apsara sadhana vs yakshini sadhana अप्सरा और यक्षिणी कौंन शक्तिशाली apsara sadhana yakshini sadhana

और यक्षिणी कौंन शक्तिशाली ph.85280-57364
apsara sadhana vs yakshini sadhana अप्सरा और यक्षिणी कौंन शक्तिशाली apsara sadhana yakshini sadhana आज का जो हमारा विषय रहेगा, वह रहेगा अप्सरा और यक्षिणी साधना को लेकर। अप्सरा और यक्षिणी, दोनों साधना में से कौन सी साधना हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ है, इस विषय में हम बात करेंगे। कृपया इस post को अंत तक जरूर पढ़ो ।
जो अप्सरा साधना है, यह भी दैविक साधना होती है और जो यक्षिणी साधना है, यह भी दैविक साधना होती है। अप्सरा को आप सिर्फ प्रेमिका रूप में ही कर सकते हैं, लेकिन यक्षिणी को आप मां, बहन, पत्नी रूप में कर सकते हैं। अप्सरा कभी भी मां, बहन, प्रेमिका रूप में सिद्ध नहीं होती है।
अगर कुछ लोग बोलते हैं तो यह बिल्कुल गलत है। अप्सरा जब भी आती है तो प्रेमिका रूप में ही आती है। बुलाने की कोई कोशिश करता है उस तरीके से, तो उस तरीके से वह सिद्ध नहीं होती है। क्योंकि अप्सरा एक ऐसी साधना होती है जो कभी भी जोड़े में नहीं होती है।
अप्सरा और परी कभी जोड़े में नहीं रहती हैं, बाकी जैसे यक्ष और यक्षिणी होते हैं, पति-पत्नी हैं, देवता और देवी हो गए। मतलब हर एक शक्ति एक जोड़े में चलती है। पर लेकिन अप्सरा होती है, यह जोड़े में नहीं चलती है कभी भी।
तो इसीलिए इसकी जो कामना पूरी नहीं होती है, जो उनकी इच्छा होती है, वह पूरी नहीं होती है। अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए ही वह अपने प्रेमी की तलाश करती है, जो साधक उसके लिए सही होता है तो उसको सिद्ध हो जाती है, वरना आपके काम तो करती ही रहेगी अप्रत्यक्ष रूप में।
दूसरी चीज मैं आपको यह बताता हूं, अगर आपने प्रेमी रूप में इसको कर लिया, अगर आपकी प्रेमिका है तो आपको उससे दूरी बनानी पड़ेगी, पत्नी से दूरी बनानी पड़ेगी।
अप्सरा यह नहीं चाहती है कि कभी भी जो आपका प्रेम है, किसी दूसरी औरत को आप दो, यह उसको बर्दाश्त नहीं होता है। तो इसीलिए यह साधना करने वाले साधक जो होते हैं, इनको दूसरी औरत, प्रेमिका या पत्नी रखना सही नहीं है। अगर रखेगा तो उसको कष्ट होगा।
एक मेरे दोस्त हैं रणवीर, उनकी एक प्रेमिका थी और वह प्रेमिका बाल-बाल मरते हुए बची क्योंकि वह उसको मिलने के लिए अक्सर जाता था, अप्सरा को वो चीजें पसंद नहीं थीं। तो इसका यह भी कारण है।
देखिए, जो यक्षिणियों की साधनाएं हैं, हमारे भारतीय तंत्र में मिलती हैं और जितने भी इसके मंत्र हैं, यह सब कीलित होते हैं। कोई आपको गुरु चाहिए जो मंत्र को जागृत कर सके। जो अप्सरा के मामले में ऐसा नहीं है। अप्सरा के मंत्र कोई भी कीलित नहीं हैं।
यह साधना गुरु परंपरा से ही चलती आ रही है, इसमें कोई कील, कोई बंधन नहीं है। तंत्र की जितनी भी साधनाएं हैं जो भारतीय तंत्र के अंतर्गत आती हैं, तो वह सारी ही कीलित होती हैं। कोई अगर आज की डेट में किसी ग्रंथ से पढ़कर अप्सरा-यक्षिणी साधना करना चाहे, वो कभी उसको सिद्ध नहीं हो सकती।
