krodh bhairav sadhna anubhav क्रोध भैरव की साधना रहस्य 24 घंटे में चमत्कार देखो

 

krodh bhairav sadhna क्रोध भैरव की साधना करो और 24 घंटे में चमत्कार देखो एक ऐसा मंत्र जिसके प्रभाव से यक्षिणी, गंधर्व, सर्प, पिशाचिनी आदि देवी-देवताओं को अपने पास बुला सकते हैं। पहली बार यह प्रयोग, यह अनुष्ठान, इस मंत्र का अनुष्ठान आप लोग सुनेंगे। आशा करता हूं आज की इस पोस्ट  से आप लोगों को सीखने के लिए, कुछ जानने के लिए मिलेगा।

जो तंत्र शिक्षार्थी, जो तंत्र सीखना चाहते हैं, मंत्र सिद्धि करना चाहते हैं, मंत्र का अनुष्ठान करना चाहते हैं, उन लोगों के लिए आज का यह कंटेंट है। आप लोग देखिए, आशा करता हूं जरूर आज का अनुष्ठान आप लोगों को पसंद आएगा। किसी भी देवी को अपने पास बुला सकते हैं।


 

क्रोध भैरव की साधना अनुष्ठान की तैयारी और मंत्र का परिचय

 1 शुभ तिथि का चयन

इस मंत्र का अनुष्ठान करने के लिए आप लोगों को एक विशेष शुभ तिथि निर्वाचन करना है। विशेष शुभ तिथि कैसा है? अमावस्या, पूर्णिमा, अष्टमी, चतुर्दशी, संक्रांति या साल में और कई भी शुभ तिथियां चलती हैं, आती हैं, जाती हैं। उस तिथि का निर्वाचन करके अनुष्ठान करने के लिए बैठें।

 

 2  क्रोध भैरव मंत्र की शक्ति

 

अनुष्ठान का मूल विषय है, पहले मंत्र के बारे में आप लोगों को मैं थोड़ा बताना चाहता हूं। यह मंत्र जो है, क्रोध भैरव, अष्ट भैरव का नाम आप लोग जानते होंगे, तो यह है क्रोध भैरव का मंत्र। भैरव का मंत्र है, इसमें तंत्र में उन्मत्त भैरव का मंत्र और देवता को कंट्रोल करके रखते हैं।

उन्मत्त भैरव महादेव का ही एक रूप है। यह क्रोध, नाम से ही पता लग रहा है, क्रोध यानी कि गुस्सा। क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, तो नाम से ही आप लोगों को मंत्र का पावर या मंत्र की शक्ति के बारे में थोड़ा बहुत आइडिया लग गया होगा।


 

क्रोध भैरव की साधना में सफलता के रहस्य

 

इस मंत्र का अनुष्ठान या मंत्र का अप्लाई कब किया जाता है? जब यक्षिणी की साधना आप लोग करेंगे या पिशाचिनी की साधना करेंगे, यक्ष की साधना करेंगे, तो उस साधना में मुद्रा का विशेष प्रचलन है। इत्यादि कई प्रकार की मुद्राएं आप लोगों को दिखानी पड़ेंगी।

तो मुद्रा के साथ-साथ विशेष मंत्र का भी अनुष्ठान है। यक्षिणी को आकर्षण करने के लिए मंत्र के साथ-साथ मुद्रा का भी प्रचलन है, दिखाना पड़ेगा, नहीं तो सक्सेसफुल नहीं होगा। सीधा अगर कोई व्यक्ति मंत्र अनुष्ठान करता है, कई लोग आकर बोलते हैं, गुरुजी, मैं तो बहुत दिन से पिशाचिनी की साधना कर रहा हूं, यक्षिणी की साधना कर रहा हूं, मेरे गुरु ने मुझे मंत्र दिया है या कोई जगह से मुझे मंत्र मिला है या कोई अनुष्ठान से मुझे मंत्र मिला।

कोई सभा चलता है, सभा से मुझे मंत्र मिला है, यक्षिणी का यंत्र मिला, ताबीज का चीज मिलता है लोगों को, सिर्फ ताबीज मिलता है और यक्षिणी का फोटो देते हैं। ऐसे सभा होकर डिस्ट्रीब्यूशन होता है, फ्री ऑफ कॉस्ट होता है।

यक्षिणी का यंत्र तो ठीक है, यक्षिणी का ताबीज होता है, यक्षिणी का फोटो, इत्यादि माला और यक्षिणी का स्क्रिप्ट, ये सब कुछ सेल होता है। ठीक है। चलिए, तो ये सब मुझे मिला लेकिन अनुष्ठान करने के बाद कुछ सफलता नहीं मिली।


