Bhuvaneshvari Sadhna भुवनेश्वरी साधना: शिव द्वारा प्रदत्त एक वरदान

Bhuvaneshvari Sadhna भुवनेश्वरी साधना: शिव द्वारा प्रदत्त एक वरदान वरदायक स्वरूप है वह 10 महाविद्याओं में से एक महाविद्यालय माता भुवनेश्वरी शक्ति माना गया सर्वोच्च शिखर पर आप पहुंच सकते हैं आदित्य दरिद्रता आपकी कोसों-कोसों दूर चली जाती है।
भुवनेश्वरी पूर्ण लक्ष्मी युक्त बन कर के 16 श्रृंगार करके आपके घर के अंदर स्थापित हो जाती है और जीवन में कुछ भी आपको प्रदान करने के लिए सफल भी रहती है। यह साधना और सही भी है।
वास्तव में क्या है कि वास्तव में जो भुवनेश्वरी साधना है वो जीवन का एक वरदान है जो कि शिव के द्वारा यह साधना दी गई है। देखिए हम सब इस भुवनेश्वरी साधना के माध्यम से सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं।
जो हमें अपने जीवन में चाहिए। धन, यश, मान, प्रतिष्ठा, ऐश्वर्य, भोग, विलास, पूर्णता, सफलता, अनुकूलता, व्यापार वृद्धि, सब कुछ जो अपने जीवन में आप प्राप्त करना चाहते हैं, वो सारी चीजें आप भुवनेश्वरी के द्वारा प्राप्त कर सकते हैं।
भुवनेश्वरी साधना – त्र्यात्मक शक्ति: लक्ष्मी, सरस्वती और महाकाली का समन्वित रूप
देखिए लक्ष्मी जहां इसमें व्यापार वृद्धि, आर्थिक उन्नति और भौतिक समृद्धि देने में बिल्कुल समर्थ है वहीं पर सरस्वती जो कि माँ विद्या, प्रतिष्ठा, सम्मान व सिद्धि और कला, संगीत आदि में, इन क्षेत्रों में आपको पूर्णतः समर्थ है, वो शक्ति पूर्णतः सहायक है।
वहीं पर महाकाली शत्रु संहार करने में, विरोधियों पर विजय प्राप्त करने में और जीवन की जितनी भी समस्त विपरीत जो परिस्थिति है, उन सबको दूर करने में और उन आपके कार्य बनाने में वो भी समर्थ है। ऐसी कोई शक्ति नहीं है कि जो इनसे बाहर हो।
देखिए माता भुवनेश्वरी को तीनों शक्तियों का समन्वित रूप कहा गया है। यानी कि भुवनेश्वरी की जो साधना करते हैं, तीनों शक्तियां एक ही साधना से संपन्न हो जाती हैं – लक्ष्मी, सरस्वती भी और महाकाली भी, और जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव रहता ही नहीं है बिल्कुल भी।
इसीलिए इस साधना को त्र्यात्मक साधना कहा गया है क्योंकि एक अकेली भुवनेश्वरी की साधना करने से तीनों शक्तियां यह सिद्ध हो जाती हैं और जब तीनों शक्तियां यह सिद्ध हो जाएंगी तो फिर आगे बचा ही क्या।
एक सौम्य और सुरक्षित भुवनेश्वरी साधना
देखिए वैसे तो जो 10 महाविद्या कलयुग में बहुत जल्दी आपको सफलता प्रदान करती हैं , वह इन 10 महाविद्याओं में एक ऐसी साधना है जो सौम्य साधना है। जिस साधना को करने से किसी भी प्रकार की हानि नहीं हो सकती, चाहे साधना बीच में छूट जाए तब भी किसी प्रकार की हानि नहीं हो सकती।
