Nazar Dosh नज़र दोष का सच और बचने के उपाय – सम्पूर्ण जानकारी

गुरु मंत्र साधना में स्वागत और नज़र दोष की चर्चा
गुरु मंत्र साधना.com में आप सबका फिर से स्वागत है। आज की जो हमारी चर्चा रहेगी, जो आज के समय बहुत ही ज्यादा जो चलन में चीज है, वो है नज़र दोष। और नज़र दोष एक ऐसी चीज है जो जादू टोने, तंत्र-मंत्र से भी ज्यादा खतरनाक है।
कुछ ही दिनों में ही बंदे का जो डाउनफॉल है, शुरू हो जाता है। तो इसी टॉपिक को रिलेटेड आज हम बात करेंगे। मेरे साथ हैं जी सागरनाथ जी। सागरनाथ जी आपका बहुत-बहुत स्वागत है। जी शुक्रिया भाई। रुद्रनाथ जी, आपका धन्यवाद चैनल पे बुलाने के लिए।
नज़र दोष: जादू-टोने से भी ज़्यादा खतरनाक
ठीक है सागरनाथ जी, मैं देखता हूं कि आजकल नज़र और हाए वगैरह आजकल ज्यादा चल रही है। लोगों की हाए जल्दी लगती है और नज़र भी बहुत जल्दी लगती है। जी। ठीक है। इस चीज के रिलेटेड मैंने देखा है कि अपने आसपास में बहुत सारी मैंने चीजें देखी हैं।
जैसे कोई बंदा पड़ोस में मेरे इधर कोई मकान बना रहा था। ठीक है? जी, जब उसका मकान का काम चल रहा था, तो उन्हीं दिनों में कुछ दिन ही बीते हैं, मतलब 5-10 दिन। ठीक है?
उस व्यक्ति की डेथ हो जाती है। बिल्कुल जवान आदमी, जी 40-45 साल का। ओके। ठीक है। पहले बिल्कुल ठीक था। पहले उसने एक-दो बार सुसाइड करने की कोशिश करी, तभी उस समय भी भगवान ने उसको बचा दिया।
जब सब कुछ लाइफ़ में सही चल रहा था, अचानक से ही उस बंदे का एक्सीडेंट हुआ, डेथ हो गई उसकी। मतलब जब उसने घर बनाया, तब उसके बाद ही उसका डाउनफॉल शुरू हुआ। जी, तो मैंने ऐसी बहुत सारी उदाहरणें देखी अपने आसपास। तो मेरे एक केस मैंने और देखा है कि मेरे ही पड़ोस में एक आदमी ने घर बनाया।
घर की ओपनिंग करी अच्छे तरीके से। कुछ दिन बाद ही उनके फ़ादर साहब खत्म हो गए। ठीक है। जी, जी। तो एक ऐसे ही दूसरे मोहल्ले की बात कर रहा हूं, तो वहां पर भी यही चीज हुई। जैसे उन्होंने घर बनाया, वो खत्म कहानी। जी। उनके घर के दो आदमी खत्म हो गए।
आजकल तो सिचुएशन ऐसी चल पड़ी है। हाँ जी। तो यही चीजें होती हैं। मैंने ये 10-1 उदाहरणें मेरे पास हैं कि आदमी का अच्छा खासा बिज़नेस कारोबार होता है, तो खत्म हो जाता है। ठीक है। किसी का, हाँ, चलते-चलते डाउनफॉल थी, फिर उसके बाद किसी ने घर बनाया।
घर जब बनाते हैं, तो कुछ ही दिन बाद उनके घर के किसी मेंबर की डेथ हो जाती है। घर का कोई आदमी चला जाता है। तो ये बहुत ज्यादा केस मैंने अपनी जिंदगी में देखे हैं कि किसी व्यक्ति की बहुत सारे लोगों की हाए लग जाती है।
जो कि एक जादू टोने से भी ज्यादा खतरनाक। खतरनाक, बहुत ज्यादा खतरनाक है ये। तो एक बंदा था, बहुत ही ज्यादा सेहतमंद था, जी, उसकी अच्छी सेहत थी, उसको देख के लोग बोलते थे कि इसकी बॉडी बहुत अच्छी है और बहुत सुंदर है।
कुछ दिन बाद ही वो व्यक्ति बीमार हुआ, तो कमजोर सा हो गया। अब पहचानते हैं, तो देखने को लगता नहीं कि ये वही आदमी था, जी, जो पहले दिखता था, जो पहले दिखता था। जी। ये चीजें मैं अपनी सोसाइटी के अंदर बहुत ज्यादा देखता हूं। आपने भी ये चीजें देखी होंगी।
नज़र पत्थर फाड़ देती है
जी, जी। मैं तो पर डे नोट करता हूं। चलो, हम तो इसी केसों में ही रहते हैं। पर डे ही इन चीजों को नोट करता हूं, रुद्रनाथ जी। हाँ, तो ये कितनी ज्यादा खतरनाक है, सागरनाथ जी, ये चीज? जादू से भी ज्यादा खतरनाक चीज है।
आपने भी अपनी जिंदगी में ऐसे कुछ केस देखे होंगे, तो आप भी बताइए जो आपने केस देखा जिंदगी में। जी, जी, जी। सबसे पहले तो आपके व्यूअर को प्यार देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं बोलूंगा पहले राम-राम, फिर बोलूंगा जय माता की।
ठीक है, राम-राम जी। जय माता दी आपका। अब हम अपना टॉपिक शुरू करते हैं। जैसे जो नज़र दोष है, ये इतनी ज़हर है ना, इसको ज़हरीला बोला जा सकता है।
ज़हरीले नाग की तरह ये पत्थर भी फाड़ देती है। हाँ, ये पुरानी कहावत मैंने सुनी है कि नज़र पत्थर फाड़ देती है। पत्थर फाड़ देती है। इंसान तो क्या ही चीज है। हम जैसे आप शुभ काम करते हो, कइयों को होता है हाए, हाए, उसने यह कर लिया, हाए, उसने वो बना लिया, हाए, वो इतना आगे पहुँच गया, तू तो इधर।
