🕌 इस्माइल जोगी साधना: नाथ पंथ और मुस्लिम साधना का समन्वय
ismail jogi sadhna इस्माइल जोगी साधना: नाथ पंथ और मुस्लिम साधना का समन्वय गुरु मंत्र साधना.com में आपका फिर से स्वागत है। आज हम एक नए विषय पर चर्चा कर रहे हैं। गुरु रुद्रनाथ और सागरनाथ। कभी रुद्रनाथ जिज्ञासु की भूमिका निभाते हैं तो कभी सागरनाथ जी जिज्ञासु की भूमिका निभाते हैं। दोनों ही एक से बढ़कर एक ज्ञानी हैं। कोई छोटा बड़ा नहीं है।
दोनों एक समान ज्ञानी हैं। हर बार इस मंच पर एक नया ज्ञान प्राप्त होता है साधक जन को। आज फिर इस श्रृंखला में नया ज्ञान लेकर आए हैं। चलो शुरू करते हैं। गुरु मंत्र साधना.com में आप सबका फिर से स्वागत है। जी।
आज का जो हमारा टॉपिक रहेगा इस इस्माइल योगी की साधना का रहेगा। ठीक है? इस इस्माइल योगी की साधना क्यों की जाती है? इसका क्या लाभ है? ठीक है? पूरा उस टॉपिक के ऊपर बातचीत करेंगे।
आज फिर हमारे गुरु मंत्र साधना.com पर सागरनाथ जी उपस्थित हैं जो आपको बताएंगे इस इस्माइल योगी की साधना का क्या महत्व है। जी जी सागरनाथ जी आप जी का स्वागत है फिर से। सबको एक बार राम राम। फिर से जय माता की। जय माता दी। राम राम जी।
तो रुद्रनाथ जी आपका एक बार फिर से धन्यवाद अपने वेबसाइट पे एक बार दोबारा फिर से बुलाने के लिए। जी तो आज हम ये लेके आए हैं इस्माइल जोगी। इस्माइल जोगी का जो मंत्र है या विधि-विधान है अक्सर नहीं मिलता। तो जिनके पास है उन्होंने अपने पास ही रख लिया है।
आगे बताया ही नहीं। ठीक है। इनका क्या महत्व है मैं बताता हूँ। तो ये गुरु के रूप में जैसे चलते हैं इस्माइल जोगी, जोगी तो हैं ही, इस्माइल जोगी के रूप में भी चलते हैं और दूसरी बात जहाँ पे कामरू का कामाख्या की पीठ है ना, कामरूपा जिसको आप बोल दो, कामाख्या मंदिर, वहाँ की स्थली, वहाँ पे ये बहुत ज्यादा पूजे जाते हैं।
साथ में इनके लूना चमारिन भी पूजी जाती है, जो लूना चमारिन है इनकी शिष्या मानी गई है, इनकी शिष्या मानी गई है और जो नार सिंह वीर है ना, वहाँ का जो मोहन का काम करता है, मोहन का जो वशीकरण बहुत प्रबल रूप से करता है, वो भी इनके साथ ही रहा है, लेकिन वो इनका शिष्य नहीं रहा जी। वो इनके साथ ही जैसे गुरु भाई बोल सकते हो आप। ठीक है?