ऐसी साधना पूर्णता प्राप्त करने के लिए जरूर करनी चाहिए। इस साधना को करने से किसी भी प्रकार का कोई नुकसान होता ही नहीं है। सच्चाई जो है, एक भुवनेश्वरी एक ऐसी देवी है 10 महाविद्याओं में कि जिनकी साधना करने में आपको किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है। इस साधना को कोई भी स्त्री कर सकती है, कोई भी पुरुष कर सकता है, कोई व्यक्ति कर सकता है या फिर युवा कर सकता है, किसी प्रकार की कोई प्रॉब्लम नहीं।
भुवनेश्वरी साधना में सफलता के लिए आवश्यक विश्वास
आवश्यकता है सिर्फ एक चीज की: विश्वास। गुरु के ऊपर विश्वास, सामग्री के ऊपर विश्वास, अपने ऊपर पूर्ण विश्वास, साधना के ऊपर और माता के ऊपर पूर्ण विश्वास। केवल यह चीज आपके पास होनी चाहिए, साधना आपकी 100% सफल होगी ही होगी, किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत हो ही नहीं सकती है। केवल 21 दिन की साधना करो और सारी चीजें प्राप्त करो।
भुवनेश्वरी साधना के लाभ: पापों का नाश और भोग-मोक्ष की प्राप्ति
मैं नहीं मानता कि इससे बड़ी साधना कोई और दूसरी हो सकती है क्योंकि भुवनेश्वरी साधना की जो देवी है, उसकी आराधना करने से आपके जीवन के जो पाप हैं, वह सभी समाप्त होते हैं। पूर्व जन्म के जो भी आपके किए गए बुरे कर्म हैं, वह भी सब समाप्त हो जाते हैं, वह सब दूर हो जाते हैं
और साधक भौतिक पदार्थों को भोक्ता हुआ पूर्ण सुख और सम्मान प्राप्त करता है और अंत में वह मोक्ष प्राप्त करता है इस साधना को करने वाला। क्योंकि यह जो भुवनेश्वरी साधना है, यह भोग की और मोक्ष की, दोनों रूपों को देने वाली यह उच्च कोटि की साधना है। इस साधना को करने से आपको लाभ ही लाभ होगा, नुकसान तो कुछ होने वाला ही नहीं है।
भुवनेश्वरी साधना की सरलता और सुगमता
और अगर आप यह जो महत्वपूर्ण साधना अगर इसको करते हो तो मात्र भुवनेश्वरी की साधना करने से जीवन के सारे कार्य सहज ही संभव हो जाते हैं। हालांकि जो ये भुवनेश्वरी साधना है, ये एक महाशक्ति साधना है और 10 महाविद्याओं में से एक महाविद्या है, पर फिर भी यह साधना जो और दूसरी साधनाएं हैं, उनकी अपेक्षा बहुत ही सरल और सुगम साधना भी है।
इसका कोई भी विपरीत प्रभाव होता है, वह नहीं पड़ता है बिल्कुल भी। इस साधना को कोई गृहस्थ भी कर सकता है, योगी भी कर सकता है, स्त्री-पुरुष कोई भी कर सकता है, जो थोड़ा बहुत पढ़ा-लिखा है वह भी कर सकता है और अपने जो जीवन की उसके अंदर अभाव है, उन सभी को खत्म कर सकता है।
नवरात्रि में भुवनेश्वरी साधना का विशेष महत्व
और सबसे बड़ी बात तो यह है कि अगर आप इस साधना को नवरात्रि में, इस साधना को संपन्न करते हैं ना, तो प्रत्यक्ष दर्शन भी संभव होते हैं। इस साधना से आप इस साधना से देखेंगे कि पांचवें-छठे दिन से ही आपको अनुभूति प्रारंभ हो जाती है और साधना समाप्त होते-होते भगवती के दर्शन हो सकते हैं आपको।
