Urvashi apsara sadhana -उर्वशी अप्सरा साधना – इस विधि से अप्सरा होंगी प्रत्यक्ष 100% PH.85280 57364

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जय गुरुदेव जय महाकाली आप सभी साधकों का गुरु मंत्र साधना की आपकी अपनी इस वेबसाइट पर स्वागत है। आज उर्वशी अप्सरा से संबंधित एक विशेष प्रयोग दे रहे हैं। बहुत अच्छा प्रयोग है, कोई बहुत बड़ा विधि विधान नहीं है, छोटा सा प्रयोग है लेकिन अप्सरा का सानिध्य और कृपा प्राप्ति होती है। इसमें अप्सरा के प्रत्यक्षीकरण के भी बहुत ज़्यादा चांस हैं कि आपको उसके प्रत्यक्षीकरण हो जाएं। अगर प्रत्यक्षीकरण नहीं भी होता है तो उसके सानिध्य की प्राप्ति आपको प्रतिक्षण होगी।

Urvashi apsara sadhana – उर्वशी अप्सरा साधना के लाभ

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जब कोई दैविक शक्ति आपके आसपास रहेगी तो आपके चेहरे का तेज, आपका बोलचाल की भाषा, आपकी सम्मोहन शक्ति बहुत अधिक प्रखर हो जाएगी और आपके कार्य सिद्ध होने लग जाएंगे। जिन कार्यों में बहुत रोड़े आते हैं वह सारे कार्य भी आपके सिद्ध होने लग जाएंगे और बिना सोचे जो चीज सोची नहीं है वह भी होगी।

 जो सफलता आपने कभी सोची भी नहीं है वह भी प्राप्त होगी। जब कोई दैविक शक्तियां आपके साथ में होती है तो असंभव को भी संभव कर देती है, असंभव को भी संभव कर देती है और भाग्योदय होता ही है।

Urvashi apsara sadhana Vidhi  उर्वशी अप्सरा

साधना की विधि

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ऐसी दैविक साधना को आपको जरूर करना चाहिए और क्योंकि इसको स्त्री पुरुष कोई भी कर सकता है, कोई बहुत बड़ा विधान नहीं है इसका, छोटा सा विधान है।

 1 –  Urvashi apsara sadhana उर्वशी अप्सरा साधना की – अवधि का चयन

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आप साधना कर सकते है 7 दिन, 11 दिन, 21 दिन या 41 दिन, इनमें से आप चयन कर लें आप कितने दिन की साधना करने में सक्षम हैं। जितने दिन ज्यादा करेंगे उतने अनुभव ज्यादा बढ़ेंगे। 

लेकिन अगर आपको लगता है कि आपने ज्यादा दिन की साधना नहीं कर सकते हो तो फिर 7 दिन का ही संकल्प लो क्योंकि साधना अगर बीच में तोड़ते हो तो खंडित होती है तो उसका भी दोष लगता है। तो इसलिए जो संकल्प लिया है जितने दिन का उतने दिन साधना पूरी करनी चाहिए और उतने दिन में चीजें कंप्लीट करनी चाहिए।

2 –  Urvashi apsara sadhana – उर्वशी अप्सरा साधना का समय और स्थान

तो इसको कैसे करना और कब करना है? तो जब भी शुक्ल पक्ष हो और शुक्ल पक्ष में पुष्य नक्षत्र आए, चाहे वो सोमवार से शनिवार रविवार तक किसी भी दिन में आ जाए, शुक्ल पक्ष होना चाहिए यानी उजाली के दिन। 

कैलेंडर में लिखा हुआ रहता है कृष्ण पक्ष शुक्ल पक्ष तो देख लेना और शुक्ल पक्ष में जब भी पुष्य नक्षत्र आए उस पुष्य नक्षत्र में आपको यह साधना करनी है। 

उस दिन रात्रि काल से साधना स्टार्ट करनी है। कहां करनी है? घर के एकांत कमरे में कर सकते हैं, आप छत पर अगर आपका बना हुआ है थोड़ा सा तो वहां पर कर सकते हैं, नदी के किनारे कर सकते हैं। अब जैसे नदी किनारे आप करते हैं तो फिर क्या होता है सामग्री रोज उठा के लानी पड़ती है।