अप्सरा के मामले में यह नहीं है। अप्सरा को कोई भी करेगा तो उसको रिजल्ट मिलेगा। यह इसके कुछ कारण हैं। ऐसा गुरु ढूंढना पड़ेगा जो यक्षिणी साधना आपको करवा सके। अप्सरा साधना के तो साधक आपको मिल जाएंगे।
तो ये कुछ बातें हो गईं। अब कुछ और बातें मैं आपसे करता हूं। कुछ अप्सराएं स्वर्ग में रहती हैं। इसी चीज के चलते जो स्वर्ग की अप्सराएं होती हैं, वह अधीन होती हैं देवराज इंद्र के। अगर अप्सरा को जाना होगा तो वह जाएगी।
अगर साथ में इंद्र का भी आप जाप कर लोगे, तो उसमें कोई भी रुकावट पैदा नहीं हो सकती। तो यह इसकी खास बात है। भगवान इंद्र को भी साथ में प्रसन्न करोगे तो साधना जल्दी सफल होगी। वहीं जो यक्षिणियों के जो स्वामी हैं, यक्षराज कुबेर को बोला गया है और जो कुबेर हैं, उनके स्वामी माने गए हैं। कुछ यक्षिणी कुबेर के अधीन होती हैं।
जैसे कुछ अप्सराएं स्वर्ग में रहती हैं, कुछ अप्सरा अप्सरा लोक में ही रहती हैं और ज्यादातर वह धरती के ऊपर भ्रमण करती रहती हैं। अपना इनका कोई भी लोक नहीं होता है, धरती के ऊपर भ्रमण करती रहती हैं, इसीलिए तो जल्दी सिद्ध हो जाती हैं।
जो यक्षिणी साधना है, जो यक्ष लोक है, बिल्कुल धरती के करीब है। हमारी जो मंत्र की वाइब्रेशन है, तो वह वहां तक जल्दी पहुंचती है, वह भी साथ में जल्दी सिद्ध होती है। इसके लिए गुरु चाहिए जो आपके मंत्र को निष्कीलित कर सके।
यह कुछ खास बातें हो गईं। अब इस पर कुछ और चर्चा करते हैं। जब भी अप्सरा आती है तो उससे फूलों की खुशबू आती है। चाहे वह अप्सरा 1 किलोमीटर दूर क्यों ना हो, तो वहां से भी आपको फूलों की ही खुशबू महसूस कर सकते हैं आप। यक्षिणी के मामले में चमेली की खुशबू आती है जब कोई भी यक्षिणी को सिद्ध करता है, तो समझ जाना चाहिए कि यक्षिणी आपके आसपास है।
अगर कोई व्यक्ति यक्षिणी को पत्नी रूप में सिद्ध करता है, पत्नी रूप में सिद्ध करने के बाद दूसरा विवाह करा लेता है, तो तंत्र ग्रंथों में यही लिखा है, तो उसकी मृत्यु हो जाती है। एक दफा अगर आपने यक्षिणी को पत्नी रूप में मान लिया, तो आप फिर दूसरी पत्नी से शादी नहीं कर सकते क्योंकि जो सनातन धर्म की संस्कृति है, उसमें एक शादी ही मान्य है, मान्यता दी गई है।
दूसरी शादी करोगे तो फिर उसमें आपको दिक्कत आनी शुरू हो जाएगी, आपकी मौत हो जाएगी। ऐसा मैं नहीं बोल रहा हूं, भारतीय तंत्र ग्रंथ में जिक्र मिलता है। हर एक तंत्र ग्रंथ में यह बात बोली गई है।
इस साधना को करने के लिए आपको एकांत जगह चाहिए होगी। एकांत जगह में ही आप यक्षिणी और अप्सरा साधना को करिए। सुंदर वस्त्र पहन के करिए।
यक्षिणी को अगर आप मां, बहन, पत्नी रूप में कर रहे हो, तो इस चीज का आप ध्यान रखें कि जो आपकी बहन है, आपकी मां है, उसके साथ आपके रिलेशन अच्छे होने चाहिए।
ऐसा नहीं है कि आप मां और बहन का कोई सम्मान नहीं करते हो, तो फिर वह आपको सिद्ध होने में दिक्कत करेगी। असल में भी आपको रिश्ते निभाने पड़ेंगे, अगर नहीं निभाते हो तो प्रॉब्लम आएगी। तो यह कुछ बातें हैं अप्सरा और यक्षिणी को लेकर।