क्योंकि कलयुग में देखिए यह हम लोगों का सौभाग्य है कि ऐसी साधना है जो हमारे बीच में है कि हम देवी का प्रत्यक्ष दर्शन कर सकें और अपने आप को धन्य कर सकें।
लेकिन आवश्यकता किस बात की है कि कम से कम 1 लाख जाप उन 9 दिनों के अंदर पूरा हो जाना चाहिए, मतलब कि 15000 मंत्रों का जाप डेली होना चाहिए।
और इस साधना को सुबह में भी कर सकते हो, शाम में भी कर सकते हो, किसी दोनों टाइम कर सकते हो, कोई प्रॉब्लम नहीं है इसमें।
भुवनेश्वरी साधना के लिए आवश्यक सामग्री
और देखिए इस साधना को सिद्ध करने के लिए जो आवश्यक सामग्री है वह मैं आपको बता देता हूं। एक तो भुवनेश्वरी सर्व सिद्धि प्रदायिनी गुटिका, भुवनेश्वरी माला, और एक रक्षा माला। यह चार सामग्रियों की आपको आवश्यकता होगी इस साधना में।
और यह चारों सामग्री प्राण प्रतिष्ठित और प्राण चैतन्य होनी चाहिए। और अगर आपको ऐसी सामग्री चाहिए तो मैंने व्हाट्सएप नंबर दिया हुआ है, आप वहां से मुझे व्हाट्सएप कर सकते हो,लेख में ही मैंने दिया है और आप यह सामग्री प्राप्त कर सकते हो और साधना शुरू कर सकते हो।
अगर आप ऑर्डर करते हैं तो फिर हंड्रेड परसेंट आपको सामग्री मिलेगी ही मिलेगी, आप बेझिझक करके ऑर्डर कर सकते हैं सामग्री के लिए, किसी भी प्रकार से आपके साथ अन्याय नहीं होगा, यह मेरा दावा है।
भुवनेश्वरी साधना के नियम और ध्यान रखने योग्य बातें
और देखिए जब आपको यह सामग्री प्राप्त हो जाए तो आप इस साधना को शुरू करें। आप किसी कभी नवरात्रि में आप इसको शुरू कर सकते हैं या फिर किसी भी महीने की जो शुक्ल पक्ष आता है, उसकी चतुर्दशी को भी यह साधना प्रारंभ कर सकते हैं।
भुवनेश्वरी साधना के लिए समय और स्थान
साधना रात और दिन, दोनों टाइम कर सकते हो, किसी प्रकार की कोई प्रॉब्लम नहीं है। अब मैं इसमें जो कुछ ध्यान रखने योग्य जो बातें हैं, जो साधना के नियम हैं, उसको मैं कुछ समझा देता हूं तुम्हें। पहले देखिए, साधना गृहस्थ व्यक्ति भी कर सकता है और उनको इन नियमों का पालन करना ही होगा।
भुवनेश्वरी साधना किसी भी समय आप प्रारंभ कर सकते हो, परंतु नवरात्रि में करने से इस साधना में विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के प्रथम दिन से ही आप इस साधना को प्रारंभ करना चाहिए और अष्टमी तक या नवमी तक इसका समापन कर देना चाहिए।
भुवनेश्वरी साधना में व्यक्तिगत शुद्धि और आचरण
ठीक है, इस साधना को कोई भी स्त्री-पुरुष कर सकता है। हां, यदि स्त्री साधना काल में रजस्वला हो जाए तो यह साधना उसी दिन से आपको समाप्त कर देनी है, आगे उस साधना को फिर नहीं करना है।
जब आप ठीक हो जाए तब उसके बाद ही साधना शुरू करें। साधना काल में स्त्री संग वर्जित है। साधक शराब बिल्कुल ना पिए, जुआ ना खेले और स्त्री का संगम ना करे। स्त्री संग आप समझ रहे हैं कि आपको ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना है।