3 –  Urvashi apsara sadhana उर्वशी अप्सरा साधना  में  प्रारंभिक
तैयारी और शरीर बंधन

 

आपको जब भी करें, किसी भी मंत्र से आप शरीर बंधन कर लें वरना इसी वेबसाइट के पुराने लेख में हमने विभीषण कृत साबर मंत्र दिया हुआ है, उस साबर मंत्र से भी आप शरीर बंधन कर सकते हैं, वह स्वयं सिद्ध है। फिर भी जब उसको नवरात्र आदि में एक-एक माला कर लेंगे नौ दिन तो वह और प्रभावी हो जाएगा। जब आप यह साधना करें तो उस मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है तो उससे आपका शरीर बंधन हो जाएगा और फिर आप इस साधना को कर सकते हैं।

4 –  Urvashi apsara sadhana उर्वशी अप्सरा साधना विधि

 

इस साधना में आप उत्तर या पश्चिम मुखी होकर बैठें। ठीक है, इसमें सफेद वस्त्र आसन हो और सामने एक लकड़ी का पटिया हो उस पे भी सफेद कपड़ा बिछा दें। 

वहां पर उर्वशी अप्सरा यंत्र स्थापित करें। ठीक है, उर्वशी माला स्थापित करें या स्फटिक माला स्थापित करें, साथ में चार स्फटिक के दाने स्थापित करें, एक पान का बीड़ा स्थापित करें, सफेद फूलों की एक माला वहां पर रख दें यंत्र के ऊपर हम चढ़ाने के लिए, वो पूजन के बाद में चढ़ाएंगे और उसके साथ में मजमुहा या फिर आप गुलाब का इत्र वहां पर रख दें।

अब अपना पवित्रीकरण आचमन कर लें, उसके बाद में घी का दीपक अपने लेफ्ट साइड पर प्रज्वलित करें जिसमें लंबी बाती हो जो आपकी और मुंह करके हो। 

आप चाहे तो उसको यंत्र के और आपके ठीक बीच में भी स्थापित कर सकते हैं। इसके बाद में दीपक का पूजन करेंगे, पहले अपना पवित्रीकरण आचमन जरूर कर लें फिर दीपक का पूजन करेंगे और दीपक को प्रणाम करेंगे साक्षी भाव से कि हमारी साधना के आप साक्षी हैं।

इसके बाद में आप यंत्र को जल से स्नान करवाएं, दूध है तो उससे भी स्नान करवा दें, पुनः जल से कर दें, नहीं तो जल से भी करेंगे तो चलेगा। 

फिर कुमकुम केसर और कपूर तीन चीजें मिलाकर पहले से तैयार रखें, उनकी पहली बिंदी यंत्र के मध्य में लगाएं, मध्य बिंदु पे जहां पर संबंधित शक्ति वास करती है। उसके बाद उसके बाहरी आवरण पर बिंदु लगाकर उसको उसकी जगह पर स्थापित करें। माला की पूजा भी आप कर दें।

 उसके बाद में थोड़ा सा इत्र निकालें, यंत्र के और माला के आसपास इत्र को छिड़क दें, थोड़ा सा इत्र अपने ऊपर भी छिड़क लें, फिर इत्र को वापस रख दें। जो आपने माला ली है सफेद वो माला चढ़ा दें। 

एक दोने में कोई सा भी एक फल उनको अर्पित करें। ठीक है, इस प्रकार आप पूजन करेंगे। पान का बीड़ा भी उनको आप समर्पित करेंगे अर्पित करेंगे कि आप इसको स्वीकार करें।

5 –  Urvashi apsara sadhana  उर्वशी अप्सरा साधना – संकल्प विधि

इसके बाद में हाथ में जल लेकर आप संकल्प लेंगे अमुक नाम, अमुक गोत्र मैं उर्वशी अप्सरा सिद्धि निमित्त या दिव्य साधना का… देखो क्या होता है ना संकल्प का बहुत महत्व है। 