ये जो हाए होती है ना, हाए-हाए करते रहता है जो आदमी दूसरों के लिए, उसका बेड़ा ही ठप कर देता है। मेरे हिसाब से एक आदमी की हाए नहीं लगती। मतलब आप देखो, 40-50 आदमी ऐसे होते हैं जिनकी हाए लगती है। मतलब हम, हमें तो कुछ लोगों ने मुँह के ऊपर बोल दिए। कुछ ऐसे भी लोग होंगे जो मुँह के ऊपर नहीं बोलते, दिल में तो सोचते हैं, अभी हाए।
दिल में सोचते हैं भाई। बिल्कुल-बिल्कुल। जो दिल में करते हैं ना, जिसको आदत होती है हाए-हाए करने की, जैसे आप जैसे अभी बता रहे थे कि आपके आस-पड़ोस सोसाइटी में किसी ने मकान बनवाया, उनके पिता की डेथ हो गई, मकान की ओपनिंग करने के बाद।
जैसे आपने ये भी बताया एक केस कि जैसे लड़की बहुत सुंदर थी, तो उसकी बॉडी यानी कि कुछ दिन के बाद खराब हो गई। ये सब नज़र दोष इतने होते हैं ना कि जैसे भाई साहब जी, अब मैं आप देखोगे, जवान लड़की मेडिकल की स्टडी कर रही, अच्छा खासा घर बना, जी, उसके एक्सीडेंट हो गए, मौत।
अगले दिन कुछ दिन बाद, मतलब साल भी नहीं बीता होगा, छह महीने बाद, उसके दादा जी खत्म हो गए। मतलब कोई रोग नहीं, कुछ नहीं। बताओ आप। नज़र दोष बहुत-बहुत-बहुत ही कितनी खतरनाक चीज है ये। खतरनाक ऐसे है, जैसे-जैसे मैं छोटी बातें बताता हूं कि जैसे जल्दी आपके व्यूअर को समझ आएगा।
जैसे बचपन में होते थे ना, छोटे बच्चे को उठा लिया, ज्यादा उसको बोलते थे, इसको हँसाओ मत, ये रात को रोएगा। बहुत ज्यादा खेलेगा दूसरों के साथ, ये नज़र में आ जाएगा।
हम कभी बोलते थे कि माँ को अपना, जब दूध पिलाती है ये बच्चों को, तो देखना नहीं चाहिए, उनको भी नज़र लग जाती है। ये तो पीछे से चला आ रहा है ना? कोई बात तो नहीं कर रही। नज़र बहुत पुराने टाइम से चली आ रही है।
शो ऑफ़ और दूसरे शहर में काम करने का महत्व
अब आप देखिए, जी, हिप्नोटाइज को तो हम झुठला नहीं सकते। हिप्नोटाइज बहुत बड़ी चीज है जो आँखों की प्रैक्टिस एक तरीके से हिप्नोटाइज है। जिसमें अब ऐसे कुछ लोग भी हैं हिप्नोटाइज वाले, जो अपनी आँखों से ही एक सरिए की रोड को मोड़ देते हैं।
अब ऐसे एक्स्पर्ट आदमी भी हमने देखे हैं जिंदगी में। आप देखो, कितनी डेंजर चीज है कि उसने नज़र से ही बहुत मोटी रोड को मोड़ दिया। मैं बताता, मैं बताता हूं कि जैसे जब हमारे गुरुदेव ने हमें कुछ बातें बताई थीं, एक बार उन्होंने हमें मंत्र दिए, जिसको हम इल्म बोलते हैं। जब हमने सी उनको किया ना, उसने ये बोला था कि ये सबसे खतरनाक इल्म है। बिल्कुल।
उसका प्रोसेसिंग बहुत खतरनाक है। मतलब कि जब वो असर करता है ना अपनी ऊर्जा के साथ, बहुत खतरनाक स्वभाव वाला बन जाता है। हाँ जी। एक चीज और मैंने सागरनाथ जी देखी है, आप भी ने आपने भी सुनी होगी, कि पुरानी कहावत है, ठीक है?
कहावत ये है, जी, भजन, भोजन और नारी, पर्दे के अधिकारी। ठीक है? सही क्या है, जी, पर्दे में रखनी चाहिए। भजन भी पर्दे का, पैसा भी पर्दे का, हर चीज, ये तीन से चार चीजें पर्दे की होनी चाहिए। देखो, आजकल तो पर्दा ये नहीं है, नारी पर्दों के बाहर हो रही है, भोजन भी बाहर हो रहे हैं, जो पैसे दिखाए जा रहे हैं कि मेरे पास इतना पैसा है।
मैं इतना ऐशो-आराम करता हूं। बिल्कुल। कहीं ना कहीं जो शो ऑफ़ है, तो यही हमें डुबो रहा है। आपका क्या कहना है? ये रियलिटी है भाई। शो ऑफ़ जो हमें लेकर बैठ जाती है। हाँ। अब आदमी ये सोचता है कि उस बंदे के पास बुलेट मोटरसाइकल है, तो मेरे नीचे भी होनी चाहिए। हाँ, बुलेट होनी चाहिए।
चाहे कहते हैं ना, वो एक कहावत है, जैसे बंदर नहीं होता है, किसी को देख के वो अपनी शेविंग करता है, क्लियर कर लेता है। आदमी तो बंदर देखता है कि बाद में वो आदमी चला गया, सामान तो वही तो उस तरह उठाता है, रगड़ने लगता है, अपने तो मुँह छील देता है।
बिल्कुल-बिल्कुल, बिल्कुल-बिल्कुल। आपने बिल्कुल सही बोला, जी, कि वही आजकल हालात हैं। आजकल की जनता के ना यही हालात हैं। बिल्कुल, जी। आपने मतलब जो आज के लोग समय में लोग सोचते नहीं ये चीजें ना, और यही चीजें लेके डूब जाती है।
नज़र से बचने के लिए सुझाव
अब सबसे बड़ी उदाहरण अब मैं एक इसमें टिप कुछ देना चाहता हूं व्यूअर को। अगर आपके पास पैसा है। ठीक है? पैसा होना बुरी चीज नहीं है। अपने शहर में आप कोई भी काम ना करो।
दूसरे शहर में जाके करो। जहाँ आपको कोई जानता नहीं है। ठीक है? तो उसमें होगा क्या है, जी, अगर आप वहाँ पर मकान बनाओगे, किसी की नज़र नहीं लगेगी। नज़र क्यों नहीं लगेगी? वो वो यह सोचेगा, ये पहले से ही अमीर होगा। बिल्कुल। ठीक है?