 

क्रोध भैरव की साधना – टोटका और साधना में अंतर

 

तो सब चीज के आगे और पीछे कुछ बात है। इसीलिए तंत्र शिक्षार्थी को मैं बोलता हूं, तंत्र, टोटका, उपाय और तांत्रिक प्रयोग, दोनों में जमीन-आसमान का फर्क है। टोटका-उपाय सामूहिक एक छोटा सा मनोकामना पूर्ण हेतु आप लोग कर रहे हैं। आपका परीक्षा है, परीक्षा में अच्छा रिजल्ट हो, इस सबसे प्रार्थना करके एक टोटका अप्लाई किया।

यह एक छोटा सा अनुष्ठान है। इसका मतलब यह नहीं कि वो टोटका को रोज अप्लाई करते हैं। आप लोग विशेष मनोकामना पूर्ति हेतु टोटका करते हैं। लेकिन साधना एक अलग विषय है। जब तक मनोकामना पूर्ण न हो, मंत्र को जोड़ते नहीं, उस मंत्र को खींचते हुए चाहते हैं आजीवन, यानी कि जब तक साधक जीवित स्थिति में है, तब तक उस मंत्र को साधक खींचते हुए जाएंगे। इसको साधना बोलते हैं। यह कलिकाल है।

सतयुग में अगर 1000 मंत्र जाप से सिद्धि होती, कलिकाल में वह 4000 मंत्र जाप से सिद्ध होगा। कलिकाल में मंत्र सिद्धि, मंत्र सिद्धि इतना आसान है? मैं पहले भी आप लोगों को बोला, मंत्र सिद्धि करने के लिए रामायण, महाभारत, इत्यादि जो पुराण हैं, ये सब को देखिए। देखने के बाद पता लग जाएगा, उस समय के लोग कितना मेहनत करते थे मंत्र सिद्ध करने के लिए।

रावण को देखिए, कितना मेहनत किया मंत्र सिद्धि करने के लिए। कलिकाल में हैं, रावण अगर 1000 जाप किया, तो आप लोगों को 4000। राम ने अगर एक लाख जाप किया, तो अभी वर्तमान समय में चार लाख जाप करना पड़ेगा। इतना आसान थोड़ी है।


क्रोध भैरव की साधना तांत्रिक प्रयोग की मुख्य प्रक्रिया

 

तो ये जो आज का ये प्रयोग है, आज का प्रयोग तांत्रिक प्रयोग है। बहुत सीधा, बहुत सटीक प्रयोग है, लेकिन यह प्रयोग मुश्किल है। मंत्र बहुत जटिल है, मुश्किल है मंत्र अनुष्ठान करना। मंत्र का दो-एक शब्द मैं आप लोगों को बता दूंगा, पूरा मंत्र उच्चारण करके नहीं बता पाऊंगा। मंत्र में जो तीन शब्द हैं, वो मैं बता दूंगा।

इस मंत्र का अनुष्ठान करने हेतु आप लोगों को मात्र दस हजार बार मंत्र जाप करना है। जहां पर अमुक शब्द लिखा है, उस अमुक शब्द में आप लोगों को जिस भी देवी-देवता को बुलाना चाहते हैं अपने पास, उसका नाम बिठाना है। मान लीजिए, आप सुरसुंदरी यक्षिणी को बुलाना चाहते हैं, बिठा दीजिए अमुक की जगह पर सुरसुंदरी नाम होगा।

यही तंत्र है, यही मंत्र है, यही नियम है। शास्त्र में जो बोला, मैं वही चीज आप लोगों के सामने प्रेजेंट कर रहा हूं, ना कुछ बढ़ा-चढ़ा कर, जो है सीधा, स्ट्रेट आप लोगों के सामने लेके आया हूं। तंत्र में यही बोला है। और क्रोधराज के इर्द-गिर्द, मैं पहली बार लोगों को पढ़ा था, दसों दिशा से सिद्धि क्रोधराज के निकट रहता है। बाकी किसके दसों दिशाओं में सिद्धि रहता है, मुझे पता नहीं।

लेकिन क्रोधराज या क्रोध भैरव के पास सभी सिद्धियां मौजूद रहती हैं। तो हम लोग अगर क्रोधराज का ही मंत्र का अनुष्ठान करते हैं, उसमें अगर सिद्धि प्राप्त कर लेते हैं, तो सारी सिद्धियां, गंधर्व, राक्षस, पिशाच, देव, दानव, यक्ष, किन्नर, इत्यादि सभी अपने मुट्ठी के अंदर या करगत हो जाएंगे। इसीलिए क्रोधराज का यह मंत्र का प्रयोग आज आप लोगों के लिए मैं प्रस्तुत कर रहा हूं।

