बाबा गंगाराम अघोरी की अघोर साधना Baba Gangaram Aghori Sadhna

बाबा गंगाराम अघोरी की अघोर साधना Baba Gangaram Aghori Sadhna
बाबा गंगाराम अघोरी की अघोर साधना Baba Gangaram Aghori Sadhna

बाबा गंगाराम अघोरी की अघोर साधना Baba Gangaram Aghori Sadhna आज मैं , आपको अघोर विद्या की साधना बताने जा रहा हूँ। जैसे इस संसार में बहुत से अघोरी हुए, जैसे गंगाराम अघोरी, अघोरी नाथ, अघोरी बूचर नाथ, अघोरी मंसाराम अघोरी और किनाराम अघोरी, जो कि अघोर इल्म के बहुत ही विख्यात साधक हुए हैं और इन्होंने लोक भलाई के काम किए। उनकी ही मैं आपको आज साधना बताने जा रहा हूँ। इन अघोरियों में से गंगाराम अघोरी जी की साधना बताने जा रहा हूँ। यह अघोर साधना, आप श्मशान भूमि में इसका भोग प्रसाद देने के बाद इस अघोर इल्म को आप प्राप्त कर सकते हैं।

 

बाबा गंगाराम अघोरी की अघोर साधना  के लिए आवश्यक शर्तें और चेतावनी

 

जो भी गंगाराम अघोरी जी की साधना करना चाहते हैं, इसका मैं आपको एक शाबर मंत्र और इनका भोग प्रसाद बताऊँगा। लेकिनों, यह जो अघोर इल्म की साधना है, यह साधना वही साधक करें जिन्होंने गुरु धारणा की हुई है, जिनको इल्म के बारे में पूर्ण रूप से जानकारी हो या फिर इससे पहले इन्होंने किसी और देवी-देवताओं की साधना पूर्ण रूप से प्राप्त की हुई है।

वही इस साधना को करें और इसके अलावा, जब भी आप यह साधना आरंभ करें तो अपने गुरु-पीर से आज्ञा ज़रूर लें और जो भी आपके घर के इष्ट हैं, पूर्वज हैं, उनका भोग प्रसाद लगाने के बाद आपने यह साधना आरंभ करनी है।

 

गंगाराम अघोरी और अघोर इल्म का परिचय

 

बहुत बड़े साधक हुए गंगाराम अघोरी जी। लगभग सौ-डेढ़ सौ साल पहले यह गंगाराम अघोरी हुए। इन्होंने पूर्ण रूप से अघोर इल्म की प्राप्ति की। अघोर विद्या सबसे कठिन लेकिन तत्काल फल देने वाली विद्या है।

इसको साधक को साधना करने से पहले पूर्ण रूप से मोह का त्याग करना पड़ता है। पूर्ण अघोरी उसे कहते हैं जिसके अंदर से अच्छे-बुरे, प्रेम-नफरत, ईर्ष्या, मोह जैसी सभी भावनाएँ मिट जाएँ, उसको कहते हैं पूर्ण रूप से अघोरी। जिस को भी इस अघोर इल्म की प्राप्ति हो गई, फिर कोई भी संसार में ऐसा इल्म नहीं जो उसके सामने टिक पाए।

इतनी शक्तिशाली यह साधना होती है अघोर इल्म की, वह भी बाबा गंगाराम अघोरी जी की, जो कि अघोर इल्म के सम्राट हैं। बाबा गंगाराम अघोरी, पहले मैंने एक साधना डाली थी इनके छोटे भाई मंसाराम अघोरी जी की, लेकिन आज, मैं आपको गंगाराम अघोरी जी की यह साधना बताने जा रहा हूँ।

 

बाबा गंगाराम अघोरी की अघोर साधना की संपूर्ण विधि

 

पहलेों, मैं आपको इसका भोग प्रसाद बता दूँ क्योंकि इसकी विधि क्या है, कि पूर्ण रूप से आपको पहले विधि को समझ लेना चाहिए कि इसका भोग प्रसाद आपने क्या देना है और कैसे इसकी आपने साधना करनी है। उसके बाद , आपने जो मैं आपको शाबर मंत्र बताऊँगा, उसका आपने जप करना है।

 

बाबा गंगाराम अघोरी की अघोर साधना भोग प्रसाद की सामग्री और विधि

 

 गंगाराम अघोरी जी की यह अघोर इल्म की साधना करनी है, जो इसका भोग प्रसाद है, वह मैं आपको बताने जा रहा हूँ। इसको आप शुक्ल पक्ष के शनिवार से आप इस साधना को शुरू कर सकते हैं। और जो भी इसका भोग प्रसाद है, वह  आप नोट कर लें।

