Maa Baglamukhi Sadhna मां बगलामुखी की साधना: रहस्य, प्रयोग और सावधानियां

कौन हैं मां बगलामुखी ? स्तंभन की देवी का रहस्य
सबसे पहले आपसे जानना चाहूंगी कि मां बगलामुखी स्तंभन की देवी कहा जाता है उन्हें। इसका क्या अर्थ है? देखिए मां बगलामुखी स्तंभन की देवी उनको इसलिए कहा जाता है कि सतयुग में एक ऐसा बहुत ही भयानक तूफान आया था।
ब्रह्मा जी से एक राक्षस ने तपस्या करके ऐसी सिद्धि प्राप्त कर ली थी कि उसने एक ऐसा तूफान बवंडर टाइप का प्रकट कर दिया था। वो सारी सृष्टि को निगल रहा था। तो जब वो सारी सृष्टि को निगल रहा था तो विष्णु भगवान जो कि सृष्टि के पालनहार हैं उनको चिंता हुई कि भाई हमारी सृष्टि खत्म हो रही है।
तो उन्होंने भगवान शिव से पूछा तो भगवान शिव ने कहा इस बवंडर को शक्ति के अतिरिक्त कोई नहीं रोक सकता। फिर उन्होंने सौराष्ट्र में हरिद्रा सरोवर के किनारे 10,000 वर्ष तक तपस्या की थी। मां त्रिपुर सुंदरी की। उनकी तपस्या से मां त्रिपुर सुंदरी प्रसन्न हुई और उनके हृदय से एक ज्योति पुंज निकला जिससे मां बगलामुखी माता प्रकट हुई।
अर्धरात्रि में माता का अवतरण हुआ था। पीत वस्त्र धारण किए स्वर्ण के आभूषण और सबसे बड़ी बात यह थी कि मां बगलामुखी माता स्तंभन की देवी इसलिए भी कही जाती है क्योंकि जब वो राक्षस के सामने आई उन्होंने उस बवंडर को स्तंभन कर दिया यानी रोक दिया। इसलिए उनको स्तंभन की देवी कहा जाता है। वो बवंडर जो पूरी पृथ्वी को निगल रहा था उनके एक इशारे से उनके हाथ के हिलाने मात्र से वो वहीं का वहीं रुक गया।
बगलामुखी साधना की उग्रता और नियम

10 महाविद्याओं में बगलामुखी जी को सबसे उग्र कहा जाता है। इसका क्या रहस्य है? बगलामुखी माता को उग्र इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह श्मशान वासिनी हैं।
इनकी साधना बहुत तीव्र होती है। इनकी साधना बिना गुरु के कभी नहीं करनी चाहिए। और इनकी साधना से अर्थ का अनर्थ भी हो जाता है। अगर आपने गलती करी।
उच्चारण मंत्रों का बहुत महत्वपूर्ण रहता है। अगर मंत्र का उच्चारण आपने गलत कर दिया तो अर्थ का अनर्थ होने की संभावना पूरी रहती है। इसलिए कहा जाता है कि इनकी साधना बहुत तीव्र होती है।
जैसे कि आपने बताया कि श्मशान वासिनी यानी कि सिर्फ श्मशान में ही इनकी साधना होती है या फिर कोई साधक अपने घर पे या फिर अन्य किसी सुनसान जगह पर भी इनकी साधना कर सकता है। देखिए हर किसी के रहने का एक स्थान होता है।
जैसे मां बगलामुखी माता श्मशान वासिनी हैं ना। श्मशान में उनका वास है। लेकिन उनकी साधना जरूरी नहीं कि आप श्मशान में ही करें। सात्विक रूप से भी उनकी साधना की जाती है और घर में भी आप इनकी साधना कर सकते हैं।
लेकिन मैं बार-बार यही बोलूंगा कि इनकी साधना बहुत तीव्र होती है। बिना गुरु के इनकी साधना नहीं करनी चाहिए।
क्या घर में सात्विक बगलामुखी की साधना संभव है ?

