Dattatreya lakshmi sadhana दत्तात्रेय लक्ष्मी साधना जो गरीबी को ख़तम करेगी PH.85280 57364

Dattatreya lakshmi sadhana दत्तात्रेय लक्ष्मी साधना जो गरीबी को ख़तम करेगी PH.85280 57364
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Dattatreya lakshmi sadhana दत्तात्रेय लक्ष्मी साधना जो गरीबी को ख़तम करेगी PH.8528057364 दोस्तों, आज मैं आपको एक ऐसा मंत्र बताऊँगा कि यदि लक्ष्मी प्राप्ति की सारी साधनाएँ आपकी फेल हो गई हैं या किसी भी साधना से या किसी भी मंत्र से आपको कोई फल नहीं मिल रहा है, तो मैं एक ऐसी महत्वपूर्ण साधना बताऊँगा जो कभी आज तक असफल नहीं हुई।

और जिसने भी इस साधना को किया है, यह शाबर साधना इतनी गजब की साधना है कि जो कोई भी इस साधना को करता है, अपना मनोरथ इस साधना के माध्यम से वह अवश्य पूरा कर सकता है। इसके लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने अनेक साधना प्रयोग दिए हैं।

दोस्तों, इन साधनाओं में साधना सामग्री की इतनी आवश्यकता तो नहीं होती, फिर भी अगर आप शाबर सिद्धि यंत्र या श्री दत्तात्रेय यंत्र या श्री यंत्र अपने पास रख लेते हैं तो ज्यादा उचित रहता है। यहाँ मैं लक्ष्मी जी की एक अद्भुत साधना दे रहा हूँ।

इसे आप कभी भी सिद्ध कर सकते हैं, फिर भी नवरात्रि से दीपावली तक का समय बहुत उचित होता है या फिर जिस दिन रोहिणी नक्षत्र हो, उस दिन इस साधना को शुरू करने से सफलता का संशय नहीं रहता।

दोस्तों, पूर्णिमा के दिन, पूर्णिमा का दिन क्या होता है, इस साधना का, जो भी साधना आप कर लेते हैं, इसका हवन करना पड़ता है। और हवन में क्या करना पड़ता है, घी और शक्कर मिलाकर के आपको आहुतियाँ देनी पड़ती हैं।

दोस्तों, ध्यान रखें, तो सबसे बढ़िया रहता है। पंडित जी को कुछ दक्षिणा वगैरह दे दिया तो वह आपके लिए पूरी व्यवस्था कर देंगे।

तो ऐसी व्यवस्था करने के बाद में आप मंदिर में यदि उसका हवन कर लेते हो तो सबसे बढ़िया रहता है। इस साधना में क्या होता है, लक्ष्मी जी को सौगंध दी जाती है कि आप हमेशा उनके घर परिवार, हमारे घर परिवार पर अपनी कृपा बरसाती रहेंगी और धन के कारण से हमारे जो भी कार्य रुके जा रहे हैं, वो कार्य आपकी कृपा से पूरे होंगे और प्रत्यक्ष होकर आप हमारे कार्यों में सहयोग दें। इस प्रकार की सौगंध माता लक्ष्मी को दी जाती है।

तो सौगंध देने से माता लक्ष्मी का यह जो मंत्र है ना, वो ज्यादा सफल हो जाता है। कारण यह है दोस्तों कि इसमें मैं छोटी सी बात बताता हूँ, आप इस रहस्य से भी परिचित होंगे कि लक्ष्मी सागर मंथन से प्रकट हुईं, जिसे नारायण ने अपनी पत्नी बनाया था, धर्म पत्नी बनाया था।

और लक्ष्मी जी के साथ में चंद्रमा और अप्सराएँ सागर मंथन से प्रकट हुई थीं। चंद्रमा को भगवान शंकर जी ने धारण कर लिया और अप्सराएँ देवराज इंद्र के सामने कथक करने के लिए चली गईं। चंद्रमा जो है ना, वह लक्ष्मी जी का भाई है।

इंसान को जब भी जरूरत पड़ती है, वह किसी न किसी प्रयत्न से उस स्थिति को पाना चाहता है जिसमें उसे श्रेष्ठता मिले, दूसरों का मोहताज नहीं बनना पड़ेगा।

ऐसी साधना वीडियो का निर्माण किया जो उसे एक श्रेष्ठ तत्व प्रदान कर लघु से महान बनाती है। विज्ञान के युग में समय के साथ वह क्रियाएँ लुप्त होती गईं और इंसान इसी आध्यात्मिकता की कमी से आर्थिक और भौतिक पक्ष में कमजोर होता चला गया।

दोस्तों, असुरों ने मंत्रों की बहुत गजब की साधनाएँ कर-करके देवताओं से उनके अधिकार छीन लिए, तो शंकर जी को क्या करना पड़ा, जितने भी वैदिक मंत्र थे, उन सारे मंत्रों को कीलित करना पड़ा।

और इसी से कभी प्रयत्न के बाद जब सिद्धि नहीं हुई तो ऋषियों ने उत्कीलन की प्राप्ति के लिए तप किया और नाथ पंथ के योगियों, जिनमें गोरखनाथ जी का नाम आप सबसे पहले सुनते हैं, गोरखनाथ जी का नाम, गोरखनाथ जी जो हैं वह सिद्ध पुरुषों में नंबर वन गिने जाते हैं।

उन्हीं के माध्यम से शाबर साधनाएँ आपके पास आईं। अलग-अलग संप्रदायों में अलग-अलग विधान हैं। या ये साधना प्रयोग दे रहा हूँ, इससे हम यह तो नहीं कह सकते कि लक्ष्मी आपके सामने प्रकट हो जाएँगी, मगर धन के नए-नए आयाम, रास्ते आपके जीवन में खुल जाएँगे और सुख-सुविधा से आपका घर ज़रूर भर जाएगा क्योंकि सभी सुख लक्ष्मी का रूप होते हैं।