📜 इस्माइल जोगी का महत्व और नाथ संप्रदाय से संबंध
और दूसरी चीज क्या है जी, जो ये इस्माइल जोगी जी हैं, गुरु गोरखनाथ जी ने शिक्षा प्राप्त करी है, शिक्षा हाँ, इनके शिष्य हैं। यही मैं बात बोलने लगा था। इनके शिष्य हैं। मतलब कि ये तंत्र के क्षेत्र में इनका जो लेवल है बहुत बड़ा है, जिसको बोलते हैं हाई डिग्री। हाई डिग्री।
और दूसरी चीज क्या है जी, अब लोगों के मन-माइंड में आता है ना कि हिंदू धर्म में हम मुस्लिम साधना कर रहे हैं। जो मुस्लिम साधना का प्रचलन हुआ है, ये इस्माइल जोगी से ही हुआ है। जी ठीक है।
और दूसरी चीज, जो ये धर्म-कर्म के जो लोग ज्यादा करते हैं ना, मैं एक चीज बोलना चाहता हूँ जी, नाथ संप्रदाय के अंदर मुस्लिम साधना भी की जाती है और सनातन धर्म की भी की जाती है। ऐसे होती थी जब गुरु गोरखनाथ जी घर पे तो अभी हैं, लेकिन जब वो आए थे, प्रकट हुए थे, उन्होंने दीक्षा देनी शुरू की थी, जो मुसलमान थे, मुसलमान पद्धति के थे, ठीक है
उस समय वो उनके जब शिष्य बने, उनको पता लगा कि इनके अंदर नूर है, परमात्मा का दिया हुआ, कुछ कर सकते हैं। उन्होंने उनको दीक्षा दी, नाथ पंथ से ही दी और आगे उन्होंने क्या किया? जब उनसे दीक्षा ले ली, परफेक्ट हो गए, तो आगे अपना पंथ चलाना शुरू किया।
ये जो मंत्र आप मुस्लिम मंत्र पढ़ते हो ना, इल्म आलम, इल्म आलम, ये जितने भी पढ़ते हो, कालिम हाँ, आलम कालिम, ये वहीं से ही चले हुए हैं। बिल्कुल। देखो गुरु का तो मतलब होता है शिष्य को पावर देना।
शिष्य जैसे मर्जी उस गद्दी को आगे बढ़ाए, गुरु ऐसे नहीं बोलते। वो बोलते कि दूसरी चीज क्या है, नाथ संप्रदाय में मुस्लिम साधना भी एक समान की जाती है और यह भी की जाती है। दोनों का एक समानता है।
उसमें ये नहीं है तो कोई धर्म-कर्म का कोई आडंबर नहीं। गुरु तो सबके समान होते हैं। सीधी बात है। बिल्कुल। ठीक है ना? उनके घर में कोई ये धर्म मजहब नहीं चलता है। बिल्कुल वही चीज तो मैं बोल रहा हूँ उन लोगों को।
💡 साधना की विधि और स्वरूप
अब मैं बताता हूँ ये जो मेरे को साधना मिली थी, कहाँ से मिली थी? ये हरियाणा के जंगम थे। जंगम थे, उनके ऊपर भोलेनाथ की सवारी आती थी, बहुत गुस्से में आती थी, शांत रूप में नहीं आती थी, क्रोधित रूप में आती थी। क्रोधित रूप में सिगरेट ज्यादा पीते थे वो खुश हो के।
क्योंकि जब वो भजन करते थे, उनका चेहरा इतना लाल पड़ जाता था, जो जंगम खंजड़ी बजा के नहीं करते अपना भजन। हम हम वो करते थे। हमारे अच्छे मित्र मतलब कि अच्छे खासे मित्र बन गए थे। हम हम जैसे उनका लेवल बड़ा हुआ हमारा था। एक दूसरे को मेल-मिलाप हुआ। हम उनको अपना कुछ बताते, वो हमें अपना बताते।
जैसे लेन-देन चलता रहा। हम हम। तो वो आए शिवरात्रि में मेरे पास। भोलेनाथ का भोग लेने के लिए आते थे कि तू भाई इतना मेरे को उनके तरफ से दे दे। तो मैंने बोला कि उनके आपके लिए द्वार खुला है, जब मर्जी आओ, शिवरात्रि को छोड़ के भी आ सकते हो आप। कहते नहीं, जो उन्होंने मेरे को बोला है कि इसे शिवरात्रि की शिवरात्रि से मिलना है। जी जी जी।
तो वो अपने घर पे धुना लगा के उन्होंने उनको सिद्ध किया था इस्माइल जोगी। अच्छा जी। धुने के ऊपर किया था। उन्होंने मेरे को विधि क्या बताई थी? इतनी लंबी चौड़ी विधि नहीं है, जितनी हम सुनेंगे, यहाँ बताई जाएगी दूसरों के द्वारा। वो बोलते हैं इसमें पाँच लड्डू लगते हैं, पाँच पताशा। अच्छा जी।