जी जैसा कि आपने बताया कि बहुत तीव्र और बहुत गुस्से वाली देवी जी भी माना कहा जा सकता है। तो क्या तंत्र में बगलामुखी जी की साधना वो सात्विक तरीके से भी की जाती है ? जी हां बिल्कुल तंत्र में बगलामुखी माता की साधना सात्विक रूप से भी की जा सकती है। बगला अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र माता को बहुत प्रिय है।
उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए अगर इसका कोई पाठ करता है और इसका अनुष्ठान करता है तो यह सात्विक रूप से उनकी साधना की जा सकती है। लेकिन जब हम मंत्रों में जाते हैं तो मंत्र उनके सौम्य मंत्र भी हैं, तीव्र मंत्र भी हैं और अति तीव्र मंत्र भी हैं।
तो इस प्रकार तंत्र में अगर आपको साधना करनी है तो सौम्य रूप से भी आप साधना कर सकते हैं। और यह जो सौम्य रूप वाली आप साधना बता रहे हैं क्या यह बिना गुरु के संभव है ? सौम्य रूप की साधना में गुरु की ऐसी आवश्यकता नहीं है। इसको आप कोई भी व्यक्ति घर में कर सकता है। इसके लिए आप उनकी चालीसा पढ़ सकते हैं।
उनका स्तोत्र कर सकते हैं। इसके बाद ॐ ह्रीं बगलामुखी देव्यै नमः इस मंत्र का जाप कोई भी साधक घर में कर सकता है। यानी दर्शकों आपने देखा कि बगलामुखी देवी जी के नाम से ही एक कहना चाहिए कि एक डर सभी साधकों के मन में रहता है।
जन सामान्य के मन में रहता है। तो उत्कर्ष जी ने जैसा कि बताया कि आप साधारण तरीके से भी इसका घर में प्रयोग कर सकते हैं। मां बगलामुखी को प्रसन्न कर सकते हैं।
बगलामुखी की साधना – तंत्र-मंत्र और मारण प्रयोग की सच्चाई
उत्कर्ष जी एक बात और जानना चाहूंगी कि बगलामुखी जी की जो साधना है वह बहुत उग्र है। तो क्या इस साधना के फल स्वरूप जो साधक हैं और जब वह सिद्धि प्राप्त कर लेते हैं तो क्या उसमें मारण जैसी क्रियाओं का भी प्रयोग किया जाता है ? अवश्य मारण प्रयोग भी इस क्रिया में होता है।
बगलामुखी साधना में कई तरह की साधनाएं होती हैं। अलग-अलग साधनाएं अलग-अलग फल प्राप्त करने के लिए की जाती हैं। जिसमें मारण भी एक है। तो ये जो मारण जैसे मान लीजिए किसी ने प्रयोग किसी पर किया।
मारण के बारे में यदि मैं बात करूं तो यह मेरा एक निजी अनुभव है। जब मैं बहुत छोटी थी मान लीजिए शायद सिक्स्थ या सेवंथ क्लास में होगी और मैं मेरठ में थी मेरे मामा जी के यहां तब तो हमें ये सब चीजें पता नहीं थीं कि ऐसा कुछ होता है।
तो हम लोग ऐसे आसमान में देख रहे थे मामा जी के बच्चे थे और मैं तो वहां हमको कुछ आसमान में चलता हुआ दिखा एक हांडी टाइप की और ऐसे खुले आसमान में वो वैसे चल रही थी तो फिर हम लोगों ने पूछा मामा जी वगैरह और मामी से तब उन्होंने यह बताया कि ये किसी के नाम की हांडी छोड़ी हुई है।
उस समय हमें समझ में नहीं आया लेकिन आज जैसे कि वर्तमान में स्थितियां देखते हैं और जब पता चला कि तंत्र और यह सब कुछ बहुत तीव्र रूप में काम करता है।
मारण क्रियाएं भी होती हैं। तो यह जो हांडी वाला प्रयोग है क्या यह मारण का ही एक स्वरूप है? यह मारण का ही एक स्वरूप होता है। बेसिकली तंत्र जो है भगवान शिव का वरदान है। तो उसमें इस मतलब कई प्रकार की साधनाएं होती हैं।
कई प्रकार के प्रयोग होते हैं। लेकिन भगवान शिव ने सबको कीलित करके रखा हुआ है। क्योंकि कोई शक्ति का दुरुपयोग ना कर ले। तो इसके लिए साधना करनी पड़ती है। अनुष्ठान करने पड़ते हैं। अनुष्ठान होते हैं। फिर हवन होते हैं। फिर गुरु भोज होता है। पूरा प्रोसेस जब कंप्लीट होता है तब जाके वो मंत्र आपके लिए जागृत होता है। फिर वो आपके लिए काम करता है।