आपने शनिवार को जो भोग प्रसाद लेकर जाना है: दो लड्डू बूँदी वाले, सात पतासे, एक मीठा पान, एक कड़वा पान और जोड़ा लौंगों का और आपने एक लेकर जानी है कलेजी, बकरे की कलेजी भी ले सकते हैं और आप मुर्गे की कलेजी भी ले सकते हैं।

और उस कलेजी के आप दो पीस बना लें, एक पीस को तो आपने कच्चा ही रखना है और एक पीस को आपने सरसों का तेल, थोड़ी सी लाल मिर्च और थोड़ा सा नमक लगाने के बाद उसको भून लेना है। और उसको भी यह जो भोग प्रसाद है, इसके साथ ही लेकर जाना है।

और दो सिगरेटों का जोड़ा और एक प्याला शराब का, एक प्याला लेकर जाना है आपने। और यह जो सारा भोग प्रसाद है, आपने शनिवार को श्मशान भूमि में जाकर यह भोग प्रसाद देना है।

यह जो भोग प्रसाद है, आपने पहले सरसों के तेल का दीया जलाना है, उसके बाद उसके आगे उपलों की आग (अंगारी) बनाने के बाद, उस अंगारी के आगे रखें और उसके ऊपर देसी घी और सरसों के तेल की आहुतियाँ डालें।

 यह जो सारा भोग प्रसाद है, सारा आपने उनके ऊपर आहुतियाँ डालनी हैं होम के रूप में। और जो दो सिगरेट हैं, उसको आपने जला कर रखना है और जो प्याला है, उसका आपने भोग लगाना है।

 

बाबा गंगाराम अघोरी की अघोर साधना की अवधि और नित्यकर्म

सभी साधकों ने यह साधना पूर्ण रूप से अगर गंगाराम अघोरी की साधना करनी है, तो यह 41 दिन की होगी। और 41 दिन में, जो यह भोग प्रसाद है, आपने हर शनिवार को यह भोग प्रसाद देते रहना है भेंट के रूप में गंगाराम अघोरी जी को।

 नित्य कर्मानुसार आपने जोड़ा लड्डुओं का, सात पतासे और जोड़ा लौंगों का और दो सिगरेटों का जोड़ा आपने नित्य कर्मानुसार, जब आपने साधना आरंभ करनी है, तो नित्य कर्मानुसार जो शनिवार के बीच में दिन आएँगे, यह भोग प्रसाद आप श्मशान भूमि में दे सकते हैं।

बाबा गंगाराम अघोरी की अघोर साधना के समय रक्षा कवच  

जब भी आपने इसकी साधना करनी है, तो आप की रक्षा के लिए आपने एक ख्वाजा साहिब की कड़ाही बनानी है, ख्वाजा साहिब की नियाज़ बनानी है।

सवा किलो की आपने ख्वाजा साहिब की नियाज़ बनानी है और बढ़िया लोबान की धूनी देने के बाद जब वह नियाज़ बन जाए, तो उसके ऊपर आप दो लड्डू रखें, सात पतासे रखने और दो मीठे पान रखने और एक चौमुखा आपने चिराग लगाना है देसी घी का।

इसको चलती नहर में, चलते पानी में आपने इस जो कड़ाही है, इसको बहा देना है और चिराग उसकी पत्तल के ऊपर लगा देना है। 

ख्वाजा गरीब नवाज से विनती करनी है कि हम गंगाराम अघोरी जी की साधना करने जा रहे हैं, आपको साक्षी मानकर आप पूर्ण रूप से हमारी रक्षा करना, हमारे ऊपर कोई भी ऐसी गैर-बाधा न आए और पूर्ण रूप से हमें गंगाराम अघोरी जी की इस साधना की प्राप्ति हो।

 

बाबा गंगाराम अघोरी की अघोर साधना का स्थान और नियम

 

 जब आपने साधना करनी है, आप इसको श्मशान भूमि में बैठकर भी कर सकते हो और उसके बाद आप अपने घर में एक एकांत कमरे में बैठने के बाद भी यह साधना कर सकते हैं। आपने अपने सामने चिराग लगाना है और व पर एक जल का  लेना है और जल के पातर  को पानी से भरने के बाद  आपने ख्वाजा साहिब को याद करने के बाद एक घेरा लगा लेना है जल का और इससे आपकी पूर्ण रूप से रक्षा होगी।

 उसके बाद ही, जो मैं आपको शाबर मंत्र बताऊँगा, इसकाआपने जाप करना है। पहले आपने श्मशान भूमि में यह भोग प्रसाद दे कर आना है, उसके बाद आपने यह क्रिया करनी है। और 41 दिन ही आपने ब्रह्मचर्य का पालन करना है और जप करने के बाद आपने धरती के ऊपर ही  रात  को सोना है।