भुवनेश्वरी साधना में पूजन सामग्री और आसन
साधना रात्रि माला की आवश्यकता होगी, उसका ही आपको उपयोग करना है। रुद्राक्ष की माला इस साधना में बिल्कुल भी प्रयोग नहीं करनी है। सफेद रंग का आसन होना चाहिए और पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके ही आपको बैठना है।
सामने जो आपके तेल का दीपक लगा हुआ हो, ठीक है, और तेल का दीपक किसी भी तेल का, जैसे तिल का तेल हो गया या किसी सरसों का तेल हो गया, इसका आप दीपक लगा सकते हैं। और साधना काल में चाहे तो आप अखंड दीपक भी लगा सकते हैं और नहीं तो फिर आप ऐसा भी कर सकते हैं कि जब तक मंत्र जाप चले तब तक दीपक जो वह जलता रहना चाहिए।
अगरबत्ती लगाना कोई अनिवार्य भी नहीं है और लगाना चाहो तो लगा भी सकते हो। ठीक है, जो भुवनेश्वरी यंत्र है, वह प्राण प्रतिष्ठित होना चाहिए और चित्र भी इसके साथ होना चाहिए। चित्र चाहे तो आप नेट से भी निकाल करके उसको मढ़वा करके रख सकते हैं।
भुवनेश्वरी साधना विधि की सरलता
और जो पहला दिन है, पहले दिन से ही पूजन करके, ध्यान करके मंत्र जप प्रारंभ करना कर देना चाहिए। इसमें कोई जटिल विधि-विधान नहीं है। इसमें आप पंचोपचार पूजन कर सकते हो। यदि केवल तुम भुवनेश्वरी का दर्शन करना हो तो मात्र भुवनेश्वरी मंत्र का ही जाप करना चाहिए, पर यदि कोई विशेष इच्छा हो तो इस मंत्र में और पहले और अंत में उससे संबंधित जो बीज मंत्र है।
उसको लगा देना चाहिए। जैसे कि उदाहरण के लिए, रोग निवारण के लिए जो बीज मंत्र होता है, वह होता है ‘वं’। तो अब और जो देवी का मंत्र है वह है ‘ह्रीं’। तो आपको क्या करना है कि जब आप रोग मुक्ति के लिए मंत्र जाप करें तो इसमें आपको बोलना होगा ‘वं ह्रीं वं’।
इस प्रकार से मतलब कि आगे भी और पीछे भी। इस मंत्र का जाप इस प्रकार से होना चाहिए। इस प्रकार से जो है भुवनेश्वरी के जो मंत्र हैं, दोनों तरफ लगा करके बीच और उसको एक मंत्र माना गया है।
भुवनेश्वरी साधना में वस्त्रों से संबंधित नियम
प्रातः ही स्वच्छ वस्त्र धारण करके साधक जो है, मंत्र जाप में उसमें बैठना चाहिए और चाहे तो वह दूसरी बार रात्रि में भी पुनः साधना कर सकता है और स्नान करने के बाद ही रात्रि को बैठे। मतलब कि स्नान करना चाहिए। यदि सर्दी हो तो कंबल ले सकता है, ऊनी वस्त्र ओढ़ सकता है।
वह सिले हुए वस्त्र आपको इसमें नहीं पहनने हैं। कच्छा-बनियान जिसे पहनकर के बैठते हैं, बिल्कुल नहीं। इसमें आपको धोती बांधनी है और धोती ही ओढ़नी है, चाहे आप स्त्री हैं चाहे आप पुरुष हैं।
अच्छा एक चीज और, अगर रेशमी वस्त्र है तो उसे आप एक बार साधना कर ली तो दूसरे दिन भी उसका उपयोग कर सकते हैं।
लेकिन अगर आपके वस्त्र ऊनी हैं या मतलब कि जैसे कि सूती वस्त्र हैं तो उन्हें एक बार पहनने के बाद फिर धो करके ही उसको उपयोग में लाना है। ठीक है, उसको जरूर धो लेना।
