कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini

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कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini
कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini

कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini

 

कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini कर्ण पिशाचिनी एक पिशाच वर्ग की शक्ति है जो कान  में भूत भविष्य वर्तमान बताती है।  भौतिक आकांक्षाओं से पीड़ित लोग कर्ण पिशाचिनी की साधना  करने को लालायित रहते हैं ।

यह सिद्ध होने पर भूतकाल और वर्तमान काल की बातें बतला देती है, असाधारण परिस्थितियों में भविष्यत् को बत- लाने की क्षमता भी आती है किन्तु इसके लिए अधिक श्रम और साहस की आवश्यकता रहती है।

कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini
कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini

वर्तमान में चाहे विश्व के किसी भी हिस्से की जात पूछी जाय यह सही उत्तर दे देती है, एक हद तक यह व्यक्ति के अन्तः स्तल के विचारो को भी जान सकती है। किन्तु किसी के विचारों की बदले की शक्ति इसमे नही है ।

पिशाचि शब्द सुनते ही रोंगटे खड़े होने लगते हैं ऐसा लगता है कि  कोई मांसाहारी भूत प्रेत जैसी ही कोई शक्ति होगी पिसाची शक्ति शक्ति के ह्रदय चक्र शरीर में विद्यमान है इन्हीं शब्द चक्र में एक हृदय चक्र है स्वामिनी अधिकांश रोग हमारे शरीर में जितने वह सब हमें पिशाचिनी शक्ति की वजह से ही लगते हैं। 

पिशाचि शब्द की आधार की परिभाषा आती है समझ सकते हैं कि किसी एक विषय अथवा वस्तु में हृदय का लगातार लगे रहना किसी एक विषय को जब हम इतना अधिक पसंद करने लग जाए कि अपना तन मन धन यहां तक की अपना आत्मा को शांत करने के लिए तैयार हो जाए तो। हमारा मन धन के लिए कभी वैभव के लिए और भी न जाने कितने विषय वस्तुओं के लिए हम प्रयासरत रहते हैं और हमारा हृदय इस दुनिया से हटना ही नहीं चाहता  इस सुभाव को  पिसाच सुभाव कहा जाता है। 

 Karna Pishachini  पिशाची देवी का सवरूप 

लेकिन बावजूद इसके देवी पिसाची बहुत ही सुंदर है कमल के आसान  पर बैठी हाथ  में दिव्या पुष्प पकडे हुए और एक हाथ में एक अग्नि से जलता हुआ एक कटोरा पकड़े  हुए बैठे हुए है। दिव्या पिशाची देवी की आराधना का और  कुलांतक पीठ से निकलता है। मानसिक और बौद्धिक रोग है और मनोज जनित जितने भी रोग  हैं। नष्ट करने में देवी पिशाची  के मंत्र सर्वश्रेष्ठ है उनका ध्यान स्तुति बहुत लाभदायक है। 

 

लोगों को चमत्कृत करने के लिए, अपना प्रभाव जमाने के लिए और इन प्रदर्शनों के फलस्वरूप धन अर्जन के लिए कर्ण पिशाचिनी के प्रति लोग अधिक आकृष्ट होते हैं । इसके संबंध में कुछ भी लिखने से पहले एक बात स्पष्ट कर दूं कि मैं ज्ञान मार्ग में प्रवृत्त हो चुका हूँ, ये आनन्दमार्गी चुटकुले हैं, इनके प्रति मुझे कोई भी दिलचस्पी नही चमत्कार जैसी चीज मेरे मे नही है और जब नही है तो दिखावा कैसे करू ?

सच यह है कि अर्थ और सुविधाओं के मामले मे आवश्यकता तक सोचता हूं मुझे किसी भी प्रकार की कोई सिद्धि नही मिली फिर भी भारतीय मन्त्रो की शक्ति का परिचय मुझे है । ज्ञान मार्ग जिस विराट् शून्य में रमना चाहता है उसमे प्रदर्शनीय, सिद्धि या चमत्कार नाम को कोई चीज होती ही नहीं। गोपीनाथ कविराज नौर. योगीराज अरविन्द के पास लोगों ने कौन – सा चमत्कार देखा ।

किन्तु तो उनको मिला उसके लिए कौन लालायत नहीं है ? ज्ञान मार्ग का यह भाव है। कामनाओं से प्रेरित होकर जो प्रयोग किये जाते हैं वे ऐसे ही ४८ रहते हैं जैसे किसी को एक शहर से दूसरे शहर जाना होता है ।

ऐसे लोग एक सीमित दिशा और दृश्य का अनुभव प्राप्त करते है किन्तु जिनको केवल चलना है उनके अनुभव मे सारे नगर वन, पहाड़, मैदान आ जाते हैं । ज्ञानमार्ग मे इन सारी सिद्धियो का रहस्य खुल जाता है या यों कहे कि पोल खुल जाती है और अभिरुचि समाप्त हो जाती है। एक बार एक सज्जन आये और मुझसे उलझ पड़े, बार-बार कहने लगे तुम ऐसी पुस्तकें क्यो लिखते हो ?