 

 बाबा गंगाराम अघोरी का शाबर मंत्र

 

आपको बाबा गंगाराम अघोरी जी का यह शाबर मंत्र बताने जा रहा हूँ, जिसका आपने नित्य कर्मानुसार 11 माला का जप करना है। रुद्राक्ष की आपने माला लेनी है और रात्रि के समय इसका जप करना है। रात्रि 9:00 बजे के बाद ही आपने यह जाप आरंभ करना है। शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से आपने यह साधना आरंभ करनी है।

“चारों दिशाओं में गंगाराम अघोरी का डंका बाजे, ज तेरा नाम पुकारें, अघोरी आन बिराजे। मांस-मदिरा का भोग लगाएँ, लकड़ी जले, मुर्दा चिल्लाए। व अघोरी हाजिर हो जाए। मेरी भक्ति, गुरु की शक्ति, चले मंत्र, फुरे वाचा। देखो गंगाराम अघोरी, तेरे अघोर इल्म का तमाशा।”

 

बाबा गंगाराम अघोरी की अघोर साधना अंतिम निर्देश और सारांश

 

 यह है गंगाराम अघोरी जी की पूर्ण रूप से साधना। जो भी यह साधना करना चाहते हैं, तो पहले अपने गुरु से आज्ञा लें। श्मशान भूमि में आपने यह सारा भोग प्रसाद देना है और 41 दिन की यह साधना होगी।

 जिस भी ने इस साधना की प्राप्ति कर ली, तो दुनिया में ऐसा कोई भी इल्म नहीं, कि भूत-प्रेत, मड़ी-मसान, किया-कराया, कोई काला इल्म, मुसलमानी इल्म, कोई भी इल्म, मूठ इल्म, कोई भी जो विद्या है, पूर्ण रूप से बाँधकर रख देंगे गंगाराम अघोरी।

अघोर इल्म के सम्राट, महा सम्राट अघोरी हैं यह बाबा गंगाराम अघोरी। और बहुत से घरों में तो यह कुल देवता के रूप में माने जाते हैं गंगाराम अघोरी। जो भी इनकी साधना करना चाहते हैं, तो पहले आप ख्वाजा साहब की आपने हाज़िरी लगानी है, इनकी साधना करने से पहले उनको साक्षी मानकर ही आपने यह साधना आरंभ करनी है।

और जब आपके 41 दिन पूरे हों, तो उस समय भी आपने ख्वाजा साहब की जो मैंने आपको नियाज़ बताई है, उसकी हाज़िरी देनी है। और जब आपको इस साधना की प्राप्ति हो जाए, तब भी आप यह भोग प्रसाद उनका कभी-कभी देते रहें। 

इसी शाबर मंत्र का नित्य कर्मानुसार आप जाप करते रहें गंगाराम अघोरी जी के इस शाबर मंत्र का। , इसी तरह से एक नई विधि, एक नई विद्या के साथ फिर मिलेंगे। तब तक जय माता काली, जय बाबा भैरवनाथ।

Previous articleगंगाराम अघोरी मंसाराम अघोरी के सामने कौन कौन सी शक्तियां घुटने टेक देती हैं संपूर्ण जानकारी के साथ
Next articleसुरक्षा घेरा कैसे बनाएं – साधना में सुरक्षा घेरा की आवश्यकता
Rodhar nath
मैं रुद्र नाथ हूँ — एक साधक, एक नाथ योगी। मैंने अपने जीवन को तंत्र साधना और योग को समर्पित किया है। मेरा ज्ञान न तो किताबी है, न ही केवल शाब्दिक यह वह ज्ञान है जिसे मैंने संतों, तांत्रिकों और अनुभवी साधकों के सान्निध्य में रहकर स्वयं सीखा है और अनुभव किया है।मैंने तंत्र विद्या पर गहन शोध किया है, पर यह शोध किसी पुस्तकालय में बैठकर नहीं, बल्कि साधना की अग्नि में तपकर, जीवन के प्रत्येक क्षण में उसे जीकर प्राप्त किया है। जो भी सीखा, वह आत्मा की गहराइयों में उतरकर, आंतरिक अनुभूतियों से प्राप्त किया।मेरा उद्देश्य केवल आत्मकल्याण नहीं, अपितु उस दिव्य ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाना है, जिससे मनुष्य अपने जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझ सके और आत्मशक्ति को जागृत कर सके।यह मंच उसी यात्रा का एक पड़ाव है — जहाँ आप और हम साथ चलें, अनुभव करें, और उस अनंत चेतना से जुड़ें, जो हमारे भीतर है ।Rodhar nathhttps://gurumantrasadhna.com/rudra-nath/