 

क्रोध भैरव की साधना – वेश-भूषा, दिशा, और समय

 

तो ये सब उस टाइम शुरू में बता दिया कैसे करना है। आप लोग जो भी वस्त्र पहनना चाहते हैं, लाल पहनें, काला पहनें, हरा पहनें, नीला पहनें, जो भी, वस्त्र का कोई बंधन नहीं है।

तो वस्त्र पहनकर आप लोगों को पूर्व या ईशान की ओर मुंह करके आप लोगों को इस अनुष्ठान में बैठना है। अनुष्ठान को बैठने के लिए कोई टाइम नहीं है।

तांत्रिक अनुष्ठान हर समय रात में ही किया जाता है, तो रात में अनुष्ठान करने के लिए बैठें। जब भी आप लोगों को समय मिले, लेकिन सही समय में अनुष्ठान करने के लिए बैठें।

 

 जाप की संख्या और अवधि

 

इस मंत्र का आप लोगों को पहले ही बताया, दस हजार बार मंत्र का जाप आप लोगों को करना है। मानसिक संकल्प लें। भोलेनाथ के मंदिर में, भैरव जी के मंदिर में पूजा-अर्चना देकर आएं, उसके बाद अनुष्ठान शुरू कर दीजिए।

पहले पूजा देकर आ सकते हैं या उसी दिन पूजा देकर आ सकते हैं। कुल मिलाकर दस हजार जाप आप लोगों को करना है।

एक दिन में कर सकते हैं, तीन दिन में दस हजार कर सकते हैं, दस दिन में दस हजार कर सकते हैं, इससे ऊपर मत जाइए। एक, तीन, दस, ये हिसाब से आप लोगों को अनुष्ठान करना है। अनुष्ठान के समय पहले बताया, अमुक की जगह पर नाम बिठाना है।


 

क्रोध भैरव की साधना अनुष्ठान का विशेष नियम: स्केच का प्रयोग

 

अनुष्ठान कर लिए, अभी अनुष्ठान का एक विशेष जो नियम है, उस नियम को मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं। नियम क्या है? जब आप लोग किसी देवी-देवता को बुलाना चाहते हैं, जब बुलाएंगे, तब स्केच बनाना पड़ेगा आप लोगों को। सफेद कागज में बनाइए, भोजपत्र में स्केच बनाइए। किसी पुरुष देवता को बुलाना चाहते हैं, तो आप लोग जानते हैं पुरुष देवता का स्केच कैसा होगा।

पुरुष की आकृति में उस देवता को अंकन कीजिए। महिला देवता को बुलाना चाहते हैं, यक्षिणी को बुलाना चाहते हैं, कि सुरसुंदरी यक्षिणी को बुलाना चाहते हैं, मेनका को बुलाना चाहते हैं, रंभा को बुलाना चाहते हैं, ठीक है? तो उस जैसा आप लोगों को आकृति का स्केच बनाना है। ठीक है? अपने बाएं पैर के नीचे स्केच को दबाकर मंत्र को जाप करना है।

माला लें, रुद्राक्ष, स्फटिक, ये दो माला बेस्ट हैं। नहीं है, तो उंगली से मंत्र जाप करने की कोशिश कीजिए। प्रतिदिन जाप संख्या आप अपने हिसाब से निर्धारण करके जाप कीजिए। यह है संपूर्ण प्रक्रिया। अनुष्ठान संपन्न हो जाने के बाद कोई हवन का इसमें उल्लेख तो है नहीं, इसलिए हवन करने का जरूरत नहीं है।


 

क्रोध भैरव की साधना – अनुष्ठान के बाद की अनिवार्यताएं और दान-दक्षिणा का महत्व

 

अनुष्ठान संपन्न हो जाने के बाद अपने हिसाब से कम से कम तीन ब्राह्मण को या तीन पंडित को या तीन साधु-संत को भोजन करवा के दान-दक्षिणा जरूर दें। कोई भी टोटका, टोना-टोटका कुछ भी करें, करने के बाद ब्राह्मण को या पंडित को जरूर खिलाएं। जब तक खिलाएंगे नहीं, दान नहीं करेंगे, प्रोग्राम या अनुष्ठान असफल माना जाएगा या इनकंप्लीट माना जाएगा।

