घर पर कैसे करें गणपति विसर्जन? जानें पूरी विधि और शुभ मुहूर्त (Ghar Par Kaise Karein Ganpati Visarjan? Janein Puri Vidhi aur Shubh Muhurat)

घर पर कैसे करें गणपति विसर्जन? जानें पूरी विधि और शुभ मुहूर्त (Ghar Par Kaise Karein Ganpati Visarjan? Janein Puri Vidhi aur Shubh Muhurat)
घर पर कैसे करें गणपति विसर्जन? जानें पूरी विधि और शुभ मुहूर्त (Ghar Par Kaise Karein Ganpati Visarjan? Janein Puri Vidhi aur Shubh Muhurat)

घर पर गणपति विसर्जन की पूरी विधि और शुभ मुहूर्त (Ghar par Ganpati Visarjan ki Puri Vidhi aur Shubh Muhurat)

अरे दोस्त, गणपति बप्पा का त्यौहार हमारे जीवन में ढेर सारी खुशियाँ लेकर आता है। हम सब बड़े धूम-धाम से बप्पा को घर लाते हैं, उनकी सेवा करते हैं और फिर, भाई, जब विसर्जन का दिन आता है, तो मन थोड़ा भारी हो जाता है। लेकिन देखो, यह विसर्जन भी उतना ही ज़रूरी है जितना कि स्थापना। विसर्जन का मतलब है कि बप्पा कैलाश पर्वत पर वापस जा रहे हैं, ताकि अगले साल फिर से हमारे घर आ सकें।

बहुत से लोग सोचते हैं कि गणपति विसर्जन कैसे करें, खासकर जब बाहर जाना पॉसिबल न हो। तो, चलो, आज हम आपको घर पर ही गणपति विसर्जन करने की पूरी और सिंपल विधि बताते हैं। क्या कहते हो?

 

गणपति विसर्जन 2025 का शुभ मुहूर्त (Ganpati Visarjan 2025 ka Shubh Muhurat)

भाईसाहब, कोई भी शुभ काम करने से पहले शुभ मुहूर्त देखना तो बनता है, है ना? गणपति विसर्जन के लिए अनंत चतुर्दशी का दिन सबसे बेस्ट माना जाता है। तुम देखो, इस दिन बप्पा को विदा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।

अनंत चतुर्दशी तिथि: रविवार, 7 सितंबर, 2025

सच बताऊँ, तो इस दिन विसर्जन के लिए कई अच्छे मुहूर्त होते हैं। आप अपने शहर के हिसाब से किसी पंडित जी से भी कंफर्म कर सकते हैं, लेकिन नीचे दिए गए टाइम स्लॉट्स आमतौर पर शुभ माने जाते हैं:

सुबह का मुहूर्त: सुबह 9:00 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक।
दोपहर का मुहूर्त: दोपहर 3:00 बजे से शाम 4:30 बजे तक।
शाम का मुहूर्त: शाम 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक।

तो, आप अपनी सुविधा के हिसाब से कोई भी एक टाइम चुन सकते हैं। ठीक है न?

गणपति विसर्जन से पहले की तैयारी (Ganpati Visarjan se Pehle ki Taiyari)

अच्छा भई, विसर्जन करने से पहले कुछ तैयारी करनी पड़ती है। जरा सोचो, बप्पा की विदाई भी तो शाही होनी चाहिए। आपको इन चीज़ों की ज़रूरत पड़ेगी:

एक बड़ा और साफ टब, बाल्टी या कोई बड़ा बर्तन।
साफ पानी (गंगाजल हो तो और भी अच्छा)।
फूल, दूर्वा और पान के पत्ते।
कपूर, अगरबत्ती, और दीया।
बप्पा का पसंदीदा भोग (जैसे कि मोदक या लड्डू)।
एक साफ कपड़ा या पाटा।

यह सब तैयार कर लीजिए, ताकि पूजा के टाइम कोई भाग-दौड़ न हो। समझे?

 घर पर गणपति विसर्जन की स्टेप-बाय-स्टेप विधि (Ghar par Ganpati Visarjan ki Step-by-Step Vidhi)

ओहो जी, अब आते हैं मेन प्रोसेस पर। देखो ना, यह विधि बहुत ही आसान है। बस मन में श्रद्धा और प्रेम होना चाहिए।

 सबसे पहले करें बप्पा की आखिरी पूजा और आरती (Sabse Pehle Karein Bappa ki Aakhri Puja aur Aarti)

विसर्जन से पहले, परिवार के सभी लोग मिलकर बप्पा की पूजा करें। जैसे आप रोज़ करते थे, वैसे ही उन्हें फूल, दूर्वा, और चंदन चढ़ाएं। इसके बाद, भाई, घी का दीपक जलाकर और कपूर से गणपति बप्पा की आरती करें। “जय गणेश, जय गणेश” गाते हुए पूरा माहौल भक्तिमय बना दीजिए। आपको एक अलग ही पॉजिटिव एनर्जी फील होगी।

 बप्पा को भोग लगाएं और क्षमा मांगें (Bappa ko Bhog Lagayein aur Kshama Mangein)