बगलामुखी की साधना – मारण क्रिया का तोड़
तो जैसा कि अभी हम अभी हमने बात की मारण की तो क्या यह क्रिया जैसे किसी ने किसी के ऊपर कर दी तो क्या उसे वो रिवर्स कर सकते हैं या उसे वो खत्म कर सकते हैं। कोई यदि किसी के पास कोई सशन के पास जाता है जैसे कोई पीड़ित व्यक्ति है।
वो किसी और तांत्रिक या जानकार के पास गया तो क्या वो बगलामुखी से किया गया प्रयोग है तो क्या वह रिवर्स हो सकता है या वह उसको खत्म भी कर सकते हैं? जैसे स्टार्टिंग में ही मैंने आपको बताया कि बगलामुखी माता का प्रादुर्भाव जो हुआ है वह जगत के कल्याण के लिए हुआ है।
तो कोई व्यक्ति यदि शक्ति का दुरुपयोग करता है और ऐसे में कोई दूसरा बगलामुखी साधक उसको काटने की बात करता है तो माता उस व्यक्ति का साथ देती हैं और उसको काटा जा सकता है। मतलब कहा जा सकता है कि न्याय की देवी हैं और मां तो ममतामई ही होती हैं।
पर कलयुग में कि साधनाओं और सिद्धियों का गलत तरीके से कहीं ना कहीं हम कहें तो प्रयोग किया जा रहा है और यही आपसे मैं जानना चाहूंगी कि सिद्धि और साधना में क्या अंतर है?
सिद्धि और बगलामुखी की साधना में अंतर
सिद्धि और साधना में यह अंतर को इस तरीके से समझिए कि जो साधना है हम जो साधना करते हैं वह एक कारण है और उसको किसी चीज को जो हम प्राप्त करने के लिए साधना करते हैं जब वो चीज हमें प्राप्त हो जाती है उसका परिणाम है दैट इज सिद्धि।
मान लीजिए कि हम कोई चीज चाहते हैं कि भगवान के दर्शन करना चाहते हैं तो उसकी साधना अलग होगी। कोई चाहता है कि हमको मनोवांछित फल प्राप्त हो जाए। उसकी साधना अलग होगी। तो जो साधना हम करते हैं उसमें हमें तप श्रम परिश्रम करना पड़ता है।
हमारे तपोबल को बढ़ाना पड़ता है। संयम रखना पड़ता है। ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है। यानी साधना के समय हमको नियम और अनुशासन का पूरी तरीके से पालन करना पड़ता है। जब हम लगातार ये करते हैं तब हमें कहीं जाकर सिद्धि प्राप्त होती है। जी।
बगलामुखी की साधना – कोर्ट-कचहरी के मामलों में बगलामुखी हवन
बगलामुखी जी के बारे में सबसे ज्यादा जो प्रचलित बात है वो यह कही जाती है कि जो कोर्ट कचहरी या लड़ाई झगड़े के मामले होते हैं उनके लिए उनके हवन कराए जाते हैं। जैसे कि नलखेड़ा मध्य प्रदेश में जो जगह है वहां पर उनके हवन बहुत ज्यादा प्रचलित हैं।
इसके साथ ही दतिया में जो पीतांबरा माई हैं उनके यहां पे भी उनके हवन किए जाते हैं। तो इस बात में कितनी सत्यता है क्योंकि बहुत हजारों और लाखों की संख्या में लोग वहां जाकर हवन कराते हैं। तो वास्तविकता में क्या है इसके बारे में आप थोड़ा बताइए।
नलखेड़ा में जो बगलामुखी माता के हवन होते हैं उसमें यह सच्चाई है कि व्यक्ति यदि सत्य की तरफ है सही है तो मां उसका साथ देती है भले उसे किसी भी प्रकरण में फंसा दिया गया है। मां की कृपा से वो मुक्त हो जाता है।
यानी कि यहां यह कहा जा सकता है कि यदि गलत व्यक्ति है जिसने अपराध किया है और वो जाके हवन करा रहा है तो उसका हवन बिल्कुल भी सफल नहीं होगा। यानी न्याय की देवी माता है। वो जो सही व्यक्ति है उसका साथ अवश्य देती हैं। जी।
इसके साथ ही जैसे वहां पे हवन की बात कर रहे हैं अभी हम तो अलग-अलग और प्रकार से भी हवन किए जाते हैं और काफी लोगों ने देखा है और वहां पे जैसे हवन करते समय बहुत लोगों को जिनको जिनके शरीर में देवी जी का कुछ रहता है अंश या फिर अन्य चीजें तो वो भी वहां पर एकदम से प्रकट होती हैं।