एक मोह उपजा देते हो, मन मे वैचारिक विप भर देते हो मेरा उत्तर था आप क्यों पढ़ते हो ? अपवाद स्वरूप ही ऐसे लोगों से साबका पड़ा और मेरे मन में यह आया कि चलो, इस विषय पर कुछ भी नही कहेंगे किन्तु इसके साथ ही उन पत्रों का क्या करूं जिन्होंने मेरी पूर्ण लिखित पोस्ट  में दिये गये प्रयोग किये और सफल हुए, जिन लोगो ने विश्वास पूर्वक उन प्रयोगो के बारे मे पूछा जो लेख  इस विशाल वर्ग की आस्था ने मुझे चुप नही रहने दिया और मैंने फिर कलम  उठा ली यही सोचकर कि यदि वर्ष भर मे पांच व्यक्ति भी इन प्रयोगों मे लाभ उठाते हैं

तो यह पुण्य का ही काम है। जो लोग सफल नहीं हो रहे वे भी कम-से-कम भगवान का स्मरण कर रहे हैं, अपने पाप धो रहे हैं कोई दुष्कर्म नही कर रहे, न मैं कोई घटिया उपन्यास लिखकर लोगों की वासना उभार रहा हूं । हरेक व्यक्ति का अपना मिशन होता है।

आस्तिकता का प्रसार और भारतीय संस्कृति एवं विज्ञान के प्रति लोगों की रुचि जागृत करना मेरा जीवन का लक्ष्य है । धर्म नेता नही होना चाहता, न अपने नाम से कोई . सम्प्रदाय चलाना चाहता हूं, मुझे मेरे देश वासियों से स्नेह है और जीवन भारत के प्रति आस्था जगाना मेरा नशा है। यह व्यवसाय नहीं शोक है ।

वे हजारों लोग मेरे इस कथन के साक्षी हैं जिनके विस्तृत पत्रो के उत्तर मैंने एक पूरे लेख के आकार में निःशुल्क दिये हैं अब भी दे रहा हूं, भले ही इससे मेरे निजी जीवन मे गतिरोध उत्पन्न हो जाता हो । उन अनजान लोगों के दुःख में भागीदार होने में मुझे बढ़ा सन्तोष मिलता है । आध्यात्मिक साधना करने से उनका आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है ।

 

जिन रहस्यों को प्रकट करने में कोई बाधा नहीं थी उनको स्पष्ट करने में मैंने कोई संकोच नही किया किन्तु जिनको सार्वजनिक रूप से घोषित करने के हित की अपेक्षा अहित हो सकता था उनका उल्लेख या संकेत मैंने नही किया है ।

प्रश्न उठता है क्या ये प्रयोग मैंने किये हैं?

कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini
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में एक ही उत्तर देता हूं- नही क्या ये अनुष्ठान सच हैं- इस प्रश्न के उत्तर में मैं कहूंगा- मैंने जीवन पग-पग पर इनकी शक्ति को देखा है, इनको झूठ या अविश्वसनीय मानने का अपराध मैं नहीं कर सकता ।

आदमी का जीवन बहुत छोटा होता है और वह सारे अनुष्ठान कर ले यह संभव ही नहीं फिर भी अनेकों प्रयोग मैंने किये हैं अथवा कराये हैं । कर्ण पिशाचिनी के संबंध में सूक्ष्म और रहस्य को बातें प्राप्त करने के लिये मुझे बहुत कुछ करना पड़ा है। जिन लोगो को यह प्रयोग सिद्ध है वे कुछ भी बतलाने के लिए तैय्यार नही और मैं स्वयं करूं – यह पसन्द नही ।

इसलिए उन लोगों से रहस्य उगलवाने के लिए इस साधना के गूढ रहस्यो पर इस तरह विवेचन करने लगता जिससे वे समझें कि यह भी पूरा जानता है और फिर मेरे कहे में संशोधन कराने जैसी ही स्थिति रहने देता। इस तरह से इस प्रयोग के जटिल रहस्यो का स्पष्टीकरण मेरे सन्तोष तक प्राप्त करने के बाद ही लिखने का साहस कर रहा हूं ।

जाने क्यों पाठकों का इस प्रयोग के प्रति इतना रुझान है और इन लोगों का इतना दबाव रहा है कि मुझे इस प्रयोग के बारे में बहुत कुछ जानना पड़ा और उसको प्रामाणिक स्तर पर पेश करने के लिए सभी पक्षों पर विचार करना पड़ा। कर्ण पिशाचिनी के अनेक मंत्र हैं