आरती के बाद, बप्पा को उनके फेवरेट मोदक या लड्डू का भोग लगाइए। सच कहूँ, यह एक बहुत इमोशनल मोमेंट होता है। हाथ जोड़कर बप्पा का धन्यवाद करें कि वो आपके घर आए और आपको अपनी सेवा का मौका दिया। अगर 10 दिनों की सेवा में कोई भूल-चूक हो गई हो, तो उसके लिए क्षमा मांग लीजिए। कहो तो, यह एक तरह से बप्पा से अपने दिल की बात कहने का समय है।

 मूर्ति को सम्मान के साथ उठाएं (Murti ko Samman ke Saath Uthayein)

अब, विसर्जन के लिए मूर्ति को उनके स्थान से थोड़ा सा हिलाएं। इसे “उत्तर पूजा” भी कहते हैं। इसका मतलब है कि अब स्थापना पूरी हो गई है और बप्पा जाने के लिए तैयार हैं। जयकारे लगाते हुए, “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ,” मूर्ति को बहुत ही आदर और सम्मान के साथ उठाएं।

घर में ऐसे करें विसर्जन (Ghar mein Aise Karein Visarjan)

बर्तन तैयार करें: जिस बड़े टब या बाल्टी को आपने चुना है, उसे साफ पानी से भर दें। उसमें थोड़ा गंगाजल और फूल पत्तियां डाल दीजिए, ताकि वह पवित्र हो जाए।
धीरे-धीरे विसर्जित करें: अब, बप्पा की मूर्ति को धीरे-धीरे उस बर्तन में विसर्जित करें। अरे मान लो, यह बिलकुल वैसे ही करना है जैसे आप किसी नदी या तालाब में करते हैं। मूर्ति को पानी में पूरा डुबो दें।
कुछ देर रुकें: मूर्ति को कुछ घंटों या एक-दो दिन के लिए उसी पानी में रहने दें। अगर आपकी मूर्ति मिट्टी की है, तो वह पूरी तरह से पानी में घुल जाएगी। मानते हो न, यही इको-फ्रेंडली तरीका सबसे बेस्ट है?

इको-फ्रेंडली गणपति विसर्जन का महत्व (Eco-Friendly Ganpati Visarjan ka Mahatva)

अरे सुनो, आजकल [इको-फ्रेंडली] विसर्जन का ट्रेंड बहुत बढ़ गया है, और यह बहुत अच्छी बात है। प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी मूर्तियां पानी में घुलती नहीं हैं और हमारे नदी-तालाबों को गंदा करती हैं। इससे पानी के जानवरों को भी नुकसान होता है।

लेकिन, जब आप घर पर मिट्टी की मूर्ति का विसर्जन करते हैं, तो आप पर्यावरण की रक्षा करते हैं। यह एक बहुत बड़ा पुण्य का काम है। तुम सोचो न, इससे बप्पा भी खुश होंगे।

 गणपति विसर्जन के बाद क्या करें? (Ganpati Visarjan ke Baad Kya Karein?)

भाई देख, विसर्जन के बाद भी कुछ बातें ध्यान में रखनी होती हैं।

पवित्र जल का उपयोग: जब मूर्ति पूरी तरह घुल जाए, तो उस पवित्र पानी को फेंकना नहीं है। आप उस पानी को अपने घर के गमलों में या गार्डन में डाल सकते हैं। इससे बप्पा का आशीर्वाद आपके घर में ही बना रहेगा।

बाकी सामग्री: पूजा की बाकी सामग्री, जैसे फूल, पत्ते, आदि को भी इकट्ठा करके या तो कंपोस्ट बना लें या किसी पेड़ के नीचे रख दें।

तो, इस तरह से आप घर पर ही बहुत शांति और भक्ति-भाव से गणपति विसर्जन कर सकते हैं। यह प्रोसेस न केवल आसान है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बहुत अच्छा है। इससे आपको एक अलग ही सुकून महसूस होगा। सही है न?

उम्मीद है, आपको यह पूरी जानकारी अच्छी लगी होगी। प्रभु की कृपा आप पर बनी रहे। क्या ख़याल है?

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मैं रुद्र नाथ हूँ — एक साधक, एक नाथ योगी। मैंने अपने जीवन को तंत्र साधना और योग को समर्पित किया है। मेरा ज्ञान न तो किताबी है, न ही केवल शाब्दिक यह वह ज्ञान है जिसे मैंने संतों, तांत्रिकों और अनुभवी साधकों के सान्निध्य में रहकर स्वयं सीखा है और अनुभव किया है।मैंने तंत्र विद्या पर गहन शोध किया है, पर यह शोध किसी पुस्तकालय में बैठकर नहीं, बल्कि साधना की अग्नि में तपकर, जीवन के प्रत्येक क्षण में उसे जीकर प्राप्त किया है। जो भी सीखा, वह आत्मा की गहराइयों में उतरकर, आंतरिक अनुभूतियों से प्राप्त किया।मेरा उद्देश्य केवल आत्मकल्याण नहीं, अपितु उस दिव्य ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाना है, जिससे मनुष्य अपने जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझ सके और आत्मशक्ति को जागृत कर सके।यह मंच उसी यात्रा का एक पड़ाव है — जहाँ आप और हम साथ चलें, अनुभव करें, और उस अनंत चेतना से जुड़ें, जो हमारे भीतर है ।Rodhar nathhttps://gurumantrasadhna.com/rudra-nath/