तो वास्तविकता में इसका थोड़ा सा अर्थ आप समझाइए। देखिए देवी नलखेड़ा में स्वयंभू हैं। साक्षात विराजमान हैं। जब कोई साधक उनका वहां पर जाकर साधना करता है या हवन करता है तो मां प्रसन्न होती है। मां जब प्रसन्न होती है तो वो अपना एहसास कराती है, प्रकट हो जाती है। यानी कि यह कहा जा सकता है कि कुछ अनुभव जो हैं जो लोगों को होते हैं वो वास्तविकता में वो बिल्कुल सत्य अनुभव होते हैं।
एक साधक के अलौकिक अनुभव – बगलामुखी की साधना
अच्छा यही इन्हीं अनुभवों के साथ बात हमारी हो रही है। तो मैं यह जानना चाहूंगी कि क्योंकि आप बगलामुखी जी के साधक हैं और अपनी कुछ साधना के बारे में यदि आप हमारे दर्शकों के साथ बात करना चाहे या बताना चाहें तो बताइए कि आपका कैसा अनुभव रहा ?
आप कब से साधना कर रहे हैं और इस साधना में क्या-क्या चीजों का आपने अनुभव किया है ? देखिए इस लेख के माध्यम से ज्यादा हम बता नहीं सकते हैं। यह चीजें गुप्त रहती है।
गुरु की आज्ञा से ही की जाती है साधना और जितना बताया जा सकता है मैं कुछ अनुभव आपको बताता हूं कि गुरु जी के ही अनुभव थे जो उन्होंने हमको शेयर किए थे कि मैं आपको यह बताना चाह रहा हूं कि बगलामुखी माता क्या-क्या कर सकती हैं उसको समझने की कोशिश कीजिए।
बगलामुखी की साधना – ब्रह्म राक्षस से सामना
एक व्यक्ति को ब्रह्म राक्षस लग गया था जो कि सबसे खतरनाक होता है। जी बिल्कुल। ब्रह्म राक्षस मतलब यह है कि अगर आप मंदिर के अंदर बैठ के जाप कर रहे हैं वो भी आपके बाजू में बैठ के जाप करेगा। इतना पावरफुल ब्रह्म राक्षस होता है।
मतलब आप उसको काट नहीं सकते कि आप सोचो कि मैं यह मंत्र कर रहा हूं तो उसको हटा दूं इससे तो वो भी बैठ के वही जाप कर रहा है। वो इतना पावरफुल होता है। लेकिन वो तो नकारात्मक है।
तो वो सकारात्मकता के बीच में बैठ के कैसे ब्राह्मण जो है जो गलत काम करके वो होते हैं वो ब्रह्म राक्षस में कन्वर्ट हुए हैं। तो इसलिए उनके अंदर वह पुरानी सिद्धियां तो हैं। वो तपोबल तो है कि वो वहां जा सकते हैं।
पर ये ब्रह्म राक्षस क्या-क्या कर सकते हैं किसी पे भी यदि किसी व्यक्ति के पीछे यदि पीछे अगर पड़ जाए तो उसकी पूरा जीवन बर्बाद कर देता है। सब कुछ खत्म कर देता है। तो मैं ये बता रहा था कि ब्रह्म राक्षस जो था वो किसी के पीछे पड़ गया था। तो गुरु जी ने साधना करी और उन्होंने बगला कल्प विधान का अनुष्ठान लिया।
बगला कल्प विधान उन्होंने एक पाठ किया। बगला कल्प विधान के एक पाठ को उन्होंने 1000 बार किया। यानी कि 1000 पाठ उन्होंने कंप्लीट किए। उसके बाद भी उनको कोई रिजल्ट नहीं मिला। उन्होंने दोबारा से अनुष्ठान किया बगला कल्प विधान का।
दोबारा हजार पाठ किए। उसके बाद भी जब उनको उसका कोई रिजल्ट नहीं मिला। तीसरी बार फिर उन्होंने संकल्प लिया। संकल्प लेकर अनुष्ठान किया। हजार पाठ का तो जब तीसरी बार उनके हजार पाठ पूरे हुए तो मां जो यंत्र है बगलामुखी माता का यंत्र है उसके सामने मां ने उसको प्रकट कर दिया।
उस ब्रह्म राक्षस को प्रकट कर दिया प्रकट हो गए मां ने सामने प्रकट कर दिया और गुरु जी और ब्रह्म राक्षस दोनों आमने सामने तो गुरु जी ने पूछा भाई तुम मेरे पीछे क्यों पड़े हो क्या कारण है तो उसने बताया कि आपके ही गांव के किसी व्यक्ति ने मुझे आपके पीछे लगाया था.