भुवनेश्वरी साधना में आहार और शयन के नियम
रात्रि में भूमि में शयन करेंगे, मतलब पृथ्वी पर लेटना है, खटिया-पलंग पर आपको नहीं लेटना है। भोजन एक समय, एक स्थान पर बैठकर के जितना भी किया जा सके आप भोजन करें, ऐसा नहीं कि जगह-जगह खाते रहेंगे। पर शराब, मांस, लहसुन, प्याज ये सब इसमें वर्जित है।
इसके अलावा आप दिन में दो बार फल भी खा सकते हैं और दूध, चाय, पानी यह तो आप जितनी बार चाहे उतनी बार पी सकते हैं, कोई दिक्कत नहीं है इसमें। ठीक है, और भुवनेश्वरी देवी का जो चित्र है उसको कांच के फ्रेम में मढ़वा करके सामने रख लें। बिना यंत्र के और बिना चित्र के मंत्र जाप निरर्थक है इसके अंदर। ठीक है।
भुवनेश्वरी साधना में विभिन्न कामनाओं के लिए बीज मंत्र
देखिए इस साधना में अगर आप किसी विशेष कार्य के लिए साधना कर रहे हैं तो फिर मैं आपको बता देता हूं और लिख करके भी दे दूंगा कि देखिए अगर आप निष्काम भाव के लिए साधना कर रहे हैं तो ‘ह्रीं’ का इस्तेमाल आपको करना है आगे पीछे। अगर माता के प्रत्यक्ष दर्शन करना है तो ‘ऐं ह्रीं ऐं’, इस मंत्र का भी आप जाप कर सकते हैं।
अगर आर्थिक उन्नति के लिए करना है तो केवल ‘ह्रीं’ का ही आप जाप करेंगे। अगर व्यापार वृद्धि के लिए कर रहे हैं तो ‘आं ह्रीं आं’। इस प्रकार से। अगर सुख-समृद्धि के लिए कर रहे हैं तो ‘श्रीं’ का आपको इस्तेमाल करना है। शत्रु संहार के लिए ‘रां’ बीज का इस्तेमाल करना है।
रोग निवारण के लिए, मैं बता चुका हूं, ‘वं’। भाग्योदय के लिए ‘हं’। पुत्र प्राप्ति के लिए ‘यं’। मोक्ष प्राप्ति के लिए ‘लं’। और राज्य के पद के लिए या फिर अपनी नौकरी में पद के लिए, जैसे कि चाहते कि पदोन्नति हो, उसके लिए ।
अगर मुकदमा है तो उसमें सफलता के लिए इसमें आप ‘ढं’ का इस्तेमाल । ठीक है, सुख-शांति के लिए ‘जं’। अगर पत्नी अपने पति के लिए कर रही है या पति अपनी पत्नी के लिए कर रहा है तो ‘नं’ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सम्मान चाहिए, यश चाहिए तो आप इसमें ‘क्षं’ का इस्तेमाल कर सकते हैं। विद्या प्राप्ति के लिए ‘हं’ का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति जैसे खो जाता है, उसके लिए आप साधना कर रहे हैं इसको तो आप करेंगे ‘ॐ’ का इस्तेमाल और उसके ऊपर बिंदी।
अगर तांत्रिक प्रभाव किया या तो आप खाली ‘ह्रीं’ का मंत्र जाप करें या फिर इसमें तीन शब्दों का उच्चारण होता है, इनको मिलाकर के भी आप जाप कर सकते हैं।
यह संपूर्ण मंत्र जैसे कि ‘ऐं’ का इस्तेमाल करते हैं तो माता सरस्वती के लिए, ‘ह्रीं’ का इस्तेमाल करते हैं तो यह महालक्ष्मी के लिए और अगर आप केवल ‘ह्रीं ह्रीं ह्रीं’ इसका ही उच्चारण करते हैं तो भी कोई दिक्कत नहीं है, तब भी भुवनेश्वरी का ही बीज मंत्र है। ठीक है, दोनों में से किसी भी मंत्र का आप जाप कर सकते हैं।