मतलब एक मेंटैलिटी होती है। आप आपके शहर में अगर मैं आके कुछ बनाऊंगा, तो किसी को कोई ऐतराज नहीं है। ठीक है। अगर आप ही अपने शहर के अंदर आप ही अपने मोहल्ले के अंदर बनाओगे, तो लोगों की नज़र में आओगे कि ये बंदा पहले कुछ नहीं था। जी।
वही हमारे साथ भी हुआ है। हमारा कंस्ट्रक्शन का काम कभी कभार चलता ही रहता है हमारे बिल्कुल।
घर में, घर में जो आसपास है ना, देखते हैं, देखते हैं कि भाई हम तो कुछ नहीं कर पा रहे इतने सालों से, सागरनाथ-सागरनाथ जी तो महीने-दो महीने, कभी कभार चार महीने में कंस्ट्रक्शन का काम लगे रहते हैं करवाने, घर को अच्छी तरह सेटिंग करवाने, क्योंकि घर तो रिपेयरिंग माँगता ही माँगता है। जब मन में आएगी ऐसी-ऐसी अच्छी चीजें, इसके बीच की कमी है, पूरी करो।
ठीक है? चाहे फ़्लोरिंग की हो, फ़र्नीचर की हो, किसी की भी हो, वो इसी-इसी चीज को देखते हैं। तो जब वो उनका मैं देखता हूं ना कि उनकी एनर्जी जब मेरे घर की तरफ आती है नज़र की, तो फिर मेरे को उसका उपाय करना पड़ता है। बिल्कुल-बिल्कुल-बिल्कुल। कि मेरे काम में रुकावट ना आए। बिल्कुल-बिल्कुल।
सेलिब्रिटीज़ और पॉलिटिशियन: नज़र दोष से बचाव
एक चीज और है, सागरनाथ जी। इसमें मैंने देखा है, जी, जितने भी बड़े-बड़े सेलिब्रिटी हैं, ठीक है? जिनको हम एक्टर बोलते हैं या बड़े लेवल के प्रोड्यूसर हैं, तो वो कभी भी अपने शहर में घर नहीं बनाते। वो ज्यादातर मुंबई में, मतलब दूसरी जगह जाके बनाना प्रेफ़र करेंगे।
अब जितने भी पंजाबी सिंगर हैं, टोटल चंडीगढ़ में उन्होंने फ़्लैट ले। उनको तो चंडीगढ़ ही चाहिए पंजाबी लोगों को तो। नहीं, इसके पीछे भी एक कारण है। कारण ये है कि अगर वो अपने ही शहर में कोई कुछ करेंगे, तो लोगों की नज़र में आएँगे। उनकी हाए लगेगी। हाँ, लगेगी।
एक तो दूसरी बात, एक वहाँ पे सोसाइटी ऐसी है, उनके पास टाइम नहीं होता किसी से इतना मेलाप रखने का। बिल्कुल-बिल्कुल। घर वालों के साथ मेलाप होता है रखने का। तो मैंने इसीलिए ये चीज देखी कि वो दूसरी जगह इसीलिए बनाते हैं, क्योंकि नज़र में ना आएँ। ठीक है?
अब जैसे सिद्धू मूसे वाला था, जी, बहुत फ़ेमस पर्सनैलिटी था। ठीक है। उसने सोचा कि मैं अपने गाँव में ही एक अच्छा सा घर बनाऊँ, एक महल नुमा। उसने घर बनाया और वो सारी उसकी चल रही थी। कुछ दिन बाद ही उस बेचारे की डेथ हो गई। तो नज़रों में आ गया था ना वो? बहुत ज्यादा, बहुत ज्यादा ही नज़रों में आ गया था।
मतलब जो वहाँ शहर के लोग थे, उनकी नज़र में वो व्यक्ति आया। एक जो लोकल पब्लिक है ना, वो देखती थी। ये पहले गरीब था और अचानक से आज ये हवेली में। भाई, इसको, भाई, इसको हमने खुद देखा है। एमए वन चैनल ये पंजाब में चलता है।
उसके ऊपर इंटरव्यू देता था। धक्के खाता था। बिल्कुल इंटरव्यू देता था। अब आप इसीलिए सबसे बड़ा उदाहरण यही है, जी, आप देख सकते हैं कि वो जितने भी सिंगर थे, सारे चंडीगढ़ चले गए, तो इसीलिए वो बच गए। नज़रों में नहीं आए। दूसरी बात, तो सीधी बात है कि उन्होंने अपना बचाव कैसे किया? मैं बताता हूं। नज़र से बचने का क्या वजह है?
पहले चंडीगढ़, चंडीगढ़ से सीधा कनाडा कोई चला गया। कोई अमरीका चला गया। ज्यादातर तो वो टोरंटो गए हैं कनाडा में। बिल्कुल-बिल्कुल-बिल्कुल। और वहाँ पे भी जब उनका पता है दाना-पानी पूरा हो गया। हम नज़रों में आ रहे हैं सबके, हम तो वहीं से कोई दूसरी साइड पे चला गया, कोई दूसरी साइड पे।
बिल्कुल-बिल्कुल। वो वही, मतलब ये जितने भी सेलिब्रिटी हैं, इनको मैं एक यही चीजें मैं देखता हूं, चाहे वो गुरु रंधावा है, कोई बड़े लेवल के जो सिंगर हैं, तो वो विदेशों में ही ज्यादातर रहते हैं। इसका कारण यही है कि अगर वो यहाँ घर बनाएँगे, तो लोगों की नज़र लगेगी। भाई, मैंने फ़ॉरेन लाइफ देखी हुई है। आप मानते हो, रुद्रनाथ जी, मैंने इतनी डीपली से देखी हुई है फ़ॉरेन लाइफ अमरीका की, इंग्लैंड की।
उनके पास इतना टाइम नहीं होता कि नेबर के साथ हेलो-हाए भी कर लें। जाते-जाते मिल लिया, जैसे रास्ते में कहते हैं ना, देखा-हो गई, तो हो गया। इतना ये लंबा विचार नहीं वो करते। जैसे हमारे यहाँ पे पूरा लेके एक-दो घंटा लेके बैठ, बैठ जाते। हाँ, बैठ-बैठ जाते हैं ना? वैसे नहीं है वहाँ। अब देखिए, जी, मेरे यहाँ पर मेरे भाई के घर बना रखा है। ठीक है?