अच्छा यानी कि ये जो इस तरीके के भूत प्रेत ब्रह्म राक्षस जिन्न होते हैं ये पीछे भी लगा दिए जाते हैं ये पीछे लगा दिए जाते हैं बिल्कुल और ज्यादातर ये पीछे लगाने का कारण आपसी आपसी जलन द्वेष किंतु यदि हम बात करें तो यह सब जो भी माहौल है क्या यह सही है? यह क्या सिद्धियों का सही प्रयोग है?
यदि किसी विषय में हमारी काफी अच्छी समझ है लेकिन हम उसका गलत प्रयोग कर रहे हैं तो यह तो ईश्वर भी देख रहा है। तो यह सब तो उचित नहीं है मेरे ख्याल से। देखिए कलयुग है, साधनाएं सब प्रकार की है। यहां पर सात्विक भी है, तामसिक भी है।
इच्छाएं भी लोगों की असीमित है, अलग-अलग हैं। सब अपनी-अपनी इच्छाओं के हिसाब से अपनी साधना का चयन करते हैं। तो ये कहना तो मुश्किल है कि मतलब यह साधना गलत है। कोई भी चीज अगर संसार में है तो भगवान की इच्छा से है। जी।
भगवान ने अगर पॉजिटिव दिया तो नेगेटिव भी दिया। सात्विक लोग हैं सात्विक साधना करेंगे। तामसिक लोग हैं तामसिक साधना करेंगे। अब जो अघोर की साधना करते हैं वो तो सात्विक साधना नहीं कर सकते ना। लेकिन उद्देश्य तो यही है ना भगवान की प्राप्ति। तो वो किसी भी माध्यम से जाएं साधनाएं अलग-अलग है लेकिन सबका रिजल्ट एक ही रहता है।
बगलामुखी की साधना सात्विक और तामसिक साधना का टकराव
अच्छा यहां पे हम जब साधनाओं की बात कर रहे हैं तो एक सात्विक साधक यदि एक तामसिक साधक के सामने आता है तो कैसी स्थिति होती है? देखिए सात्विक साधक जो होता है वह सौम्यता रहती है उसके अंदर और तामसिक जो साधक रहता है
उसके अंदर उग्रता रहती है लेकिन जब साधना एक अच्छे लेवल पर आ जाती है तो एक चेहरे पे आभा मंडल एक अलग अच्छा दिखने लगता है एक तेज दिखने लगता है वो तेज से पता चलता है कि ये साधक है जिसने साधना की है साधना तपोबल से आती है कि आपका कितना तपोबल है तो जब आपका तपोबल बहुत बढ़ जाता है तब आपके अंदर एक ऐसा तेज आ जाता है जिसको देख देख के कोई भी कह देता है यह साधक है।
गृहस्थों के लिए सरल बगलामुखी की साधना विधि
या साधनाओं की हम जब बात कर रहे हैं तो कोई एक सामान्य जनसामान्य व्यक्ति घर में रह के ही साधना करना चाहता है। उसके पास ना कोई गुरु है ना उसे ज्यादा चीजों का ज्ञान है। तो कुछ सरल सा मार्ग बताइए कि वो साधना में भी खुद को तटस्थ रख सके और मां की प्राप्ति कर सके। जैसे आपने पूछा कि घर में साधना कर सकते हैं क्या?