भुवनेश्वरी साधना संपूर्ण साधना विधि
अब देखिए मैं आपको इस साधना को किस प्रकार से करना है, वो मैं आपको बता देता हूं। देखिए वीडियो तो इसमें लंबा हो जाएगा 100% है क्योंकि समझाना है तो वीडियो लंबा होगा ही होगा, इसलिए व्यर्थ की बातें तो करें ना कोई कि भई वीडियो लंबा है, फलाना है, यह सब चीजें ना करें। जिनको देखना है, वही देखें और प्यार से देखें।
भुवनेश्वरी साधना में पूजन की तैयारी
अब देखिए आपको इसमें क्या करना है कि जो सामग्री है, आप उसे प्राप्त कर चुके हैं तो आप प्रातः काल ही स्नान आदि करके और अपना वस्त्र धारण करके अपने पूजा कक्ष में चले जाएं या एकांत कक्ष में चले जाएं। प्रतिदिन जिस समय साधना पहले दिन शुरू करेंगे, प्रतिदिन आपको उसी समय साधना शुरू करनी है, शाम में भी और सुबह में भी।
और साधना आपको लगातार 21 दिन करनी है यह। ठीक है, उस चौकी पर आप लाल रंग का वस्त्र बिछा लें और थोड़े से चावल लेकर के उस पर ‘ह्रीं’ (ह पर बड़ी ई की मात्रा और अं की बिंदी) यह चावल से लिखें। ठीक है, थोड़े से चावल डालकर के उसको लिख लें चावल से और उस पर आपको भुवनेश्वरी यंत्र को स्थापित कर देना है। उसके साथ ही साथ भुवनेश्वरी का चित्र आप सामने रखेंगे।
बराबर में भगवान शिव का चित्र, परिवार का हो तो अच्छी बात है और साथ में ही अपने गुरु का चित्र, जो भी आपके गुरु हैं। अगर आपके गुरु कोई देहधारी हैं तो उनका चित्र, अगर भगवान शिव को गुरु माना है तो फिर उनका चित्र आप रख सकते हैं।
अब इसमें आपको कुंकुम चाहिए, थोड़े चावल चाहिए, पुष्प चाहिए। अगर आप चाहें तो इसमें भोग भी आप रख सकते हैं, उस भोग को आप स्वयं ग्रहण कर लेंगे पूजा करने के बाद।
सबसे पहले आपको दीपक जलाना है। ठीक है, दीपक मैं बता चुका हूं कौन सा जलाना है। धूपबत्ती, अगरबत्ती भी जला सकते हो। अगर आपको इस साधना में पूर्ण सफलता प्राप्त करनी है तो एकाग्रचित होकर के आप इस साधना को करें।
भुवनेश्वरी साधना गुरु पूजन और आज्ञा
जब आप यह सारी क्रियाएं कर लें, सबसे पहले आपको अपने गुरु का स्मरण करना है, उनका पंचोपचार पूजन करना है। पंचोपचार का मतलब यह होता है कि टीका लगा दें, चावल चढ़ा दें, पुष्प चढ़ा दें, धूप-दीप दिखा दें, बस।
और अगर चाहते हैं तो प्रसाद भी रख सकते हैं। जब आप पंचोपचार पूजन कर लेंगे, पूजन करने के बाद गुरुजी से हाथ जोड़कर के प्रार्थना करें कि “गुरुदेव, मैं भुवनेश्वरी महाविद्या की साधना करने जा रहा हूं और इस साधना में मुझे पूर्ण सफलता मिले, जिसके लिए मुझे आप आशीर्वाद दीजिए और मुझे आज्ञा प्रदान कीजिए।”
और गुरु मंत्र का कम से कम एक माला या दो माला का जाप जरूर कर लें, जो भी आपका गुरु मंत्र है। ठीक है, अगर आपने भगवान शिव को गुरु माना है तो फिर भगवान शिव का आपको पूजन उसी तरीके से करना है और आप ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जाप कर सकते हैं।