और उनकी साधना विधि में भी थोड़ा बहुत अन्तर है इस मन्त्र को सतर तरह से लिखने को विधि मैंने देखी है उसी तरह कर्ण पिशाचिनी में भी चालीस से अधिक मंत्र हैं । कौन-सा मंत्र किसके अनुकूल पड़ेगा इसका निर्णय कुलाकुल चक्र और मित्रार चक्र को देखकर कर लेना चाहिए ये चक्र ‘ मंत्र विज्ञान’ में दिये गये हैं । 

एक स्थान पर ग्रहण के दिन खाट में बैठकर बहुत कम मात्रा मे जप करने पर कर्ण पिशाचिनी सिद्ध होने की बात मैंने लिखी थी। यह मेरा इस प्रयोग मे ग्रहणकाल की स्वत: निर्णय नही था शास्त्रोक्त बात थी। पवित्र अतः मंत्र साधन के उपयुक्त समझ कर खाट को श्मशान पीठ के रूप माना गया है किन्तु इतनी कम मात्रा मे जप करने पर सिद्धि उनको ही मिलती है जिन्होने इस संबंध में कुछ किया है।

जिसने पहले कुछ भी नही किया या जो इससे विपरीत गुण वाले प्रयोग कर चुके हैं उनको इतनी संख्या मे जप करने से सफलता नही मिल सकती । जैसा इसका नाम है वैसा ही इसका स्वरूप और स्वभाव है । स्वा- भाविक है इस प्रकार के प्रयोग करने के लिए अतिरिक्त साहस की आव- श्यकता होगी इसलिए साहसी और वीर व्यक्ति इस संबंध मे सोचें ।

. कई लोगों ने शंका की थी कि व्यक्ति की मृत्यु के समय ऐसी साधनायें कष्ट कर रहती हैं, ऐसी बात नही है । पिशाचवर्गी होने के कारण इनमे क्रूरता तो रहती ही है, दूसरी बात यह भी है कि इनके अति संपर्क से व्यक्ति के स्वभाव में पैशाचिकता प्रकट होने लगती है।

हालांकि मंत्र के कारण वचन बद्ध होकर ये हमारे काम तक सीमित रहते हैं फिर भी इनके कागुण लुप्त नही होते और हम उनसे प्रभावित होते ही हैं।

कर्ण पिशाचिनी साधना Karna Pishachini कहाँ  करनी चाहिए ?

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कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini

पिशाचिनी होने के कारण इसकी साधना घर मे नही करनी चाहिए । श्मशान एकान्त वन प्रान्त और शिव मंदिर इस साधना क्रे उपयुक्त स्वल हैं। घर करने से सफलता देर मे मिलती है और घर का वातावरण दूषित होता है । सिद्ध होने के बाद तो यह नियंत्रित हो जाती है इसलिए दूषित नही कर पाती किन्तु सिद्ध होने से पहले स्वतंत्र रहती है ।

कर्ण पिशाचिनी Karna Pishachini साधना को किस रूप में करें  

इस तीन रूपों में माना जा सकता है मां, बहन और पत्नी मां और बहन के रूप में मानने पर इसमें इतनी शक्ति नही आती पत्नी के रूप मे मानने पर इसकी सामथ्यं पूर्ण रूप से प्रकट होती है । किन्तु अपने स्वभाव के अनुसार यह पत्नी सुख में बाधा पहुंचाती है।

हां, व्यभिचारी बनाकर वैयमिक सुख में कमी नही आने देती पर पत्नी के नाम से जो व्यक्ति हमारे घर में है उसे कष्ट देती है। आवेश या दिखने जैसे कष्ट नही बल्कि उसके स्वास्थ्य मे ह्रासमोर चिन्तायें उत्पन्न करती है। मां और बहन रूप में मानने पर इनके सुखो मे बाधा पहुंचाती है ।

कर्ण पिशाचिनी कितने दिन में सिद्ध हो जाती है ?

कर्ण पिशाचिनी का इतिहास और सम्पूर्ण रहस्य History of Karna Pishachini
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बहुत काम समय में सिद्ध हो जाती है  इसकी बहुत सारी  विधि है वाम मार्ग दिक्षण  मार्ग किश मार्ग से कर रहे हो यह डिपेंड करता है कुछ २१ , ११ , ४१ ,  दिन की होती है अघोर मार्ग में यह साधना जल्दी सिद्ध हो सकती है 

कर्ण पिशाचिनी क्या क्या कर सकती है

 आज के समय में हर व्यक्ति करना चाहता है क्योंकि एकमात्र यह ऐसी सिद्धि है पिशाचिनी की जो अपने जातक को बहुत सारी शक्तियां प्रदान करती है ऐसी शक्तियां प्रदान करती है जिससे कि व्यक्ति कहीं से भी धन को अर्जित  करने लगता है किसी भी व्यक्ति का जटिल से जटिल अगर कार्य कहीं रुक गया है या कोई कार्य फस गया है तो इस कार्य को आसानी से करने के लिए भी कर्ण पिशाचिनी कार्य करती है दोस्तों आज हम आपको बताएंगे कि किन लोगों  को इस साधना को पूरा करना चाहिए