अगिया बेताल साधना विधि विधान और मंत्र Agiya betal sadhana ph.85280 57364
अगिया बेताल साधना विधि विधान और मंत्र Agiya betal sadhana ph.85280 57364 नमस्कार दोस्तों! जय महाकाल, आज के पोस्ट में मैं बेताल की साधना दे रहा हूँ। हालाँकि इस बेताल की साधना के बारे में पहले के पोस्ट में बहुत कुछ बता चुका हूँ, साधना विधि भी दिया हूँ, लेकिन वह मार्ग कुछ अलग था और यह जो विधान इसका देने जा रहा हूँ, वह विधान बहुत ही अलग है और इस विधान से बहुत ही जल्द इस साधना में सिद्धि प्राप्त होती है।
अब सबसे पहले तो इसके फायदे बता दूँ। वैसे फायदे तो अनगिनत हैं और बेताल की जो शक्ति होती है, वह भूत, प्रेत, जिन्न, आत्मा, परी इत्यादि से कहीं बढ़कर होती है। तो इसकी शक्ति बहुत ही ज्यादा होती है। तो यह हर प्रकार का कार्य, मतलब हर प्रकार का कार्य करने में हमारे लिए सक्षम होता है।
साधक के लिए यह हर प्रकार के कार्य करने में सक्षम होता है, लेकिन इसकी साधना भी उसी प्रकार से कठिन होती है। इस बारे में तो बहुत कुछ कर पाए हैं, जैसे भूत, वर्तमान, भविष्य की जानकारी प्राप्त कर लेना, धन प्रदान करती है यह शक्ति।
और सांसारिक कोई भी कार्य हो, कोर्ट-कचहरी इत्यादि कोई भी कार्य हो, वो हमारा संपन्न करती है। स्टूडेंट के लिए पढ़ाई में बहुत उन्नति देता है, पढ़ाई तथा काम-काज में बहुत ही उन्नति देता है, बरकत देता है, ज्ञान प्रदान करता है, धनवर्षा करता है।
सांसारिक सभी कार्य, लौकिक तथा अलौकिक कार्य हमारे बनाता है, षट्कर्म करता है। मतलब एक तरह से हर प्रकार का कार्य यह शक्ति हमारे लिए करती है सिद्ध होने के पश्चात्।
परंतु यह बहुत ही शक्तिशाली और बड़ी शक्ति है, तो इस प्रकार की शक्ति को सिद्ध करने के लिए हमारा मन भी वैसा स्ट्रांग होना चाहिए, क्योंकि विकराल रूप में भी हमारे सामने आ सकता है और अधिकांश तो विकराल रूप में ही हमारे सामने आता है।
तो हमको दृढ़ निश्चय के साथ इस साधना को करना है। जो भी करना चाहें, जिसमें दृढ़ निश्चय है, साहस है, वही इस प्रकार की साधना को करें, यही कहूँगा। क्योंकि अधिकांश लोग तो कर लेते हैं, लेकिन जब शक्ति सामने उपस्थित हो जाती है, तब वह उसको संभाल नहीं सकते और पीछे हट जाते हैं।
तो इसका बहुत ही विपरीत और बुरा प्रभाव हम पर कहीं न कहीं पड़ता ही पड़ता है। विघ्न भी बहुत होता है, कई प्रकार के नुकसान हो सकते हैं हमको और नुकसान भी होता है। इसलिए, जिसमें शौर्य और पूर्ण निष्ठा एवं दृढ़ संकल्प हो, वही इस प्रकार की उच्च कोटि की साधना को करें और इसमें सफलता प्राप्त करें।
Agiya betal sadhana vidhi अगिया बेताल साधना विधि
तो मैं उसका विधान बता देता हूँ। विधान इसका इस प्रकार है कि इस साधना को घर पर नहीं किया जा सकता है।
इस साधना को या तो श्मशान में किया जा सकता है या किसी ऐसे वीरान स्थान पर किया जा सकता है जहाँ पास कोई आता-जाता न हो, या फिर इस साधना को किसी शिव मंदिर के आसपास किया जा सकता है। इस साधना में दिशा दक्षिण की रहेगी और स्वयं के बैठने का आसन काला रहेगा इसमें।
और सुरक्षा घेरा बहुत ही जाग्रत आपका होना चाहिए, स्ट्रांग होना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की समस्या न आए साधना के दौरान। तो सुरक्षा घेरा आपको लगाना है, क्योंकि इस साधना में बहुत सारी बाधाएँ और बहुत सारी समस्याएँ आती हैं।
