karna pishachini sadhana पर्चा बनाने वाले बाबा इस्तेमाल करते है कर्ण पिशाचिनी साधना

karna pishachini sadhana पर्चा बनाने वाले बाबा इस्तेमाल करते है कर्ण पिशाचिनी साधना karna pishachini गुरु मंत्र साधना.com में आप सबका फिर से स्वागत है। आज का विषय रहेगा पर्चा बनाने वाले बाबाओं को लेकर रहेगा। ठीक है, जो भी बात करूँगा, तथ्य के आधार पर करूँगा। मैंने स्वयं अपने शिष्यों को, अपने लोगों को इन बाबाओं के पास भेजा है, ठीक है, सच्चाई पता लगाने के लिए।
ठीक है, जो सच्चाई हमें पता चली है, जो हमें नॉलेज मिली है, तो वही नॉलेज हम बताएँगे। इसके पीछे क्या ज्ञान है, क्या विज्ञान है, ठीक है, कैसे यह बाबा लोगों का बताते हैं भूत, भविष्य, वर्तमान का। ठीक है, कौन सा व्यक्ति किस काम के लिए आ रखा है, तो यह पहले ही सारा कुछ बता देते हैं।
तो इसी टॉपिक को लेकर मैं बात करूँगा बिल्कुल एक प्रैक्टिकल वे में। ठीक है, सुनी-सुनाई बातें न तो मैं करता हूँ, न तो फिर मैं उनके ऊपर कोई यकीन करता हूँ, न तो मैं उनके ऊपर कोई post बनाता हूँ। सीधी सी बात है, प्रैक्टिकल वे में ही मैं बात करूँगा।
आज के समय में जो पर्चा बनाने वाले बाबा हैं, उनमें से बागेश्वर धाम वाले बाबा बहुत ही फेमस हो चुके हैं। ठीक है, आप सभी लोग जानते होंगे। ठीक है, बहुत ही कम समय में ये उस लेवल तक पहुँचे, जिस लेवल के ऊपर बड़े-बड़े संतों को पहुँचने के लिए कई साल लगते हैं, क्योंकि चमत्कार को ही नमस्कार है। ठीक है, इनसे भी पहले एक बाबा होते थे पर्चा बनाने वाले, पंडोखर सरकार। सबसे पहले पर्चा बनाने वाले जो बाबा थे, वो पंडोखर सरकार ही थे। ठीक है, उनके बाद यह कई साल बाद ही यह बागेश्वर धाम वाले बाबा आए, उनसे पहले पंडोखर सरकार थे।
पंडोखर सरकार की मैं सच्चाई बताऊँगा कि क्या है सिस्टम, उसके बाद फिर हम इस विषय के ऊपर चर्चा करेंगे। देखिए, जो पंडोखर सरकार का चलन बहुत ज़्यादा था 2014 के करीब। ठीक है, उस समय हमने एक अपने शिष्य को उस बाबा के पास भेजा।
ठीक है, उस बाबा के पास पहुँचने के लिए भी आपको 2100, 5100, 21000 की पर्चियाँ लगती हैं। कौन सी पर्ची आप कटवाना चाहते हो, वो कटवाओ। ठीक है, उसके बाद आपका नंबर आएगा। तो हमारा जो शिष्य था, वह समर्थ था 21,000 की पर्ची लेने में, इसीलिए उसने 21,000 की पर्ची ली। ठीक है, सामने ही बाबा के होटल भी थे।
कोई व्यक्ति अगर होटल में रहना चाहे, तो वहाँ कमरे लेकर रह सकता है। कहने का मतलब पक्का बिज़नेस उनका चलता था इस तरीके से। जिसको होटल में नहीं रहना है, एक हॉल होता था बहुत बड़ा, हॉल के अंदर लोग सो जाते थे। ठीक है, तो ये कहानी थी पंडोखर सरकार की।
उसके बाद होता क्या है कि 21,000 की पर्ची लेकर वो हमारा शिष्य वहाँ पहुँचा और बाबा ने उनको बुलाया। बाबा ने बोला कि तुम्हारे पिता का नाम यह है, चाचा का नाम यह है, साले का नाम यह है, सारा खानदान का हिस्ट्री बता दिया। इस मन, इस कामना के लिए आए हो, इस सवाल के लिए आए हो।
ठीक है, उन्होंने बोला, चलो ठीक है, लेकिन आप मेरी समस्या बताओ और उसका समाधान बताइए। ठीक है, भविष्य में मैं क्या करूँगा, उसके बारे में बताएँ। तब बाबा के क्रोध की कोई सीमा नहीं रही। बाबा क्रोधित हो गए, बोले कि उसको बाहर ले जाओ।
ठीक है, उस व्यक्ति ने बोला कि मैंने ₹21,000 दिया है, ठीक है, और अपने सवालों का जवाब जाने बिना मैं नहीं जा सकता। फिर उसको बाहर भेज दिया गया, तो बाहर उनका शिष्य बैठा था, बोला ₹51,000 दीजिए, तब आगे की बात पता चलेगी। तो ₹51,000 एक व्यक्ति ने वहाँ पर दिया था। ठीक है, उससे जब रिव्यू पता किया गया कि क्या है, इसके बारे में उसने बताया कि बाबा भविष्य बताने में टाल-मटोल कर जाते हैं।
ठीक है, भूतकाल और वर्तमान काल का खूब बताते हैं। ठीक है, और जैसे कोई समस्या के बारे में पूछा जाए, तो बता देते हैं, पर उसका समाधान बताने में सक्षम नहीं। तो वहीं पर ही हम समझ गए कि इनके पास कोई भी दैवीय शक्ति नहीं, क्योंकि दैवीय शक्ति भूत, भविष्य, वर्तमान, तीनों काल की जानकारी देने में समर्थ होती है। पर जो इनके पास है, केवल भूतकाल और वर्तमान काल। ठीक है, इससे आगे और कुछ नहीं है।
तो फिर हमें इस चीज़ का पता चला कि यह तो भूत-प्रेत पकड़ के बैठे हैं, उसके ज़रिए ही अपने सवालों के जवाब हासिल करते हैं। इन बाबाओं के पास कोई भी दैवीय शक्ति नहीं है।
ठीक है, ये जो साधनाएँ ज़्यादातर बाबा करके बैठते हैं, ठीक है, तो इसी तरीके की करके बैठते हैं। अच्छा, वह बाबा स्वयं सीएम पद के लिए उस बाबा ने टिकट ली थी, ठीक है, इलेक्शन में भी खड़े थे। बाबा बुरी तरीके से हार गए और ज़मानत तक ज़ब्त हो गई।
जब यह चीज़ मीडिया के माध्यम से और बहुत सारे लोगों को पता चली, तो बहुत सारी पब्लिक बाबा से टूट गई। तो लोग बोलते थे कि अगर बाबा को खुद का भविष्य नज़र नहीं आता है, तो लोगों का भविष्य क्या देखेंगे। ठीक है, खुद को तो इलेक्शन जिता नहीं पाए, लोगों की समस्या कैसे दूर करेंगे?