अच्छा खासा काम कंस्ट्रक्शन का चलना। ठीक है? लोग पता है क्या? मुँह के ऊपर आकर बोलते थे, भ तुमने तो घर बना लिया। तुम्हारे पास तो 2 करोड़ अभी भी पड़ा होगा। जी। ठीक है। ऐसा मुँह के ऊपर बोलते थे। कुछ लोग तो चलो दिल के अंदर से ही वो करते थे चीजें।
और हमें पता चल गया कि ये अब लग रही हैं नज़रें। और हमने अपना बचाव करा, तो इसीलिए हम बच गए हैं। भाई, करना चाहिए। पैसा आपका, टाइम आपका। आपको परमात्मा ने पूरी सपोर्ट दी हुई है कि आप अपने समय को संभालो।
और मेरे हिसाब से ये नज़र की जो बचाव है, इसके लिए हमें काम करना चाहिए। करना चाहिए भाई। रियलिटी है। नहीं तो आपका बिज़नेस और आपका घर इनको तो लोग नज़रें ही खा जाएँगे। सुख जाए, तो इसीलिए क्या है, जी, हमें इन चीजों से बचने के लिए कुछ करना चाहिए।
बगलामुखी कवच और धार्मिक अनुष्ठान
अच्छा, एक चीज मैं और बताता हूं, जी, सागरनाथ जी। ये जितने भी बड़े-बड़े पॉलिटिशियन हैं या हम बोल सकते हैं कि सेलिब्रिटी हैं, ठीक है? इनके पास भी मैंने देखा है कि महंगे-महंगे बगलामुखी माता के कवच होते हैं। इसीलिए ये बचते हैं। भाई, रियलिटी है।
तभी तो बचते हैं। ठीक है। अगर ये सारा खेल कवचों के कारण हो रहा है कि नज़रों से, तो इसीलिए वो बच रहे हैं। भाई, सीधी बात है, जो हमारे धर्म में देवी-देवता हैं ना, जो प्रचंड रूप में चलते हैं, ये उन्हीं की देन है। ये उन्हीं के कारण ही बच रहे हैं।
फ़िल्म इंडस्ट्री आपने बात, आपने बात की ना? मैं भी बताता हूं इस बात का प्रूफ़ देता हूं। जो हनी सिंह है ना, 2009 में आया था गाना लेके, बहुत फ़ेमस हुआ था, रैपर बना था, काम चला। जी, शाहरुख खान के पास गया। टाइम आने पे उसने लुंगी डांस गाना निकाल दिया, पार्टी चलेगी गाना, ऐसा भी कुछ निकाला। ब्लू आईज़ भी गाना निकाल दिया।
उसके बाद उसकी मंजी खड़ी कर दी किसी ने। इंडस्ट्री वालों ने ही खड़ी कर दी कि हमारा काम साला ठप करके ये तो अपने को ऊपर बैठ रहा है। उन्होंने इसकी जब वाट लगाई, तो ये तो साला डिप्रेशन में चला गया। बिल्कुल। इसको मैंने बिल्कुल दाढ़ी, सफ़ेद दाढ़ी नहीं थी जब मैंने इसको देखा था, इसके स्टार को चमकते, ब्लैक थी।
अपने आप को पूरा हीरो बनके रहता था। लेकिन जब दोबारा वापसी हुई है ना, महादेव के कारण, भगवान महादेव के कारण, तो ये इसकी दाढ़ी क्या है? वाइट हो चुकी है।
इतना डिप्रेशन में चला गया था। बिल्कुल। कभी इसकी बायोग्राफ़ी देखना या विकिपीडिया इसका पढ़ना। इसके क्या हालात हुए थे। इतना नशा करने लग पड़ा, लड़कीबाजी इतनी करने लग पड़ा कि मेरा काम भी बंद हो गया। यही तो नज़रों का खेल है। जी, नज़र जब लगती है, बंदे की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। जी।
अब यह सिद्ध पीठ, सिद्ध पीठ जो है ना महादेव जी का, वहाँ पे जाके अपनी तपस्या करता है। यानी कि रुद्राभिषेक करवाता है। उनके वहाँ के जो पुजारी हैं ना, सिद्ध पुजारी, जो मंत्र उच्चारण करते हैं वैदिक रूप में, वहाँ से करवाता है। तब जाके ये सेटअप हुआ है। नहीं तो इतना डॉक्टर, इतना पैसा भी होने के बाद, लगवा लिया, कुछ नहीं इसको मिला।
भाई, आज के टाइम में तो सीधी बात है, दुनिया में लोग परे से परे बैठे हैं। बिल्कुल, जी, बिल्कुल। आप किसी के गले को पकड़ लोगे ना, वो आके गले में हाथ डाल के आपकी आँतें निकाल लेंगे। बिल्कुल, जी। अच्छा, एक चीज आप देखोगे, अब कोई पॉलिटिशियन है या कोई भी आदमी।
ठीक है, जी। अब पॉलिटिशियन के 100 दुश्मन होते हैं। होता है भाई। ठीक है, जी। अब कुछ बहुत सारे ऐसे भी लोग होंगे जो तांत्रिक उससे मिलते होंगे। वो बड़े पहुँचे हुए लोग हैं। तो अपने को जो होता है, अपने आप को सेफ़ रखने के लिए वो महंगे-महंगे कवच पहनते हैं। एक-डेढ़ लाख का कवच, 2 लाख का कवच, इस तरीके से वो कवच बनवाते हैं।