और यह रुद्राक्ष की माला से ही करना है आपको गुरु मंत्र और रुद्र, जो भी शिव मंत्र है या फिर कोई भी दूसरा मंत्र है, तो उसका आप जो भी आपका गुरु मंत्र है, रुद्राक्ष की माला से ही आपको जाप करना है इसमें।
भुवनेश्वरी साधना में रक्षा विधान
जब आप इतना कार्य कर लेंगे, उसके बाद आपको क्या करना है, एक रक्षा विधान करना है। क्योंकि जब यह साधना कितनी भी सौम्य हो, लेकिन फिर भी आप रक्षा विधान का इस्तेमाल जरूर करें क्योंकि अगर आप एक हवन भी करते हैं तो वहां भी आपको रक्षा विधान करना चाहिए।
अब आपको क्या करना होगा कि अपने जो बायां हाथ है, उस पर थोड़े से चावल रखें और उन चावलों से आपको क्या करना होगा, सभी दिशाओं में फेंकते हुए एक मंत्र जाप करना है। वो मैं आपको बता देता हूं, “ओम अपसर्पन्तु ये भूता ये भूता भूमि संस्थिताः ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया।”
ऐसा कुछ मंत्र होता है जो आपको बोलते हुए सारे चावल सभी दिशाओं में फेंक देने हैं। यह बहुत ही तीव्र और प्रभावशाली रक्षा विधान है। इस विधान को करने से आपके पूजा के अंदर कोई भी नेगेटिव एनर्जी प्रवेश नहीं कर सकती।
भुवनेश्वरी साधना में यंत्र और गुटिका पूजन
उसके बाद आप माता का पंचोपचार पूजन करें। जैसे मैंने बताया, टीका लगाएं, चावल चढ़ाएं, पुष्प चढ़ाएं और जो यंत्र है, यंत्र का, भुवनेश्वरी यंत्र का भी आपको पूजन करना है।
यंत्र का पूजन आप कुंकुम से टीका लगाकर के, अक्षत यानी कि चावल से, पुष्प से और जो धूप-दीप है, उसे दिखाकर के आप यंत्र का पूजन करें।
उसी प्रकार से गुटिका जो है, जो सर्व सिद्धि गुटिका है, उस गुटिका को यंत्र के ठीक बाएं तरफ आपको स्थापित करना है, यंत्र के बाएं तरफ। जैसे आपने यंत्र का किया है, जब आप उसका पूजन कर लेंगे।
भुवनेश्वरी साधना में ध्यान और संकल्प
ठीक है, उसके बाद आप माता भुवनेश्वरी का ध्यान करेंगे। आंख बंद करके आपको 2 मिनट माता का ध्यान करना है। ठीक है, माता का ध्यान करने के बाद उनसे आज्ञा लेंगे और साथ में ही आप संकल्प भी ले सकते हैं अगर किसी विशेष कार्य के लिए आप कर रहे हैं तो।
अगर किसी विशेष कार्य के लिए आप कर रहे हैं तब आपको संकल्प लेना है। यदि आप माता के दर्शन के लिए प्रार्थना कर रहे हैं तो आप माता के दर्शन के उद्देश्य से भी आप संकल्प ले सकते हैं कि “मैं (अपना नाम), (अपने गोत्र), मैं माता भुवनेश्वरी की साधना करने जा रहा हूं और माता भुवनेश्वरी प्रत्यक्ष रूप से मुझे दर्शन देकर के मुझे कृतार्थ करें, मुझे आशीर्वाद प्रदान करें।”
ऐसा आप कर सकते हैं संकल्प। अगर आप संकल्प नहीं लेते हैं तो तब भी कोई प्रॉब्लम नहीं है। माता की इच्छा होगी तो जरूर आपको दर्शन देगी, लेकिन संकल्प लेकर के माता बंध जाती है कि आपने संकल्प लिया है। तो इसलिए यह सब माता के ऊपर ही छोड़ दें तो बहुत अच्छा रहेगा।