धुना होता है, जो धुना, जो जिसको आप कंकड़-कंकड़ नहीं, उसको अँगीयारी बोलते हो ना, गोबर की गाय का उपला लेना है, उसके ऊपर उसको सुलगा के देना है। ये प्रतिदिन आपने 21 दिन करना है। उस धुने के साथ में 11 माला करनी है। तो 250 ग्राम बेसन भी लेना है इसके साथ में। ठीक ठीक ठीक ठीक।
इसके साथ क्या होगा, मैं अब आपको बताता हूँ। जो ख्वाजा साहब है ना, ख्वाजा पीर जिसको बोलते हैं, जो वरुण देव हैं हमारे इतिहास में सनातन धर्म में, ये वो रूप है। ये साथ में सिद्ध होंगे उनके। ठीक है? मतलब कि ये मल्टीपल कार्य करेंगे आपके लिए।
आपके सिर पे चौकी आनी, जैसे बैठे-बैठे किसी को हाल-चाल बताना, कान से निकालना, किसी की चौकी बाँधनी-खोलनी, ये भी कार्य करेंगे। यहाँ तक जब ये आपको सिद्ध हो जाएँगे, नरसिंह वीर की भी सिद्धि करवा देंगे, जो कामरूपा में पूजा जाता है, लूना चमारिन, मतलब जितने वीर तंत्र वाले ना, उनके आसपास के क्षेत्र में रहते हैं या उनके पास जो दीक्षा ली थी उन्होंने, वो सब आपके साथ चल पड़ेंगे।
📿 मंत्र, लाभ और अनुभव
और इनका स्वरूप कैसा है? जटाधारी हैं। सिर के ऊपर साफा बाँधते हैं जो नाथपंथ में बाँधा जाता है। हाथ में चिमटा है और कमंडल है। पाँव में खड़ाऊँ है। खड़ाऊँ है, ये इनकी पहचान है। ठीक ठीक ठीक ठीक। ठीक है? और इन्होंने गले में नादी पहनी हुई है, जैसे गुरु गोरखनाथ नहीं अपने शिष्यों को डलवाते थे। हम हम हम।
वैसा इनका। अब मैं मंत्र पे आता हूँ। अच्छा इनका, हाँ, चलो मंत्र के ऊपर आए, तो थोड़ा सा मैं यही पूछ रहा हूँ कि इसके क्या लाभ हैं? चलो आप पहले मंत्र बता दो। उसके बाद फिर हम लाभ पूछेंगे, क्या हैं इसके?
इस्माइल जोगी का शाबर मंत्र
मंत्र ऐसे है: खेरू ठेर करे, ख्वाजा सिजर परे, गुरु इस्मेल को हाजिर करे।
ये अढैया मंत्र है। फिर बोल देता हूँ। अढाई अक्षर का जिसको बोला जाता है, अढाई लाइन का। खेरू ठेर करे, ख्वाजा सिजर परे, गुरु इस्मेल को हाजिर करे। ठीक ठीक।
खेरू का मतलब होता है कि जो ना मुड़े, जो ना मुड़े, उसको खत्म कर दो। अगर जो खत्म हुआ हुआ है, उसको सही कर दो। ठीक है? ख्वाजा जो है, आपका साथ दे। सिजर परे का मतलब ये है जो गुरु इस्मेल हैं। मैंने पहले बोला था कि ये गुरु स्वरूप हैं। गुरु हैं। इनका नाम गुरु स्वरूप। गुरु इस्मेल को हाजिर करें। ठीक है?
जब भी वस्त्र डालने हैं, वस्त्र कोशिश करो कौन से डाल सको? सफेद डाल सको, पीले नहीं तो जोगिया कलर का डालो। या फिर तीसरा ग्रीन कलर का जो होता है, वो भी डाल सकता है। हाँ, ये भी चलेगा ना? चलेगा, चलेगा। लेकिन ज्यादातर असर इनका नाथ पंथ में ही चलेगा। कि मतलब कि ये भूल में मत रहें कि ये मैं आपको मुस्लिम मंत्र दे रहा हूँ। ये अढैया मंत्र है। ये नाथ पंथ का मंत्र है। प्रामाणिक मंत्र है।
अच्छा, अब आगे बात करते हैं। इसके क्या लाभ हैं? उसके बाद तीसरी चीज फिर हम बात करेंगे अनुभव की। फिर पोस्ट को करेंगे। लाभ, लाभ यही है कि सबसे पहले ये आपके गुरु बन जाएँगे। जब आप इस मंत्र को पढ़ोगे ना धुने के ऊपर, गुरु बन जाएँगे।