जी, उनका टाइम पीरियड होता है। जो कवच बनवाते हैं ना, वो महीने के लिए चलेगा या छह महीने तक चलेगा। ये नहीं, आपने 2 लाख दे दिया, तो आपको पूरे लाइफ़ टाइम दे दिया। ऐसे नहीं होता। इसकी लिमिट होती है। ये भी कुछ समय के लिए ही इसका प्रभाव रहता है। और ये दोबारा करते रहते हैं ये सारा कुछ। कहने का मतलब, जहाँ तक मेरा मानना है ना, दिवाली के दिवाली ये चेंज करते हैं।
क्योंकि दिवाली के बाद जो आप तांत्रिक चीज करते हो, दिवाली तक चलती है आगे। उसके बाद वो अपनी ऊर्जा छोड़ देती है। बिल्कुल-बिल्कुल, जी। यह आपकी बात बिल्कुल सही है। जैसे मोबाइल फ़ोन है ना, 24 घंटे चलाते रहोगे, वो एक साल मुश्किल से चलेगा, उसके बाद डेड हो जाएगा। बिल्कुल। ये आपकी बात बिल्कुल राइट है।
तो इसीलिए ये पॉलिटिशियन अपने आप को सुरक्षित रखते हैं। ठीक है? और ये इनकी चलो बाहरी रूप से तो चलो इनके पास बॉडीगार्ड हैं। और अंदरूनी खाते में इनका ये सिस्टम चलता है। बिल्कुल। ठीक है। कभी भी आप एक चीज देखना कि पॉलिटिशियन के ऊपर कभी ब्लैक मैजिक नहीं होता है। वो भगवान थोड़ी है वो।
ब्लैक मैजिक नहीं होता। दूसरी बात, सबसे ज्यादा दान-पुण्य यही करते हैं दो नंबर के पैसे का। बिल्कुल। और ये बिल्कुल मैं देखता हूं, जी, बड़े-बड़े ये पॉलिटिशियन बगलामुखी अनुष्ठान चलता है। तो इसीलिए ये सुरक्षित हैं।
ओरा को मज़बूत करने की ज़रूरत
आपके पास मैं एक रियलिटी बताता हूं। जी। अब मैं इसका थोड़ा सॉल्यूशन भी बता देता हूं। आपने ओरा चक्र को कोई व्यक्ति अगर स्ट्रांग कर ले, इतना ज्यादा स्ट्रांग कर ले, तो बाहरी ऊर्जा उसकी कोई काम नहीं करेगी। ठीक है? नहीं करती है। वो टकराएगी और वापस चली जाएगी। ठीक है?
क्योंकि ऊर्जा अगर पीछे से 200 की स्पीड से आ रही है, आपके पास हैंडल करने के लिए भी 200 की स्पीड ही चाहिए। 200% ऊर्जा चाहिए। तभी आप हैंडल कर पाओगे। अगर ऊर्जा है, तो आपको कुछ नहीं कर पाएगी। उड़ा देगी, उड़ा देगी आपको।
तो इसीलिए क्या है कि ओरा को स्ट्रांग करना ही हर एक चीज का सॉल्यूशन होता है। जी, भाई, ओरा करो, जी। हम खुद करते हैं ओरा को स्ट्रांग। अच्छा, लोग अब सागरनाथ जी ये बोलते हैं। जी, ओरा का, ओरा का पता क्या बोलते हैं? जी, हाँ जी, हमने आज इतना जाप कर लिया।
अब ओरा हमारा स्ट्रांग हो गया। ओरा देखिए, एक बार में स्ट्रांग नहीं होता। इसको मेंटेन रखना पड़ता है। ये खर्च होती है ऊर्जा। मान लो, मैं एक दिन मैंने सवा लाख कर लिए। इसका मतलब ये नहीं कि ये अस्थायी रूप के ऊपर रहेगा। इसकी ऊर्जा खर्च होती है साथ-साथ में।
साथ-साथ, जैसे हम रोटी खा रहे हैं ना, रोटी खाने से क्या है, जी, वो ऊर्जा बन रही है हमारी बॉडी के अंदर। क्या वो ऊर्जा हम यूज़ नहीं हो रही? जी। मान लो, आपने तीन टाइम रोटी खाई दबा के। बिल्कुल। अगले दो दिन रोटी नहीं खाई। वो पिछली ऊर्जा चल रही थी ना?
अगले जब दो दिन आएँगे, तो आपको रोटी की जरूरत तो पड़ेगी। नहीं तो आप तड़पोगे मछली की तरह। बिल्कुल-बिल्कुल राइट। बिल्कुल, जी। आपने बिल्कुल सही बोला। इसी तरीके से ओरा का भी यही सिस्टम होता है। बार-बार इसको अपडेट करते रहो, जाप करते रहो।
ये ग्रहण, दिवाली, हाँ, ये ग्रहण, दिवाली, सिद्ध योग, नक्षत्र योग, अच्छे योग क्यों परमात्मा ने बनाए हुए हैं? इसलिए बनाए हैं, अपडेट करने के लिए। अपडेट, जैसे अपना सॉफ़्टवेयर अपडेट करना है, आपने मंत्रों का तो होता ही है, वो तो साक्षात जाग्रत है, लेकिन अपने आपको खुद अपडेट आपने करना है। बिल्कुल, जी, बिल्कुल-बिल्कुल।
यही चीजें तो हैं, जी, लोग आज की डेट में पीछे रह गए हैं, तो इसलिए परेशान हैं मेरे हिसाब से। नहीं, परेशान बहुत हैं। इनको पता ही नहीं है कि लाइफ़ में तरक्की कैसे करनी है।