भुवनेश्वरी साधना में मंत्र जाप
और इसके बाद रक्षा बंधन कर लेना है और फिर आपको मंत्र जाप शुरू करना है। मंत्र मैंने आपको पहले भी बता दिया है, मैं फिर दोबारा आपको बता रहा हूं। जो मंत्र आपको जपना है, वो मंत्र है ‘ऐं ह्रीं श्रीं’, केवल इतना छोटा सा मंत्र है। और अगर आप यह मंत्र नहीं जप सकते हैं
तो केवल आपको जपना चाहते हैं तो ‘ह्रीं’ शब्द का, ‘ह्रीं’ जो बीज मंत्र है, इसको भी जप सकते हैं। मतलब कि ‘ऐं’ और ‘श्रीं’ को हटाकर के केवल ‘ह्रीं’ जो है, उसको भी जप सकते हैं ‘ह्रीं ह्रीं ह्रीं ह्रीं’, इस तरीके से। और भुवनेश्वरी माला से मंत्र जाप करेंगे। प्रतिदिन आपको 51 माला का जाप करना है अगर आप 21 दिन की साधना कर रहे हैं।
जैसे कि मान लिया आप किसी शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी से साधना शुरू की है, 21 दिन की साधना करना चाहते हैं तो 51 माला का आप जाप करेंगे। ऐसा भी कर सकते हैं कि 51 माला रात्रि में, 51 माला का आपका जाप हो जाएगा, उस प्रकार से 11 दिन में ही आपकी साधना संपन्न हो जाएगी।
और अगर एक ही वक्त आपको करनी है साधना तो फिर आप 51 माला का जाप करेंगे तो 21 दिन में आपके मंत्र जाप पूरे हो जाएंगे। और अगर नवरात्रि में कर रहे हैं, आपको नौ दिन में साधना पूरी करनी है तो कम से कम 150 माला आपको करनी है, वह सुबह-रात्रि दोनों को मिलाकर के 150 माला होनी चाहिए। ठीक है, तब भी आप इस साधना को पूर्ण कर सकते हो।
भुवनेश्वरी साधना का समापन
और अगर आप चाहते हैं कि अब इसके बाद साधना हमें नहीं करनी है तो आप क्या करेंगे, यंत्र को, माला को, गुटिका को और रक्षा माला को आप बहते हुए पानी में विसर्जित कर देंगे। और देखिए प्रतिदिन साधना करने के बाद माता से रक्षा की प्रार्थना जरूर आपको करनी है कि “हे माता, आप ही मेरी रक्षक हैं, इसलिए आप ही मेरी रक्षा करेंगी।”
और कुछ आपको नहीं बोलना है। “और जो भी मैंने जाप किया है, मैं आपको समर्पित करता हूं।” ठीक है, यह कहकर के साधना से फिर आपको उठ जाना है प्रणाम करके। और हो सके तो बाद में गुरु मंत्र का एक माला या दो माला का जाप कर लें तो अच्छा रहेगा। अगर करना चाहते तो कर सकते हैं, एक माला गुरु मंत्र कर लीजिए फिर बाद में।
भुवनेश्वरी साधना अंतिम शब्द
देखिए इस साधना में मैं आपको यह भी बता चुका हूं कि आपको अनुभूतियां भी होंगी, आपको यह भी बता चुका हूं कि किन-किन बातों का आपको ध्यान रखना है। सारी कुछ चीजें मैं इस साधना में ही आपको बता चुका हूं, इसलिए मुझे कुछ एक्स्ट्रा बताने की अब आवश्यकता है
नहीं। ठीक है, इसी के साथ अब मैं post को यहीं पर समाप्त करता हूं। मेरे साथ बोलिए, बोलिए वीर बजरंगबली हनुमान जी महाराज की जय, बोलिए मेरे परमहंस गुरुदेव की जय।