मित्रों, इसलिए इस साधना का करना बहुत बेहतर रहता है। ये सारे प्रयत्न फेल हो जाने के बाद भी यह प्रयत्न, यह साधना कभी फेल नहीं होती।

Dattatreya lakshmi sadhana  VIDHI  दत्तात्रेय लक्ष्मी साधना  की विधि

Dattatreya lakshmi sadhana दत्तात्रेय लक्ष्मी साधना जो गरीबी को ख़तम करेगी PH.85280 57364
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दोस्तों, इस साधना की विधि कुछ इस प्रकार है कि आप इसे रोहिणी नक्षत्र से शुरू करें। यह 21 दिन की साधना है। कमलगट्टे की माला से 21 माला मंत्र का जाप करना पड़ता है। वस्त्र वही पहनें जो आपको अच्छे लगते हों, बस काला रंग आपको नहीं पहनना है, इस बात का ख्याल रखें। साधना समय शाम को 7 बजे से लेकर के 10 बजे तक कभी भी आप शुरू कर सकते हैं।

अपने सामने एक बाजोट पर पीला वस्त्र बिछाकर श्री यंत्र स्थापित कर लें और उसी का पूजन करें। गुरु पूजन और गणेश पूजन के बाद नवनाथों को नमस्कार करें और उनके, नवनाथों में क्या होता है, नमस्कार करने के बाद में “आदेश-आदेश” ऐसा बोला जाता है, “आदेश-आदेश”।

तो फिर आप नवनाथ का पूजन करके उसके बाद में यह ध्वनि निकालें, “आदेश-आदेश”। और अगर मिल जाए तो दत्तात्रेय भगवान का जो यंत्र होता है, वो दत्तात्रेय भगवान का यंत्र आपको अपने उसमें, पूजा में शामिल करना चाहिए।

क्या होता है कि दत्तात्रेय भगवान एक और तत्व हैं और वो सारी जगह विद्यमान रहते हैं। तो कोई भी प्रकार से पूजा का आपका दोष नहीं लगता है।

आपने कुछ भी गलती कर दी हो, कुछ भी कर दिया छोटा-मोटा, देखो ज्यादा गलती कर दी हो तो अलग बात है, जानबूझ के की जाने वाली गलती तो कभी माफ नहीं होती, लेकिन भूल-चूक से आपसे कोई गलती हो गई तो उसका दोष नहीं लगता है।

क्योंकि अगर तत्व सब जगह विद्यमान है और भगवान दत्तात्रेय के नाम से एक चुटकी रेत भी अगर उड़ा दी जाए तो आपकी साधना सफल हो जाती है, आपको पूजा का पूरा फल मिल जाता है। दोस्तों, इस यंत्र की मान्यता बहुत है। आपके पास कभी भी धन की कमी नहीं आने देता।

आप किसी भी तरह प्रयत्न कर इसे गुरु के हाथ से ले लें तो सबसे बढ़िया रहता है। अगर गुरु हाथ आपके पास नहीं हो या गुरु जी से नहीं मिले, तो गुरु जी का चित्र सामने रख करके उनका पूजन करके फिर आप दत्तात्रेय भगवान के यंत्र को अपनी पूजा उसमें स्थापित कर सकते हैं।

कमलगट्टे की माला से 21 माला मंत्र जाप कर लें। उसी माला से पहले और बाद में एक-एक माला गुरु मंत्र का जाप करें। मंत्र छोटा सा है, ज्यादा टाइम आपको लगेगा नहीं। घी का दीपक जलता रहना चाहिए और ज्योत जलती रहनी चाहिए। अगरबत्ती आदि लगा दें।

मंत्र इस प्रकार है दोस्तों:
ॐ सागर-सुता नारायण की प्यारी, चंद्र-भ्राता की सौगंध, हाजिर हो।
ॐ सागर-सुता नारायण की प्यारी, चंद्र-भ्राता की सौगंध, हाजिर हो।
ॐ सागर-सुता नारायण की प्यारी, चंद्र-भ्राता की सौगंध, हाजिर हो।

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Rodhar nath
मैं रुद्र नाथ हूँ — एक साधक, एक नाथ योगी। मैंने अपने जीवन को तंत्र साधना और योग को समर्पित किया है। मेरा ज्ञान न तो किताबी है, न ही केवल शाब्दिक यह वह ज्ञान है जिसे मैंने संतों, तांत्रिकों और अनुभवी साधकों के सान्निध्य में रहकर स्वयं सीखा है और अनुभव किया है।मैंने तंत्र विद्या पर गहन शोध किया है, पर यह शोध किसी पुस्तकालय में बैठकर नहीं, बल्कि साधना की अग्नि में तपकर, जीवन के प्रत्येक क्षण में उसे जीकर प्राप्त किया है। जो भी सीखा, वह आत्मा की गहराइयों में उतरकर, आंतरिक अनुभूतियों से प्राप्त किया।मेरा उद्देश्य केवल आत्मकल्याण नहीं, अपितु उस दिव्य ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाना है, जिससे मनुष्य अपने जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझ सके और आत्मशक्ति को जागृत कर सके।यह मंच उसी यात्रा का एक पड़ाव है — जहाँ आप और हम साथ चलें, अनुभव करें, और उस अनंत चेतना से जुड़ें, जो हमारे भीतर है ।Rodhar nathhttps://gurumantrasadhna.com/rudra-nath/