इस इस मंत्र से आपको भोलेनाथ की कृपा अपार मिल जाएगी। दूसरी ये जो मैंने आपको नरसिंह वीर के बारे में बोला है, लूना चमारिन के बारे में बोला है या गुरु गुरु गोरखनाथ जी के बारे में बोला है। इनकी भी आपको अपार कृपा मिल जाएगी।
आपके रुके हुए काम सारे चलने लग पड़ेंगे। आप गद्दी लगा सकते हो। सबसे बड़ी बात है जो गद्दी लगाना सीख गया, वो ऑलराउंडर बन गया। ठीक ठीक ठीक। ठीक। ठीक है।
और दूसरी चीज मैं आपको और बताता हूँ, जो ऐसी गुरु परंपरा की साधना की जाती है, तो आगे चलके जो गुरु होते हैं, सपने में आके आपको बहुत विचित्र साधना भी सिखाएँगे। जी।
भाई मेरे शिष्य ऐसे हैं, जो मेरे को खुद बोलते हैं कि आप मेरे पास आते हो, मेरे सपने में आते हो, मेरे से बात करते हो। मेरे को विधि बता-बताकर चले जाते हो आप। मेरा हल हो जाता है। ये ऐसा क्यों होता है? क्योंकि आपका गुरु परफेक्ट होना चाहिए। बिल्कुल बिल्कुल। सबसे बड़ी बात गुरु परंपरा से ये चीजें चलती हैं जी नाथ संप्रदाय में।
मैं एक यहाँ पे लास्ट सवाल ये कहना चाहता हूँ, ये मैं मंत्र या विधियाँ इतनी क्यों दे रहा हूँ? जैसे भगवान नारायण का जो स्वरूप है ना वेदव्यास जी, उन्होंने इतने पुराण रचे, 18 के 18 पुराण रचे, किस लिए? कि मनुष्य की भलाई के लिए, कि वो टस से मस न हों।
हमारा भी वही धर्म है। हमें ये नहीं कि मेरे पास पड़ा या गुरु जी ने दिया हुआ है, किताब में रख लिया। वो तो बात वहीं पे खत्म हो गई। जिसकी जितनी सोच है, वैसा करना है। बिल्कुल बिल्कुल बिल्कुल। हमें तो भंडारा लगाना है। सीधी बात है। बिल्कुल।
हमें चीजें लुप्त होने से बचानी हैं। सरेआम देना है लोगों को, अपने ठोक-बजा के, ठोक-ठोक के देना है। अगर कोई बंदा नहीं करेगा, तो उसके भी अपने कर्म हैं। अपने कर्म हैं। सीधी बात है। मेरा तो कर्म है देना। करना कि नहीं करना, वो तो उनकी अपनी जिम्मेवारी है। ठीक है जी।
इसके अनुभव क्या-क्या हो सकते हैं? लास्ट क्वेश्चन, उसके बाद समाप्त कर देंगे इसको। अनुभव सबसे ज्यादा कि ये सबसे पहले आपको ख्वाजा साहब दिखेंगे कि जैसे उनका पंजे जल में हाथ दिखता है ना, पंजा तरह में वो दिखेगा।
जब वो दिखने लग पड़ा, समझो आपको सीधी सीधी तरीके से सीधी डायरेक्ट मिलने वाली है। ठीक है ठीक ठीक ठीक। ये सपने में दिखेगा या वैसे दिखेगा?
नहीं, सपने में क्लियर होगा। आप बेड़ी-किश्ती में बैठकर जा रहे हो किसी पीर फ़कीर के साथ। ठीक है? क्योंकि ख्वाजा साहब भी इनके साथ चलते हैं ना वरुण स्वरूप पे। ठीक ठीक ठीक ठीक।
ठीक है? वीरों के भी दर्शन होंगे कि किसी ने कृपाण पकड़ा, किसी ने भाला पकड़ा, किसी ने ढाल पकड़ी हुई, आपकी रक्षा कर रहे हैं। ये वही साधना के जो वीर इनके साथ चलते हैं, वही आपकी रक्षा करेंगे। छोटी-छोटी निशानी आपको देते जाएँगे। जी।
जो आपने कभी देखी नहीं होंगी सपने में, वो बताएँगे बकायदा। ठीक है जी। बहुत ही बढ़िया पोस्ट हमारा अब बन चुका है। ठीक है। इस्माइल जोगी को लेकर। ठीक है। अगर कोई भी इंटरनेट पे, गूगल पे, कहीं पे भी ढूँढ़ लेना। नहीं मिलेगा। अच्छा, नहीं मिलेगा।
मैं बोलता हूँ, नहीं मिलेगा। जी। ठीक है जी। तो आज के लिए बस हम यहीं पर समाप्त करते हैं। ठीक है रुद्रनाथ जी। ठीक है जी। तो अगले जय माता की। हाँ जी। जय माता। और जय महाकाल की। जय श्री महाकाल।