अपनी समस्या तो दूर हुई नहीं। ठीक है, अब तो इलेक्शन जीत नहीं पाए। ठीक है, अगर बाबा के पास वाकई शक्ति थी, तो भविष्य के माध्यम से देख लेते कि वह जीतना है या उसको हारना है। ठीक है, कम से कम जो ज़मानत थी, वो ज़ब्त नहीं होती।
ठीक है, दूसरी चीज़, इज़्ज़त तो बच जाती। अब समाज में इज़्ज़त भी गई, पैसा भी गया। उसके बाद बाबा की जो लोकप्रियता थी, बहुत ही कम हो गई, नाम मात्र ही लोग जानने लगे।
तो यह सच्चाई होती है। जितने भी यह बाबा होते हैं, यह केवल छोटी-मोटी शक्तियाँ ले बैठते हैं और लोगों को बताते हैं। इनके पल्ले कुछ नहीं है। इनको भविष्यवक्ता हम नहीं बोल सकते, एक तरीके से मदारी बोल सकते हैं कि मदारी जैसे तमाशा दिखाता है, तो उसके माध्यम से ये केवल तमाशा दिखाकर पैसा इकट्ठा करते हैं, मदारी की तरह।
ठीक है, इनके पास न तो कोई शक्ति है, न तो कोई सिद्धि है, जो त्रिकाल ज्ञान दे सके। जो व्यक्ति त्रिकालदर्शी बन जाता है, तो अपने आप में वह शांत हो जाता है। ठीक है, क्योंकि उसको कर्मचक्र के बारे में, कर्म चक्र का रहस्य पता चल जाता है, उसको अंदर से ज्ञान हासिल हो जाता है, तो ऐसे वो मदारीगीरी वाले काम करके पैसा इकट्ठा नहीं करता है।
जो बर्तन खाली होता है, उसी में ही ज़्यादा आवाज़ आती है। जो बर्तन भरा हुआ होता है, वह कभी आवाज़ नहीं करता है। तो यह बाबा बस सिर्फ और सिर्फ कुछ भूत-प्रेत को कैद करके, कोई कर्ण पिशाचिनी को करके बस बताते हैं और इनके पल्ले कुछ है ही नहीं।
कुछ और भी बाबा आ रहे हैं, जो बताते हैं। अच्छा, एक चीज़ इनकी और भी है, ये कुछ ही लोगों का बताते हैं। ठीक है, बहुत सारे ऐसे लोग हैं, उनको बता ही नहीं पाते। लोगों के मन में डाउट भी खड़ा होता है कि यह हर किसी को क्यों नहीं बताते। ठीक है जी, उनके कुछ आदमी हैं, तो उनका ही बताते हैं।
ज़्यादा पोल तो मैं इस वीडियो के अंदर नहीं खोलूँगा। आपको पता है कि एक लेवल तक की ही बात करूँगा। ठीक है, इन बाबाओं के चक्कर में आप पैसा वेस्ट मत करिए, टाइम वेस्ट मत कीजिए। ठीक है, ये कोई भी ऐसे सिद्ध साधक नहीं हैं, ये सिर्फ मदारी हैं।
मदारी ही बोलो आप। ठीक है, मदारी और साधक में फ़र्क होता है। साधक वो होता है, जो अपनी सिद्धियों का कभी भी प्रदर्शन नहीं करता है और प्रदर्शन करके लोगों से पैसा इकट्ठा नहीं करता है। जो मदारी होता है, अपनी हाथ की कला दिखाता है या अपनी स्किल दिखाता है, उससे पैसा इकट्ठा करता है।
तो ये साधक नहीं हैं, ये एक नंबर के, हम बोल सकते हैं कि, मदारी हैं, केवल मदारीगीरी करते हैं, तो उनके पल्ले और कुछ है ही नहीं। ठीक है, तो आप यह बात आप समझ गए होंगे। तो आज के लिए बस इतना ही। ठीक है, अगर कोई आपका डाउट है या सवाल है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। ठीक है, जय श्री महाकाल।