अगर कर भी लेते हैं, तो इनको यह नहीं पता, ये कौन से दोषों से जकड़े जाते हैं। तो मान लो, वो भी पता लग जाए, लेकिन इनको अगला स्टेप नहीं पता है कि इन दोषों को सेट करने के बाद, उसको रेगुलर कैसे रखना है।
साधना में गुरु का महत्व और धूमावती साधना का उदाहरण
अच्छा, जैसे कोई जादू-टोना होता है, तो हम उतारा करके बच जाएँगे। पर नज़र से बचना खतरनाक स्थिति होती है, तो बचना थोड़ा मुश्किल है। जी, नज़र दोष से बचना। भाई, नज़र दोष एक ऐसी चीज बोला है ना कि पत्थर फाड़ देती है। हम बिल्कुल-बिल्कुल। पत्थर फाड़ देती है।
क्योंकि उस लेवल तक बनके रहने के लिए ना दलेरी चाहिए, जिगरा चाहिए। जिगरा चाहिए और आपकी ऊर्जा चाहिए। ओरा चाहिए आपका। ओरा, वही, वही बोल रहा हूं ना। दिल, जिगरा किसको मैं बोलता हूं अपनी लैंग्वेज में? इसी को बोलता हूं ओरा को। ये आपके पास होनी चाहिए।
आपके पास, आपके पास एक अच्छा-अच्छा गुरु होना चाहिए जो आग में तपा हो, हंडा हुआ हो। ये नहीं कि ऐसे किसी को गुरु बना लिया, तो चल पड़ो जंग करने मैदान में। हाँ-हाँ, ये जी। तो ये भी आपकी बात बिल्कुल सही है कि गुरु होगा, तो तभी मार्गदर्शन मिलेगा। जी, बिल्कुल।
गुरु ऐसा होना चाहिए कि मतलब कि जिसने तपस्या इतनी की हो। मतलब वो भी नहीं कि सिद्ध जोगी बनना है। आज के टाइम में सिद्ध जोगी बनने की भी जरूरत नहीं है। बिल्कुल। मतलब इतना होना चाहिए कि आपको कोई छेड़े, तो दोबारा छेड़ने की हिम्मत ना करे।
अच्छा, लोग ना, मैं आपको सागरनाथ जी एक चीज बोलता हूं। जी, लोग ना 20 माला करके ना, कुछ दिन तक 20 माला करके बहुत बड़ा एहसान करते हैं। जी, हमने बहुत कुछ कर लिया। भाई, 100 करने वाले लोग बैठे हैं। हम बैठे हैं। हम बैठे हैं। हम तो खुद बोल, सागरनाथ जी बैठे हैं, 100 माला करने वाले। ठीक है? 100 माला से कम नहीं करना चाहिए।
जब हम 100 माला करके उठते हैं ना, मानते हैं, रुद्रनाथ जी? हाँ जी। सिर्फ मन में एक विचार आता है। ये आज का समय कंप्लीट हुआ। इस प्रोसेस को आगे भी करना है। ये अपने आप से खुद बोलते हैं। किसी से नहीं बोलते। बिल्कुल-बिल्कुल। दूसरों को थोड़ी सुनाऊँगा कि मैंने काली माता की या दुर्गा माँ की या हनुमान जी की या भैरव जी की इतनी माला की है। बिल्कुल, जी।
ठीक है। 100 माला करना कोई खेल नहीं है। पर खेल नहीं है। मुश्किल भी नहीं है। मुश्किल भी नहीं है। बंदे ने अगर मुश्किल भी है, मुश्किल भी नहीं है। आसान भी नहीं है। यानी ये सेंटर वाला काम है। जो इसको संभाल गया, समझ गया, वो आगे बढ़ गया। बिल्कुल-बिल्कुल, जी।
सपोज़ करो। सपोज़ करो, मैं छोटी सी बात बताता हूं। जैसे वही आपकी बात बड़ी कर रहा हूं। जैसे मैं बोल रहा था कि 200 की स्पीड से आ रहा है, आपके पास 200 की थ्क्ज़ होनी चाहिए।
अगर कम हुई, तो उड़ा देंगी। स्पीड यही मैं बात बोल रहा हूं। मान लो, एक शख़्स आया, नया-नया, दिल भी बहुत है, जिगरा भी बहुत है।
गुरु को धारण किया, नहीं, मैं जी 100 माला करूँगा। हम एक, हर दिन, हफ्ता भी कर ले, हम मान ली। जब आठवाँ या नौवाँ या दसवाँ, ग्यारहवाँ दिन आएगा ना, इसके बीच जब वो मंत्र प्रभाव बढ़ाएँगे 100 माला की, जब वो एनर्जी आपके पास आएगी, जिस देवते का नाम ले रहे हो या देवी का नाम ले रहे हो, हम जब वो आपके दिमाग को ट्रिगर करेगी ना, असर डालेगी, हम आपकी मेंटैलिटी है ना, जो तड़फ़ड़ाने लगेगी, जैसे पक्षी नहीं करता है, फड़फड़ाता है, वैसे फड़फड़ाओगे।
अब आपको समझ में नहीं आएगा, मेरे साथ क्या हो रहा है। मैं छोड़ दूं या उठ जाऊँ? पाप बढ़ जाएगा शरीर का। हार्ट, हार्ट अटैक तक की नौबत आ जाती है। गुरु वहाँ पे काम करता है। हम, हम। वो उस ऊर्जा का जो स्थिर होता है ना लेवल, उसको स्थिर करता है।
लेवल में लाता है बॉडी में कि भाई शांत रह। नुकसान नहीं करना, फ़ायदा करना है। बिल्कुल। यही, यही नज़र दोष होती है। हम अच्छा, ये, हाँ, आपकी बात बिल्कुल सही है। जी, ऐसे ही प्रोसेस करती है नज़र भी। नज़र भी ऐसे ही प्रोसेस आपको, आपकी बात बिल्कुल सही है। वही चीज में ही मैं आपको बताने वाला हूं।