बिना संकल्प आपको अनुभव वगैरह भी उस टाइप से हो नहीं पाते हैं इसलिए संकल्प का बहुत महत्व है। तो संकल्प लें कि मैं अपना नाम गोत्र और उर्वशी अप्सरा सिद्धि प्राप्ति निमित्त, अप्सरा का सानिध्य प्राप्ति निमित्त, कृपा आशीर्वाद मार्गदर्शन प्राप्ति निमित्त मैं यह दिव्य साधना करने जा रहा हूं। ठीक है, इस प्रकार आप छोड़ दें।

 अगर आप उनको इष्ट रूप में करना चाहते हैं, मार्गदर्शक के रूप में करना चाहते हैं, अगर कोई प्रेमिका या पत्नी रूप में करना चाहता है तो फिर उस प्रकार से संकल्प ले सकता है कि मैं इन्हें इनका सानिध्य प्राप्ति निमित्त अमुक रूप में इनकी प्राप्ति निमित्त इनकी दिव्य साधना करने जा रहा हूं। बोल के जल छोड़ दें।

इस प्रकार आप इसमें आप यह भी बोल सकते हैं कि हे वरुण देव आपके माध्यम से और अग्नि देव की साक्षी में मैंने यह संकल्प लिया है, मेरा यह संकल्प अप्सरा तक आप पहुंचाने की कृपा करें। बोल के जल छोड़ दें।

6 –  Urvashi apsara sadhana उर्वशी अप्सरा साधना  में तिलक और मंत्र जाप

उसके बाद में आप देखो खुद का तिलक भी लगाना जरूरी है। जो त्रिगंध आपने तैयार किए कुमकुम केसर कपूर से, यंत्र पूजन के साथ अपन को भी लगाना है। दोनों अलग-अलग करके रखें, पहले अपना लगा ले तिलक फिर हाथ धोकर फिर आप यंत्र का पूजन करें, उसकी अलग रखें मतलब दो भाग में कर लें। 

ठीक है, अब दोनों ही हमने जगह बता दिया आपको कहां करना है। फिर क्या करना है? एक मंत्र आपको स्क्रीन पर दे रहे हैं, यह जो पहला वाला मंत्र है, इसको एक माला जप करना है उसी माला से। तो इससे पहले एक माला गणेश मंत्र और चार माला गुरु मंत्र का जप कर लें, आपने जो भी गुरु मंत्र है आपका जहां से भी दीक्षा ली है, उसके बाद में इस मंत्र का जप करें।

 मंत्र को भी नोट कर लें: तक्षम सर्वा सरस आगच्छागच्छ हुम। यह मंत्र है, इस मंत्र का एक माला जप करें। फिर जो आपने त्रिगंध तैयार की है, वह जो आपने चार स्फटिक के दाने रखे हैं उन पर भी तिलक करें। उसके बाद में उर्वशी अप्सरा का मंत्र नोट करिए: ॐ श्री उर्वशी आगच्छागच्छ स्वाहा । इस मंत्र की आप 51 माला जप करेंगे।

Urvashi apsara sadhana  उर्वशी अप्सरा साधना- काल के अनुभव

 इस प्रकार आप 7 दिन, 11 दिन, 21 दिन, 41 दिन का यह प्रयोग कर सकते हैं और इस साधना काल में आपको एक दिव्य महक आना, खुशबू आना, किसी का पास में होना, पीछे से हाथ लगा देना, इस टाइप की चीजें होती है तो डरने की बात नहीं है, यह तो अप्सरा का स्वभाव है, तो ये चीजें होती है।

Urvashi apsara sadhana उर्वशी अप्सरा साधना प्रत्यक्षीकरण और

सिद्धि

आप इस साधना को करें। अप्सरा अगर प्रकट होती है तो जो सफेद फूलों की माला आप क्योंकि इसमें जितने दिन करेंगे उतने दिन सफेद फूल की माला आपको लगेगी, किसी दिन अगर ना हो पाए तो फिर आप उसकी जगह अन्य फूल ले सकते हैं, गेंदा आदि फूल, गुलाब आदि फूल, तो उसी माला को आपको अप्सरा को पहनाना होता है जिससे वह आपके वश में होती है।

बाय चांस ऐसा नहीं होता है क्योंकि 90% टाइम तो ऐसा होता है कि अप्सरा सामने नहीं आती, आते हो गिने चुने 10% लोग हैं जिनको दर्शन होते हैं और उनमें से भी एकाध प्रतिशत होते हैं जिनको वचन होते हैं। 