तो घर में सौम्य रूप से साधना होती है। मां बगलामुखी माता की आप चालीसा पढ़ सकते हैं। उनके स्तोत्र पढ़ सकते हैं। जो मैं अभी बता रहा था बगला अष्टोत्तर शतनाम मां को अति प्रिय है। बहुत तेजी से उनकी कृपा प्राप्त होती है। कोई व्यक्ति यदि संकल्प लेके इनके पाठ को करता है तो डेफिनेटली वो यह साधना कर सकता है।
बगलामुखी की साधना संकल्प लेने की सही प्रक्रिया
इसमें संकल्प का क्या सही तरीका होता है साधनाओं को करते समय? क्योंकि जब हम साधारण अपने घर की पूजा करते हैं और जो संकल्प लेते हैं और जब हम इस तरीके की कोई खास विशेष साधना में रत होते हैं तब के संकल्प में दोनों में क्या अंतर है ?
देखिए जो नॉर्मल हम संकल्प करते हैं वो नॉर्मल संकल्प पूजा पाठ में क्या होता है कि लोटे से हमने दाहिने हाथ में जल लिया उसमें अक्षत डाले एक पुष्प डाला एक का सिक्का रखा और बोला कि यह हमारी इच्छा पूर्ण हो।
इसके लिए हम इतने पाठ का संकल्प कर रहे हैं और वो जल जमीन पर छोड़ देते हैं। जी लेकिन जब हम विशेष साधना करते हैं जैसे मां बगलामुखी माता की हम साधना की बात कर रहे हैं। जिनको सब कुछ पीला पसंद है। पीला ही उनको प्रिय है। पीला ही भोग लगता है। यहीं पे मेरा सवाल है कि बगलामुखी जी को पीला ही क्यों इतना प्रिय है?
मां मां बगलामुखी माता को पीला इसलिए प्रिय है कि जब उनका अवतरण हुआ था तो वो पीत वस्त्र में आई थी। पूरी स्वर्ण के आभूषण थी। मतलब उनको पीला पसंद है। हल्दी उनको सबसे प्रिय है। उनके भोग में किशमिश लगती है। बेसन के लड्डू लगते हैं।
कोई भी पीली चीज का भोग लगाते हैं। तो मैं अब उसी प्रश्न पे आता हूं जो अभी आपने पूछा था कि संकल्प कैसे करते हैं? तो संकल्प करने का अलग तरीका होता है। यह संकल्प करने का जो तरीका होता है, उसमें क्या रहता है कि एक पीला कपड़ा लिया आपने।
उसके अंदर एक नारियल का गोला रखा। ठीक है ? उसमें पीली सरसों डाल दी, लौंग डाल दी। जी और कुछ दक्षिणा रख दी और उसको बांध के आपने रख दिया। ठीक है ? माता के चित्र के सामने। उसके बाद फिर आपने हाथ में जल ले संकल्प लिया कि मां मैं आपकी प्रसन्नता के लिए आपके इतने पाठ करने का संकल्प कर रहा हूं।
नॉर्मली हम जल कहां डालते हैं ? जमीन पे। यह हम उस नारियल के गोले के ऊपर डालते हैं। यह अंतर होता है। और वह जो नारियल का गोला है, जब हम साधना करते हैं, उसमें वो शक्ति आती है कि नकारात्मक शक्ति को रोकता है आप तक आने से।
बगलामुखी की साधना नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाव
यही साधनाओं के बीच में हमेशा देखा गया है कि नकारात्मक ऊर्जाएं भी डिस्टर्ब करने के लिए कहना चाहिए कि आती हैं। तो इनको रोकने का क्या तरीका होता है ? किसी भी साधना में? देखिए नकारात्मक शक्ति को रोकने से पहले आपको जब कोई भी साधना की आप शुरुआत करें अपने ओरा को लॉक करना होता है। ठीक है ?
आप अपने ओरा को लॉक करेंगे और दूसरा जो प्रोसेस मैंने बताया नारियल का गोला रखते हैं। तो जो नारियल का गोला हम रख रहे हैं इसमें हम शक्ति समाहित हो रही है। यह शक्ति ही रोकती है नकारात्मक शक्ति को आप तक आने से।
और ओरा लॉक करना भी बता दीजिए कि किस तरीके से किया जाता है। देखिए ओरा लॉक करने का सिंपल सा प्रोसेस यह होता है कि आप इस तरीके से ऐसे क्रॉस टाइप का बनाइए यूं और ये आपका पूरा ओरा लॉक हो गया कि जो भी नेगेटिविटी सर पे ऐसे ले ऐसे लेके हृदय तक और लेफ्ट से राइट तक चली गई और मन में ये बोलना है कि जो भी मेरे आसपास चीजें हैं वो मेरे प्रवेश ना कर पाए मेरे शरीर में और मेरा अपना ओरा लॉक करता हूं।
सिर्फ इतना छोटा सा एक कार्य बिल्कुल ये आप मैं घर की साधना के लिए आपको बता रहा हूं नॉर्मल अगर हम घर में साधना करते हैं इतने से काम चल जाएगा और हम साधारण ध्यान पे बैठ रहे हैं यदि तो ये जो ओरा लॉक करने का आपने तरीका बताया है ये भी क्या हम रोज प्रयोग कर सकते हैं बिल्कुल कर सकते हैं आप तो इससे किसी भी प्रकार की नकारात्मक या अन्य जैसी भी ऊर्जाएं होती हैं वो आपके संपर्क में नहीं आ पाती हैं।
36 अक्षरीय बगलामुखी मंत्र: क्यों है गुरु की आवश्यकता ?
