के लिए तैयार हो जाएँगे, तो आपका गुरु भी आपके सामने अपने आप ही आ जाएगा। तो सबसे पहले तो अपनी तैयारी शुरू कर दो। तो हमेशा जो है, वो शुरुआत आपने आसानी से करनी है। धीरे-धीरे अपनी क्षमता को आपने यहाँ बढ़ाना है।
मां बगलामुखी की सामान्य पूजा, मंत्र जाप, ध्यान से शुरू करो। इसके लिए आपको कोई दीक्षा की ज़रूरत नहीं है, है ना ? कोई पूजा करनी है, माँ का ध्यान लगाना है, इसके लिए आपको कोई दीक्षा नहीं चाहिए। माँ की मूर्ति या यंत्र के सामने आपने बैठ करके पीले फूल माँ को चढ़ाने हैं। दीप जलाइए। बाती को भी पीले रंग का रखिए। श्रद्धा के साथ जो है, वह आप पूजा करें। शुद्ध भाव रखें।
साधना में आपका जो इरादा है और जो भक्ति है, यह दो चीजें जो है, वो बहुत ज़रूरी होती हैं। अगर आपका मन साफ है, तो मां बगलामुखी आपको संकेत ज़रूर और ज़रूर देंगी। और मेरी सलाह यही है आपको कि अगर आप मां बगलामुखी के भक्त हैं और बस उनकी कृपा पाना चाहते हैं, तो बिना दीक्षा के भी आप उनकी पूजा शुरू कर सकते हैं।
महामाई की साधना आप उनके गायत्री मंत्र से जो है, वह शुरू कर सकते हैं। लेकिन अगर आप तांत्रिक साधना या बड़े स्तर की साधना करना चाहते हैं, तो किसी सच्चे गुरु से जो है, दीक्षा लेना ही आपके लिए उत्तम रहेगा।
मां बगलामुखी की साधना बहुत शक्तिशाली है, इसीलिए आपने इसको श्रद्धा, विश्वास और सही विधि से भी करना है। बिना दीक्षा के आप शुरुआत तो कर सकते हैं, लेकिन अगर आप गहरी साधना में जाना चाहते हो, तो गुरु की जो गाइडेंस है, वो बहुत ज़रूरी है।
इसीलिए अभी के लिए मां बगलामुखी की शक्ति को, मां बगलामुखी की ऊर्जा को आप समझिए। मां बगलामुखी जो है, वह स्तंभन की शक्ति है, शोडशी है। उनका ध्यान से ही जो है, आपको सही रास्ता खुद ब खुद मिल जाएगा। मां बगलामुखी सबकी रक्षा करती हैं।
आपकी भी ज़रूर करेंगी और आपकी मन की बात भी ज़रूर सुनेंगी, है ना? मेरी जो महामाई है, मां बगलामुखी विश्वेश्वरी, सबका कल्याण करती हैं। आपकी कोई भी जिज्ञासा हो, आप कमेंट बॉक्स में जो है, मुझसे पूछ सकते हैं।
आपकी हर जिज्ञासा का समाधान मां बगलामुखी की प्रेरणा से हल करने का जो है, मैं प्रयास करूँगा । जय मां पीतांबरा, जय मां माई, जय मां बगलामुखी