सागरनाथ जी, एक बंदा मेरे पास आया, जी, ठीक है? वो कर रहा था, जी, धूमावती की साधना। क्या बात। उसने देखो, जी, आप मानोगे नहीं, उसने 100 माला कर ली, जी, 100 माला प्रति। ठीक है? और बिना किसी गुरु के मार्गदर्शन से। ऐसे ही लग पड़ा, जी।
कोई मार्गदर्शन ही कुछ नहीं। बस, तो उसकी चपेड़े नहीं पड़ी माँ धूमावती से। मैं आपको वही आगे बता रहा हूं, जी। हुआ क्या है, जी, बॉडी के अंदर इतनी, इतनी ज्यादा हीट बढ़ गई।
जी, आज भी बार सर्दियों में, जिसको हम बोलते हैं ना कि दिसंबर और जनवरी का महीना जो होता है, पीक के ऊपर सर्दी होती है। टेंपरेचर बहुत कम हो जाता है। उस समय भी वो आदमी नंगा घूमता है। जी। अरे, नंगे घूमेगा, उसको पागल कर दिया है। क्योंकि उसके अंदर बॉडी के अंदर हीट ही इतनी ज्यादा बढ़ गई। मंत्र की हीट ही इतनी ज्यादा हो गई।
वो मेंटैलिटी, मेंटैलिटी को हिला देती है। जो परमात्मा ने आपको सोचने-समझने की शक्ति दी है ना, वो ट्रिगर ही यानी उसको खींच देती है कि खत्म ही कर देती है।
और वो हीट इतनी ज्यादा जनरेट हो गई, जी, वो सर्दियों में भी नंगा ही घूमता है। सबसे बड़ी बात देखो आप। वो बोलता है, मैं अगर कोई कपड़ा पहनता हूं ना, तो शरीर में जलन होती है। जी, मैं बता रहा हूं ना, जब मैंने कितना बड़ा साइड इफ़ेक्ट है, जी, सागरनाथ, इस चीज का।
मैं बता रहा हूं, जब मैंने धूमावती माता को किया था ना, हम धूमावती माता को जैसे आप प्रोसेस बता रहे, किया था मैंने। उनको बीच में कुछ दिन लिए थे। चंद्र ग्रहण आ रहा था उस टाइम। बड़े बढ़िया सिस्टम में आ रहा था। हम, हम। तो जब उनको वहाँ पे किया मैंने सूप के साथ किया था, जिसको यहाँ पे फटकना भी बोलते हैं या छजनी बोलते हैं पंजाबी लैंग्वेज में।
छज, छज, जिसमें कनक को ऐसे साफ करते हैं। उसके साथ किया था। तो तकरीबन करने के बाद, जैसे आप 100 माला बोल रहे हो, तो हम उसी लेवल पे जा रहे थे उस समय। हम, हम। ग्रहण में पूरा दबाके कर रहा था। मेरे को क्या हुआ था उस समय, ऊर्जा का आभास बताता हूं। जैसे मेरे आसपास कोई सफ़ेद कपड़ों वाला गुजर रहा है।
मेरे को पूरा महसूस हो रहा है। मेरे को झटके दे रहा है, झटके दे रहा है। झटके, मैंने आँख नहीं खोली। झटके दे रहा है। जब मेरी माला पूरी है, जब मैंने आँख खोली है ना, अच्छा जी। भाई साहब, तोते उड़ाने वाला रूप था वहाँ पे। अच्छा, जी, ये बहुत बड़ी चीज है। जी, तोते उड़ाने वाला रूप था, मैं बता रहा हूं। मैं अपनी जगह बात कर रहा हूं। मतलब मेरी जगह कोई और होता ना, तोते उड़ जाते उसके। भाई साहब, आपका तो एक्सपीरियंस था।
इसीलिए आप बच गए, क्योंकि आपने गुरु के साथ काफ़ी सारी चीजें एक्सपीरियंस कर रखे थे। अगर कोई वही नया-नवेला आदमी करता, तो उसके तो तोते उड़ जाते।
आपने तोते बिल्कुल, मतलब कि उसके मर ही जाना था। उसने वो चीज देख के ना, भाई, यही तो चीज होती है। गुरु की बहुत जरूरी है। गुरु जरूरी है, जी। मेंटैलिटी क्यों बोलता हूं?
वहाँ पे गुरु कार्य करता है। असलियत में गुरु वहीं पे ही कार्य करता है अपना पूरा उसी समय। हाँ, ट्रेनिंग भी देता है, आपको करना है कैसे। ठीक है? बिल्कुल। अब आपके पास तो ट्रेनिंग थी, आप इसीलिए बच गए। अगर कोई दूसरा बंदा होता, तो उड़ जाता उसको।
नज़र दोष से बचाव का तरीका: व्यूअर से शर्त
भाई, हमारे साथ कांड भी हुआ था। उसके बाद ग्रहण में, जैसे हम सोए पड़े, मेरे जो बेड है ना, बेड पे जिसे किसी कोई पंजाबी भाषा में कहते हैं ना, ठुंड मारना या एड़ी को ऐसे जोर से मारना, चल भी उठ जा। जैसे हम कुत्ते-कुत्ते को उठाते हैं या साँड को उठाते हैं, गाय को मारके। हम ठुंड पूरा ऐसे बजा, महला पूरा। मैंने कहा, ये भूचाल साला कहाँ से आ गया?