सबसे महत्वपूर्ण सवाल एक मैं आपसे करना चाहती हूं। 36 अक्षरीय जो मंत्र होता है मां बगलामुखी का तो क्या उसकी पूजा या उसका जप साधारण लोग भी कर सकते हैं ? देखिए 36 अक्षरीय मंत्र जो है माता बगलामुखी को बहुत प्रिय है और दतिया वाले गुरु जी ने भी अपने जो बगलामुखी रहस्य उसमें इसी का वर्णन किया गया है। यह मंत्र इतना शक्तिशाली है। मूल मंत्र इसे कहा जाता है बेसिकली।
तो जो मूल मंत्र होता है मूल यानी जिसमें समूल सब कुछ समाहित है उस मंत्र को करने के लिए आपको गुरु की आवश्यकता होती है। बिना गुरु के इस मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस मंत्र के उच्चारण में अगर आप कहीं कोई त्रुटि करते हैं तो अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
जैसे मैं दर्शकों को बता देता हूं। बगलामुखी मंत्र है। ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभ जिह्वां कील बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा। अब इसमें अगर आपने कहीं भी कोई भी त्रुटि कर दी तो वह चीज आपके लिए प्रॉब्लम क्रिएट कर सकती है।
तो दर्शकों आपकी जानकारी के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है कि 36 अक्षरीय बगलामुखी जी का जो यह जप किया जाता है मंत्र का इसे आप बिना गुरु के कभी भी घर में ना करें। अन्यथा अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
कई साधक ऐसे होते हैं जो जिन्हें साधना का शुरू शुरू में कहना चाहिए कि एक मन होता है या शौक सवार होता है और वो खुद से गुरु मंत्र साधना डॉट कॉम से देखकर या आजकल बहुत गुरु बताते भी हैं तो वो गुरु मंत्र साधना डॉट कॉम से देखकर सारी साधनाएं करने लगते हैं।
तो ये कितना हानिकारक हो सकता है किसी के? यह डिपेंड करता है कि वह कौन सी साधना कर रहे हैं। अगर वह सात्विक साधना कर रहे हैं तो वह बिल्कुल कर सकते हैं। नहीं है। लेकिन अगर वह तामसिक साधना कर रहे हैं या माता की कोई उग्र साधना कर रहे हैं तो फिर बिना गुरु के नहीं करनी चाहिए।
क्योंकि नकारात्मक शक्ति जब वार करती है ऐसे में तो उसको संभालने के लिए गुरु की शक्ति ही काम आती है। जी यहां हम गुरु की बात कर रहे हैं और गुरु होना बहुत महत्वपूर्ण होता है।
लेकिन यह भी कहा जाता है कि जब तक समय नहीं आता तब तक हमें हमारे गुरु से हम मिल नहीं पाते हैं। तो गुरु का चुनाव करना या गुरु से मिलना ये सब कैसे संभव हो पाता है ?
गुरु का चुनाव हम नहीं कर सकते क्योंकि हमारी इतनी बुद्धि नहीं है कि हम गुरु को पहचान सके। समय आने पर गुरु खुद हमें चुनता है। जी यानी कि आपको जहां से गुरु दीक्षा प्राप्त हो गई स्वयं ही वही आपके गुरु हैं और आप आपको उनको स्वयं से स्वीकार कर लेना चाहिए।
साधना का फल क्यों नहीं मिलता? प्रारब्ध का प्रभाव
उत्कर्ष जी कई साधक जो जाप करते हैं साधना करते हैं। जैसे सवा लाख मंत्रों का जाप किया। किसी ने 10,000 लाख मंत्रों का जाप किया। अपनी-अपनी कैपेसिटी के अनुसार। लेकिन कई बार वो ऐसा कहते हैं कि हम इतनी आराधना पूजा कर रहे हैं उसके बाद भी इसका फल नहीं मिल रहा है। तो उसका क्या कारण होता है ?