और इसमें उस बेताल के नाम से आपको भोग में शराब का भोग लगाना है। किसी भी पात्र में, पात्र ले लीजिए आप, तांबे का कोई भी पात्र ले लीजिए, कांसे का कोई पात्र ले लीजिए, उस पात्र में आप शराब भरकर उसके नाम से अर्पित करें।
इस साधना को ऐसे किसी भी दिन किया जा सकता है, किसी भी सोमवार के दिन से शुरू किया जा सकता है और इस साधना को किसी भी पक्ष में किया जा सकता है, चाहे आप कृष्ण पक्ष में करें, चाहे शुक्ल पक्ष में क्यों न करें। सोमवार शाम को शुरू किया जा सकता है।
यह 31 दिन की साधना होती है और 31 दिनों में हमको इस साधना में पूर्ण सफलता प्राप्त होती है। तो उसके पश्चात् हमको इस साधना में विशेष हमको ब्रह्मचर्य का ध्यान रखना है, सात्विक भोजन करना है तथा शुद्धता बिल्कुल बनाए रखना है।
स्नान इत्यादि करके शुद्ध, स्वच्छ वस्त्र पहन कर ही इस साधना को करना है। समय आपका रात्रि 10:00 बजे के बाद से, कभी भी इस साधना को शुरू कर सकते हैं।
दिशा तो आपकी दक्षिण रहेगी और इसमें आप एक दीपक लगा लें, घी का एक दीपक लगा लें और उस दीपक में उड़द के कुछ दाने छोड़ दें आप, पाँच साबुत उड़द दाल जो है, उसके पाँच दाने आप उस दीपक पर छोड़ दें।
इस प्रकार से आपको दीपक अपनी तरफ मुँह करके जलाना है। चाहें तो आप धूप इत्यादि भी, सुगंधित अगरबत्ती इत्यादि जला सकते हैं।
अब आपको उक्त मंत्र का नित्य 12 माला पाठ करना है। यह अमल आपको 21 दिनों तक पाठ करना है। 21 दिन का जब आपका साधना पूर्ण हो जाता है, अच्छा इसमें जो है, आप मंत्र का पाठ करने से पहले आप किसी भी शिव मंत्र का एक माला, मतलब 108 बार पाठ करेंगे। इसमें रुद्राक्ष की माला का प्रयोग होगा।
और इसमें आप इस बेताल के मंत्र का पाठ करने से पहले आप किसी भी शिव मंत्र का 108 बार आप पाठ कर लें, उसके बाद ही आप इस उक्त मंत्र का, बेताल मंत्र का पाठ करें। तो इस प्रकार से 21 दिन तक आपको 12 माला का पाठ करना है।
21 दिन जब आपके पूरे हो जाएँ, तो पूरे होने के पश्चात् आपको हवन करना है। इसके नाम से हवन आप आम की लकड़ी से कर सकते हैं। आम की लकड़ी और घी इसमें मिलाकर आपको अग्नि जला लेनी है किसी पात्र या जमीन पर कहीं पर भी।
तो जलाने के पश्चात् जो है, वह अग्नि में आपको उड़द के दाने से होम चढ़ाना है, इसमें मतलब आहुति चढ़ानी है आपको उड़द के दाने से। इस मंत्र को पूरा पढ़कर आपको उड़द के दानों से 108 बार आहुति चढ़ानी है।
तो इस प्रकार से आपको 11 दिनों तक आहुति चढ़ानी है। 21 दिन की साधना पूर्ण होने के पश्चात् उसी मंत्र से आपको 11 दिनों तक आहुति चढ़ानी है।
तो इस प्रकार से ग्यारह दिनों के अंतर्गत जो है, यह साधना पूरी तरह से सिद्ध हो जाती है और उसी अग्नि में से बेताल जो है, अगिया बेताल जो है, वह उत्पन्न होता है और आपके सामने प्रत्यक्ष भी होता है।
होने के पश्चात् उससे आपको वचन ले लेना है और वचन लेने के पश्चात् यह शक्ति हमेशा के लिए आपसे जुड़ जाएगी, आपके अनुकूल हो जाएगी। तो उसके पश्चात् आपकी साधना संपन्न हो जाएगी।
और इसमें जिन भी वस्तुओं का आपने प्रयोग किया, उस वस्तुओं को जिस स्थान पर आपने साधना की, वहीं पर छोड़ देना है और इसी उक्त मंत्र को पढ़कर इस शक्ति को जब भी आह्वान करेंगे, बुलाएँगे, तो वह शक्ति आपके सामने उपस्थित हो जाएगी। इतना ही विधान है साधना का। वह विशेष मंत्र मैं आपको बता देता हूँ:
अगिया बेताल साधना मंत्र Agiya betal sadhana mantra

मंत्र बस इतना ही है और इतना ही संपूर्ण विधान है साधना का। तो आज के वीडियो में इतना ही। नमस्कार!