जब मैं यहाँ से, जी, ये चीज मैं आपको बताता हूं। ये अलग वीडियो में करेंगे। वीडियो काफ़ी लम्बा हो गया, जी। अब मैं ये चीज बोलना चाहूँगा, सागरनाथ जी, अगर किसी व्यक्ति ने, ठीक है, जी, हमें कम से कम, ज्यादा नहीं मैं बोल रहा हूं, जी, जी, 150 लाइक कर दिए इस वीडियो को। नहीं, कम से कम मैं बोल रहा हूं, जी, 150 लाइक हो गए।
उसके बाद आप नज़र से बचने का तरीका बताना। नहीं तो हम नहीं बताएँगे। नहीं, मैं पूरी तरह बताऊंगा, जो घर में कर सकते हो, फ़्री में कर सकते हो, इतना खर्चा भी नहीं है आपका। ये ऐसे नहीं बताना। इनको नहीं बताऊंगा। इनको ऐसे बताएँगे कि 150 लाइक करना पड़ेगा।
जी, बात है। बिल्कुल-बिल्कुल। भाई, 150 लाइक इस वीडियो के ऊपर करना ही पड़ेगा आपको। आपके लिए तो हम फ़्री सेवा इतनी दे रहे हैं। कोई नहीं देता, यार। इतना तो आपका हक बनता ही है। 150 कमेंट हो जाएँ। दो चीजें हैं, जी, बस। और उसमें लिखना पड़ेगा, जी, बहुत अच्छा वीडियो। अपना राय दो। अच्छा है तो अच्छा बोलो, बुरा है तो बुरा बोलो।
राय ज़रूर देखने के बाद राय ज़रूर आपकी देनी पड़ेगी। राय ज़रूर दो, जी। हम इतना ही बोल देंगे। जब यह चीज हो गई, तो हम आपको अगले दिन ही नज़र से बचने का तरीका भी बता देंगे। पूरी तरह बताएँगे। परफ़ेक्ट तरीके बताएँगे। ये अनलिमिटेड तरीके होंगे।
आप बोलोगे कि ये ना कहीं पे सुने, ना देखें। और दूसरी चीज क्या है, जी, इसको हम कैसे परखें कि लगी है या नहीं लगी है। उस चीज को भी पहचान करने का भी तरीका बताऊँगा। जी, बताऊँगा। पूरी तरह बताऊँगा। ये भी कैसे लगती है, क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है, वो पॉइंट आप नोट करते जाना। कैसे उतारना है, क्या करना है, वो भी पॉइंट नोट करते जाना। देखिए, सबसे बड़ी बात क्या है, जी, सागरनाथ जी ने अपने भंडारे खोल दिए हैं।
बिल्कुल पूरी तरह खुले पड़े, भाई। जैसे चार दरबार होते हैं ना, पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, चारों दिशाएँ खोल दी मैंने सभी के लिए। मैं तो उनको बोल रहा था, आप मत दो नेट के ऊपर। ये बोल रहे हैं कि अगर हम नहीं देंगे, तो कौन देगा फिर आपको? कौन देगा? सीधी बात है।
तो लाभ कौन उठाएगा? मैं तो सीधा ही बात बोल रहा हूं। लोग ना काफ़ी ज्यादा सनातन से टूट के, अनादर धर्म के अंदर कन्वर्ट हो रहे हैं। कन्वर्ट भी हो रहे हैं। दूर चले गए हैं। उनको अपना धर्म भूल रहे हैं वो कि हमारा धर्म है क्या है? कैसे चल रहा है?
इसीलिए हमारी मजबूरी है कि हम ये चीजें बताएँ। हाँ। मैं पूरी तरह मजबूर हूँ। अब मतलब खुल के बताने के लिए। मेरे को मेरी विद्या में कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा। ना जीरो होगी, ना खत्म होगी। हाँ जी। ठीक है। जो इनका इलाका है ना, इन्होंने देखा कि धर्मांतरण बहुत बड़े लेवल के ऊपर हो रहा है।
सनातन को लोग छोड़ के बिल्कुल, भाई, सनातन को मान रहे हैं, भाई। सनातन होगा, तभी तो हम होंगे। अगर भाई, हम तो सीधी बात है, हम जो लड़ाई लड़ रहे हैं ना, वो किसके लिए लड़ रहे हैं? अपने धर्म के लिए। धर्म है हमारा मानवता का। सबसे बड़ी बात है, जो हमें सनातन धर्म सिखाता है, मानवता। वो सबसे पहले, उसके बाद बाकी नियम लागू होंगे जितने ने। बिल्कुल।
समापन और लाइव चर्चा का प्रस्ताव
तो यहीं पर हम समाप्त करते हैं। तो फिर हम दूसरे टॉपिक के ऊपर करेंगे। अलग जानकारी लेके आएँगे। ठीक है? तो अब मैं एक चीज और बोलना चाहूँगा, मैं एक चीज बोल रहा था। मैं थोड़ा सा ऐड करना चाहता था इस बात को। जैसे कभी हमारे जो व्यूअर हैं, इतने ललाहित हो जाएँ कि हम उनको लाइव उनसे सीधी बात करें दोनों। हाँ, बिल्कुल।
मैं ये भी चाहता हूं कि जो लाइव में मजा आए ना, लाइव में एक चीज बैठ पता क्या है? जैसे हम बात कर रहे हैं ना, तो किसी को अगर कोई जानकारी चाहिए लाइव के अंदर ही, डायरेक्ट वो पूछ सकता है। अब से बैस्ट चीज ये है। और वहीं पर ही उनको आंसर मिलेगा।
उसी समय। मैं बोल रहा हूं कि खड़े हो, आपकी क्या मजबूरी, कैसे? हल फटाफट बताऊँगा। सेकंड के हिसाब से ये कर, सीधा जा, इतने दिन को पकड़ के कर। बस, बस। फिर अगेन बात फिर आती है। जी, इनको सपोर्ट करना पड़ेगा। तभी ही हम इनको सपोर्ट कर पाएँगे। भाई, मैं तो पूरा देखो, तो ना जी, रेडी बैठा हुआ हूं कि इनको पूरी तरह फ़ुल्ली से सपोर्ट करूँ।
भंडारे खोल दिए मैंने अपने। बिल्कुल। ठीक है ना? अब इनका भी हक बनता है, इनका भी धर्म बनता है। जिनके मन में है सीखने का, सीखें। बात करें। किसी को मनाई नहीं है। हम हाँ, एक लिमिटेशन में रहकर हमेशा बात की जाती है। वो आपको भी सीखना पड़ेगा कि ये इधर-उधर की बातें ना मैं करता हूँ, ना मैं करूँगा। बिल्कुल राइट। ठीक है?
जो लिमिट में रह के बात करेगा, सबसे बढ़िया है। देखो, अब किससे बात करोगे? अपने गुरु से बात करोगे। बिल्कुल-बिल्कुल। और मर्यादा का पालन जरूरी है। किस हिसाब से बात करनी है? क्या लैंग्वेज है आपकी? क्या लैंग्वेज है?
भाई, हम भी मर्यादा में रहके बात करते हैं सबसे। आपको भी करनी पड़ेगी। बिल्कुल-बिल्कुल-बिल्कुल-बिल्कुल। तो ये चीजें हैं, जी। सागरनाथ जी, आपका फिर से धन्यवाद करता हूँ। जी, आपने फिर से आके जानकारी दी। ठीक है? जी, जी, जी। तो आज के लिए बस इतना ही। फिर हम नए टॉपिक को लेके बात करेंगे। जी, बिल्कुल। ठीक है, रुद्रनाथ जी। जय श्री महाकाल। जय माता दी। हाँ, जी, हाँ, जय माता।
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