तो आपको क्या करना है कि इसमें घबराने वाली बात नहीं है कि मेरे सामने नहीं आई तो मेरी साधना सिद्ध नहीं हुई। साधना तो सिद्ध होगी क्योंकि आपने संकल्प लिया और मंत्रो अधीन हो देवता, देवता मंत्र के अधीन है तो अप्सरा सिद्धि होगी ही होगी।

 बस यह है कि आप उसका प्रत्यक्षीकरण नहीं कर पाए। तो आप सतत साधना करते रहें, जैसे एक अनुष्ठान पूरा हुआ फिर अगले महीने अनुष्ठान ले लें या फिर एक-दो दिन छोड़ के फिर अनुष्ठान ले या फिर इसी अनुष्ठान को आगे बढ़ा दें।

 तो अवश्य ही अप्सरा के दर्शन, सानिध्य प्राप्ति या वचन होते हैं अगर आप उसको लंबे समय तक करें। ठीक है, जबकि एक ही अनुष्ठान में उसका सानिध्य अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त हो जाता है और आप उसके चमत्कार अपने जीवन में देखना शुरू कर देंगे।

Urvashi apsara sadhana  उर्वशी अप्सरा साधना  के नियम

अब इसमें नियम क्या है? इसमें नियम है ब्रह्मचर्य का पालन रखें, जमीन पर शयन करें, अपना बिछौना चद्दर वदर जो भी लगाना है लगा के। ठीक है, एक समय भोजन करें बिना लहसुन प्याज का, गुस्सा नहीं करना।

 मोबाइल वगैरह का कम उपयोग करें, किसी पर गुस्सा नहीं करें, किसी की बुराई चुगली ना करें, बेईमानी ना करें कहीं पे, इन सब चीजों का ध्यान रखें। यह तो नॉर्मल भी अपने जीवन में चीजें होनी चाहिए, साधना काल में तो होना ही चाहिए लेकिन सामान्य रूप से भी एक सही व्यक्ति के जीवन में यह सारे गुण होना चाहिए।

Urvashi apsara sadhana उर्वशी अप्सरा साधना के अंतिम प्रभाव

तो इस प्रकार अगर आप इस साधना को करेंगे अवश्य ही यह दिव्य साधना सिद्ध होगी और जीवन में चमत्कारिक अनुभव होंगे और जीवन में अनेक चमत्कार आपको दिखेंगे। जिस प्रकार गुलाब अपनी महक से आसपास के वातावरण को सुगंधित कर देता है, आप जहां भी जाएंगे आपका प्रभाव आसपास के वातावरण को दिव्य कर देगा, सम्मोहित कर देगा। 

आप जहां बोलना शुरू करेंगे लोग सम्मोहन के मारे एकटक होकर सुनते जाएंगे। तो यह इसके प्रभाव है और हर व्यक्ति चाहता है कि उसे ऐसा मान सम्मान मिले। 

 उसके लिए ऐसी दिव्य साधनाएं बहुत जरूरी है, चाहे वो आपके चेहरे पर तेज और सम्मोहन के लिए हो, चाहे दूसरों को वशीभूत करने के लिए हो, अपनी कार्य सिद्धि के लिए हो या अप्सरा का सानिध्य प्राप्त करने के लिए हो। तो इस साधना को अवश्य करें।

अन्य जानकारी एवं संपर्क

चलिए आज के लिए इतना ही।  guru mantra sadhna वेबसाइट पर तो हमने काफी सारे लेख दिए ही हैं इसके अलावा भी साधना के विभिन्न लेख जय महाकाली ज्योतिष केंद्र वाली वेबसाइट पर भी दिए गए हैं, आप उनको देख सकते हैं और उनसे संबंधित साधनाओं को करके अनेक लाभ उठा सकते हैं। 

जो लोग अपना कुंडली विश्लेषण या ओरा स्कैनिंग करवाना चाहते हैं, नीचे नंबर दिया गया है उस पर संपर्क कर सकते हैं। बातचीत का समय दिन में 12:00 से चार है, मैसेज वगैरह आप कभी भी कर सकते हैं। चलिए आज के लिए इतना ही। जय गुरुदेव जय महाकाली।  ph.85280 57364