आशा करता हूं समझ में आया जो बोल रहा हूं। सनातन हिंदू धर्म में है, कोई मेरे शब्द के ऊपर उंगली भी नहीं उठा पाएगा। जो बोल रहा हूं, देख लीजिए, थोड़ा रिसर्च कर लीजिए, देख लीजिए। कोई बताया नहीं, टोटका तो हजारों मिलेंगे, टोटका के बाद यह नहीं बताया, टोटका के बाद कर्म करने के बाद कुछ दान करो, कुछ दक्षिणा दो, किसी को खिलाओ।

पक्षी को खिलाने के लिए बोलेगा, लेकिन इंसान को खिलाओ। पक्षी को तो कोई भी एक मुट्ठी चावल लेकर पक्षी को खिला दो, कोई बात नहीं। किसी इंसान को खिलाओ, पंडित को खिलाओ और उनको दान-दक्षिणा दो और बोलो जी, इस मनोकामना हेतु आज आपको मैं यह खिलाया। पक्षी तो बात समझेगा नहीं, समझेगा नहीं, समझेगा। इसीलिए संपूर्ण अनुष्ठान पद्धति मैं बता दिया।


 

अंतिम विचार और मंत्र का सारांश

 

क्रोधराज के इर्द-गिर्द, मैंने पहले बताया, अगर क्रोधराज के इस मंत्र के ऊपर आप लोगों का कंट्रोल आ जाता है, मंत्र को एक बार अगर जागृत करके सिद्ध कर लिए, तो सारे सिद्धियां आपके करगत हो जाएंगी। इधर-उधर सिद्धि के लिए यह मंत्र, वो मंत्र, यह मंत्र करने का जरूरत नहीं है। अच्छी तरह से सुस्पष्ट मंत्र का अनुष्ठान कीजिए।

मंत्र, यंत्र सब कुछ  वेबसाइट के अंदर रहेगा। शुरू से अंत तक योग व्यक्ति पोस्ट को एक बार पढ़ना , आशा करता हूं उस व्यक्ति को मंत्र जरूर मिलेगा। ना कमेंट करना पड़ेगा, ना मैसेज करना पड़ेगा। आज का पोस्ट आप लोगों को कैसा लगा, एक लाइक और कमेंट के माध्यम से मुझे जरूर बताइए। पसंद आए तो  पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए।

क्रोध भैरव की साधना मंत्र का उच्चारण और स्थान

 

मंत्र उच्चारण करके मैं आप लोगों के लिए बता रहा हूं, देखिए, मंत्र में सबसे पहले  आशा करता हूं इसके आगे आप लोगों को कुछ भी पूछने का जरूरत नहीं पड़ेगा। तो यह जो शब्द मैं बोला, उसके बाद अमुक शब्द का उल्लेख होगा और मंत्र का पाठ होगा। जाप करने की विधि-विधान, संपूर्ण अनुष्ठान मैं बता दिया।

मेरे हिसाब से कोई पॉइंट मैं छोड़ा नहीं। बाकी अगर कोई पॉइंट मुझसे छूटता है, तो जरूर कमेंट करके बताइए। महादेव के सामने मंदिर में भी बैठकर यह अनुष्ठान आप कर सकते हैं। घर के शिवलिंग के सामने आप लोग बैठकर अनुष्ठान कर सकते हैं।

किसी भी देवी-देवता के मंदिर में जाकर भी बैठकर अनुष्ठान कर सकते हैं, कोई समस्या नहीं है। जो घर में करना है या बाहर में नहीं कर सकते, हां आप लोगों को ठीक लगे। लेकिन एक बात ध्यान में रखें, मंदिर में करते हैं, तो अनुष्ठान टोटल मंदिर में ही होगा। घर में करते हैं, तो घर में ही होगा। कभी मंदिर में, कभी घर में, यह नहीं चलेगा। जहां पे अनुष्ठान शुरू होगा, वहीं पे अनुष्ठान समाप्त होगा।


 

क्रोध भैरव की साधना आगामी  की घोषणा

 

आज का कंटेंट यहीं पर विराम देता हूं, लंबा पोस्ट  हो रहा है। बुधवार को मैं एक प्रयोग विधि लेके आ रहा हूं, महालक्ष्मी का प्रयोग। अचानक धन प्राप्ति के लिए। रात को सोने से पहले बस यह नाम तीन बार अगर आप लोग लेते हैं, तो आपका रुका हुआ पैसा, फंसा हुआ पैसा, अचानक धन प्राप्ति के लिए अद्भुत, अचूक प्रयोग मैं लेकर आ रहा हूं।