बहुत ही बढ़िया क्वेश्चन आपने किया और मैं आपके माध्यम से दर्शकों को बताना चाहूंगा कि जो भी साधक साधना करता है जैसे मंत्र जाप उसने सवा लाख किए। एक मंत्र के सवा लाख किए। उसके बाद दूसरे मंत्र के सवा लाख किए। ऐसे कई प्रकार की साधनाएं उसने करी।
और उसका क्वेश्चन ये रहता है कि उसको रिजल्ट नहीं मिल रहा। तो उसका मेन कारण ये रहता है कि जो साधना से उसने तप अर्जित किया है वो तप जो साधना का अर्जित किया तप है वो उसके ओरा को क्लीन करने में जा रहा है ठीक है और ऊपर से सामने वाले के प्रारब्ध भी रहते हैं.
जब प्रारब्ध कटते हैं रिजल्ट उसके बाद मिलता है साधनाएं हम कर रहे हैं पूरे भाव से कर रहे हैं पूरी श्रद्धा से कर रहे हैं लेकिन आप किस किस मतलब कितने जन्मों से कौन-कौन से प्रारब्ध ले आए हैं ये नहीं पता तो जब वो प्रारब्ध आपके समाप्त होते हैं।
मां क्या कृपा करती है? ऐसा नहीं कि आपने साधना करी है, आप जप कर रहे हो और मां आपको कुछ नहीं दे रही। मां दे रही है लेकिन आपको दिखाई नहीं दे रहा। मां आपके उस प्रारब्ध को क्षीण कर रही है। वो एनर्जी वहां लग रही है जब वो आपका प्रारब्ध बिल्कुल क्षीण हो जाता है। उसके बाद जब आप एक साधना करते हैं क्वांटम जंप कर जाते हैं।
बगलामुखी वशीकरण: क्या इसका कोई तोड़ है ?
उत्कर्ष जी बगलामुखी साधना में जो भी तंत्रों का प्रयोग होता है उसके द्वारा जो वशीकरण का प्रयोग किया जाता है। क्या उसके कोई काट है ? देखिए मां बगलामुखी माता को ब्रह्मास्त्र विद्या कहते हैं। सबसे पहले तो यह समझिए।
ब्रह्मास्त्र मतलब त्रिलोक की अंतिम शक्ति। जब कोई भी पूजा पाठ करने के बाद रिजल्ट नहीं मिलता तो अंत में व्यक्ति बगलामुखी माता की शरण में जाता है और कोई यदि बगलामुखी माता का वशीकरण करता है तो उसकी कोई काट नहीं होती।
Maa Baglamukhi Sadhna बगलामुखी की साधना का निष्कर्ष
तो दर्शकों आज हमने बात की बगलामुखी मां के ऊपर उनकी साधना के ऊपर आपने जैसा देखा कि उत्कर्ष जी ने अपने भी कुछ अनुभव बताए उनके गुरु जी के भी कुछ अनुभव बताए तो मां की साधना करने वाले व्यक्ति के पास ढेर सारे अनुभवों का भंडार होता है और आज के कलयुग के युग में भी मां बगलामुखी बहुत ही जागृत देवी हैं।
और सच्चे मन से जो भी साधक जिस भी प्रकार से यानी कि सात्विक या तामसिक जो भी उनकी इच्छा अनुसार भक्ति करते हैं, उनकी साधना करते हैं, मां साक्षात आकर उनको दर्शन भी देती हैं और उनके सारे मनोरथ को पूर्ण भी करती हैं।
तो आज हमारी चर्चा बगलामुखी मां के बारे में थी। अगले लेख में एक नए विषय और एक नए मेहमान के साथ मैं फिर उपस्थित होऊंगी। तब तक के लिए जय माता दी। जय माता दी।
Dussehra 2025 रावण उपाय- धन और शक्ति प्राप्ति का अचूक मार्गकमला महाविद्या साधना ( करोड़पति बनने की साधना ) साधना अनुभव के साथ kamala mahavidya mantra sadhna ph.8528057364